जॉन अब्राहम की तिहरी भूमिका से सजी सत्यमेव जयते 2 के अब तक आए दोनों ट्रेलर देखने के बाद एक चीज साफ़ है. किसी फिल्म में जितना भी मसाला भरने की गुंजाइश हो सकती है- सत्यमेव जयते 2 में उतना मसाला है. एक्शन-स्टंट, जबरदस्त शेर-ओ-शायरी वाले संवाद, नंबर वन नोरा फतेही का आइटम डांस. सत्यमेव जयते 2 के ट्रेलर की खिचड़ी में किस्म किस्म की डालें हैं और हर तरह के मसालों का तड़का. तिरंगा है, खेत है, किसान है, विधानसभा है. अबला नारी भी है और गंगा जमुनी पहचान के लिए मुसलमान भी. नेता-पुलिस सब हैं. सब अपने-अपने रंग में. करप्शन है और ईमानदारी भी.
एक जॉन के चेहरे को फिल्म से हटा दिया जाए तो 90 के दौर की बी ग्रेड फ़िल्में याद आएंगी. ना जाने कितनी फिल्मों में खलनायकों ने नंगे बदन अभिनेताओं की बॉडी टेस्टिंग करते दिखे हैं. लेकिन टेस्ट में हमेशा लकड़ी के परखच्चे उड़ जाते हैं पर सुपरमैन उफ़ तक नहीं करता. हीरो अबला नारी को याद दिलाता है कि "तू भारतीय नारी है, ठान ले तो सब पर भारी है. मार इसे" और वह मारती है. हीरो का भरोसा बालि की तरह है जो नारी के सामने विलेन की ताकत "हर" लेता है. सत्यमेव जयते के संवादों में तुकबंदी का लेवल हाई है. संवाद- नारों की तरह दिखते हैं. जैसे इस पर नजर दौड़ा लीजिए- "नाम तुम्हारा खान तो आतंकवादी पूरा खानदान है." इस लयबद्ध संवाद का पूरा फ्रेज ही संगीतमय है.
मिलाप जावेरी के निर्देशन में आ रही फिल्म की कहानी एक शीशा जितना साफ हो सकता है उससे भी ज्यादा पारदर्शी है. कहानी दो भाइयों की है जिनके पिता मेहनतकश किसान थे. उन्होंने सिद्धांतों पर जिंदगी जी. जुड़वा बेटा है. दोनों ईमानदार और बहादुर. यूं कहें कि खानदान ही ईमानदार देशभक्त बहादुरों का है तो गलत नहीं. पिता का क्या हुआ- और दोनों...
जॉन अब्राहम की तिहरी भूमिका से सजी सत्यमेव जयते 2 के अब तक आए दोनों ट्रेलर देखने के बाद एक चीज साफ़ है. किसी फिल्म में जितना भी मसाला भरने की गुंजाइश हो सकती है- सत्यमेव जयते 2 में उतना मसाला है. एक्शन-स्टंट, जबरदस्त शेर-ओ-शायरी वाले संवाद, नंबर वन नोरा फतेही का आइटम डांस. सत्यमेव जयते 2 के ट्रेलर की खिचड़ी में किस्म किस्म की डालें हैं और हर तरह के मसालों का तड़का. तिरंगा है, खेत है, किसान है, विधानसभा है. अबला नारी भी है और गंगा जमुनी पहचान के लिए मुसलमान भी. नेता-पुलिस सब हैं. सब अपने-अपने रंग में. करप्शन है और ईमानदारी भी.
एक जॉन के चेहरे को फिल्म से हटा दिया जाए तो 90 के दौर की बी ग्रेड फ़िल्में याद आएंगी. ना जाने कितनी फिल्मों में खलनायकों ने नंगे बदन अभिनेताओं की बॉडी टेस्टिंग करते दिखे हैं. लेकिन टेस्ट में हमेशा लकड़ी के परखच्चे उड़ जाते हैं पर सुपरमैन उफ़ तक नहीं करता. हीरो अबला नारी को याद दिलाता है कि "तू भारतीय नारी है, ठान ले तो सब पर भारी है. मार इसे" और वह मारती है. हीरो का भरोसा बालि की तरह है जो नारी के सामने विलेन की ताकत "हर" लेता है. सत्यमेव जयते के संवादों में तुकबंदी का लेवल हाई है. संवाद- नारों की तरह दिखते हैं. जैसे इस पर नजर दौड़ा लीजिए- "नाम तुम्हारा खान तो आतंकवादी पूरा खानदान है." इस लयबद्ध संवाद का पूरा फ्रेज ही संगीतमय है.
