हिन्दी सिनेमा में मशहूर बोल्ड अभिनेत्री का दर्जा प्राप्त कर चुकी सनी लियोन की लोकप्रियता उनकी बोल्ड और एडल्ट फिल्मों की वजह से ही है. उनको लेकर दर्शकों में जो स्टीरिओटाइप बना हुआ है उसे खुद सनी के लिए तोड़ना मुश्किल हो सकता है. हालांकि सनी खुद की दर्शकों में बनी बोल्ड इमेज को लेकर काफी समय से बेहद परेशान हैं. बक़ौल सनी अब वह हिन्दी फिल्मों को साइन से पहले कहानी और अपने किरदार को प्राथमिकता देंगी, जिससे उनको लेकर दर्शकों में जो टिपिकल छवि बनी हैं उसको वह तोड़ सकें.
उनका यह बयान खुद उनके कैरियर की दृष्टि और हिन्दी सिनेमा के व्यावसायिक पहलुओं की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है. हिन्दी फिल्म उद्योग में उन्होंने आइटम नंबर, बोल्ड सीन और मसाला फिल्मों द्वारा अपनी एक स्टीरिओटाइप छवि का निर्माण किया है. ऐसा करते हुए उन्होंने खुद कभी वराइटी वाली फिल्मों को लेकर न कोई प्रयास किए और न ही किसी निर्माता/निर्देशक ने उनको लेकर किसी भी प्रकार का जोखिम अब तक लिया है.
2012 में भट्ट कैंप की जिस्म 2 से हिन्दी सिनेमा में कदम रखने वाली सनी लियोन का अब तक कैरियर ऐसी ही बोल्ड, एडल्ट और कामुक दृश्यों वाली फिल्मों और गीतों से ही घिरा हुआ दिखाई देता है. फिल्म शूट आउट एट वडाला के गीत लैला मैं लैला, फिल्म जैकपॉट, रागिनी एमएमएस, फिल्म हेट स्टोरी 2 के आइटम नंबर पिंक लिप्स, फिल्म बलविंदर सिंह फेमस हो गया के गीत शेक दैट बूटी, फिल्म एक पहेली लीला, कुछ कुछ लोचा है, सिंह इज ब्लिंग, मस्तीजादे, वन नाइट स्टैंड, फिल्म तेरा इंतजार जैसी फिल्मों के अलावा रईस के गीत लैला मैं लैला, फुड्डु के गीत तू जरूरत नहीं, तू जरूरी है, जैसे गानो और फिल्मों को देखते हुए हमें सनी की स्पष्ट छवि देखने को मिल सकती है. जिसमें वो अपने बोल्ड अवतार, और कामुक अदाओं को पेश करते हुए ही दिखती हैं.
हिन्दी सिनेमा में मशहूर बोल्ड अभिनेत्री का दर्जा प्राप्त कर चुकी सनी लियोन की लोकप्रियता उनकी बोल्ड और एडल्ट फिल्मों की वजह से ही है. उनको लेकर दर्शकों में जो स्टीरिओटाइप बना हुआ है उसे खुद सनी के लिए तोड़ना मुश्किल हो सकता है. हालांकि सनी खुद की दर्शकों में बनी बोल्ड इमेज को लेकर काफी समय से बेहद परेशान हैं. बक़ौल सनी अब वह हिन्दी फिल्मों को साइन से पहले कहानी और अपने किरदार को प्राथमिकता देंगी, जिससे उनको लेकर दर्शकों में जो टिपिकल छवि बनी हैं उसको वह तोड़ सकें.
उनका यह बयान खुद उनके कैरियर की दृष्टि और हिन्दी सिनेमा के व्यावसायिक पहलुओं की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है. हिन्दी फिल्म उद्योग में उन्होंने आइटम नंबर, बोल्ड सीन और मसाला फिल्मों द्वारा अपनी एक स्टीरिओटाइप छवि का निर्माण किया है. ऐसा करते हुए उन्होंने खुद कभी वराइटी वाली फिल्मों को लेकर न कोई प्रयास किए और न ही किसी निर्माता/निर्देशक ने उनको लेकर किसी भी प्रकार का जोखिम अब तक लिया है.
2012 में भट्ट कैंप की जिस्म 2 से हिन्दी सिनेमा में कदम रखने वाली सनी लियोन का अब तक कैरियर ऐसी ही बोल्ड, एडल्ट और कामुक दृश्यों वाली फिल्मों और गीतों से ही घिरा हुआ दिखाई देता है. फिल्म शूट आउट एट वडाला के गीत लैला मैं लैला, फिल्म जैकपॉट, रागिनी एमएमएस, फिल्म हेट स्टोरी 2 के आइटम नंबर पिंक लिप्स, फिल्म बलविंदर सिंह फेमस हो गया के गीत शेक दैट बूटी, फिल्म एक पहेली लीला, कुछ कुछ लोचा है, सिंह इज ब्लिंग, मस्तीजादे, वन नाइट स्टैंड, फिल्म तेरा इंतजार जैसी फिल्मों के अलावा रईस के गीत लैला मैं लैला, फुड्डु के गीत तू जरूरत नहीं, तू जरूरी है, जैसे गानो और फिल्मों को देखते हुए हमें सनी की स्पष्ट छवि देखने को मिल सकती है. जिसमें वो अपने बोल्ड अवतार, और कामुक अदाओं को पेश करते हुए ही दिखती हैं.
