इंसान जब परोपकार की सीमाएं पार करने लगे और हजारों-लाखों लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने के साथ ही ऐसा काम करे, जिसे देख दुनिया प्रेरणा ले तो समझ लिया जाता है कि यह पुरुष अब महापुरुष बनने के रास्ते पर है. साल 2020 कोरोना और इस वैश्विक महामारी से लड़ने वालों का साल माना जा रहा है. कोरोना से जंग में पूरी दुनिया जी-जान से जुटी हुई है. लेकिन इस कोरोना संकट के बाद लॉकडाउन देश-दुनिया के करोड़ों-अरबों लोगों की ज़िंदगी तबाह कर दी. भारत में लाखों लोग दाने-दाने को तरसने लगे और महानगरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े. गर्मी, भूख, थकान ने कई लोगों की ज़िंदगी लील ली और हजारों लोगों ने किसी तरह और किसी-किसी के सहारे हजारों किलोमीटर के फासले को पैरों तले कुचल दिया, ताकि वह कम से कम सुकून से गांव में सीमित जरूरत में ही अपने परिवार के साथ गुजर-बसर कर सकें. कोरोना ने उन्हें महानगर की ज़िंदगी और काम से दूर कर दिया था. ऐसे वक्त में भारत में फ़िल्म स्टार सोनू सूद रियल लाइफ हीरो की तरह सामने आए और उन्होंने अपनी क्षमता अनुसार मुंबई के दूर जा रहे लोगों को घर पहुंचाने का बीड़ा उठाया.
सोनू सूद ने अपनी दोस्त नीति गोयल, जो कि बिजनेसमैन हैं और लॉकडाउन के दौरान लाखों लोगों को खाना खिला चुकी हैं, के साथ ‘प्रवासी मजदूरों को घर भेजने’ का अभियान शुरू किया. दरअसल, सोनू सूद ने एक खबर पढ़ी कि मुंबई से पैदल उत्तर प्रदेश जाते एक शख्स की मौत हो गई, इस खबर ने उन्हें अंदर तक झंकझोड़ दिया और आखिरकार उन्होंने सोच लिया कि अब घर नहीं बैठना है, बाहर निकलना है और बेसहारों का सहारा बनना है. सोनू सूद के यह काम काफी चुनौतीपूर्ण था, लेकिन कहते हैं न कि जहां चाह, वहां राह. ऐसे में सोनू सूद ने कुछ अच्छे लोगों की टीम बनाई और प्रवासी मजदूरों के लिए बस की व्यवस्था, खाना, नाश्ता और दोनों राज्यों से परमिशन लेने के साथ ही सभी जरूरी सावधानियों का ध्यान रखते हुए खुद उन्हें विदा किया. सोनू सूद की यह कोशिश रंग लाई और फिर अप्रैल से मई और जून महीने तक...
इंसान जब परोपकार की सीमाएं पार करने लगे और हजारों-लाखों लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने के साथ ही ऐसा काम करे, जिसे देख दुनिया प्रेरणा ले तो समझ लिया जाता है कि यह पुरुष अब महापुरुष बनने के रास्ते पर है. साल 2020 कोरोना और इस वैश्विक महामारी से लड़ने वालों का साल माना जा रहा है. कोरोना से जंग में पूरी दुनिया जी-जान से जुटी हुई है. लेकिन इस कोरोना संकट के बाद लॉकडाउन देश-दुनिया के करोड़ों-अरबों लोगों की ज़िंदगी तबाह कर दी. भारत में लाखों लोग दाने-दाने को तरसने लगे और महानगरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े. गर्मी, भूख, थकान ने कई लोगों की ज़िंदगी लील ली और हजारों लोगों ने किसी तरह और किसी-किसी के सहारे हजारों किलोमीटर के फासले को पैरों तले कुचल दिया, ताकि वह कम से कम सुकून से गांव में सीमित जरूरत में ही अपने परिवार के साथ गुजर-बसर कर सकें. कोरोना ने उन्हें महानगर की ज़िंदगी और काम से दूर कर दिया था. ऐसे वक्त में भारत में फ़िल्म स्टार सोनू सूद रियल लाइफ हीरो की तरह सामने आए और उन्होंने अपनी क्षमता अनुसार मुंबई के दूर जा रहे लोगों को घर पहुंचाने का बीड़ा उठाया.
