ठंडा मतलब? कोका कोला!.... भले ही ये टैगलाइन विज्ञापन जगत की सबसे क्रांतिकारी लाइनों में से एक हो लेकिन ठंडा पीने की तृष्णा को शांत करने के लिए गन्ने के जूस से बेहतर कोई अन्य विकल्प हो, मुझे नहीं दिखता. दुनिया सॉफिस्टिकेटेड लोगों से घिरी है कोई आएगा कह देगा कि Bro सिपिंग गन्ने का जूस इज सो अन-हाइजेनिक लेकिन अपने को फर्क नहीं पड़ता. अपन इसलिए भी ठेले पर खड़े होंगे और गन्ने का जूस पिएंगे क्योंकि इसे अक्षय ने पिया. शाहरुख़ ने पिया. जॉन ने पिया. सलमान ने पिया. ऐश ने पिया और कैटरीना ने भी पिया और अब यश, प्रभाष, राणा, राम चरण जैसे दक्षिण के सितारे पी रहे हैं...
उपरोक्त बातें पढ़कर या उन्हें देखते हुए विचलित होने की जरूरत नहीं है. स्कोप इसलिए भी नहीं बचा है क्योंकि देश भर में जो गन्ने के जूस वाले ठेलों का हाल है वहां हमें अक्षय-सलमान-जॉन जैसे सितारों का भविष्य और बॉलीवुड के डूबने की पूरी कहानी पता चल रही है. दरअसल लखनऊ के काकोरी से पत्रकार मित्र मोहम्मद फहद ने एक तस्वीर खींची है. तस्वीर गन्ने के जूस के एक ठेले की है और बेहद मामूली है.
चूंकि दुनिया इसी सिद्धांत पर चलती है कि जो दिखता है वही बिकता है. इसलिए इस ठेले पर जूस पीने वालों की फेहरिस्त में दुकानदार ने प्रभाष और एक दक्षिण भारतीय अभिनेत्री (ये कौन हैं इसकी कोई ठीक ठीक जानकारी हमारे पास नहीं है. यदि कोई एक्ट्रेस का नाम जानता हो तो बता दे हम इस लेख में नाम जोड़ देंगे) को नाम जोड़ा है. ध्यान रहे ये वो जगह थी जहां आज से कुछ साल पहले तक अजय, सलमान, ह्रितिक, संजय दत्त, माधुरी, ऐश्वर्या और कैटरीना की बादशाहत थी.
लखनऊ से आई इस मामूली सी...
ठंडा मतलब? कोका कोला!.... भले ही ये टैगलाइन विज्ञापन जगत की सबसे क्रांतिकारी लाइनों में से एक हो लेकिन ठंडा पीने की तृष्णा को शांत करने के लिए गन्ने के जूस से बेहतर कोई अन्य विकल्प हो, मुझे नहीं दिखता. दुनिया सॉफिस्टिकेटेड लोगों से घिरी है कोई आएगा कह देगा कि Bro सिपिंग गन्ने का जूस इज सो अन-हाइजेनिक लेकिन अपने को फर्क नहीं पड़ता. अपन इसलिए भी ठेले पर खड़े होंगे और गन्ने का जूस पिएंगे क्योंकि इसे अक्षय ने पिया. शाहरुख़ ने पिया. जॉन ने पिया. सलमान ने पिया. ऐश ने पिया और कैटरीना ने भी पिया और अब यश, प्रभाष, राणा, राम चरण जैसे दक्षिण के सितारे पी रहे हैं...
उपरोक्त बातें पढ़कर या उन्हें देखते हुए विचलित होने की जरूरत नहीं है. स्कोप इसलिए भी नहीं बचा है क्योंकि देश भर में जो गन्ने के जूस वाले ठेलों का हाल है वहां हमें अक्षय-सलमान-जॉन जैसे सितारों का भविष्य और बॉलीवुड के डूबने की पूरी कहानी पता चल रही है. दरअसल लखनऊ के काकोरी से पत्रकार मित्र मोहम्मद फहद ने एक तस्वीर खींची है. तस्वीर गन्ने के जूस के एक ठेले की है और बेहद मामूली है.
