तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और एक हद तक 'तुनकमिजाज' महिला नेताओं में शामिल जे. जयललिता की बायोपिक 'थलाइवी' (Thalaivi Movie) दर्शकों के लिए सिनेमाघरों में आने को तैयार है. जयललिता के जीवन पर बनी कोई फिल्म तब आई है जब वो अपने प्रशंसकों के बीच नहीं है. थलाइवी सिनेमाघरों में आ तो गई है, मगर महामारी के खौफ में पिछली रिलीज फिल्मों की तरह दर्शकों को सिनेमाघर तक खींचने की सबसे बड़ी चुनौती उसके सामने है. महाराष्ट्र में तो अभी भी सिनेमाघर बंद हैं. साफ़ है कि थलाइवी के कारोबार पर इन चीजों का बुरा असर पड़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
खैर थलाइवी का जो भी हो, लेकिन चार बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी कंगना रनौत एक्टिंग फ्रंट पर एक और 'सफल' मुकाम हासिल करती दिख रही हैं. कंगना ने थलाइवी में जयललिता की भूमिका निभाई है. फिल्म भले ही जयललिता की बायोपिक बताई जा रही है मगर इसमें उनके जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण घटनाओं को छोड़ दिया गया है. उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और जेल जाने की घटना को भी प्रमुखता नहीं दी गई है. फिल्म में जयललिता की फ़िल्मी पारी और राजनीति में उन्होंने जिन मुश्किल हालात का सामना किया ज्यादातर उसे ही फोकस में रखा गया है. अब तक जितनी भी प्रतिष्ठित समीक्षाएं आई हैं उसमें लगभग कुछ ऐसा ही 'मूल्यांकन' है. जयललिता की भूमिका में कंगना के काम की जमकर तारीफ़ दिख रही है.
बॉलीवुड हंगामा ने कंगना की तारीफ़ करते हुए थलाइवी में उनके अभिनय को राष्ट्रीय पुरस्कारों के योग्य माना है. हंगामा ने लिखा- थलाइवी की कहानी हीरोइन से प्रमुख राजनीतिक हस्ती बनने वाली एक लड़की की यात्रा है. एक ऐसी लड़की जिसे आर्थिक हालात की वजह से जिसकी मां ने उसे फिल्मों में भेजा. कंगना ने जयललिता के जीवन के अलग-अलग शेड्स को बेहतरीन तरीके से जिया है और हर रंग में वो जंचती हैं....
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और एक हद तक 'तुनकमिजाज' महिला नेताओं में शामिल जे. जयललिता की बायोपिक 'थलाइवी' (Thalaivi Movie) दर्शकों के लिए सिनेमाघरों में आने को तैयार है. जयललिता के जीवन पर बनी कोई फिल्म तब आई है जब वो अपने प्रशंसकों के बीच नहीं है. थलाइवी सिनेमाघरों में आ तो गई है, मगर महामारी के खौफ में पिछली रिलीज फिल्मों की तरह दर्शकों को सिनेमाघर तक खींचने की सबसे बड़ी चुनौती उसके सामने है. महाराष्ट्र में तो अभी भी सिनेमाघर बंद हैं. साफ़ है कि थलाइवी के कारोबार पर इन चीजों का बुरा असर पड़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
खैर थलाइवी का जो भी हो, लेकिन चार बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी कंगना रनौत एक्टिंग फ्रंट पर एक और 'सफल' मुकाम हासिल करती दिख रही हैं. कंगना ने थलाइवी में जयललिता की भूमिका निभाई है. फिल्म भले ही जयललिता की बायोपिक बताई जा रही है मगर इसमें उनके जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण घटनाओं को छोड़ दिया गया है. उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और जेल जाने की घटना को भी प्रमुखता नहीं दी गई है. फिल्म में जयललिता की फ़िल्मी पारी और राजनीति में उन्होंने जिन मुश्किल हालात का सामना किया ज्यादातर उसे ही फोकस में रखा गया है. अब तक जितनी भी प्रतिष्ठित समीक्षाएं आई हैं उसमें लगभग कुछ ऐसा ही 'मूल्यांकन' है. जयललिता की भूमिका में कंगना के काम की जमकर तारीफ़ दिख रही है.