सोनू सूद ने अपनी दोस्त नीति गोयल, जो कि बिजनेसमैन हैं और लॉकडाउन के दौरान लाखों लोगों को खाना खिला चुकी हैं, के साथ ‘प्रवासी मजदूरों को घर भेजने’ का अभियान शुरू किया. दरअसल, सोनू सूद ने एक खबर पढ़ी कि मुंबई से पैदल उत्तर प्रदेश जाते एक शख्स की मौत हो गई, इस खबर ने उन्हें अंदर तक झंकझोड़ दिया और आखिरकार उन्होंने सोच लिया कि अब घर नहीं बैठना है, बाहर निकलना है और बेसहारों का सहारा बनना है. सोनू सूद के यह काम काफी चुनौतीपूर्ण था, लेकिन कहते हैं न कि जहां चाह, वहां राह. ऐसे में सोनू सूद ने कुछ अच्छे लोगों की टीम बनाई और प्रवासी मजदूरों के लिए बस की व्यवस्था, खाना, नाश्ता और दोनों राज्यों से परमिशन लेने के साथ ही सभी जरूरी सावधानियों का ध्यान रखते हुए खुद उन्हें विदा किया. सोनू सूद की यह कोशिश रंग लाई और फिर अप्रैल से मई और जून महीने तक सोनू सूद बस, ट्रेन और यहां तक कि हवाई रास्तों से भी जरूरतमंदों को बिहार, यूपी, झारखंड, पंजाब, केरल समेत अन्य प्रदेश भेजते रहे. सोनू के इस महान कार्य में उनकी दोस्त नीति गोयल के साथ ही कई संगठनों ने मदद की और इसी का परिणाम है कि एक लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर सुरक्षित अपने घर पहुंच पाए.
सोनू सूद की दरियादिली की सीमा नहीं
सोनू सूद ने जरूरतमंदों की मदद का जो सिलसिला बीते अप्रैल में चलाया था, अब उसका दायरा इतना विस्तृत हो चुका है कि लोग उन्हें बीमारी का इलाज कराने, किसी बेसहारे को आर्थिक मदद करने, रूस और किर्गिस्तान में फंसे भारतीय छात्रों को लाने से लेकर किसी गरीब के घर की छत मरम्मत करवाने तक के लिए ट्विटर पर मदद मांगते हैं और सोनू ज्यादातर लोगों को व्यक्तिगत रूप से जवाब देने के साथ ही उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन भी देते हैं. सबसे खास बात ये है कि सोनू सूद इनलोगों की मदद भी करते हैं. हो सकता है कि वे कुछ लोगों की मदद न कर पाएं, लेकिन जिस तरह सोनू सूद लोगों को जरूरतमंदों के घर का पता भेजने या उनके बारे में ज्यादा जानकारी देने की अपील सोशल मीडिया पर करते हैं, यह वाकई काबिलेतारीफ और प्रेरणादायी है. ऐसा उदाहरण बिरले देखने को मिलता है कि एक इंसान पर देशभर के हजारों-लाखों लोगों की उम्मीदें टिकी हैं और वह इंसान अपनी क्षमतानुसार सबकी मदद भी करता है. शुक्र है कि दुनिया में अच्छे इंसानों की कमी नहीं है जो सोनू सूद की इस कोशिश में उनकी मदद कर पा रहे हैं.
So happy to see you all excited on coming to India. Have a safe journey. Also please share the details of the students of Jharkhand. Will get them back too ❤️???? #missionkyrgysztan https://t.co/Y2ctbDuFP
— sonu sood (@SonuSood) July 24, 2020
सोनू सूद कैसे कर पा रहे हैं, कौन-कौन उनके साथ है?
