कश्मीर में हिंदूओं के नरसंहार और पंडितों के पलायन के दर्दनाक दास्तान पर आधारित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' अपने विषय और कलाकारों के बेहतरीन अभिनय प्रदर्शन की वजह से चर्चा में है. फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, दर्शन कुमार, पल्लवी जोशी, पुनीत ईस्सर, चिन्मय मांडलेकर, प्रकाश बेलवाडी और अतुल श्रीवास्तव जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. इसमें तीन कलाकार तीन अहम किरदारों में हैं, जिसमें कृष्णा पंडित के किरदार में दर्शन कुमार, पुष्करनाथ पंडित के किरदार में अनुपम खेर और प्रोफेसर राधिका मेनन के किरदार में पल्लवी जोशी को देखा जा सकता है. इन सबके बीच पल्लवी जोशी का किरदार सबसे ज्यादा मुश्किल है. क्योंकि बतौर फिल्म मेकर पल्लवी ने चार साल तक कहानी पर रिसर्च किया है. इस दौरान 700 कश्मीरी पंडितों का वीडियो इंटरव्यू किया है. करीब दो महीने तक हर रोज वो कश्मीरी पंडितों के दर्द से रूबरू होती रही हैं. लेकिन जब फिल्म बननी शुरू हुई, तो इन सब भावनाओं के विपरीत उनको एक ऐसा किरदार करना था, जो कश्मीर की आजादी की बात करता है, जो आतंकियों का समर्थन करता है.
"कश्मीर कभी भी भारत का अभिन्न अंग नहीं रहा है. यह एक ऐतिहासिक तथ्य है. यदि इंडिया ब्रिटेन से अपनी इंडिपेंडेंस के लिए लड़ सकता है तो कश्मीर क्यों नहीं?''...यह डायलॉग पल्लवी जोशी के किरदार प्रोफेसर राधिका मेनन का है. यदि किसी ने फिल्म नहीं भी देखी है, तो भी इससे यह अंदाजा लगा सकता है कि राधिका मेनन का किरदार कैसा होगा. राधिका मेनन देश की राजधानी दिल्ली में बैठी कश्मीर के अलगाववादियों की प्रवक्ता की तरह होती है, जो कश्मीर की आजादी की बात करती है. एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी के हजारों बच्चों को अपने ही देश के...
कश्मीर में हिंदूओं के नरसंहार और पंडितों के पलायन के दर्दनाक दास्तान पर आधारित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' अपने विषय और कलाकारों के बेहतरीन अभिनय प्रदर्शन की वजह से चर्चा में है. फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, दर्शन कुमार, पल्लवी जोशी, पुनीत ईस्सर, चिन्मय मांडलेकर, प्रकाश बेलवाडी और अतुल श्रीवास्तव जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. इसमें तीन कलाकार तीन अहम किरदारों में हैं, जिसमें कृष्णा पंडित के किरदार में दर्शन कुमार, पुष्करनाथ पंडित के किरदार में अनुपम खेर और प्रोफेसर राधिका मेनन के किरदार में पल्लवी जोशी को देखा जा सकता है. इन सबके बीच पल्लवी जोशी का किरदार सबसे ज्यादा मुश्किल है. क्योंकि बतौर फिल्म मेकर पल्लवी ने चार साल तक कहानी पर रिसर्च किया है. इस दौरान 700 कश्मीरी पंडितों का वीडियो इंटरव्यू किया है. करीब दो महीने तक हर रोज वो कश्मीरी पंडितों के दर्द से रूबरू होती रही हैं. लेकिन जब फिल्म बननी शुरू हुई, तो इन सब भावनाओं के विपरीत उनको एक ऐसा किरदार करना था, जो कश्मीर की आजादी की बात करता है, जो आतंकियों का समर्थन करता है.
"कश्मीर कभी भी भारत का अभिन्न अंग नहीं रहा है. यह एक ऐतिहासिक तथ्य है. यदि इंडिया ब्रिटेन से अपनी इंडिपेंडेंस के लिए लड़ सकता है तो कश्मीर क्यों नहीं?''...यह डायलॉग पल्लवी जोशी के किरदार प्रोफेसर राधिका मेनन का है. यदि किसी ने फिल्म नहीं भी देखी है, तो भी इससे यह अंदाजा लगा सकता है कि राधिका मेनन का किरदार कैसा होगा. राधिका मेनन देश की राजधानी दिल्ली में बैठी कश्मीर के अलगाववादियों की प्रवक्ता की तरह होती है, जो कश्मीर की आजादी की बात करती है. एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी के हजारों बच्चों को अपने ही देश के खिलाफ बरगलाकर कश्मीर को अलग देश बनाने की मांग करती है. देश के गद्दारों और आतंकियों की पैरोकार होती है. वो इस तरह का नैरेटिव गढ़ती है, जिससे की अलगाववादी किसी क्रांतिकारी की तरह प्रतीत होते हैं. भारतीय फौज खलनायक नजर आती है. फिल्म में राधिका मेनन की दलीलें सुनने के बाद समझ में आता है कि 32 साल तक कैसे कश्मीरी पंडितों के दर्द, पीड़ा, संघर्ष और आघात को दबाए रखा गया, कैसे पूरा देश इतने बड़े नरसंहार के बारे में अभी तक जान नहीं पाया है?
