कहते है की तन बूढ़ा हो सकता है, लेकिन मन बूढ़ा नहीं होता है. लेकिन हमारे समाज में बुजुर्गों के साथ अजीब व्यवहार किया जाता है. 60 साल की उम्र पार करते ही सरकार भी उन्हें रिटायर कर देती है. मान लिया जाता है कि बुजुर्ग अपने अंतिम दिनों में हैं, ऐसे में उनको धर्मार्थ कार्य करना चाहिए. उनको दूसरे के लिए आइडियल बनना चाहिए. ताकि समाज और परिवार के लोग उन्हें उदाहरण बताकर अपने बच्चों को प्रेरित कर सकें. यहां ये बात कोई नहीं सोचता कि बूढे तन के पीछे एक मन भी है, जो इसी समाज में रहता है. उसकी भी कुछ ख्वाहिशें हो सकती हैं, जिसे वो सामाजिक बंधनों की वजह से भले ही जाहिर न कर सके, लेकिन उसे पूरा करने की तमन्ना तो रहती ही है. इस तरह के विचार पर आधारित एक फिल्म 'थाई मसाज' 11 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है. इसका मजेदार ट्रेलर रिलीज किया गया है.
फिल्म 'थाई मसाज' में जबरदस्त कॉमेडी है. लेकिन इसके साथ एक सोशल मैसेज भी है. ऐसा मैसेज जिसे हर व्यक्ति मिलना चाहिए. क्योंकि इससे उन अवधाराणओं पर करारी चोट होने वाली है, जो बुजुर्गों को सामाजिक बंधनों में बांध देती हैं. उन्हें उनकी जिंदगी उनके हिसाब से जीने नहीं देती हैं. फिल्म का निर्देशन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक मंगेश हडावले ने किया है. उन्होंने इसकी कहानी भी खुद ही लिखी है. मंगेश को उनकी दो फिल्मों 'चलो जीते हैं' और 'देख इंडियन सर्कस' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. इससे पहले उनकी आखिरी फिल्म 'मलाल' 2019 में रिलीज हुई थी, जो बॉक्स ऑफिस पर बहुत ज्यादा सफल नहीं हो पाई. फिल्म 'थाई मसाज' में 'बधाई हो' फेम गजराज राव लीड रोल में हैं. उनके साथ 'मिर्जापुर' फेम दिव्येंदु शर्मा, सनी हिंदुजा, राजपाल यादव और विभा छिब्बर भी अहम किरदार में हैं.
कहते है की तन बूढ़ा हो सकता है, लेकिन मन बूढ़ा नहीं होता है. लेकिन हमारे समाज में बुजुर्गों के साथ अजीब व्यवहार किया जाता है. 60 साल की उम्र पार करते ही सरकार भी उन्हें रिटायर कर देती है. मान लिया जाता है कि बुजुर्ग अपने अंतिम दिनों में हैं, ऐसे में उनको धर्मार्थ कार्य करना चाहिए. उनको दूसरे के लिए आइडियल बनना चाहिए. ताकि समाज और परिवार के लोग उन्हें उदाहरण बताकर अपने बच्चों को प्रेरित कर सकें. यहां ये बात कोई नहीं सोचता कि बूढे तन के पीछे एक मन भी है, जो इसी समाज में रहता है. उसकी भी कुछ ख्वाहिशें हो सकती हैं, जिसे वो सामाजिक बंधनों की वजह से भले ही जाहिर न कर सके, लेकिन उसे पूरा करने की तमन्ना तो रहती ही है. इस तरह के विचार पर आधारित एक फिल्म 'थाई मसाज' 11 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है. इसका मजेदार ट्रेलर रिलीज किया गया है.
फिल्म 'थाई मसाज' में जबरदस्त कॉमेडी है. लेकिन इसके साथ एक सोशल मैसेज भी है. ऐसा मैसेज जिसे हर व्यक्ति मिलना चाहिए. क्योंकि इससे उन अवधाराणओं पर करारी चोट होने वाली है, जो बुजुर्गों को सामाजिक बंधनों में बांध देती हैं. उन्हें उनकी जिंदगी उनके हिसाब से जीने नहीं देती हैं. फिल्म का निर्देशन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक मंगेश हडावले ने किया है. उन्होंने इसकी कहानी भी खुद ही लिखी है. मंगेश को उनकी दो फिल्मों 'चलो जीते हैं' और 'देख इंडियन सर्कस' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. इससे पहले उनकी आखिरी फिल्म 'मलाल' 2019 में रिलीज हुई थी, जो बॉक्स ऑफिस पर बहुत ज्यादा सफल नहीं हो पाई. फिल्म 'थाई मसाज' में 'बधाई हो' फेम गजराज राव लीड रोल में हैं. उनके साथ 'मिर्जापुर' फेम दिव्येंदु शर्मा, सनी हिंदुजा, राजपाल यादव और विभा छिब्बर भी अहम किरदार में हैं.
