मुग़ल साम्राज्य पर आधारित डिजनी प्लस हॉटस्टार का शो द एम्पायर (The Empire web series) सुर्ख़ियों में है. पहले सीजन में बाबर की कहानी दिखाई जा रही है. ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर बहस एक दूसरा विषय है. मगर यह जान लेना जरूरी है कि मुगलिया सल्तनत पर आधारित डिजनी का शो इतिहास के संदर्भ को समेटकर लिखी गई एक काल्पनिक किताब पर आधारित है. और मुग़ल इसमें नायक की तरह सामने आते हैं. पहला सीजन विषय की वजह से तो चर्चा में है ही, कलाकारों का काम भी लोगों का ध्यान खींच रहा है. खासकर कुणाल कपूर, शबाना आजमी, डिनो मोरिया और दृष्टि धामी का अभिनय. कुणाल और डिनो दो अहम किरदारों में हैं. दोनों की तुलना भी की जा रही है.
स्वाभाविक रूप से पहले सीजन का सबसे अहम किरदार बाबर है. हालांकि द एम्पायर का बाबर, इतिहास की किताबों और बाबरनामा से काफी अलग नजर आता है. और इसकी वजह उस किताब की काल्पनिक चीजें हैं जहां से प्रेरित होकर कहानी उठाई गई है. अलेक्स रदरफोर्ड ने बाबर को लेकर जो फिक्शन लिखा है उसमें बाबर स्थापित पहलुओं से बिल्कुल अलग दिखता है. उसके दो रूप नजर आते हैं. एक तो वो तैमूर-चंगेज की परंपरा में एक बहादुर, कुशल जंगजू है, मकसद के लिए जंगों में खून बहाता और शहर दर शहर लूटपाट करता दिखता है. दूसरा यह भी कि उसमें एक इंसान है. इंसान जज्बाती नर्मदिल और कवि मिजाज है. कुनबे को बेइंतहा प्यार करता है और उसके लिए किसी भी हद तक जा सकता है. कहने की जरूरत नहीं कि किसी इंसान में दो अलग ध्रुव की विशेषताएं उसे जटिल बना देती हैं.
द एम्पायर में बाबर का किरदार असल में सबसे ज्यादा जटिल है. उसके कई लेयर जो हैं. कुणाल की तारीफ़ करना चाहिए कि उन्होंने इसे बखूबी निभाया है. डिजनी की सीरीज में बाबर का जो रूप है, कुणाल उसके खांचे में बिल्कुल सटीक बैठते हैं. दो अलग मिजाज की जद्दोजहद को उन्होंने बखूबी जिया है. जब खानजादा शयबानी की कैद में रहती है, बाबर के अंदर का हताश इंसान और एक फैमिली मैन की भावनाएं चरम पर दिखती हैं. पिता के मौत की सच्चाई जानकार बाबर का जज्बाती रूप अलग ही शेड लिए आता है....
मुग़ल साम्राज्य पर आधारित डिजनी प्लस हॉटस्टार का शो द एम्पायर (The Empire web series) सुर्ख़ियों में है. पहले सीजन में बाबर की कहानी दिखाई जा रही है. ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर बहस एक दूसरा विषय है. मगर यह जान लेना जरूरी है कि मुगलिया सल्तनत पर आधारित डिजनी का शो इतिहास के संदर्भ को समेटकर लिखी गई एक काल्पनिक किताब पर आधारित है. और मुग़ल इसमें नायक की तरह सामने आते हैं. पहला सीजन विषय की वजह से तो चर्चा में है ही, कलाकारों का काम भी लोगों का ध्यान खींच रहा है. खासकर कुणाल कपूर, शबाना आजमी, डिनो मोरिया और दृष्टि धामी का अभिनय. कुणाल और डिनो दो अहम किरदारों में हैं. दोनों की तुलना भी की जा रही है.
स्वाभाविक रूप से पहले सीजन का सबसे अहम किरदार बाबर है. हालांकि द एम्पायर का बाबर, इतिहास की किताबों और बाबरनामा से काफी अलग नजर आता है. और इसकी वजह उस किताब की काल्पनिक चीजें हैं जहां से प्रेरित होकर कहानी उठाई गई है. अलेक्स रदरफोर्ड ने बाबर को लेकर जो फिक्शन लिखा है उसमें बाबर स्थापित पहलुओं से बिल्कुल अलग दिखता है. उसके दो रूप नजर आते हैं. एक तो वो तैमूर-चंगेज की परंपरा में एक बहादुर, कुशल जंगजू है, मकसद के लिए जंगों में खून बहाता और शहर दर शहर लूटपाट करता दिखता है. दूसरा यह भी कि उसमें एक इंसान है. इंसान जज्बाती नर्मदिल और कवि मिजाज है. कुनबे को बेइंतहा प्यार करता है और उसके लिए किसी भी हद तक जा सकता है. कहने की जरूरत नहीं कि किसी इंसान में दो अलग ध्रुव की विशेषताएं उसे जटिल बना देती हैं.
