कहते हैं कि इज्जत कमाना सबसे मुश्किल काम होता है. लेकिन एक छोटी सी गलती से बनी बनाई इज्जत पल भर में जा सकती है. इस वक्त फिल्म अभिनेता सोनू सूद का ऐसा ही हाल लग रहा है. उन्होंने जबसे अपनी बहन मालविका सूद के लिए पंजाब विधान सभा चुनाव के दौरान प्रचार किया है, उनके ऊपर सियासी ठप्पा लग गया है. उनकी बहन कांग्रेस के टिकट पर पंजाब की मोगा विधानसभा से चुनाव लड़ी थी, लेकिन वो हार गईं. सोनू खुलकर उनके पक्ष में प्रचार करते देखे गए थे. यहां तक कि वोटिंग वाले दिन भी वहां मौजूद थे. लेकिन चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगने और केस दर्ज होने के बाद वो सीधे साउथ अफ्रिका चले गए. लेकिन इस चुनाव के बाद से सोनू की फैन फॉलोइंग में तेजी से कमी आई है. उनको 'मसीहा' और 'भगवान' मानकर सम्मान देने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आई है. ऐसा लगता है कि कोरोना काल में सोनू ने जो कुछ कमाया है, उसे पंजाब में जाकर गंवा दिया है. यदि वो सियासत से बचे रहते तो शायद उनकी लोकप्रियता इतनी तेजी से कम नहीं होती. इस वक्त उनके पास फिल्में भी बहुत ज्यादा नहीं है.
हमें याद है वो वक्त जब कोरोना की पहली लहर में हर तरफ भगदड़ मची हुई थी. लोग पैदल दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों से अपने गांवों की ओर जा रहे थे. हजारों किलोमीटर की यात्रा भूखे-प्यासे कर रहे थे. उस वक्त सोनू सूद किसी मसीहा की माफिक लोगों की मदद के लिए आगे आए थे. उन्होंने अपना घर और होटल तक गिरवी रखकर लोगों की मदद की थी. बस, ट्रेन और फ्लाइट से लोगों को उनके घरों तक पहुंचाया था. उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था की थी. उस वक्त हर किसी के नजर में सोनू भगवान बन गए थे. ऐसा कहा जाने लगा था कि जो काम सरकार नहीं कर पाई, उसे सोनू ने कर दिखाया. उनकी लोकप्रियता पूरे देश में इस तरह बढ़ गई कि हर कोई उनका नाम जानने लगा. कई राजनीतिक दलों से उनको ऑफर भी मिला, लेकिन उन्होंने तब यह कहते हुए इंकार कर दिया कि राजनीतिक दल में जाने के बाद वो लोगों की इस तरह से मदद नहीं कर पाएंगे. वैसे ये सही बात भी है कि एक सियासी सीमा में बंधने के बाद तमाम अड़चनों का सामना करना पड़ता है. लेकिन कुछ ही महीनों बाद जब उनकी बहन कांग्रेस में शामिल हुईं, तो कई लोग चौंक गए.
कहते हैं कि इज्जत कमाना सबसे मुश्किल काम होता है. लेकिन एक छोटी सी गलती से बनी बनाई इज्जत पल भर में जा सकती है. इस वक्त फिल्म अभिनेता सोनू सूद का ऐसा ही हाल लग रहा है. उन्होंने जबसे अपनी बहन मालविका सूद के लिए पंजाब विधान सभा चुनाव के दौरान प्रचार किया है, उनके ऊपर सियासी ठप्पा लग गया है. उनकी बहन कांग्रेस के टिकट पर पंजाब की मोगा विधानसभा से चुनाव लड़ी थी, लेकिन वो हार गईं. सोनू खुलकर उनके पक्ष में प्रचार करते देखे गए थे. यहां तक कि वोटिंग वाले दिन भी वहां मौजूद थे. लेकिन चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगने और केस दर्ज होने के बाद वो सीधे साउथ अफ्रिका चले गए. लेकिन इस चुनाव के बाद से सोनू की फैन फॉलोइंग में तेजी से कमी आई है. उनको 'मसीहा' और 'भगवान' मानकर सम्मान देने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आई है. ऐसा लगता है कि कोरोना काल में सोनू ने जो कुछ कमाया है, उसे पंजाब में जाकर गंवा दिया है. यदि वो सियासत से बचे रहते तो शायद उनकी लोकप्रियता इतनी तेजी से कम नहीं होती. इस वक्त उनके पास फिल्में भी बहुत ज्यादा नहीं है.