Thai Massage Movie का ट्रेलर देखिए...
''नाना जी आपके उच्च विचार और आध्यात्म में आपकी रूचि, इन सबसे हमको प्रेरणा मिलती है. आप सच में एक महान व्यक्ति हैं''...फिल्म 'थाई मसाज' के 2 मिनट 50 सेकेंड के ट्रेलर की शुरूआत इसी संवाद के साथ होती है. एक छोटी बच्ची अपने नाना आत्माराम (गजराज राव) से जब ये बात कहती है, तो वो झेंप जाते हैं. परिवार के अन्य सदस्यों की तरफ देखते हुए आत्माराम कहते हैं, ''मैं एक साधारण आदमी हूं, मुझे महान बनाने पर क्यों तुले आप लोग.'' ये संवाद फिल्म की कहानी का सार है. इसका सीधा मतलब है कि एक खास उम्र में जाने के बाद लोग जबरन महान बनाने लगते हैं. बुजुर्ग होने पर लोग उस इंसान में भगवान की खोज करने लगते हैं. ये भूल जाते हैं कि उम्र कोई भी हो, इंसान इंसान ही रहता है. जबरदस्त कॉमेडी के बीच यही खास सामाजिक संदेश इस फिल्म में देने की कोशिश की गई है.
फिल्म 'थाई मसाज' में गजराज राव के किरदार आत्माराम इरेक्टल डायफंक्शन यानी यौन संबध से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे हैं. उनकी पत्नी का निधन हो चुका है. 70 साल उम्र है. लेकिन अंदर यौन संबंध बनाने की इच्छा प्रबल है. सामाजिक दबाव और मानकों की वजह से वो अपनी इच्छा के बारे में किसी से खुलकर बात नहीं कर पाते. एक दिन वो श्मशान के पास खड़े होकर अपनी समस्या के बारे में बोल रहे थे. तभी उनकी बात संतुलन कुमार (दिव्येंदु शर्मा) सुन लेता है. वो उनकी समस्या को समझकर उनकी सहायता करता है. संतुलन के कहने पर आत्माराम परिजनों से झूठ बोलकर थाईलैंड चले जाते हैं. थाईलैंड की पूरी दुनिया में सेक्स टूरिज्म के मशहूर है. वहां वो लड़कियों के साथ जमकर मस्ती करते हैं. अपनी अधूरी ख्वाहिशें पूरी करते हैं. घर के लोग समझते हैं कि वो तीर्थ यात्रा पर गए हैं. घर वापस आने के बाद पासपोर्ट की वजह से उनका भेद खुल जाता है. इसके बाद क्या होता है? परिवार के लोग कैसी प्रतिक्रिया देते हैं? इन सवालों के जवाब जानने के लिए इस फिल्म की रिलीज का इंतजार करना होगा.
हिंदी सिनेमा में बुजुर्गों की जिंदगी को कई एंगल से फिल्मों के माध्यम से दिखाया गया है. 'सारांश', 'आंखों देखी', 'पीकू', 'मुक्ति भवन', 'चीनी कम', 'पा' और '102 नॉटआउट' जैसी फिल्में इसकी प्रमुख उदाहरण हैं. इन फिल्मों में बुजुर्गों के जीवन से जुड़ी अलग-अलग कहानियां दिखाई गई हैं. किसी में कब्ज से परेशान एक पिता की कहानी दिखाई गई है, तो किसी में एक जवान बेटे की लाश को ढोते बूढे कंधे को दिखाया गया है. किसी में बाप-बेटे के रिश्ते पर प्रकाश डाला गया है, तो किसी में बुजुर्ग होने के बाद भी जीवन का आनंद लेते हुए दिखाया गया है. लेकिन 'थाई मसाज' की पहली झलक देखने के बाद ये निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि इन सभी फिल्मों से अलग है. इसमें बुजुर्गों की उन दबी इच्छाओं के बारे में बात की गई है, जिस पर कोई बात नहीं करना चाहता. नैतिकता का लबादा ओढे ये समाज उनको अलग नजरिए से देखता है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.