मशहूर कॉमेडियन और एक्टर सुनील ग्रोवर (Sunil Grover) की वेब सीरीज 'सनफ्लॉवर' (Sunflower Web Series) ओटीटी प्लेटफॉर्म ZEE5 पर रिलीज हो चुकी है. इसमें सुनील ग्रोवर के साथ आशीष विद्यार्थी, रणवीर शौरी, गिरीश कुलकर्णी, मुकुल चड्ढा, अश्विन कौशल और राधा भट्ट जैसे कलाकारों ने प्रमुख भूमिका निभाई है. दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों की हाउसिंग सोसाइटीज में होने वाले भेदभाव के बीच एक हत्या की वारदात को सुलझाने की इस कहानी के कई आयाम हैं. इसके राइटर और क्रिएटर विकास बहल हैं, जो मीटू मूवमेंट के दौरान अपने पर लगे आरोपों के बाद इस नए प्रोजेक्ट के साथ वापसी कर रहे हैं. राहुल सेनगुप्ता के साथ मिलकर उन्होंने इस वेब सीरीज को निर्देशित भी किया है. विकास 'क्वीन' और 'सुपर 30' जैसी सुपरहिट फिल्मों के निर्देशन के लिए जाने जाते हैं.
'सनफ्लॉवर' की पंखुड़ियों की तरह इस वेब सीरीज की कहानी की भी कई परते हैं, जिसे सुलझाने की कोशिश के बीच सुनील ग्रोवर की अदाकारी का अलहदा अंदाज देखने को मिलता है. कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में अपने किरदार 'गुत्थी', 'रिंकू भाभी' और 'डॉक्टर गुलाटी' के जरिए बतौर कॉमेडियन अपनी पहचान बनाने वाले सुनील अब धीरे-धीरे इसे बदलने की कोशिश करते दिख रहे हैं. सलमान खान की फिल्म 'भारत' से लेकर प्राइम वीडियो की वेब सीरीज 'तांडव' तक, उनके किरदारों को देखकर इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक्टिंग को गंभीरता से ले रहे हैं. लेकिन लोगों के दिमाग में 'गुत्थी' और 'गुलाटी' का किरदार ऐसे छप चुका है कि उनकी एक्टिंग में लोग कॉमेडी ही खोजने लगते हैं. इस वेब सीरीज में सुनील ने कॉमेडी और एक्टिंग के बीच बैलेंस बनाने की सफल कोशिश की है.
वेब सीरीज 'सनफ्लॉवर' में मुख्य कहानी के साथ कई अन्य कहानियां भी चल रही हैं. जैसे कि सोसाइटी के एक फ्लैट में हत्या हो जाना और उसकी तहकीकात होना मुख्य कहानी है, लेकिन इसके साथ ही सोसाइटी की एसोसिएशन की आपसी खींचतान, मुख्य किरदार की जिंदगी की कश्मकश, पति-पत्नी के बीच के संबंध और स्वतंत्र महिला की जिंदगी के संघर्ष की...
मशहूर कॉमेडियन और एक्टर सुनील ग्रोवर (Sunil Grover) की वेब सीरीज 'सनफ्लॉवर' (Sunflower Web Series) ओटीटी प्लेटफॉर्म ZEE5 पर रिलीज हो चुकी है. इसमें सुनील ग्रोवर के साथ आशीष विद्यार्थी, रणवीर शौरी, गिरीश कुलकर्णी, मुकुल चड्ढा, अश्विन कौशल और राधा भट्ट जैसे कलाकारों ने प्रमुख भूमिका निभाई है. दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों की हाउसिंग सोसाइटीज में होने वाले भेदभाव के बीच एक हत्या की वारदात को सुलझाने की इस कहानी के कई आयाम हैं. इसके राइटर और क्रिएटर विकास बहल हैं, जो मीटू मूवमेंट के दौरान अपने पर लगे आरोपों के बाद इस नए प्रोजेक्ट के साथ वापसी कर रहे हैं. राहुल सेनगुप्ता के साथ मिलकर उन्होंने इस वेब सीरीज को निर्देशित भी किया है. विकास 'क्वीन' और 'सुपर 30' जैसी सुपरहिट फिल्मों के निर्देशन के लिए जाने जाते हैं.
