बॉलीवुड के इतिहास में ऐसा कभी देखने को नहीं मिला है. दर्शक किसी फिल्म को देखने की मांग करें और सालभर के भीतर ही उसे दूसरी बार व्यापक रूप से रिलीज कर दी जाए. लेकिन हिंदी सिनेमा की पीपुल्स ब्लॉकबस्टर 'द कश्मीर फाइल्स' इस मामले में एक नया इतिहास लिखने को तैयार है. असल में कॉमर्शियल फिल्म ना होते हुए भी द कश्मीर फाइल्स ने जिस तरह कारोबारी सफलता हासिल की थी, उसने समूचे फिल्म सर्किल को हैरान कर दिया था. देसी बॉक्स ऑफिस पर पर्याप्त स्क्रीन नहीं होने के बावजूद विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी फिल्म ने ढाई सौ करोड़ से ज्यादा का कारोबार किया था. दुनियाभर के दर्शकों ने फिल्म को सपोर्ट किया था, मगर बॉलीवुड के कुछ अकडू लोगों ने उसकी चर्चा तक नहीं की. बल्कि कई ने प्रोपगेंडा करार दिया था. रिलीज के बाद से अब तक ऐसा कोई हफ्ता नहीं बीता है कि द कश्मीर फाइल्स की किसी ना किसी बहाने भारतीय समाज और राजनीति में चर्चा ना हुई हो.
जाहिर सी बात है कि फिल्म को दर्शकों की एक बड़ी आबादी देख नहीं पाई थी. लंबे वक्त से मांग की जा रही थी कि कोरोना के बाद नॉर्मल हुए माहौल में फिल्म को एक बार फिर से रिलीज किया जाए. मेकर्स ने शायद दर्शकों की मांग का ख्याल करते हुए इसे फिर से री-रिलीज करने का फैसला किया है. फिल्म रिपब्लिक डे वीक पर 19 जनवरी यानी आज सिनेमाघरों में रिलीज की गई है. एडवांस बुकिंग भी शुरू हो चुकी है. हालांकि जिस तरह पहली बार रिलीज के वक्त उसे स्क्रीन नहीं दिए गए थे, दोबारा रिलीज के वक्त भी हालात कुछ-कुछ वैसे ही नजर आ रहे हैं. एडवांस बुकिंग से पता चल रहा है कि फिल्म को दिन में महज एक शो दिया गया है. पब्लिक ब्लॉकबस्टर रही और बेहतरीन कमाई कर चुकी फिल्म को जिस तरह से स्क्रीन दिया गया है वह एक तरह से अपर्याप्त ही कहा जाएगा. लेकिन इतना तय है कि पहले की तरह दूसरी मर्तबा भी मल्टीप्लेक्स को द कश्मीर फाइल्स की शोकेसिंग बढ़ानी पड़ेगी.
द कश्मीर फाइल्स
वैसे फिल्म के दोबारा रिलीज होने की खबर सामने आने के बाद लोगों का उत्साह चरम पर है. ट्विटर पर तमाम लोग कहते सुने जा सकते हैं कि वे दोबारा भी यह फिल्म देखना चाहते हैं. कई दर्शक तो ऐसे हैं जो बता रहे हैं कि परिवार सहित द कश्मीर फाइल्स देखने के लिए उन्होंने पहली बार बहुत सारे पैसे खर्च किए थे. और अब फिर समूह में फिल्म देखने के लिए तैयार हैं. बताने की जरूरत नहीं कि जब पहली बार फिल्म आई थी लोगों का समूह किस तरह सिनेमाघरों में पहुंच रहा था. बॉलीवुड के इतिहास में दर्शकों की की ऐसी गोलबंदी कभी नजर नहीं आई थी. सिनेमाघर तीर्थ बन गए थे. बसों और ट्रैक्टरों में भर-भरकर लोग कश्मीर फाइल्स देखने पहुंचे थे.
