आखिरकार वही हुआ जिसका अंदाजा था. रणबीर स्टारर यशराज कैम्प की करण मल्होत्रा निर्देशित फिल्म शमशेरा अपनी रिलीज के पहले ही दिन बॉक्स ऑफ़िस पर औंधे मुंह गिर कर धराशायी हो गई है. फ़िल्म आने वाले दिनों में बॉक्स ऑफिस पर क्या गुल खिलाती है? इसका पता हमें लग जाएगा. लेकिन फ़िल्म के फ्लॉप होने ने न केवल तमाम बातों को स्पष्ट किया बल्कि कई चीजों पर मोहर भी लगा दी है. फ़िल्म के साथ जो सुलूक दर्शकों ने किया है खराब स्क्रिप्ट से लेकर ढीले निर्देशन तक तमाम कारण हैं जो इसके जिम्मेदार हैं. विषय बहुत सीधा है. और दिलचस्प ये कि, इसमें बहस की कोई बहुत ज्यादा गुंजाइश हमें इसलिए भी दिखाई नहीं देती है क्योंकि कहीं न कहीं शमशेरा ने हमें इस बात से अवगत करा दिया है कि बॉलीवुड फिल्मों के हिट-फ्लॉप के पैमाने बदल गए हैं.
क्योंकि तमाम बड़ी बड़ी बातों के बीच फ़िल्म, एक हव्वे से ज्यादा और कुछ नहीं साबित हुई. तो चाहे वो निर्माता आदित्य चोपड़ा हों. या फिर फ़िल्म के डायरेक्टर करण मल्होत्रा और रणबीर कपूर। उन्हें इस बात को समझना होगा कि, ओटीटी के इस दौर में, जब बतौर ऑडियंस हमारे पास अलग अलग विकल्प मौजूद हों और उस पर एंटरटेनिंग कंटेंट मौजूद हो. सिनेमा के नाम पर 'कुछ भी' परोस देने भर से काम नहीं चलने वाला.
साथ ही निर्माता निर्देशकों को इस बात को भी गांठ बांध लेना चाहिये कि, चूंकि इस कोरोनकाल में दर्शकों का टेस्ट और फ़िल्म बनाने के पैरामीटर्स दोनों ही बदल चुके हैं. इसलिए बॉलीवुड में जो पहले सुपरहिट था, वो अब एवरेज है. वहीं जो एवरेज था, वो अब फ्लॉप है. जो फ्लाप था, उसकी तो आज के इस दौर में बात करना ही बेकार है.
शमशेरा पर आगे किसी और...
आखिरकार वही हुआ जिसका अंदाजा था. रणबीर स्टारर यशराज कैम्प की करण मल्होत्रा निर्देशित फिल्म शमशेरा अपनी रिलीज के पहले ही दिन बॉक्स ऑफ़िस पर औंधे मुंह गिर कर धराशायी हो गई है. फ़िल्म आने वाले दिनों में बॉक्स ऑफिस पर क्या गुल खिलाती है? इसका पता हमें लग जाएगा. लेकिन फ़िल्म के फ्लॉप होने ने न केवल तमाम बातों को स्पष्ट किया बल्कि कई चीजों पर मोहर भी लगा दी है. फ़िल्म के साथ जो सुलूक दर्शकों ने किया है खराब स्क्रिप्ट से लेकर ढीले निर्देशन तक तमाम कारण हैं जो इसके जिम्मेदार हैं. विषय बहुत सीधा है. और दिलचस्प ये कि, इसमें बहस की कोई बहुत ज्यादा गुंजाइश हमें इसलिए भी दिखाई नहीं देती है क्योंकि कहीं न कहीं शमशेरा ने हमें इस बात से अवगत करा दिया है कि बॉलीवुड फिल्मों के हिट-फ्लॉप के पैमाने बदल गए हैं.
क्योंकि तमाम बड़ी बड़ी बातों के बीच फ़िल्म, एक हव्वे से ज्यादा और कुछ नहीं साबित हुई. तो चाहे वो निर्माता आदित्य चोपड़ा हों. या फिर फ़िल्म के डायरेक्टर करण मल्होत्रा और रणबीर कपूर। उन्हें इस बात को समझना होगा कि, ओटीटी के इस दौर में, जब बतौर ऑडियंस हमारे पास अलग अलग विकल्प मौजूद हों और उस पर एंटरटेनिंग कंटेंट मौजूद हो. सिनेमा के नाम पर 'कुछ भी' परोस देने भर से काम नहीं चलने वाला.
साथ ही निर्माता निर्देशकों को इस बात को भी गांठ बांध लेना चाहिये कि, चूंकि इस कोरोनकाल में दर्शकों का टेस्ट और फ़िल्म बनाने के पैरामीटर्स दोनों ही बदल चुके हैं. इसलिए बॉलीवुड में जो पहले सुपरहिट था, वो अब एवरेज है. वहीं जो एवरेज था, वो अब फ्लॉप है. जो फ्लाप था, उसकी तो आज के इस दौर में बात करना ही बेकार है.