'सनफ्लॉवर' की पंखुड़ियों की तरह इस वेब सीरीज की कहानी की भी कई परते हैं, जिसे सुलझाने की कोशिश के बीच सुनील ग्रोवर की अदाकारी का अलहदा अंदाज देखने को मिलता है. कपिल शर्मा के कॉमेडी शो में अपने किरदार 'गुत्थी', 'रिंकू भाभी' और 'डॉक्टर गुलाटी' के जरिए बतौर कॉमेडियन अपनी पहचान बनाने वाले सुनील अब धीरे-धीरे इसे बदलने की कोशिश करते दिख रहे हैं. सलमान खान की फिल्म 'भारत' से लेकर प्राइम वीडियो की वेब सीरीज 'तांडव' तक, उनके किरदारों को देखकर इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक्टिंग को गंभीरता से ले रहे हैं. लेकिन लोगों के दिमाग में 'गुत्थी' और 'गुलाटी' का किरदार ऐसे छप चुका है कि उनकी एक्टिंग में लोग कॉमेडी ही खोजने लगते हैं. इस वेब सीरीज में सुनील ने कॉमेडी और एक्टिंग के बीच बैलेंस बनाने की सफल कोशिश की है.
वेब सीरीज 'सनफ्लॉवर' में मुख्य कहानी के साथ कई अन्य कहानियां भी चल रही हैं. जैसे कि सोसाइटी के एक फ्लैट में हत्या हो जाना और उसकी तहकीकात होना मुख्य कहानी है, लेकिन इसके साथ ही सोसाइटी की एसोसिएशन की आपसी खींचतान, मुख्य किरदार की जिंदगी की कश्मकश, पति-पत्नी के बीच के संबंध और स्वतंत्र महिला की जिंदगी के संघर्ष की कहानी को भी समानांतर दिखाया गया है. कई कहानियों को दिखाने के चक्कर में निर्देशक मुख्य कहानी के साथ न्याय नहीं कर पाएं हैं. इसकी वजह से बेहतरीन और नामचीन कलाकारों की लंबी फौज और उनके अच्छे अभिनय के बावजूद वेब सीरीज प्रभावी नहीं बन पाई है. मर्डर मिस्ट्री के बीच कॉमेडी का तड़का लगाने की कोशिश में रोमांच कहीं नजर नहीं आता है. यहां तक कि इसकी कहानी का रहस्य तो दर्शकों के सामने पहले ही दृश्य में खुल जाता है.
वेब सीरीज 'सनफ्लॉवर' में सुनील ग्रोवर ने कॉमेडी और एक्टिंग के बीच बैलेंस बनाने की सफल कोशिश की है 'सनफ्लॉवर' की कहानी
मुंबई की एक रिहायशी सोसाइटी 'सनफ्लॉवर' के आमने-सामने के फ्लैट में आहूजा और कपूर फैमिली रहती है. राज कपूर (अश्विन कौशल) की बुरी आदतों की वजह से उनके पड़ोसी को तो परेशानी है ही, पत्नी भी एक दिन छोड़कर चली जाती हैं. कपूर की आदतों से तंग प्रो. आहूजा (मुकुल चड्ढा) उसके नारियल पानी में जहर मिलाकर उसकी हत्या कर देता है. सोसाइटी में इस वारदात के बाद सनसनी फैल जाती है. पुलिस की एक टीम जांच के लिए पहुंचती है. इंस्पेक्टर दिगेंद्र (रणवीर शौरी) और सब-इंस्पेक्टर तांबे (गिरीश कुलकर्णी) लोगों से पूछताछ करते हैं. इस बीच उनका सामना सेल्समैन का काम करने वाले सोनू सिंह (सुनील ग्रोवर) से होता है. सोनू की हरकतों को देखकर पुलिस को उस पर शक होता है, लेकिन मजबूत आधार नहीं मिल पाता. इधर, आहूज फैमिली और सोसाइटी के वॉचमैन पर भी पुलिस को शक है.
एक तरफ मर्डर केस की जांच चल रही है, तो दूसरी तरफ सोसाइटी के एसोसिएशन के अधिकारी आपसी खींचतान में लगे हैं. इसके जरिए समाज और सोसाइटी के सच को दिखाने की कोशिश की गई है. एसोसिएशन के एक अधिकारी दिलीप अय्यर (आशीष विद्यार्थी) हरदम सभ्यता और संस्कृति की दुहाई देते नजर आते हैं. उनका मानना है कि सनफ्लॉवर सोसाइटी को भारतीय संस्कृति के हिसाब से आदर्श बनाना चाहिए. इसकी वजह से एसोसिएशन के लोग वहां आने वाले किराएदारों का इंटरव्यू लेते हैं. उनमें से तलाकशुदा, ट्रांसजेंडर, मुस्लिम, छोटे व्यापारी, बैचलर, फिल्म या टीवी इंडस्ट्री में काम करने वाले और लिव-इन में रहने वालों को वहां रहने की अनुमति नहीं दी जाती है. जबकि पहले से वहां रह रहा एक कथित सभ्य प्रोफेसर अपने ही पड़ोसी की हत्या करने के बाद सबूतों को छुपाने की कोशिश कर रहा है.
