हिंदी सिनेमा में बुजुर्गों की जिंदगी को कई एंगल से दिखाया गया है. 'सारांश', 'आंखों देखी', 'पीकू', 'मुक्ति भवन', 'चीनी कम', 'पा' और '102 नॉटआउट' जैसी फिल्में इसकी प्रमुख उदाहरण हैं. इन फिल्मों में बुजुर्गों के जीवन से जुड़ी अलग-अलग कहानियां दिखाई गई हैं. किसी में कब्ज से परेशान एक पिता की कहानी दिखाई गई है, तो किसी में एक जवान बेटे की लाश को ढोते बूढे कंधे को दिखाया गया है. किसी में बाप-बेटे के रिश्ते पर प्रकाश डाला गया है, तो किसी में बुजुर्ग होने के बाद भी जीवन का आनंद लेते हुए दिखाया गया है. इन सबसे अलग बुजुर्ग की अहम जरूरतों पर आधारित एक फिल्म 'थाई मसाज' रिलीज हुई है. इसमें बुजुर्गों की उन दबी इच्छाओं के बारे में बात की गई है, जिस पर कोई ध्यान नहीं देता. नैतिकता का लबादा ओढे ये समाज बुजुर्ग होती ही किसी भी इंसान को आदर्शवादी नजरिए से देखने लगता है.
भारत में 60 साल की उम्र में लोगों को नौकरी से रिटायर कर दिया जाता है. सरकार भी ये मान लेती है कि इस उम्र के बाद कोई भी काम लायक नहीं रहता है. उसी तरह समाज में भी बुजुर्गों को आइडियल मान लिया जाता है. लेकिन कोई ये नहीं सोचता कि बूढे तन के पीछे एक मन भी है, जो इसी समाज में रहता है. उसकी भी कुछ ख्वाहिशें हो सकती हैं, जिसे वो सामाजिक बंधनों की वजह से भले ही जाहिर न कर सके, लेकिन उसे पूरा करने की तमन्ना तो रहती ही है. इसलिए कहते हैं ना की तन बूढ़ा हो सकता है, लेकिन मन बूढ़ा नहीं होता है. फिल्म 'थाई मसाज' इसी तरह का सोशल मैसेज देने का काम करती है. हालांकि, इसमें कॉमेडी भी जबरदस्त है. फिल्म में फिल्म 'थाई मसाज' में 'बधाई हो' फेम गजराज राव लीड रोल में हैं. उनके साथ दिव्येंदु शर्मा, सनी हिंदुजा, राजपाल यादव, एलिना जेशोबिना और विभा छिब्बर अहम किरदारों में हैं.
हिंदी सिनेमा में बुजुर्गों की जिंदगी को कई एंगल से दिखाया गया है. 'सारांश', 'आंखों देखी', 'पीकू', 'मुक्ति भवन', 'चीनी कम', 'पा' और '102 नॉटआउट' जैसी फिल्में इसकी प्रमुख उदाहरण हैं. इन फिल्मों में बुजुर्गों के जीवन से जुड़ी अलग-अलग कहानियां दिखाई गई हैं. किसी में कब्ज से परेशान एक पिता की कहानी दिखाई गई है, तो किसी में एक जवान बेटे की लाश को ढोते बूढे कंधे को दिखाया गया है. किसी में बाप-बेटे के रिश्ते पर प्रकाश डाला गया है, तो किसी में बुजुर्ग होने के बाद भी जीवन का आनंद लेते हुए दिखाया गया है. इन सबसे अलग बुजुर्ग की अहम जरूरतों पर आधारित एक फिल्म 'थाई मसाज' रिलीज हुई है. इसमें बुजुर्गों की उन दबी इच्छाओं के बारे में बात की गई है, जिस पर कोई ध्यान नहीं देता. नैतिकता का लबादा ओढे ये समाज बुजुर्ग होती ही किसी भी इंसान को आदर्शवादी नजरिए से देखने लगता है.