शमशेरा पर आगे किसी और चीज का जिक्र करने या उसे फ्लॉप घोषित करने से पहले हम कुछ बातों को साफ कर देना चाहेंगे. एक फ़िल्म के रूप में हम शमशेरा का रिव्यू नहीं कर रहे हैं लेकिन जिस तरह की फ़िल्म है और जैसा फ़िल्म का प्लाट है, हमें ये कहने में कोई गुरेज नहीं है कि शमशेरा आज के दौर की फ़िल्म किसी भी सूरत में नहीं है.
अब वो वक़्त चला गया जब निर्माता निर्देशक एंटरटेनमेंट या ये कहें कि फ़िल्म का नाम देकर कुछ भी दिखा देते थे और दर्शक भी चाहे, अनचाहे उसे देख लेता था. अब दर्शक न केवल सवाल करते हैं बल्कि हर उस व्यर्थ की चीज का मुखर होकर विरोध करते हैं जो स्क्रिप्ट राइटर या डायरेक्टर के दिमाग की उपज है.
चाहे वो नेपोटिज्म हो या फिर फ़िल्म के मेन विलेन संजय दत्त का त्रिपुंड लगाना फ़िल्म में कई चीजें ऐसी थीं जिनके चलते फैंस की भावनाएं आहत हुईं और फ़िल्म का पूर्ण बहिष्कार करने की मांग हुई. आज बॉक्स ऑफिस पर जो सुलूक जनता ने एक फ़िल्म के रूप में शमशेरा का किया है. निर्माता निर्देशक इस बात को भी समझ लें कि बायकॉट बॉलीवुड का ट्रेंड सिर्फ फेसबुक ट्विटर या इंस्टाग्राम तक सीमित नहीं है और न ही ये कोई मजाक है.
अगर आज फ़िल्म पिटी तो उसकी एक बड़ी वजह वो धमकी थी जिसने दर्शकों को पहले ही एकजुट कर दिया था. जैसा कि हम ऊपर ही बता चुके हैं. एंटरटेनमेंट के अंतर्गत पहले के मुकाबले आज हालात बदल गए हों और साथ ही किसी फ़िल्म की हिट और फ्लॉप का पैमाना भी बदला है तो इस बात को हम हालिया दौर में ब्लॉक बस्टर साबित हुई कार्तिक आर्यन की फ़िल्म भूलभुलैया 2 से भी समझ सकते हैं.
2007 में रिलीज हुई अक्षय कुमार स्टारर भूलभुलैया 2 के सीक्वल का इंतेजार दर्शकों को लंबे समय से था. फ़िल्म की कहानी भले ही औसत दर्जे की रही हो लेकिन उसे बनाने में इतना लम्बा वक़्त सिर्फ इसलिए लगा क्यों कि प्रोड्यूडर डायरेक्टर उन चेहरों की तलाश में थे जो न केवल दर्शकों को सीट से बांधकर रख पाएं बल्कि उन्हें वो थ्रिल भी मुहैया कराएं जिसकी अनुभूति उन्होंने अक्षय कुमार की फ़िल्म में की थी.
भूलभुलैया टू के लिए निर्माता निर्देशकों ने कार्तिक आर्यन पर दांव खेला जो कामयाब हुआ. वहीं क्यों कि फ़िल्म कॉन्ट्रोवर्सी से पहले ही दूर थी जो परिणाम आए वो चौंकाने वाले हैं. एवरेज कहानी होने के बावजूद भूल भुलैया टू की पांचों अंगुलियां घी और सिर कड़ाई में कैसे हुआ? इसकी एक बड़ी वजह फ़िल्म की रिलीज की टाइमिंग भी रही.
जिस समय भूलभुलैया रिलीज हुई थियेटर में और कोई ढंग की फ़िल्म थी नहीं साथ ही कार्तिक आर्यन किसी भी तरह के फालतू विवाद से कोसों दूर थे फ़िल्म वर्ल्डवाइड 250 करोड़ का बिजनेस करने में कामयाब हुई.
बहरहाल बात शमशेरा की हुई है तो जहां एक तरफ बॉयकॉट बॉलीवुड का ट्रेंड इसके धराशायी होने की वजह रहा वहीं फ़िल्म के पहले ही दिन पिटने की वजह इसकी बेसिर पैर की कहानी थी. जाते जाते हम इतना जरूर बताना चाहेंगे कि फ़िल्म को निर्माता निर्देशकों ने कितने बड़े स्केल पर बनाया था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि फ़िल्म को भारत में 4,350 स्क्रीन्स और ग्लोबली इसे 1200 स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया.
शमशेरा हालिया दौर की उन चुनिंदा फिल्मों में है जिसे इस पूरे कोरोनकाल में सबसे ज्यादा स्क्रीन काउंट मिला था. बावजूद इसके यदि फ़िल्म ने अपनी रिलीज के पहले दिन सिर्फ 10 करोड़ का बिजनेस किया है तो ये रणबीर प्रोड्यूसर, डायरेक्टर के अलावा पूरे बॉलीवुड के लिए एक गहरी चिंता का विषय है.
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