चूंकि दुनिया इसी सिद्धांत पर चलती है कि जो दिखता है वही बिकता है. इसलिए इस ठेले पर जूस पीने वालों की फेहरिस्त में दुकानदार ने प्रभाष और एक दक्षिण भारतीय अभिनेत्री (ये कौन हैं इसकी कोई ठीक ठीक जानकारी हमारे पास नहीं है. यदि कोई एक्ट्रेस का नाम जानता हो तो बता दे हम इस लेख में नाम जोड़ देंगे) को नाम जोड़ा है. ध्यान रहे ये वो जगह थी जहां आज से कुछ साल पहले तक अजय, सलमान, ह्रितिक, संजय दत्त, माधुरी, ऐश्वर्या और कैटरीना की बादशाहत थी.
लखनऊ से आई इस मामूली सी तस्वीर को देखकर इसपर हंसा जा सकता है या फिर इसे ख़ारिज किया जा सकता है. लेकिन जो बड़ा सन्देश इस तस्वीर के पीछे छिपा है, वही आज का सच है. और शायद बॉलीवुड और तमाम बड़े सितारों के लिए सबक भी. भले ही इस तस्वीर ने हमें इस बात का यकीन दिला दिया हो कि बाजार की पहुंच विशाल और इसकी महिमा अपरम्पार है. लेकिन इस तस्वीर के बाद जो बड़ा सवाल हमारे सामने है वो ये कि क्या ये सब अचानक हुआ है? या फिर ये तस्वीर और इस तस्वीर में साउथ सुपर स्टार प्रभाष का जॉन सलमान अक्षय अजय को रिप्लेस करना महज इत्तेफ़ाक़ है?
इस सवाल के जवाब होने को तो तमाम हो सकते हैं. लेकिन जो सबसे सीधा और स्पष्ट जवाब है वो बस इतना है कि लोग बॉलीवुड से ऊब गए हैं. वर्तमान सामाजिक परिदृश्य में लोगों को महसूस यही हो रहा है कि बॉलीवुड के सितारे निकली हैं और उनकी छवि झूठ के इर्द गिर्द बुनी गयी है. वहीं साउथ के सुपर स्टार्स जमीनी हैं. इसलिए भी लोग उनसे जुड़ा हुआ महसूस करते हैं. वैसे लोकप्रियता का ये सफर रातों रात पूरा नहीं हुआ है इसमें 3 दशक का लंबा समय लगा है.
इस दौरान साउथ के फिल्म मेकर्स धीरे धीरे हिंदी पट्टी में अपनी जगह बनाते रहे. पहले केबल टीवी के जरिये हिंदी डब फिल्मों के माध्यम से साउथ सिनेमा का परिचय कराया, फिर साउथ की रीमेक फिल्मों के जरिये लोगों को स्वाद चखाया. इसके बाद पैन इंडिया फिल्मों के जरिये पूरे भारत में छा गए जिसकी शुरुआत एसएस राजमौली की फिल्म बाहुबली से हुई.
इसी दौरान साल 2020 बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने रही सही कसर पूरी कर दी. याद तो आपको भी होगा वो वक़्त जब जून 2020 में खबर आई कि एक्टर सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या कर ली है. चाहे वो फिल्मों में रूचि रखने वाला व्यक्ति रहा हो या फिर वो जो सिनेमा से दूर रहना ही पसंद करता था गहरे अवसाद में था.
बाद में जब मामले की जांच हुई तो चाहे वो ड्रग्स हों या फिर नेपोटिज्म ऐसी तमाम चीजें निकल कर बाहर आईं जिन्होंने हमें इस बात का एहसास कराया कि बॉलीवुड वैसा नहीं है जैसा हमें दिखाई देता है. पर्दे के पीछे ऐसा बहुत कुछ चल रहा है जो हमारी सोच और कल्पना से परे है.
