पिछले दिनों में शिकारा फिल्म के एक के बाद एक 2 ट्रेलर (Shikara Trailer) जारी हो चुके हैं. 7 फरवरी को फिल्म भी रिलीज (Shikara movie release) हो जाएगी. विधु विनोद चोपड़ा (Vidhu Vinod Chopra) ने इस फिल्म को कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandit) पर हुए अत्याचार को केंद्रित करते हुए बनाया है. फिल्म में भले ही एक लव स्टोरी दिखाई गई है, लेकिन इसका आधार है कश्मीरी पंडितों पर हुआ अत्याचार. दो ट्रेलर जारी हो चुके हैं और अब लोग 7 फरवरी का इंतजार कर रहे हैं, ताकि इस फिल्म को देखकर (Shikara movie review) ये बात अच्छे से समझ सकें कि कश्मीरी पंडितों के साथ क्या-क्या हुआ था. वैसे इसी बीच उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी (Waseem Rizvi) ने भी एक फिल्म श्रीनगर का ट्रेलर (Srinagar Trailer) जारी किया है और ये फिल्म भी कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को ही बयां करती हैं, लेकिन एक मामले में ये शिकारा से काफी अलग है. दरअसल, विधु विनोद चोपड़ा अपनी फिल्म में जिस पहलू की ओर सिर्फ इशारा कर रहे हैं, या यूं कहें कि बैलेंस करते हुए जिस पहलू से बच रहे हैं, वसीम रिजवी ने अपनी फिल्म में उस हिस्से को खुलकर परोस दिया है.
श्रीनगर का ट्रेलर अपने आप में पूरी फिल्म है !
किसी भी फिल्म का मकसद या तो एंटरटेनमेंट करना होता है या फिर एक मैसेज देना. यहां बात भले ही शिकारा की हो या फिर श्रीनगर की, दोनों ही फिल्मों का मकसद एंटरटेनमेंट नहीं, बल्कि मैसेज देना है. ये बताना है कि आखिर कश्मीरी पंडितों के साथ क्या-क्या हुआ था. अगर आप श्रीनगर का ट्रेलर भर पूरा देख लें, वो भी पूरे ध्यान के साथ, तो समझ लीजिए कि आपने पूरी फिल्म देख ली....
पिछले दिनों में शिकारा फिल्म के एक के बाद एक 2 ट्रेलर (Shikara Trailer) जारी हो चुके हैं. 7 फरवरी को फिल्म भी रिलीज (Shikara movie release) हो जाएगी. विधु विनोद चोपड़ा (Vidhu Vinod Chopra) ने इस फिल्म को कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandit) पर हुए अत्याचार को केंद्रित करते हुए बनाया है. फिल्म में भले ही एक लव स्टोरी दिखाई गई है, लेकिन इसका आधार है कश्मीरी पंडितों पर हुआ अत्याचार. दो ट्रेलर जारी हो चुके हैं और अब लोग 7 फरवरी का इंतजार कर रहे हैं, ताकि इस फिल्म को देखकर (Shikara movie review) ये बात अच्छे से समझ सकें कि कश्मीरी पंडितों के साथ क्या-क्या हुआ था. वैसे इसी बीच उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी (Waseem Rizvi) ने भी एक फिल्म श्रीनगर का ट्रेलर (Srinagar Trailer) जारी किया है और ये फिल्म भी कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को ही बयां करती हैं, लेकिन एक मामले में ये शिकारा से काफी अलग है. दरअसल, विधु विनोद चोपड़ा अपनी फिल्म में जिस पहलू की ओर सिर्फ इशारा कर रहे हैं, या यूं कहें कि बैलेंस करते हुए जिस पहलू से बच रहे हैं, वसीम रिजवी ने अपनी फिल्म में उस हिस्से को खुलकर परोस दिया है.
श्रीनगर का ट्रेलर अपने आप में पूरी फिल्म है !