अक्सर ये सवाल उठता है कि इन परोपकारी कार्यों में सोनू सूद किसी की मदद ले रहे हैं या नहीं? आपको बता दूं कि जब सोनू सूद प्रवासी मजदूरों को बस, ट्रेन या फ्लाइट से घर भेज रहे थे तो उनकी दोस्त नीति गोयल इस काम में उनकी हरसंभव मदद कर रही थी. अब जब कीर्गिस्तान में फंसे 1500 भारतीय छात्रों को लाने की बात हुई तो स्पाइसजेट एयरलाइन ने इस नेक काम में सोनू सूद की मदद की. सोनू सूद को लोग पैसों से भी मदद करना चाहते हैं और सोशल मीडिया पर उन्हें ढेरों लोग मदद देने की अपील करते हैं, लेकिन सोनू सूद हमेशा कहते हैं कि हमारी आर्थिक मदद करने से अच्छा अपने आसपास कुछ जरूरतमंदों की मदद कर दीजिए, मुझे लगेगा कि आपने मेरी मदद कर दी. सोनू सूद की इस दरियादिली के बारे में जो कोई सुनता है, उसके दिल से इस दिल से खूबसूरत इंसान के लिए दुआ ही निकलती है और ऐसी ही लाखों लोगों की दुआएं सोनू सूद को परोपकार के रास्ते पर ऐसे ही निरंतर बढ़ने की हौसला देती है.
What a beautiful handwriting buddy ❤️???? https://t.co/dqHHTNIJdJ
— sonu sood (@SonuSood) July 25, 2020
मदद की गुहार ऐसी कि सुनकर दिल भर आए
बीते कुछ दिनों की बात है, सोनू सूद को ट्विटर पर टैग कर झारखंड स्थित धनबाद के एक गांव से एक बच्चे की तस्वीर शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा कि खाते बनाते समय इस बच्चे का हाथ जल गया, क्या आप इसका इलाज कराने में मदद कर सकते हैं, सोनू सूद ने कुछ ही देर में रिप्लाई करते हुए कहा कि वह इस बच्चे का इलाज कराने में मदद करेंगे. इसी तरह बिहार के बिहार शरीफ जिले से एक यूजर ने सोनू सूद को ट्विटर पर टैग करते हुए लिखा कि मेरे गांव में मंटू पासवान नामक सीआरपीएफ जवान को ब्लड कैंसर हो गया है, लेकिन वह अपना इलाज कराने में सक्षम नहीं है, इसपर सोनू सूद ने उन्हें रिप्लाई करते हुए कहा कि भाई यह हमारे देश का जवान है, आप निश्चिंत रहिए उन्हें फ़िर से फ़िट करने का ज़िम्मा मेरा. तैयारी रखिये, आपसे संपर्क कर रहें हैं. यही नहीं, ऐसे कई लोग सोनू सूद से हॉस्पिटल खर्च के लिए, कोरोना पीड़ित को हॉस्पिटल में बेड दिलाने के लिए और अन्य कई तरह की सहायता के लिए मेसेज करते हैं और सोनू सूद यथासंभव उन्हें रिप्लाई करते हैं. हालांकि, इनमें से कितनों को मदद पहुंचती है, यह विश्वास की बात है.