कहानी का सबसे मजेदार पहलू तो ये है कि पब्लिक को पता है कि मर्डर किसने किया है, बकायदा पहले ही सीन में इसे दिखा दिया जाता है, लेकिन पुलिस को नहीं पता चल पाता कि हत्यारा कौन है? पुलिस के तीन सबसे बड़े सस्पेक्ट हैं, पहला सोनू सिंह, दूसरा आहूजा और तीसरा कपूर की पत्नी (शोनाली नागरानी), जो उसे छोड़कर उसके भाई के साथ रह रही है. इधर आहूजा की हरकतें पुलिस को उस पर शक करने पर मजबूर करती हैं, क्योंकि वारदात के बाद से ही वो डरा-सहमा रहता है, जो उसके चेहरे से झलकता है. लेकिन इसी बीच पुलिस को कुछ ऐसे सबूत मिलते हैं, जिनके आधार पर उन्हें यकीन हो जाता है कि सोनू सिंह ही असली कातिल है. उसे खोजने की कोशिश की जाती है, लेकिन मिलता नहीं है. क्या सोनू गिरफ्तार होता है? क्या असली हत्यारे पकड़े जाते हैं? इसे जानने के लिए तो आपको वेब सीरीज देखनी चाहिए.
'सनफ्लॉवर' की समीक्षा
हमेशा की तरह इस वेब सीरीज में भी सुनील ग्रोवर ने शानदार अभिनय किया है. उन्होंने अपनी अदाकारी के दम पर आखिरी वक्त तक वेब सीरीज को बचाने की कोशिश की है, लेकिन अव्यवस्थित कहानी और लचर निर्देशन की वजह से 'सनफ्लॉवर' प्रभावी नहीं बन पाई है. लेकिन सुनील ने 'सनफ्लॉवर' को मुरझाने से बचा लिया है. सोनू सिंह के किरदार में उनकी लाइफ के कई शेड्स हैं, जिसे एक साथ निभाना किसी भी कलाकार के लिए मुश्किल होता है, लेकिन सुनील ने उसे आसानी से कर लिया है. प्रोफेसर आहूजा के रोल में मुकुल चड्ढा प्रभावशाली लगे हैं. उनकी डबल पीएचडी और हिंदी भाषा के प्रति प्यार के बीच एक गुस्सैल और कामुक पति का किरदार अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराता है. एक असहाय हाउस वाइफ के किरदार में राधा भट्ट भी अपने अभिनय के जरिए गहरा प्रभाव छोड़ने में कामयाब रही हैं.
8 एपिसोड की इस वेब सीरीज के हर किरदार में कलाकारों ने अपना बेहतरीन पेश किया है, लेकिन उनके पात्रों के बीच संबंध स्थापित नहीं हो पाया है. ऐसा लगता है कि हर कलाकार अलग-अलग बस अपने किरदार पर ही ध्यान दिया है. सब-स्टोरी दिखाने के चक्कर में निर्देशक मेन स्टोरी को ही भूल जाता है. अंत में दर्शकों को भी लगता है कि मेन स्टोरी तो रह ही गई. शायद इस वेब सीरीज का अगला सीजन बनाने की पृष्ठभूमि बनाने के चक्कर में मेकर्स ने ऐसा किया हो, लेकिन दर्शक तो ठगा रह जाता है. दिलीप अय्यर के किरदार में आशीष विद्यार्थी ठीक तो हैं, लेकिन उनके जैसे एक्टर के लिए पुलिस अफसर का रोल ज्यादा जंचता. रणवीर शौरी अय्यर के रोल में आशीष से बेहतर लगते. कुल मिलाकार वेब सीरीज 'सनफ्लॉवर' एक बार देखी जा सकती है. यदि आप सुनील ग्रोवर के फैन हैं, तो आपको जरूर देखनी चाहिए.
iChowk.in वेब सीरीज 'सनफ्लॉवर' को 5 में से 2.5 नंबर देता है.
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