सिद्धार्थ आनंद के निर्देशन में बनी जासूसी ड्रामा 'पठान' सिनेमाघरों में एक दिन पहले ही रिलीज हुई थी. ध्रुवीकरण और विपक्ष का जबरदस्त राजनीतिक समर्थन पाने की वजह से पहले दिन देश के तमाम इलाकों में शाहरुख खान-दीपिका पादुकोण और जॉन अब्राहम फिल्म ने ठीक ठाक ओपनिंग हासिल की है. आंकड़े तो यही कहते हैं. बावजूद कि वह स्वाभाविक है या नहीं इस पर बात की पर्याप्त गुंजाइश है. देसी बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन के कलेक्शन में उसका असर साफ़ दिख भी रहा है. लेकिन दूसरे दिन गणतंत्र दिवस का राष्ट्रीय अवकाश होने के बावजूद सिनेमाघरों में एडवांस बुकिंग में पहले दिन जैसा ट्रेंड नजर नहीं आ रहा.
इससे एक बात तो समझा जा सकता है कि ध्रुवीकरण से पहले दिन तो पठान को जबरदस्त फायदा मिला पर इसके नुकसान भी साफ़ दिख रहे हैं. ध्रुवीकरण ने एक दर्शक वर्ग को सिनेमाघरों तक पहुंचाया लेकिन व्यापक दर्शकों को जाने से रोक भी रहा है. एडवांस बुकिंग से लेकर पठान की तमाम चीजों पर बात हो रही है, तो कहीं ना उसकी वाजिब वजहें भी नजर आ रही हैं. पठान को लेकर तमाम तथ्य और शिकायतें हवा हवाई बिल्कुल नहीं हैं. और स्वत्रन्त्र चित्त के लोग इस बारे में लिख भी रहे हैं. खैर.
पठान. फोटो-YRF
क्या ठग्स जैसे हादसे की तरफ बढ़ रही है पठान?
अंग्रेजी के प्रतिष्ठित अखबार हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि पठान ने पहले दिन 50-51 करोड़ की ओपनिंग हासिल की है. यह किसी बॉलीवुड फिल्म के हिसाब से एक लाजवाब ओपनिंग कही जाएगी. शाहरुख और बॉलीवुड को ऐसे ही कलेक्शन की उम्मीद थी. हालांकि हिंदुस्तान टाइम्स के आंकड़े बता रहे कि शाहरुख की फिल्म केजीएफ 2 हिंदी वर्जन और बॉलीवुड की ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाई. (रिपोर्ट यहां पढ़ें) केजीएफ़ 2 ने पहले दिन 53.95 करोड़ नेट का बिजनेस किया था. जबकि ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान ने पहले दिन 52.25 करोड़ का बिजनसे किया था. आमिर की ठग्स असल में यशराज की ही पीरियड ड्रामा थी. फिल्म ने जबरदस्त ओपनिंग करने के साथ वीकएंड में ही 123 करोड़ का कलेक्शन निकाला, बावजूद दर्शकों ने उसे खारिज कर दिया था. ठग्स का कुल लाइफ टाइम कलेक्शन मात्र 151.19 करोड़ था.
हालांकि ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने भी हिंदुस्तान की रिपोर्ट के बाद दोपहर में पठान के आंकड़ों को साझा किया. तरण बॉलीवुड के सेलिब्रिटी समीक्षक और एनालिस्ट हैं. उनके मुताबिक़ पठान ने पहले दिन देसी बॉक्स ऑफिस पर 55 करोड़ का बिजनेस किया है. यह बॉलीवुड के इतिहास में सर्वाधिक ओपनिंग है. इससे आगे रितिक रोशन की वॉर (51.60 करोड़) और ठग्स सूची में शामिल है. पहले दिन के रिकॉर्डतोड़ कलेक्शन के बावजूद पठान खतरे से बाहर नहीं निकल पाई है. असल में ठग्स की केस स्टडी में दूसरे दिन सिनेमाघरों में पठान का माहौल देखें या फिर सोशल मीडिया पर तमाम दावों और उनके तथ्यों को क्रॉस चेक करें तो एक बड़ा संकेत यह भी मिल रहा कि कहीं शाहरुख की फिल्म का हश्र आमिर की फिल्म जैसा हो सकता है. बावजूद कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी.
राजनीतिक ध्रुवीकरण से फायदा उठाने की कोशिश थी, धार्मिक ध्रुवीकरण ने नुकसान पहुंचाया
ठग्स ने भी ओपनिंग डे का रिकॉर्ड बनाया था. मगर खराब वर्ड ऑफ़ माउथ की वजह से पिट गई थी. पठान का वर्ड ऑफ़ माउथ बेहतर तो नहीं कहा जा सकता. बावजूद कि पठान को लेकर तारीफ़ और आलोचनाओं में राजनीतिक सामाजिक ध्रुवीकरण साफ़ दिख रहा है. पठान का पीआर कैम्पेन देखें तो इसे तैयार भी कुछ इसी तरह किया था कि मौजूदा राजनीतिक माहौल में पठान में राजनीतिक ध्रुवीकरण का फायदा मिले. ममता बनर्जी समेत तमाम विपक्षी नेताओं ने शाहरुख को अपने अपने तरह से मदद की. दुर्भाग्य से राजनीतिक ध्रुवीकरण ने धार्मिक ध्रुवीकरण का रूप ले लिया और यह एक चीज फिल्म को तगड़ा नुकसान पहुंचाते दिख रही है. कितना? यह भविष्य के गर्भ में है. फिल्म के लिए लोगों का सिनेमाघर बुक करवाना, बल्क में टिकटें खरीदकर गिफ्ट करना, सिनेमाघर आने वाले दर्शकों को पठान की टी शर्ट देना आदि हथकंडे पहले दिन तो काम कर गए, लेकिन हर रोज उसके जरिए दर्शक जुटा पाना असंभव है.
पठान को अगर नुकसान हुआ तो उसके बुकिंग कैम्पेन का भी हाथ होगा
उलटा जो एक न्यूट्रल साउंड था वह भी पठान देखने के बाद फिल्म के कॉन्टेंट की निंदा कर रहा है. पठान को घटिया फिल्म बता रहा. कहने की जरूरत नहीं कि इससे भी शाहरुख की फिल्म को नुकसान ही हो रहा है. एक तरह से देखें तो बल्क में टिकट खरीदने की रणनीति भी फिल्म को नुकसान पहुंचाने वाली ही साबित हुई. लोग मान रहे कि यह स्वाभाविक बुकिंग नहीं थी. और इसने भविष्य में फिल्म के मजबूत होने की संभावना को भी ख़त्म कर दिया. इससे दर्शकों में यह गलत संदेश भी गया कि जब फिल्म मुफ्त में ही दिखाई जा रही है तो भला पैसे क्यों खर्च किए जाए? कहीं ना कहीं ऐसा नजर आ रहा है कि न्यूट्रल ऑडियंस पठान के टिकट पर पैसा खर्च करने को फिजूल मान रही है. पठान को अगर कारोबारी नुकसान हुआ तो उसमें बुकिंग कैम्पेन का बहुत बड़ा हाथ माना जा सकता है.
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