मिलाप जावेरी के निर्देशन में आ रही फिल्म की कहानी एक शीशा जितना साफ हो सकता है उससे भी ज्यादा पारदर्शी है. कहानी दो भाइयों की है जिनके पिता मेहनतकश किसान थे. उन्होंने सिद्धांतों पर जिंदगी जी. जुड़वा बेटा है. दोनों ईमानदार और बहादुर. यूं कहें कि खानदान ही ईमानदार देशभक्त बहादुरों का है तो गलत नहीं. पिता का क्या हुआ- और दोनों भाइयों के बचपन का किस्सा ही हकीकत में देखना बाकी रहेगा. यह कुछ भी हो सकता है. लेकिन ऐसा नहीं कि हमारी फिल्मों में दिखा ना हो. बाकी जुड़वा भाइयों में एक पुलिस का बड़ा अफसर है तो दूसरा नेता. दोनों भ्रष्टाचार और गलत चीजों से आजिज हैं. अपने मोर्चे पर जितना बन पड़ रहा है उससे कहीं ज्यादा कर रहे हैं. चौराहे पर एक पुलिस अफसर का वर्दी उतारकर एक साथ चार-चार, पांच-पांच बदमाशों को पीटना बॉलीवुड सिनेमा के आधुनिक इतिहास में मामूली बात नहीं है.
जुड़वा भाई में जो नेता है उसे लगता था कि राजनीति से चीजों को बदल लेगा. शायद उसे ऐसा दिखता नहीं तो अपने स्तर से चीजों के खात्मे का बीड़ा उठाता है. उसकी ललकार सुनने लायक है- "करप्शन मिटेगा या बेईमान का लहू बहेगा." मिलाप जावेरी की फिल्म में नेता ही आम आदमी का रोबिनहुड है. तो साब, आम आदमी का रोबिनहुड पहचान छिपाकर बेईमानों का लहू बहाना शुरू करता है. कर तो वो सही रहा है पर कानूनी रास्ते से अलग तो उसे रोकने की जिम्मेदारी मिलती है पुलिस अफसर भाई को. दोनों भाई अपनी जगह सही हैं और उनके बीच शुरू होती है जंग. ट्रैफिक कॉन्स्टेबल के फर्जीवाड़े, सार्वजनिक जगहों में परेशानी झेलने वाली शहरी लड़कियों और तमाम बेईमान नेताओं से घृणा करने वाले लोग अब तक जो-जो करने की सोचते हैं, मगर कर नहीं पाते- यकीन मानिए ट्रेलर में आम आदमी का रोबिनहुड वो सब करता नजर आ रहा है. और क्या चाहिए.
ट्रेलर नीचे देख सकते हैं:-
बेईमानों के खिलाफ भाइयों की जंग वाले ट्रेलर में हीरोइन दिखती नहीं. हो सकता है मेरी नजर ही ना पड़ी हो. वैसे भी यहां उनका काम ही क्या है. जिनका काम था वो नोरा फतेही तो- "कुजू-कुजू" करते नजर आ ही रही हैं. बाकी की पूरी कहानी मुझे पता है पर यहां सुनाना ठीक नहीं. हां सत्यमेव जयते 2 के निर्माताओं को उनकी ईमानदारी के लिए शाबासी जरूर दीजिएगा. उन्होंने ज्यादा कुछ छुपा के रखा नहीं. उनकी फिल्म का ट्रेलर ऐसी खुली किताब की तरह है जिसे जहां से मन कर पन्ने उलट कर देख लीजिए. और जहां मन करें बंद कर दीजिए. पढ़ने वाले को लगेगा कि किताब वहीं से शुरू है. कम से कम ट्रेलर देखने के बाद इस चीज के लिए मिलाप जावेरी को पूरे 100 में 100 नंबर देने चाहिए.
सत्यमेव जयते 2 के ट्रेलर पर इस टिप्पणी को भले ही गंभीरता से ना लीजिए. मगर एक बात का यकीन कीजिए. यह फिल्म जिस ऑडियंस को टारगेट करके बनी है उससे बेहतर कम्युनिकेट करेगी इत्ता का तो दावा किया जा सकता है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.