कश्मीर में म्यांम्यार के रोहिंग्या शरणार्थियों को बसा दिया गया पर विस्थापित हिंदू शिविरों में रहने को विवश
द कश्मीर फाइल्स कश्मीर में आतंक की वह कहानी दिखाई गई है जिसकी चर्चा घाटी से बाहर लगभग हुई ही नहीं. बावजूद कि वहां आतंकियों ने बड़े पैमाने पर कश्मीरी पंडितों, सिखों और दूसरे हिंदुओं की हत्याएं की थीं. उससे मिलती जुलती हत्याएं अभी तक अक्सर देखने को मिलती हैं. आज भी लोगों को अपना घरबार छोड़कर कश्मीर से भाग जाने पर विवश किया जाता है जैसे 33 साल पहले किया गया था. सिलसिला थमा नहीं है. लोग अपने ही देश में शरणार्थी शिविरों में पहुंच गए. आतंकवाद की वजह से विस्थापित हुए कश्मीरी हिंदुओं का दर्द यह है कि वे अपने घरों में वापस नहीं लौट पाए, लेकिन शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमानों को जम्मू-कश्मीर में बहुत व्यापक तरीके से बसाया गया. आतंक का सबसे तीखा घाव सहने वाला हिंदुओं का समूह ठगा महसूस कर रहा है. द कश्मीर फाइल्स में उन्हीं घावों की सच्ची दास्तान है. जिसे सेकुलर राजनीति में भरोसा रखने वाली राजनीति प्रोपगेंडा करार देती है.
असल में फिल्म की कहानी 90 के दशक में घाटी के हिंदुओं खासकर पंडितों को निर्णायक रूप से भगाने और उनके नरसंहार को लेकर है. कश्मीर में लंबे वक्त से अलगाववाद की चिंगारी भड़क रही थी. भारत की सरकार ने आंख पर पट्टी बांध ली और वहां की राजनीति, पुलिस और आतंकियों का नेक्सस कश्मीर को भारत से विभाजित करने के लिए गैरमुस्लिम अल्पसंख्यकों का नरसंहार और हत्याओं का नंगा नाच करने लगा. इसमें ऐसे ही एक परिवार की कहानी को केंद्र में रखा गया. पड़ोसियों की निशानदेही पर घरों पर हमला कर पाशविक तरीके से उनके परिजनों का कत्लेआम किया गया था. विवेक की फिल्म में कश्मीर की घटना और उसके आसपास कश्मीरी नेताओं अफसरों और पुलिस की भूमिका की ईमानदार पड़ताल नजर आती है.
आज ही के दिन 33 साल पहले कश्मीर में हिंदुओं का नरसंहार किया गया था. भयावह नरसंहार. सोशल मीडिया पर कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार की बरसी पर ट्रेंड नजर आ रहा है. लोग घाटी में नरसंहारों को याद कर रहे हैं और एक बेहतरीन फिल्म बनाने के लिए विवेक अग्निहोत्री की तारीफ़ भी कर रहे हैं.
कश्मीर फाइल्स को टिकट खिड़की पर क्लैश से गुजरना पड़ेगा
फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी, दर्शन कुमार, चिन्मय मांडलेकर आदि ने अहम भूमिकाएं निभाई थीं. अनुपम खेर, पल्लवी, दर्शन कुमार और मिथुन की भूमिकाओं की खूब चर्चा हुई थी. अनुपम खेर ने तो हिलाकर रख दिया था. कश्मीर फाइल्स दूसरी बार टिकट खिड़की पर क्या करिश्मा दिखाएगी- यह भविष्य के गर्भ में है. वैसे उसे टिकट खिड़की पर क्लैश से गुजरना होगा. क्योंकि एन. बालकृष्ण की तेलुगु ब्लॉकबस्टर अखंडा को भी 20 जनवरी के दिन हिंदी में रिलीज किया जा रहा है. मास एंटरटेनर अखंडा किसी भी फिल्म के लिए चुनौती है. जबकि 25 जनवरी को ही शाहरुख खान की फिल्म पठान भी सिनेमाघरों में रिलीज होगी.
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