कोई जब एक खास तरह के मनोभाव में जी रहा हो. किसी के दर्द में शामिल होकर उसकी पीड़ा महसूस कर रहा हो. ऐसे वक्त में अचानक उन भावनाओं के ठीक विपरीत दर्द देने वाले व्यक्ति का किरदार करना पड़ जाए, तो समझिए उस कलाकार की स्थिति क्या होगी. यही हाल फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' में पल्लवी जोशी का हुआ है. उन्होंने अपनी दोहरी जिम्मेदारी को जिस ईमानदारी के साथ निभाया है, उसकी दाद देनी पड़ेगी. उन्होंने दो तरह के किरदार निभाए हैं. दोनों एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत हैं. दोनों में उनका प्रभाव इतना व्यापक है कि फिल्म में वो अलग से उभर कर सामने आ गई है. एक फिल्म मेकर के रूप में अपने विषय की बेहतरीन प्रस्तुती, तो दूसरी तरफ प्रोफेसर राधिका मेनन के किरदार में उन लोगों को उजागर किया है, जिन्होंने कश्मीर के खिलाफ निगेटिव नैरेटिव गढ़ा और आतंकियों के मददगार बने. राधिका मेनन के किरदार को देखकर तो मानो नफरत सी हो जाती है. यही उनके बेहतरीन अभिनय का प्रमाण भी है. खुद पल्लवी भी कहती हैं, ''मैंने जानबूझकर ऐसा किरदार किया हैं. मैं चाहती हूं कि हर भारतीय मेरे किरदार से नफरत करे.''
प्रोफेसर राधिका मेनन का किरदार असल जिंदगी में जवाहर लाल नेहरू में पढ़ाने वाली प्रोफेसर निवेदिता मेनन से प्रेरित है. निवेदिता सेंटर फॉर कंपरेटिव पॉलिटिक्स एंड पॉलिटिकल थॉट की प्रोफेसर हैं. उन पर कश्मीर के अलगाववादियों का समर्थन करने का आरोप लगता रहा है. साल 2016 में उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वो ये कहती हुई नजर आ रही हैं, ''दुनिया में माना जाता है कि भारत ने गैरकानूनी तौर पर कश्मीर पर कब्जा किया है. अक्सर ऐसे नक्शे प्रकाशित होते हैं, जिसमें दिखाया जाता है कि कश्मीर भारत का अंग नहीं है. देश में इस तरह की पत्रिकाओं को कभी जला दिया जाता है या फिर सेंसर कर दिया जाता है, जिससे वह हमारे पास पहुंच ही नहीं पाती हैं. जब दुनियाभर में कश्मीर पर भारत के गैरकानूनी कब्जे की बात हो रही है तो हमें सोचना चाहिए कि कश्मीर की आजादी नारा गलत नहीं है. यह नारा एकदम जायज है.'' पल्लवी जोशी ने अपने किरदार के जरिए पूरी बात को इसी तरह बोला है. उनका मानना है कि लोगों को समझ में आना चाहिए कि किस तरह कश्मीर और वहां के हिंदूओं के खिलाफ इंटरनेशनल प्रोपेगेंडा चलाया गया.
पल्लवी जोशी के किरदार को देखते हुए प्रो. निवेदिता मेनन का वीडियो वायरल हो रहा है:
मूलत: टेलीविजन इंडस्ट्री में अपने काम के लिए मशहूर पल्लवी जोशी को फिल्म इंडस्ट्री में असली पहचान साल 2016 में रिलीज हुई फिल्म 'बुद्धा इन ए ट्रैफिक जाम' से मिली थी. इसमें इन्होंने अपने किरदार शीतल बटकी को बेहतरीन तरीके से निभाया था. साल 2019 में रिलीज हुई विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द ताशकंद फाइल्स' में भी उनको किरदार को काफी सराहा गया था. इस फिल्म के लिए बेस्ट सपोर्टिंग रोल का नेशनल फिल्म अवॉर्ड भी मिला था. पल्लवी जोशी की शादी द कश्मीर फाइल्स के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री से हुई है. इसिलए दोनों पति-पत्नी ने इस फिल्म के बहुत मेहनत की है. फिल्म बनाने से पहले करीब चार साल तक दोनों ने इसकी कहानी पर रिसर्च किया है. इस दौरान पल्लवी अपने फिल्म मेकर पति विवेक के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चली हैं. अब जब फिल्म काफी मशहूर हो चुकी है, तो भी दोनों को एक साथ प्रमोशन करते हुए देखा जा सकता है.
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