33 साल की गीता टंडन ऊंची बिल्डिंग से छलांग लगाती हैं, तेज रफ्तार कारें और बाइक चलाती हैं, आग में कूद जाती हैं. और ये सब वो करती हैं बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्रियों के लिए. गीता ने एश्वर्या राय, आलिया भट्ट, परिणीति चोपड़ा और स्नेहा उलाल जैसी हिरोइनों के लिए बॉडी डबल का रोल किया है. लेकिन गीता की जिंदगी हमेशा ऐसी नहीं थी.
गीता की जिंदगी में एक वो भी समय था जब वो अपने अस्तित्व, अपनी पहचान को पाने के लिए जद्दोजहद कर रही थीं. ससुराल में अपने आत्म सम्मान को वापस पाने के लिए लड़ रही थीं. आज भी जब वो अपने उस समय को याद करती हैं तो सिहर उठती हैं. वो उनकी जिंदगी का एक काला अध्याय था. अब गीता सिर्फ यही आशा करती हैं कि वैसी जिंदगी किसी भी और औरत को कभी न मिले.
गीता 20 साल की थी जब उन्होंने अपने दो बच्चों के साथ ससुराल को छोड़ अपनी जिंदगी जीने का फैसला किया. गीता कहती हैं- '16 साल की उम्र में मेरी शादी कर दी गई थी. मेरे ससुराल वाले हमेशा मुझे ताने मारते थे. प्रताड़ित करते थे. क्योंकि मैं दहेज लेकर नहीं आई थी. धीरे धीरे ये ताने मारपीट और यौन उत्पीड़न में बदल गए. वो सब एक बुरा सपना था. उस घर में मुझसे नौकरों जैसा व्यवहार किया जाता था. और मेरा पति मुझे मारने पीटने के बहाने खोजा करता था.'
आखिरकार जब गीता से ये सब बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने वो घर छोड़ दिया. वो कहती हैं- 'उस समय मेरी प्राथमिकता सिर्फ अपने बच्चों का पेट करने की थी. मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं क्या काम करती हूं. पर हां इतना जरुर था कि मुझे कोई सम्मानजनक काम ही करना था. मैनें पहले से कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी. तो मैंने तय किया कि काम करते करते ही सीख लूंगी. मेरा पहला एसाइनमेंट लद्दाख में शूटिंग का था और इसमें मुझे खुद को आग लगानी थी. उस...
33 साल की गीता टंडन ऊंची बिल्डिंग से छलांग लगाती हैं, तेज रफ्तार कारें और बाइक चलाती हैं, आग में कूद जाती हैं. और ये सब वो करती हैं बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्रियों के लिए. गीता ने एश्वर्या राय, आलिया भट्ट, परिणीति चोपड़ा और स्नेहा उलाल जैसी हिरोइनों के लिए बॉडी डबल का रोल किया है. लेकिन गीता की जिंदगी हमेशा ऐसी नहीं थी.
गीता की जिंदगी में एक वो भी समय था जब वो अपने अस्तित्व, अपनी पहचान को पाने के लिए जद्दोजहद कर रही थीं. ससुराल में अपने आत्म सम्मान को वापस पाने के लिए लड़ रही थीं. आज भी जब वो अपने उस समय को याद करती हैं तो सिहर उठती हैं. वो उनकी जिंदगी का एक काला अध्याय था. अब गीता सिर्फ यही आशा करती हैं कि वैसी जिंदगी किसी भी और औरत को कभी न मिले.
गीता 20 साल की थी जब उन्होंने अपने दो बच्चों के साथ ससुराल को छोड़ अपनी जिंदगी जीने का फैसला किया. गीता कहती हैं- '16 साल की उम्र में मेरी शादी कर दी गई थी. मेरे ससुराल वाले हमेशा मुझे ताने मारते थे. प्रताड़ित करते थे. क्योंकि मैं दहेज लेकर नहीं आई थी. धीरे धीरे ये ताने मारपीट और यौन उत्पीड़न में बदल गए. वो सब एक बुरा सपना था. उस घर में मुझसे नौकरों जैसा व्यवहार किया जाता था. और मेरा पति मुझे मारने पीटने के बहाने खोजा करता था.'
आखिरकार जब गीता से ये सब बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने वो घर छोड़ दिया. वो कहती हैं- 'उस समय मेरी प्राथमिकता सिर्फ अपने बच्चों का पेट करने की थी. मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं क्या काम करती हूं. पर हां इतना जरुर था कि मुझे कोई सम्मानजनक काम ही करना था. मैनें पहले से कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी. तो मैंने तय किया कि काम करते करते ही सीख लूंगी. मेरा पहला एसाइनमेंट लद्दाख में शूटिंग का था और इसमें मुझे खुद को आग लगानी थी. उस शूट में मैं जल गई थी लेकिन मेरे हौसले नहीं टूटे थे. फिर मुझे इस काम में मजा आने लगा.'
भारत में स्टंट आर्टिस्ट के तौर पर करियर मुट्ठी भर महिलाएं ही चुनती हैं. उनमें से भी ज्यादातर गाड़ियों को हैंडल करने वाले स्टंट करने से मना कर देती हैं. लेकिन गीता को इस बात का गर्व है कि वो कार और बाइक चला सकती हैं. अभी हाल ही में फिल्म जज्बा में उन्होंने ऐश्वर्या राय के लिए स्टंट किया. हालांकि आपको ये जानकर हैरानी होगी कि स्टंटवूमन बनना कभी उनकी प्राथमिकता नहीं थी. आज जहां वो हैं वहां पहुंचने में उन्हें 9 साल की कड़ी मेहनत लगी है. लेकिन इसी काम की वजह से अब समाज में उनका सम्मान बढ़ा है. उनके बच्चों के दोस्त उनसे प्रेरणा लेते हैं.
लेकिन स्टंटवूमन को फिट और हेल्दी रहना होता है. इसलिए गीता योगा और एक्सरसाइज करने के अलावा अपने खान-पान का खुब ध्यान रखती हैं. गीता बताती हैं- 'किसी भी हिरोइन के बॉडी डबल का रोल करने के लिए हमें हिरोइनों की तरह ही फिट भी रहना होता है. जैसे ही मुझे लगता है कि मेरा पेट थोड़ा बाहर निकल रहा है मैं स्ट्रीक डाइट फॉलो करने लगती हूं. पहले ये काम मेरे लिए सिर्फ पैसे कमाने का जरिया था. लेकिन धीरे धीरे ये मेरा पैशन बन गया.'
अब गीता का एक सपना है. स्टंट डायरेक्टर बनने का. साथ ही वो अपना फिटनेस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी खोलना चाहती हैं ताकि लोगों को कम पैसे में फिटनेस की ट्रेनिंग दे सकें.
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