सैफअली खान और डिंपल कपाड़िया जैसे जबर्दस्त स्टार कास्ट होने की वजह से Tandav Series से लोगों की उम्मीदें बढ़ गईं हैं. दर्शकों को Amazon Prime Video के ओरिजिनल सीरीज़ तांडव का Trailer काफी पसंद आ रहा है. राजनीति में एक ही रिश्ता होता है ‘कुर्सी का’ और ‘अब इस राजनीति में चाणक्य नीति लानी पड़ेगी’ जैसे डायलॉग यह बताते हैं कि इस सीरिज़ में कुर्सी के लिए कितना तांडव होने वाला है. जो 15 जनवरी को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज होने वाली है. अब इसमें झोल क्या है ये भी हम आपको बताएंगे.
तांडव में सैफ (Saif Ali Khan) लीड रोल में नजर आने हैं. वो कहते हैं ना कि राजनीति में सब जायज है बस यह समझ लीजिए कि सारी लड़ाई कुर्सी की है. अब इसे किस नए तरीके से फिल्माया गया है यह तो आप देखने के बाद ही तय करेंगे. माना जा रहा है कि कहानी PM कुर्सी के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती है. जिसमें एक तरफ पीएम की चिता जलती है दूसरी तरफ उनका बेेटा पीएम बनने के सपने देखता है लेकिन बीच में आ जाता है कोई तीसरा यानी कि अनुराधा, जिसकी इंट्री होते ही कहानी और दिलचस्प लगती है.
ऐसा नहीं है कि राजनीति विषय पर पहली बार फिल्म बन रही है. वहीं कुछ डायलॉग ऐसे हैं जिसे आपने पहले भी सुना है. तांडव में राजनीति के महत्व को बखूबी दर्शाया गया है. ट्रेलर देखकर ऐसा लगता है कि सच्ची घटनाओं से जोड़ने का प्रयास किया गया है. जैसे- जेनयू विवाद और किसानों का प्रदर्शन. अब झोल ये है कि ऐसा नहीं है कि यह कहानी एकदम नई है जिसे कहीं से कॉपी न किया गया हो. एक राजा, उसकी सेना, प्रजा और उसका सिंहासन, ठीक उसी तरह पीएम, नेता और...
सैफअली खान और डिंपल कपाड़िया जैसे जबर्दस्त स्टार कास्ट होने की वजह से Tandav Series से लोगों की उम्मीदें बढ़ गईं हैं. दर्शकों को Amazon Prime Video के ओरिजिनल सीरीज़ तांडव का Trailer काफी पसंद आ रहा है. राजनीति में एक ही रिश्ता होता है ‘कुर्सी का’ और ‘अब इस राजनीति में चाणक्य नीति लानी पड़ेगी’ जैसे डायलॉग यह बताते हैं कि इस सीरिज़ में कुर्सी के लिए कितना तांडव होने वाला है. जो 15 जनवरी को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज होने वाली है. अब इसमें झोल क्या है ये भी हम आपको बताएंगे.
तांडव में सैफ (Saif Ali Khan) लीड रोल में नजर आने हैं. वो कहते हैं ना कि राजनीति में सब जायज है बस यह समझ लीजिए कि सारी लड़ाई कुर्सी की है. अब इसे किस नए तरीके से फिल्माया गया है यह तो आप देखने के बाद ही तय करेंगे. माना जा रहा है कि कहानी PM कुर्सी के इर्द-गिर्द घूमती नजर आती है. जिसमें एक तरफ पीएम की चिता जलती है दूसरी तरफ उनका बेेटा पीएम बनने के सपने देखता है लेकिन बीच में आ जाता है कोई तीसरा यानी कि अनुराधा, जिसकी इंट्री होते ही कहानी और दिलचस्प लगती है.
ऐसा नहीं है कि राजनीति विषय पर पहली बार फिल्म बन रही है. वहीं कुछ डायलॉग ऐसे हैं जिसे आपने पहले भी सुना है. तांडव में राजनीति के महत्व को बखूबी दर्शाया गया है. ट्रेलर देखकर ऐसा लगता है कि सच्ची घटनाओं से जोड़ने का प्रयास किया गया है. जैसे- जेनयू विवाद और किसानों का प्रदर्शन. अब झोल ये है कि ऐसा नहीं है कि यह कहानी एकदम नई है जिसे कहीं से कॉपी न किया गया हो. एक राजा, उसकी सेना, प्रजा और उसका सिंहासन, ठीक उसी तरह पीएम, नेता और जनता.
आप इसे Netflix की वेब सारीज HOSE of CARDS से जोड़ सकते हैं. जिसके किरदारों को देशी रूप में दिखाया गया है, अब ये कितने रियल लगते हैं वो तो सीरीज देखने के बाद पता चलेगा, लेकिन एक चीज है जो आपने भी नोटिस की होगी वो है सैफ का अंदाज. जो हीरो भी हैं और विलेन भी. ट्रेलर की शुरुआत में बहुत सारे झंडे, नारे लगाती भीड़ और पीछे से दमदार आवाज. इसके साथ ही सैफ का फर्स्ट लुक वाकई में इम्प्रेसिव है.
वहीं डिंपल कपाड़िया Tandav Series से डेब्यू कर रही हैं जो सतरंज की माहिर खिलाड़ी सी प्रतीत हो रही हैं. सुनील ग्रोवर, मोहमद जीशान अय्यूब, तिग्मांशु धूलिया, कृतिका कामरा, गौहर खान, डीनो मोरिया, कुमुद मिश्रा, अमयरा दस्तूर, सराह जेन डायस, संध्या मृदुल, अनूप सोनी, हितेन तेजवानी, परेश पहूजा और शोनाली नागरानी का किरदार भी दमदार है, जैसे ये किसी शतरंज के मोहरे हों. इस सीरीज़ का निर्माण अली अब्बास जफर ने किया है. कुल मिलाकर इसे ऐसे फिल्माया गया है जैसे किसी देश का प्रधानमंत्री ही वहां का राजा होता है.
राजनीति में रुचि रखने वाले लोगों के लिए सियासी गलियारों का नया चकल्लस देखने को मिलेगा. जिसकी चर्चा चाय की दुकान से लेकर, ट्रेन के डिब्बों या चौराहों पर की जाती है. जिससे लोगों को एक अलग तरह का राजनीतिक रस मिलता है. यह आपको पॉलटिक्स की गहराई में ले जाएगी और छोटी-छोटी बातों व घटनाओं से रूबरू करवाएगी. जैसे देश की असल राजनीति पर कटाक्ष किया जा रहा हो. नाटकीय रूप में फिल्माई गई यह सीरीज़ उन लोगों को दुखी कर सकती है जो राजनीतिक पार्टी और नेताओं से उम्मीद लगाए बैठे हैं या जिनको समाज की चिंता है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.