दशरथ मांझी की फैमिली को मदद के लिए उठे हाथ
बीते 23 जुलाई की बात है, ज्यादातर अखबार में हिमाचल प्रदेश की एक खबर छपी कि कुलदीप नाम के एक किसान ने बच्चे की ऑनलाइन पढ़ाई वास्ते मोबाइल खरीदने के लिए अपनी गाय बेच दी. सोनू सूद को जब इसकी खबर लगी तो उन्होंने अखबार की कटिंग शेयर करते हुए लोगों से अपील की कि वे इस शख्स के बारे में डिटेल जानकारी दें, ताकि वह उनकी गाय वापस खरीदकर दें. यहीं नहीं, सोनू सूद ने बिहार के माउंटेन मैन दशरथ मांझी की फैमिली को भी आर्थिक मदद देने का वादा करते हुए कहा कि आज से उनकी तंगी खत्म. लोगों ने इससे पहले सरकार से गुजारिश की थी कि वह दशरथ मांझी के परिवार वालों की कुछ मदद करे, क्योंकि वह दाने-दाने को मोहताज हैं. जब सरकार ने नहीं सुनी तो लोगों ने सोनू सूद से अपील की और सोनू सूद ने उनकी मदद का आश्वासन दिया. आलम ये है पुणे की एक बच्ची ने जब सोनू सूद को अपने पिता के ऑपरेशन के बारे में बताते हुए गुजारिश की कि उनकी फैमिली 4 लाख रुपये का जुगार नहीं कर पा रही तो सोनू सूद ने उसको मदद का आश्वासन दिया.
Can I get her details please. Wanna open a small training school with her where she can train women of our country some self defence techniques . https://t.co/Z8IJp1XaEV
— sonu sood (@SonuSood) July 24, 2020
‘छत से पानी टपकता है, प्लीज मदद करें’
कीर्गिस्तान से 1500 भारतीय छात्रों को लाकर सोनू सूद ने एक बार साबित कर दिया है कि अगर भारत वासी इस कोविड संकट के बीच देश दुनिया के किसी भी हिस्से में फंसे हैं तो वह उनकी हरसंभव मदद करेंगे. अब रूस में फंसे 200 से ज्यादा भारतीय स्टूडेंट सोनू सूद से अपील कर रहे हैं कि वह उनकी मदद करें. सोनू सूद भी इस कोशिश में लगे हुए हैं. बीते दिनों मुंबई की एक बुजुर्ग महिला का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह नानचाकु स्टंट करती दिख रही थीं. यह वीडियो ट्विटर पर शेयर करते हुए सोनू सूद ने अपील की कि कोई इस अम्मा के बारे में डिटेल में बताए तो मैं उनके लिए एक स्कूल खोल दूंगा जहां वह महिलाओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दे सकें. इसी तरह मुंबई स्थित मलाड की एक करीब बच्ची ने सोनू सूद से गुहार की कि उसके घर से पानी टपकता है, जिसकी वजह से उसकी फैमिली को काफी दिक्कत हो रही है, इसपर सोनू सूद ने रिप्लाई करते हुए नीति गोयल को भी टैग किया और कहा कि उसके घर की जल्द से जल्द मरम्मत होगी.
मानवता की भलाई के लिए जो कदम उठे, वो थमे नहीं!
अब बात उठती है कि सोनू सूद इतने लोगों की मदद कैसे कर पाते हैं या इतना पैसा कहां से लाते हैं. इसके बारे में कोई डिटेल जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन इतना पता है कि उनकी टीम को कई संगठन मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और खुद नीति गोयल और सोनू सूद इतने संपन्न हैं कि लाख-दस लाख या करोड़-दस करोड़ इन परोपकारी कार्यों पर खर्च कर सकते हैं. वैसी ही कहा जाता है कि जब मानवता की भलाई और जरूरतमंदों की मदद को एक हाथ उठता है तो फिर उस हाथ के नीचे सैकड़ों-हजारों हाथ सहारे के रूप में रहते हैं और लोगों के लिए कल्याणकारी कार्य होता जाता है. दया भाव और परोपकारिता ऐसा काम है कि अगर आपने इस दिशा में एक कदम बढ़ा दिया तो फिर आपका अनुसरण करते हुए हजार कदम आपके साथ खड़े हो जाएंगे. उम्मीद है कि इस जहां में और सोनू सूद होंगे, जो इस संकट की स्थिति में नि:स्वार्थ भाव से लोगों की ऐसे ही करते होंगे और दुनिया को और खूबसूरत एवं चिंतामुक्त बनाने में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे होंगे.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.