हमें याद है वो वक्त जब कोरोना की पहली लहर में हर तरफ भगदड़ मची हुई थी. लोग पैदल दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों से अपने गांवों की ओर जा रहे थे. हजारों किलोमीटर की यात्रा भूखे-प्यासे कर रहे थे. उस वक्त सोनू सूद किसी मसीहा की माफिक लोगों की मदद के लिए आगे आए थे. उन्होंने अपना घर और होटल तक गिरवी रखकर लोगों की मदद की थी. बस, ट्रेन और फ्लाइट से लोगों को उनके घरों तक पहुंचाया था. उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था की थी. उस वक्त हर किसी के नजर में सोनू भगवान बन गए थे. ऐसा कहा जाने लगा था कि जो काम सरकार नहीं कर पाई, उसे सोनू ने कर दिखाया. उनकी लोकप्रियता पूरे देश में इस तरह बढ़ गई कि हर कोई उनका नाम जानने लगा. कई राजनीतिक दलों से उनको ऑफर भी मिला, लेकिन उन्होंने तब यह कहते हुए इंकार कर दिया कि राजनीतिक दल में जाने के बाद वो लोगों की इस तरह से मदद नहीं कर पाएंगे. वैसे ये सही बात भी है कि एक सियासी सीमा में बंधने के बाद तमाम अड़चनों का सामना करना पड़ता है. लेकिन कुछ ही महीनों बाद जब उनकी बहन कांग्रेस में शामिल हुईं, तो कई लोग चौंक गए.
सोनू सूद की बहन को मोगा विधानसभा से कांग्रेस कैंडिडेट घोषित किया गया. उसके बाद सोनू ने खुलकर उनके समर्थन में प्रचार किया. यह कहते हुए कि वो अपनी बहन के लिए प्रचार कर रहे हैं, न कि किसी राजनीतिक दल के लिए. लेकिन वो शायद ये बात भूल गए कि संकतों की सियासत को हर कोई समझता है. जनता इतनी मूर्ख नहीं है. यदि वो कांग्रेस कैंडिडेट अपनी बहन के लिए प्रचार कर रहे हैं, तो अप्रत्यक्ष तौर पर राजनीतिक दल का भी प्रचार कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने मोगा क्षेत्र के 50 गांवों में करीब एक हजार छात्राओं को साइकिल गिफ्ट किया था. फुल टाइम वॉलियंटर की तरह चुनाव प्रचार करते रहे. पूरे चुनाव तक पंजाब में डटे रहे. इतना सबकुछ करने के बाद भी उनकी बहन हार गईं. ये इस बात का संकेत हैं कि सोनू के अच्छे कार्यों की सराहना हर कोई करना चाहता हैं, लेकिन उनको सियासत में कोई नहीं चाहता. वरना चुनाव जीतकर आए 18 कांग्रेसी विधायकों में एक मालविका का नाम जरूर होता. लेकिन इतनी मेहनत करने के बावजूद वो अपनी बहन को चुनाव नहीं जीता पाए. इसीलिए कहा जाता है कि जमीनी हकीकत हमेशा अलग होती है.
