पंकज त्रिपाठी का जादू चल जाता है-- वैसे तो किसी भी फिल्म को हिट कराने में पूरी टीम का हाथ होता है लेकिन कुछ नाम या चेहरे अपना इतना असर रखते हैं जिन्हें पढ़कर ही उनके दीवाने सिनेमाहाल में चले आते हैं. हमारे तमाम स्टार, सुपरस्टार, निर्देशक या निर्माता भी इस श्रेणी में मौजूद हैं जिनके नाम सबको पता है (उदहारण के तौर पर अमिताभ बच्चन या हृषिकेश मुखर्जी). अब तो ओटीटी का दौर है और जो फ़िल्में सिनेमाहाल में नहीं आतीं वो ओटीटी पर आ जाती हैं और दर्शकों को भरपूर मनोरंजन उपलब्ध हो रहा है.
आजकल एक अलग क्लास का सिनेमा भी बन रहा है जिसमें हीरो एक हमारे आपके जैसा आम इंसान होता है, उसके पास कोई करिश्माई ताकत नहीं होती जिससे वह दर्शकों को अचंभित कर दे लेकिन उनके अभिनय में वह सादगी भरा जादू होता है जो उन्हें बार बार देखने पर मजबूर कर देता है. इसी सिलसिले में अगर एक अभिनेता का जिक्र अगर नहीं किया जाए तो शायद बात पूरी नहीं होगी, और वह अभिनेता है 'पंकज त्रिपाठी'.
इनको देखकर अपने गांव देहात का कोई भी आम आदमी जेहन में आ जाता है और शायद इसीलिए इनको देखते हुए हर आम इंसान इनके किरदार से अपने आप को जोड़ लेता है. अब चाहे फिल्म हो या ओ टी टी पर आयी कोई वेब सीरीज, हर जगह पंकज त्रिपाठी अपने किरदार को इतना जीवंत बना देते हैं कि दर्शक अचंभित रह जाता है.
अभी तुरंत रिलीज़ हुई फिल्म 'शेरदिल- द पीलीभीत सागा' को ही ले लीजिये, पंकज त्रिपाठी अपने जीवंत अभिनय से इसे देखने लायक बना देते हैं. वैसे तो यह विषय चर्चित भी हुआ था और यह इतना दर्दनाक विषय था कि दर्शक इसपर कोई बहुत गंभीर और दर्दनाक फिल्म देखने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन यह फिल्म उसके उलट हल्की फुल्की बनी...
पंकज त्रिपाठी का जादू चल जाता है-- वैसे तो किसी भी फिल्म को हिट कराने में पूरी टीम का हाथ होता है लेकिन कुछ नाम या चेहरे अपना इतना असर रखते हैं जिन्हें पढ़कर ही उनके दीवाने सिनेमाहाल में चले आते हैं. हमारे तमाम स्टार, सुपरस्टार, निर्देशक या निर्माता भी इस श्रेणी में मौजूद हैं जिनके नाम सबको पता है (उदहारण के तौर पर अमिताभ बच्चन या हृषिकेश मुखर्जी). अब तो ओटीटी का दौर है और जो फ़िल्में सिनेमाहाल में नहीं आतीं वो ओटीटी पर आ जाती हैं और दर्शकों को भरपूर मनोरंजन उपलब्ध हो रहा है.
आजकल एक अलग क्लास का सिनेमा भी बन रहा है जिसमें हीरो एक हमारे आपके जैसा आम इंसान होता है, उसके पास कोई करिश्माई ताकत नहीं होती जिससे वह दर्शकों को अचंभित कर दे लेकिन उनके अभिनय में वह सादगी भरा जादू होता है जो उन्हें बार बार देखने पर मजबूर कर देता है. इसी सिलसिले में अगर एक अभिनेता का जिक्र अगर नहीं किया जाए तो शायद बात पूरी नहीं होगी, और वह अभिनेता है 'पंकज त्रिपाठी'.
इनको देखकर अपने गांव देहात का कोई भी आम आदमी जेहन में आ जाता है और शायद इसीलिए इनको देखते हुए हर आम इंसान इनके किरदार से अपने आप को जोड़ लेता है. अब चाहे फिल्म हो या ओ टी टी पर आयी कोई वेब सीरीज, हर जगह पंकज त्रिपाठी अपने किरदार को इतना जीवंत बना देते हैं कि दर्शक अचंभित रह जाता है.
अभी तुरंत रिलीज़ हुई फिल्म 'शेरदिल- द पीलीभीत सागा' को ही ले लीजिये, पंकज त्रिपाठी अपने जीवंत अभिनय से इसे देखने लायक बना देते हैं. वैसे तो यह विषय चर्चित भी हुआ था और यह इतना दर्दनाक विषय था कि दर्शक इसपर कोई बहुत गंभीर और दर्दनाक फिल्म देखने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन यह फिल्म उसके उलट हल्की फुल्की बनी है.
लेकिन मजे मजे में ही पंकज त्रिपाठी अपने दमदार और असरदार डायलॉग से इसे बहुत प्रभावशाली बना देते हैं. उनके अलावा दो और मुख्य किरदार के रूप में 'सयानी गुप्ता' और नीरज काबी भी अपने सशक्त अभिनय से अपना प्रभाव छोड़ जाते हैं लेकिन नीरज का गेट अप थोड़ा अटपटा सा लगता है. सृजित मुखर्जी का निर्देशन बहुत बढ़िया है और बीच बीच में बजते गीत भी कहीं भी खलल डालते प्रतीत नहीं होते हैं.
कुल मिलकर हालिया रिलीज़ फिल्मों की तुलना में यह एक बढ़िया फिल्म है और अगर आपको पंकज त्रिपाठी का अभिनय अच्छा लगता है तो आप इसे मूंदकर देख सकते हैं.
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