लखनऊ में एक पत्रकार द्वारा ली गई इस तस्वीर पर 100 तरह के मुंह सौ तरह की बातें करेंगे. लेकिन हम ये क्यों भूल गए कि तेलुगु सिनेमा का एक बड़ा सितारा यानी प्रभाष यदि हमें लखनऊ के काकोरी में एक गन्ने के जूस के ठेले में दिखाई दे रहा है. तो ये वो फैन फॉलोइंग है. जो बतौर फिल्म स्टार प्रभाष ने हिंदी पट्टी में अपनी फिल्म बाहुबली और उसके सीक्वल के बाद कमाई है.
हर दूसरे दिन की बात है. चाहे वो फेसबुक हो या फिर ट्विटर. हम प्रायः यही देखते हैं कि बैन बॉलीवुड या बॉयकॉट बॉलीवुड के नारे फिजाओं में फैले हैं. सवाल ये है कि क्या हमारे सितारों ने कभी ये देखा? क्या कभी उन्होंने इसपर गौर किया? हमारे सितारों या ये कहें कि अजय, अक्षय, सलमान, शाहरुख जैसे सेलेब्रिटियों को इस बात को भी समझना होगा कि अब वो वक़्त नहीं है जब अनाप शनाप कहानी या सेक्स का तड़का लगाकर कहानी को भुना लिया जाएगा.
दौर चूंकि सोशल मीडिया का है और हर हाथ में तकनीक या ये कहें कि मोबाइल फ़ोन है. इसलिए सितारें इस बात को भी समझें कि अब जनता को बेवकूफ बनाना बिलकुल भी आसान नहीं है. जनता जान गयी है कि बदला कैसे और किस बेदर्दी के साथ लिया जाता है? जिक्र फैंस द्वारा फिल्म से बदला लेने का हुआ है तो हम किसी भी सूरत में हालिया रिलीज फिल्म 83 को ख़ारिज नहीं कर सकते. फिल्म पिटी इसकी एक बड़ी वजह फील, और फिल्म की स्टार कास्ट के प्रति बॉलीवुड का नजरिया था.
फैंस ने कैसे राजा को रंक बनाया ये हमने देख लिया इसी तरह जब हम RRR, पुष्पा, KGF पर नजर डालते है न और जो इनका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन हुआ है, यदि उसका अवलोकन करते हैं तो जिस तरह इन फिल्मों को हिंदी पट्टी के दर्शकों ने हाथों हाथ लिया उसकी एक बड़ी वजह वो नाराजगी है जो हिंदी पट्टी का दर्शक अपने दिल में दबाए बैठा है.
बहरहाल, बॉलीवुड को इस तस्वीर से सबक लेना चाहिए. आज प्रभाष के रूप में दक्षिण का सिनेमा लखनऊ के काकोरी पहुंचा है कल और स्थानों पर पहुंचाएगा कहीं ऐसा न हो जब तक बॉलीवुड के सितारों को इस बात का या ये कहें कि अपनी चूक का एहसास हो बहुत देर हो जाए और बचाने को कुछ बचे नहीं. बाकी गन्ने के जूस के ठेले में लगी प्रभाष की तस्वीर ने बॉलीवुड के डूबने की पूरी कहानी बयां कर दी है.
लखनऊ के ठेले ने इस बात का एहसास करा दिया है कि बिकेगा वही जो चल रहा होगा. जैसा माहौल है ये किसी से छिपा नहीं है कि फिल्मों के लिहाज से हिंदी पट्टी में क्या चल रहा है. चाहे पुष्पा हो, आरआरआर हो या फिर हालिया रिलीज केजीएफ इनके बॉक्स ऑफिस कलेक्शन ने संकेत दे दिए हैं कि अब हिंदी बेल्ट में भी दक्षिण के स्टार्स का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है. हम फिर कह रहे हैं बॉलीवुड के लिए संभल जाने का वक़्त है. वरना जैसी हालत बन गयी है निकट भविष्य में कोई हिंदी सुपरस्टार्स का नामलेवा तक नहीं होगा.
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