द एम्पायर में बाबर का किरदार असल में सबसे ज्यादा जटिल है. उसके कई लेयर जो हैं. कुणाल की तारीफ़ करना चाहिए कि उन्होंने इसे बखूबी निभाया है. डिजनी की सीरीज में बाबर का जो रूप है, कुणाल उसके खांचे में बिल्कुल सटीक बैठते हैं. दो अलग मिजाज की जद्दोजहद को उन्होंने बखूबी जिया है. जब खानजादा शयबानी की कैद में रहती है, बाबर के अंदर का हताश इंसान और एक फैमिली मैन की भावनाएं चरम पर दिखती हैं. पिता के मौत की सच्चाई जानकार बाबर का जज्बाती रूप अलग ही शेड लिए आता है. जबकि बाबर जंग के मैदान में दूसरे ही रूप में दिखता है. कत्लेआम करता हुआ. निश्चित ही बादशाह बाबर और "खानाबदोश" बाबर दो अलग स्थितियां थीं जिन्हें कुणाल ने ईमानदारी से कर दिखाया है.
द एम्पायर में बाबर का प्रतिद्वंद्वी और मुख्य विलेन शयबानी है. शयबानी असल में चंगेज और तैमूर की परंपरा का असभ्य, वहशी और खूंखार उज्बेक लड़ाका है. शयबानी का किरदार डिनो मोरिया ने निभाया है जिसे बाबर या खानजादा की तरह जटिल नहीं कहा जा सकता. डिनो मोरिया की तारीफ़ की जानी चाहिए कि एकरंगी भूमिका को उन्होंने आखिर तक दिलचस्प बनाए रखा. कई फ्रेम में वो भयावह दिखे हैं. उनके कुछ क्लोजअप शॉट्स तो बेहतरीन बन पड़े हैं. बाबर के सौतेले भाई को ताज पहनाने का बाद चारो तरफ घूमने का सीक्वेंस डरावना है. जब पहली बार शयबानी का सामना बाबर के परिवार से होता है तब भी वह वहशी नजर आता है. द एम्पायर में ऐसे बहुत से डरावने फ्रेम हैं जहां डिनो मोरिया पागलपन की हद पर नजर आते हैं. इसका असर ये हुआ कि बाबर के रोल में कुणाल के नायक होने के बावजूद डिनो बाजी मार ले जाते हैं. उन फ्रेम्स में जिसमें कुणाल और डिनो दोनों साथ हैं, फर्क साफ़ दिख जाता है. कहीं ना कहीं कुणाल उनके सामने कमजोर नजर आते हैं.
पहले सीजन में जब डिनो मोरिया का एक्ट ख़त्म हो जाता है उनकी कमी खलती है. हालांकि कुछ लोग डिनो मोरिया पर पद्मावत में खिलजी की भूमिका निभाने वाले रणवीर सिंह की नक़ल का आरोप लगा रहे हैं. वैसे एक ही शेड लगभग एक जैसी भूमिका के लिहाज से तुलना स्वाभाविक है लेकिन डिनो मोरिया की मेहनत को कमतर नहीं आंका जा सकता. डिनो मोरिया सचमुच शयबानी की भूमिका में हैरान करते हैं. एक्टर ने अब तक कई फ़िल्में की हैं, मगर शयबानी की भूमिका को उनका बेस्ट किरदार माना जा सकता है.
अगर बाबर के अलावा द एम्पायर के दूसरे सबसे जटिल और मल्टी लेयर्ड किरदारों की बात करें तो खानजादा और हरम में उसके सेवक में दिखता है. दृष्टि धामी ने खानजादा की भूमिका निभाई है. जबकि आयाम मेहता ने उनके सेवक की. शबाना आजमी ने तो लाजवाब काम किया ही है. राहुल देव और दूसरे कलाकारों ने भी अच्छा प्रयास किया है. द एम्पायर की कास्टिंग और अभिनय पक्ष वाकई देखने लायक है.
द एम्पायर को निखिल आडवाणी ने क्रिएट किया है. निर्देशन मीताक्षरा कुमार का है. पटकथा भवानी अय्यर का है. शो 27 अगस्त से डिजनी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रहा है. पहले सीजन में 8 एपिसोड हैं. द एम्पायर में बाबर से औरंगजेब तक की कहानी दिखाने की तैयारी है. पहले सीजन की कहानी में बाबर के बचपन से हिंदुस्तान में मुग़ल सल्तनत की नींव डालने और हुमायूं के उत्तराधिकार की घोषणा तक की कहानी को दिखाया गया है.
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