बॉलीवुड हंगामा ने कंगना की तारीफ़ करते हुए थलाइवी में उनके अभिनय को राष्ट्रीय पुरस्कारों के योग्य माना है. हंगामा ने लिखा- थलाइवी की कहानी हीरोइन से प्रमुख राजनीतिक हस्ती बनने वाली एक लड़की की यात्रा है. एक ऐसी लड़की जिसे आर्थिक हालात की वजह से जिसकी मां ने उसे फिल्मों में भेजा. कंगना ने जयललिता के जीवन के अलग-अलग शेड्स को बेहतरीन तरीके से जिया है और हर रंग में वो जंचती हैं. संक्षेप में उनका काम अवॉर्ड विनिंग परफ़ोर्मेंस है. जाने माने क्रिटिक तरण आदर्श ने भी थलाइवी को हिंदी की बेस्ट बायोपिक करार दिया है. उन्होंने कंगना रनौत और अरविंद स्वामी के किरदार की जमकर तारीफ़ की है. अरविंद ने एमजीआर का किरदार निभाया है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने थलाइवी में कंगना की भूमिका को उत्कृष्ट बताते लिखा- जयललिता के किरदार को बेहद प्रभावी अंदाज में चित्रण प्रस्तुत किया है. थलाइवी में जया के किरदार को बहुत अच्छी तरह से पकड़ा है. उन्होंने जया को चालाकी से कॉपी भर नहीं किया बल्कि उनके टोन और उनकी नॉनसेंस को भी अच्छी तरह से अडॉप्ट किया है. किरदार की बारीकियों खासकर बेख़ौफ़ प्यार करने वाली महिला और लोगों द्वारा तिरस्कृत महिला के रूप में कंगना का अभिनय उत्कृष्ट है. पिंकविला ने लिखा है कि आप उन्हें (कंगना) को प्यार करें या नफरत, लेकिन किसी फिल्म के साथ कंगना के होने की वजह से सिने प्रेमियों की अपेक्षाए बढ़ जाती हैं... कंगना ने बहुत ही शानदार काम किया है. फिल्म ने उनके ताज में एक और पंख जोड़ दिया है.
कमोबेश सभी समीक्षाओं में कंगना के काम की तारीफ़ है. सोशल मीडिया पर यूजर रिएक्शन में भी यह नजर आ रहा है. लेकिन ऐसा भी नहीं कि सभी कंगना की तारीफें ही कर रहे हैं. एनडीटीवी ने थलाइवी को कंगना का शो बताया और उन्हें काफी हद तक किरदार में फिट भी माना, लेकिन समीक्षा में यह सवाल भी पूछा है कि क्या थलाइवी के लिए इतना भर पर्याप्त है? कुछ सीक्वेंस में कंगना के एक्टिंग पर सवाल उठाया गया है. अक्षय कुमार से तुलना करते हेउ थलाइवी को 'प्रोपगेंडा' भी करार दिया है. वैसे यह पीस लिखे जाने तक कई और प्रतिष्ठित मीडिया समूहों की समीक्षाएं नहीं आई हैं.
कुल मिलाकर कंगना की थलाइवी को लेकर अच्छा माहौल बनता दिख रहा है. प्रतिक्रियाएं एक बेहतर वर्ड ऑफ़ माउथ तैयार करने में मददगार होंगी. लेकिन अच्छा कंटेंट होने के बावजूद अक्षय कुमार की बेलबॉटम का बॉक्स ऑफिस हश्र ठीक नहीं था. हिंदी क्षेत्र में थलाइवी का पूरा दारोमदार कंगना के कंधो पर ही है. फिल्म को हिंदी के साथ तमिल और तेलुगू में भी रिलीज किया गया है. थलाइवी में कंगना के साथ अरविंद स्वामी, नासर और राज अर्जुन अहम भूमिकाओं में हैं. थलाइवी का निर्देशन एल विजय ने किया है.
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