किसी भी फिल्म का मकसद या तो एंटरटेनमेंट करना होता है या फिर एक मैसेज देना. यहां बात भले ही शिकारा की हो या फिर श्रीनगर की, दोनों ही फिल्मों का मकसद एंटरटेनमेंट नहीं, बल्कि मैसेज देना है. ये बताना है कि आखिर कश्मीरी पंडितों के साथ क्या-क्या हुआ था. अगर आप श्रीनगर का ट्रेलर भर पूरा देख लें, वो भी पूरे ध्यान के साथ, तो समझ लीजिए कि आपने पूरी फिल्म देख ली. फिल्म किया दिखाना चाहती है, मैसेज क्या है, कश्मीरी पंडितों के साथ क्या-क्या हुआ, उन्हें कश्मीरी मुस्लिमों ने किस कदर परेशान किया, ये सब कुछ वसीम रिजवी ने श्रीनगर फिल्म के ट्रेलर में ही बयां कर दिया है.
कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार की दास्तां
विधु विनोद चोपड़ा ने अपनी फिल्म शिकारा में भी कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की दास्तां ही दिखाई है, लेकिन बचते हुए कि कहीं कोई विवाद ना हो जाए. कहीं ऐसा ना हो जाए कि फिल्म रिलीज होने से पहले उसका विरोध होने लगे. यही वजह से कि वह शिकारा फिल्म में कई कड़वे सच बोलने में हिचकिचाते से दिखे हैं. वहीं दूसरी ओर, विवादित बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले वसीम रिजवी ने खुलकर बोला है कि कश्मीरी मुस्लिमों ने 1990 के दौरान कश्मीरी पंडितों पर कैसे-कैसे जुल्म किए. उन्होंने ट्रेलर में ही दिखा दिया है कि कैसे मस्जिदों से नारे लगते थे कि वह कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाएंगे. कैसे वह कहते थे कि कश्मीर उनका होगा कश्मीरी पंडितों के बगैर, लेकिन उनकी औरतों के साथ, जिनके साथ उन्होंने जबरन बलात्कार किए. उन्होंने बताया है कैसे कश्मीरी पंडितों को धमकियां मिलीं कि वो कश्मीर छोड़कर चले जाएं, वरना मारे जाएंगे.
'हमें बचाने कोई न आया, अपने वतन में दंडित हूं... मुझसे मेरा दर्द ना पूछो, मैं कश्मीरी पंडित हूं...'
वसीम रिजवी ने अपनी फिल्म श्रीनगर के ट्रेलर के अंत में वो एक लाइन बोल दी है, जो अपने आप में कई संदेश दे रही है. ये संदेश दे रही है कि कश्मीरी पंडितों पर जुल्म सिर्फ उनके हिंदू धर्म का होने की वजह से हुआ, ना कि किसी और दुश्मनी के चलते. इसमें एक बड़ा संदेश ये भी छुपा है कि भारत सरकार ने कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ नहीं किया, जबकि उन पर जुल्म हो रहे थे. इसीलिए वसीम रिजवी ने बोला है कि कश्मीरी पंडितों को बचाने कोई नहीं आया.
यहां आपको बताते चलें कि वसीम रिजवी उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष हैं, जो मुस्लिमों की बहुत सी चीजों के कट्टर विरोधी हैं. इस वजह से मुस्लिम समुदाय के बीच उनके खिलाफ भी खूब आवाजें उठती हैं. अयोध्या के विवादित ढांचे से लेकर तीन तलाक और मदरसों तक पर उनके बयानों ने खूब सुर्खियां बटोरने काम किया है. हालांकि, वह एक ऐसे मुस्लिम हैं जो कई मुद्दों पर बहुत से प्रगतिशील विचार रखते हैं. और इसी वजह से कई इमाम उन्हें इस्लाम से खारिज करने की बात भी करते हैं. लेकिन वसीम रिजवी खुद को सच्चा मुसलमान कहते हैं.
ये कहना गलत नहीं होगा कि विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म शिकारा 1989 में कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन पर बनी है, लेकिन उसके ट्रेलर ने इस क्रूर त्रासदी के बावजूद सकारात्मकता का दामन पकड़ा हुआ है. देखिए शिकारा के दोनों ट्रेलर:
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