बॉलीवुड के दिग्गज दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर की आखिरी फिल्म 'शर्मा जी नमकीन' (Sharma Ji Namkeen) ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है. फिल्म को पूरे कपूर खानदान ने एक साथ बैठकर देखा है. इसके बाद ऋषि कपूर के बेटे रणबीर कपूर ने अपने चाचा रणधीर कपूर के बारे में एक ऐसा बयान दे दिया है, जिसके बाद बवाल मचा हुआ है. यहां तक कि रणधीर कपूर बौखलाए हुए हैं और अपने भतीजे के बारे में ये कह रहे हैं कि वो कुछ भी बोल देता है.
दरअसल, हुआ यूं कि फिल्म देखने के बाद रणबीर ने कहा कि उनके चाचा रणधीर कपूर बहुत भावुक हो गए थे. यहां तक कि उन्होंने रणबीर से कहा कि वो ऋषि कपूर को फोन मिलाकर दें, ताकि वो उनके बेहतरीन अभिनय की तारीफ कर सकें. कहा तो यहां तक गया कि रणधीर को शुरूआती डिमेंशिया बीमारी हो गई है. इस वजह से वो अक्सर चीजों को भूल जाते हैं.
रणधीर कपूर को जैसे ही रणबीर के बयान के बारे में पता चला वो नाराज हो गए. उन्होंने बताया कि उनको ऐसी कोई बीमारी नहीं है, और न ही उन्होंने किसी से किसी को फोन करने के लिए कहा है. इस बारे में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ''नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. यह रणबीर की मर्जी है. वह जो चाहता है उसे कहने का पूरा अधिकार है. हां, मुझे पिछले साल कोविड जरूर हुआ था, लेकिन मैं किसी बीमारी से पीड़ित नहीं हूं. मैं तो अभी राहुल रवैल के साथ गोवा से लौटा हूं. हम वहां गोवा फेस्टिवल में थे.''
जबकि रणबीर ने कहा था, ''मेरे अंकल डिमेंशिया की शुरुआती स्टेज में हैं. शर्माजी नमकीन देखने के बाद मेरे पास आए और बोले कि पापा को बोलो कि उन्होंने बेहतरीन काम किया है. वह कहां है? चलो उसे फोन करते हैं.'' रणबीर ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि...
बॉलीवुड के दिग्गज दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर की आखिरी फिल्म 'शर्मा जी नमकीन' (Sharma Ji Namkeen) ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है. फिल्म को पूरे कपूर खानदान ने एक साथ बैठकर देखा है. इसके बाद ऋषि कपूर के बेटे रणबीर कपूर ने अपने चाचा रणधीर कपूर के बारे में एक ऐसा बयान दे दिया है, जिसके बाद बवाल मचा हुआ है. यहां तक कि रणधीर कपूर बौखलाए हुए हैं और अपने भतीजे के बारे में ये कह रहे हैं कि वो कुछ भी बोल देता है.
दरअसल, हुआ यूं कि फिल्म देखने के बाद रणबीर ने कहा कि उनके चाचा रणधीर कपूर बहुत भावुक हो गए थे. यहां तक कि उन्होंने रणबीर से कहा कि वो ऋषि कपूर को फोन मिलाकर दें, ताकि वो उनके बेहतरीन अभिनय की तारीफ कर सकें. कहा तो यहां तक गया कि रणधीर को शुरूआती डिमेंशिया बीमारी हो गई है. इस वजह से वो अक्सर चीजों को भूल जाते हैं.
रणधीर कपूर को जैसे ही रणबीर के बयान के बारे में पता चला वो नाराज हो गए. उन्होंने बताया कि उनको ऐसी कोई बीमारी नहीं है, और न ही उन्होंने किसी से किसी को फोन करने के लिए कहा है. इस बारे में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ''नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. यह रणबीर की मर्जी है. वह जो चाहता है उसे कहने का पूरा अधिकार है. हां, मुझे पिछले साल कोविड जरूर हुआ था, लेकिन मैं किसी बीमारी से पीड़ित नहीं हूं. मैं तो अभी राहुल रवैल के साथ गोवा से लौटा हूं. हम वहां गोवा फेस्टिवल में थे.''
जबकि रणबीर ने कहा था, ''मेरे अंकल डिमेंशिया की शुरुआती स्टेज में हैं. शर्माजी नमकीन देखने के बाद मेरे पास आए और बोले कि पापा को बोलो कि उन्होंने बेहतरीन काम किया है. वह कहां है? चलो उसे फोन करते हैं.'' रणबीर ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनके इस बयान के बाद इस कदर बवाल मच जाएगा, वरना वो शायद कभी नहीं बोलते.
एक किरदार, दो कलाकार
फिल्म 'शर्मा जी नमकीन' में ऋषि कपूर के अलावा परेश रावल, जूही चावला और सतीश कौशिक जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही अभिनेता को कैंसर के बारे में पता चला था, जिसके इलाज के वो तुरंत अमेरिका चले गए थे. इस वजह से शूटिंग अधूरी रह गई, लेकिन बाद में 30 अप्रैल 2020 को अभिनेता के निधन के बाद फिल्म मेकर्स ने उनकी जगह परेश रावल को कास्ट किया. इसमें बिजी शर्माजी के किरदार में 65 फीसदी ऋषि कपूर और 35 फीसदी परेश रावल नजर आए हैं.
यह हिंदी की पहली ऐसी फिल्म है, जहां एक ही किरदार दो दिग्गज कलाकारों ने निभाया है. इसमें शर्मा जी के बेटों की भूमिका में अभिनेता सुहेल नय्यर और तारुक रैना निभाया है. बताया जा रहा है कि फिल्म की रिलीज के बाद कपूर खानदान के सभी सदस्यों ने एक साथ बैठकर फिल्म देखी हैं. इसी दौरान उनके भाई रणधीर कपूर उनको याद करके भावुक हो गए.
आखिर डिमेंशिया क्या है?
डिमेंशिया एक गंभीर बीमारी है. यह एक तरह का सिंड्रोम है, जिससे जूझ रहे व्यक्ति की सोचने, समझने शक्ति कम हो जाती है. यह कई प्रकार का होता है, लेकिन इसका सबसे आम प्रकार अल्जाइमर्स रोग है. भारत में 40 लाख से ज्यादा लोगों को किसी न किसी तरह का डिमेंशिया है. दुनिया में यह आंकड़ा करीब 5 करोड़ है. यह बीमारी अक्सर 60 साल की उम्र के बाद व्यक्ति को अपना शिकार बनाती है. अल्जाइमर्स रोग का सबसे बड़ा जोखिम बढ़ती उम्र है. युवा वर्ग भी इसका शिकार होता है, लेकिन आमतौर पर ऐसा कम ही होता है.
इस बीमारी में व्यक्ति की याददाश्त, सोचने और समझने की शक्ति धीरे-धीरे कम होने लगती है. इस बीमारी के बढ़ने का स्तर हर मरीज में अलग-अलग होता है, लेकिन औसतन मरीज लक्षण शुरू होने के बाद आठ साल तक ही जिंदा रहते हैं. इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों को चीजों को याद रखना, गणना करना, दूसरों से संपर्क बनाए रखना मुश्किल हो जाता है.
Sharma Ji Namkeen का ट्रेलर...
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