भारत में 60 साल की उम्र में लोगों को नौकरी से रिटायर कर दिया जाता है. सरकार भी ये मान लेती है कि इस उम्र के बाद कोई भी काम लायक नहीं रहता है. उसी तरह समाज में भी बुजुर्गों को आइडियल मान लिया जाता है. लेकिन कोई ये नहीं सोचता कि बूढे तन के पीछे एक मन भी है, जो इसी समाज में रहता है. उसकी भी कुछ ख्वाहिशें हो सकती हैं, जिसे वो सामाजिक बंधनों की वजह से भले ही जाहिर न कर सके, लेकिन उसे पूरा करने की तमन्ना तो रहती ही है. इसलिए कहते हैं ना की तन बूढ़ा हो सकता है, लेकिन मन बूढ़ा नहीं होता है. फिल्म 'थाई मसाज' इसी तरह का सोशल मैसेज देने का काम करती है. हालांकि, इसमें कॉमेडी भी जबरदस्त है. फिल्म में फिल्म 'थाई मसाज' में 'बधाई हो' फेम गजराज राव लीड रोल में हैं. उनके साथ दिव्येंदु शर्मा, सनी हिंदुजा, राजपाल यादव, एलिना जेशोबिना और विभा छिब्बर अहम किरदारों में हैं.
फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही है. ज्यादातर लोग ऐसे विषय को जरूरी बताते हुए इसे देखने की गुजारिश कर रहे हैं, वहीं कुछ लोगों को फिल्म की पटकथा कमजोर लग रही है, जिसकी वजह से फिल्म प्रभावित नहीं कर पाती है. अभिनय के पैमाने पर भी सभी सितारे खरे नहीं उतर पाए हैं. केवल गजराज राव अपने किरदार के साथ न्याय कर पाए हैं. निर्देशक का फोकस भी पूरी तरह से उनके किरदार आत्माराम दुबे को गढ़ने में है, जिसकी वजह से अन्य किरदार उपेक्षित हो जाते हैं. इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या को प्याज खाकर ठीक करने वाला प्रसंग बेहद बचकाना लगता है. इस बीमारी से जूझ रहे लोगों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने की आवश्यकता थी. हालांकि, ये फिल्म एक बेहतरीन मुद्दे पर आधारित है. एक समस्या पर बात करती है. इसलिए इस फिल्म को एक मौका दिया जा सकता है.
टीओआई में फिल्म पत्रकार धवल रॉय लिखते हैं, ''इसका विषय और विचार भले ही सराहनीय है, लेकिन फिल्म में तन्मयता का अभाव है. 122 मिनट से अधिक समय की फिल्म में कहानी लंबी-खींची और सुस्त लगती है. हालांकि, कुछ मजेदार कॉमेडी सीक्वेंस भी हैं. जैसे कि एक सीन में आत्माराम का पड़ोसी उसे एक अश्लील फिल्म देखते हुए पकड़ लेता है. वह नहीं जानता कि कंप्यूटर को कैसे बंद किया जाए, इसलिए इसका दोष अपने पोते के सिर मढ़ देता है. इसी तरह उनकी बैंकॉक यात्रा के दौरान भी कई अच्छे सीन नजर आते हैं. गजराज राव ने एक बार फिर कॉमिक और इमोशनल सीन्स में अपने दमदार अभिनय से प्रभावित किया है. दिव्येंदु ने भी अच्छा काम किया है, लेकिन उनका चरित्र अविकसित है. आत्माराम की मदद करने का उसका मकसद या प्रेरणा बेतुका है. कहानी कमजोर है. लेकिन प्रभावित करती है. कुल मिलाकर, फिल्म जबरदस्त है.''
फिल्म पत्रकार दीक्षा सिंह लिखती हैं, ''डायरेक्टर मंगेश हदावडे की फिल्म 'थाई मसाज' रिलीज हो गई है. ये एक कॉमेडी ड्रामा फिल्म है. फिल्म की कहानी शुरू होती है 70 साल के आत्माराम दुबे यानी गजराज राव से जिन्हें इरेक्टाइल डायफंक्शन की बीमारी है. उनकी मुलाकात होती है दिव्येंदु शर्मा से जो उन्हें थाईलैंड जाने की सलाह देते है. उनकी सलाह और सहयोग से आत्माराम पासपोर्ट बनवाकर तीर्थयात्रा के बहाने थाईलैंड चले जाते हैं. इस फिल्म में इन दोनों के सनी हिंदुजा, राजपाल यादव, एलिना जेशोबिना मुख्य भूमिका में दिखाई देंगे. बापूजी अपनी इच्छा किस तरह पूरी करेंगे और ये सारा प्लान किस तरह एग्जीक्यूट किया जाएगा यह फिल्म की कहानी है. फिल्म की स्क्रिप्ट में कुछ नया नहीं है और कॉमेडी भी उतनी नहीं दिखी, इंट्रेस्टिंग सब्जेक्ट होने के बावजूद फिल्म एक पॉइंट पर आकर बोरिंग लगने लगती है. औसत से नीचे की फिल्म कही जा सकती है.''
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