अब तक की सभी हिन्दी फिल्मों में उनकी एक तरह की छवि से खुद सनी का खुद परेशान होना लाज़मी है, क्योंकि अब उनके पास खुद को पेश करने के लिए शायद ही कुछ बचा हो? हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में स्ट्रगलर्स की भरमार है, ऐसे में हर अभिनेत्री का ज्यादा समय तक ट्रैक में चल पाना काफी मुश्किल होता है. सनी ने तो शुरुआत ही अपने बोल्ड अवतार के साथ की थी ऐसे में निर्माता निर्देशक उन्हें इसी इमेज के साथ पेश करने में फायदे का सौदा समझते आयें हैं. खुद सनी को भी अपने इस अवतार से काफी फायदा हुआ है, नहीं तो जितनी फिल्मों में उन्होंने काम किया और स्पेशल अपीयरेंस में आकर आइटम नंबर किए वह और किसी इनकी समकक्ष अभिनेत्री के लिए कर पाना मुश्किलों भरा रहा है.
फिल्मों के अलावा विज्ञापन में भी उनकी छवि जस की तस ही रही है. कंडोम की तमाम वराइटी वाले विज्ञापनों को देखने पर यह और भी पुख्ता हो जाता है कि वहां भी उनकी इसी इमेज को ही लंबे समय से खरीदा बेचा जा रहा है. सनी लियोन हिन्दी के अलावा मराठी और कन्नड़ फिल्मों में भी काम कर चुकी हैं. वहां भी उनकी इसी इमेज को आसानी से फिल्मों में देखा जा सकता है. इन फिल्मों के गीतों में सनी बोल्ड अवतार में दिखती है. लव यू आलिया, बॉयज, डीके जैसी मराठी और कन्नड़ फिल्मों के गीत सुनेंगे तो यहां भी उनके इसी रूप को आसानी से देख पाएंगे.
यहां बड़ा सवाल यह है कि अचानक से सनी को खुद के फिल्मी कैरियर को लेकर इतना बड़ा फैसला क्यों लेना पड़ रहा है? क्या हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में उनके लिए ऐसी इमेज के अलावा कोई काम ही नहीं है? या फिर सच में सनी को अपनी स्टीरिओटाइप वाली छवि को लेकर चिंता होने लगी है? हाल ही में उन्होंने इयारा सन-ग्लासेस का भी एड कर विज्ञापन फिल्मों में खुद के छवि परिवर्तन की शुरुआत की है, एमटीवी के नए प्रोजेक्ट इंडियन वर्जन ऑफ मैन वर्सेज़ वाइल्ड हिन्दी में भी वह दिखने वाली हैं.
सनी खुद सांपों की शौकीन रही हैं ऐसे में उनका इस नए प्रोग्राम से जुड़ना उनके दर्शकों में बनी पूर्व छवि को तोड़ने में कितना सफल हो पाएया यह आने वाला वक्त बताएगा. खुद के फिल्मी कैरियर के बदलते क्रम में उन्हें तमिल फिल्मों के मशहूर निर्देशक की फिल्म वीरामादेवी में उन्हें योद्धा की भूमिका मिल चुकी है. जिसके लिए सनी ने घुड़सवारी और तलवारबाजी भी सीख ली है.
ऐसे में सीधे तौर पर यह भी कहा जा सकता है कि सनी लियोन अपने बोल्ड अवतार को दरकिनार करते हुए अब वराइटी की तरफ ध्यान दे रही हैं. उनके इस मजबूत इरादे की झलक भी हमें दिखने लगी है. लेकिन क्या भारतीय दर्शकों में बनी अपनी पूर्व इमेज को तोड़, सनी दर्शकों में उसी तरह लोकप्रिय रह पाएंगी? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
क्योंकि सनी की आम जनमानस में क्या छवि है इसका एक ताजा तरीन उदाहरण आंध्र प्रदेश के नेल्लोर की घटना से समझा जा सकता है. जहां नेल्लोर में एक किसान ने सनी लियोन का लाल बिकनी वाले पोस्टर का प्रयोग खुद द्वारा उगाई गयी सब्जी के संरक्षण हेतु किया है. उसका मानना था कि ऐसा करने से लोग उसकी उगाई सब्जी पर बुरी नज़र न डालते हुए लोग इन्हीं पोस्टर्स पर नज़र गढ़ाए रहते हैं.
सड़क किनारे 10 एकड़ में सब्जी का उत्पादन करने वाले रेड्डी के अवचेतन में सनी लियोन को लेकर बनी छवि का असर भी सकारात्मक देखा जा रहा है. ऐसे में सनी द्वारा खुद की सिनेमेटिक छवि को सुधारने के लिए अगर प्रयास किए जा रहे हैं तो वह क्या फिर अपने दर्शकों में लोकप्रिय रह पाएंगी ? यह प्रश्न हमेशा प्रासंगिक बना रहेगा. इसके इतर अपनी बोल्ड इमेज के अलावा कुछ नया करने की जो कोशिश सनी द्वारा की जा रही है उसके लिए क्या हिन्दी सिनेमा कभी तैयार होगा ? यह प्रश्न भी प्रासंगिक रहेगा.
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