देखा जाए तो वर्क फ्रंट पर भी सोनू सूद को कोई खास फायदा नहीं हुआ. उनका क्रेज जिस तरह से लोगों के बीच में है, उसे देखते हुए तो उनके पास फिल्मों की लाइन लग जानी चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. उनके पास फिलहाल 6 फिल्म प्रोजेक्ट्स हैं. इनमें दो हिंदी और चार साउथ की फिल्में हैं. उनकी एक हिंदी फिल्म 'फतेह' 8 अप्रैल को रिलीज होने वाली है. अभिनंदन गुप्ता के निर्देशन में बनी इस एक्शन थ्रिलर फिल्म में वो लीड रोल में हैं. इसके साथ ही अक्षय कुमार की फिल्म 'पृथ्वीराज' में भी वो दिखाई देने वाले हैं, लेकिन उनका रोल उनके कद से बहुत छोटा है. इसके अलावा वो साउथ की फिल्म 'अचार्या', 'माधा गज राजा', 'पुलिस टाइगर' और 'एमजीआर' में काम कर रहे हैं. इसमें 'अचार्या' को छोड़ दें, तो बाकी तीन फिल्में तो बहुत ही छोटे बजट और बैनर की हैं. इसके साथ ही एमटीवी के मशहूर रियलिटी शो 'रोडीज 18' में उनको बतौर होस्ट शामिल किया गया है. इस तरह से देखा जाए तो सोनू सूद अपनी लोकप्रियता को न तो अपने करियर में भुना पा रहे हैं, न ही राजनीति में उनको इसका कोई फायदा मिला है. विवादित अलग से हो गए हैं.
पिछले सा ही उनके घर इनकम टैक्स का छापा पड़ा था. आयकर विभाग ने सोनू सूद से संबंधित 28 जगहों पर जाकर टैक्स सर्वे का काम किया था. इनमें सोनू फाउंडेशन का ऑफिस, उत्तर प्रदेश बेस्ड एक रियल स्टेट कंपनी के लखनऊ, मुंबई, कानपुर, जयपुर और गुरुग्राम स्थित ऑफिस में सर्वे की कार्रवाई की गई थी. इसके बाद आयकर विभाग ने आरोप लगाया था कि सोनू सूद और उनके सहयोगियों ने 20 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी की है. उनके लखनऊ स्थित ऑफिस में बिना हिसाब की आय को कई फर्जी संस्थाओं से फर्जी लोन के रूप में दिखाया गया है. विभाग ने सूद पर विदेशों से चंदा जुटाने के दौरान विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया था. इन आरोपों पर सोनू ने अपनी सफाई देते हुए लोगों के सामने एक भावनात्मक पत्र लिखा था. उन्होंने लिखा था, ''सख्त राहों में भी आसान सफर लगता है, हर हिंदुस्तानी की दुआओं का असर लगता है. हर बार आपको अपनी तरफ की स्टोरी नहीं बतानी पड़ती है. वक्त बताएगा. मैंने अपनी पूरी ताकत और दिल से भारत के लोगों की सेवा करने का प्रण लिया है.''
बताते चलें कि सोनू सूद ने कोरोना काल में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान सबसे पहले प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने का बीड़ा उठाया था. इसके बाद वे लगातार देश भर के लोगों की मदद करते रहे हैं. सोनू ने गुडवर्कर जॉब ऐप, स्कॉलरशिप प्रोग्राम भी चलाए हैं. वो देश में 16 शहरों में ऑक्सीजन प्लांट भी लगवा रहे हैं. कोरोना के दौरान किए गए सोनू के मानवीय कामों के लिए फैंस उन्हें मसीहा कहने लगे. सितंबर 2020 में उनको संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने 2020 SDG स्पेशल ह्यूमैनिटेरियन एक्शन अवॉर्ड दिया था. फिलहाल वे देश के हर खास-ओ-आम की मदद के लिए सूद चैरिटी फाउंडेशन चला रहे हैं. इसी के जरिए पैसा इकठ्ठा करने और उसके जरिए टैक्स चोरी करने का आरोप सोनू सूद पर लगा था.
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