स्त्रियों को सृजन और जीवन चक्र के बीच की धुरी कहा जाता है. स्त्री केवल संतति नहीं, एक सेहतमंद समाज की वाहक भी हैं. ऐसे में उनका खुद का बदहाल स्वास्थ्य हताशा और कुंठा को जन्म देता है. स्वास्थ्य संबंधी देखभाल की सबसे अधिक जरूरत देश की आधी आबादी को है. लेकिन आश्चर्यजनक है कि पूरी आबादी में से आधी आबादी ही स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है. आज भी नारी स्वास्थ्य संबंधी बातों पर न खुलकर बात की जाती है न खास ख्याल रखा जाता है.
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विचार हैं कि "किसी भी देश और समाज का मूल्यांकन वहां की महिलाओं की स्थिति से किया जाता है. इसे दुनिया भर में सामाजिक विकास के एक पैमाने के तौर पर देखा जा सकता है. संविधान निर्माताओं ने निश्चित ही आधी आबादी के स्वास्थ्य को विमर्श के मुख्य रखा. परिणामस्वरूप राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति साकार हो पाई."
भारत में सिनेमा का बहुत प्रभाव है. आज के युवा सिनेमा जगत की फिल्मों से बहुत कुछ अर्जित करते हैं. भारतीय सिनेमा ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर फ़िल्में बनाई है. इन फिल्मों का समाज पर भी असर पड़ता है इसलिए कई फिल्में समाज को देखकर बनाई जाती हैं. लेकिन जो चीजें हम खुद से देखकर इग्नोर कर देते हैं, फिल्में पर्दे पर उसे लाकर बताती हैं कि यह मुद्दा कितना बड़ा है. इसी तरह बॉलीवुड में नारी स्वास्थ्य और महिलाएं की विल पावर पर कई फ़िल्में बनी हैं. चलिए जानते हैं नारी स्वास्थ्य को दर्शाती कुछ फिल्मों के बारे में.
हीरोइन
फिल्म की पूरी कहानी माही अरोड़ा (करीना कपूर) के इर्द गिर्द घूमती है. फिल्म में एक लड़की के फिल्मों में आने से लेकर सुपरस्टार तक बनने तक की कहानी को...
स्त्रियों को सृजन और जीवन चक्र के बीच की धुरी कहा जाता है. स्त्री केवल संतति नहीं, एक सेहतमंद समाज की वाहक भी हैं. ऐसे में उनका खुद का बदहाल स्वास्थ्य हताशा और कुंठा को जन्म देता है. स्वास्थ्य संबंधी देखभाल की सबसे अधिक जरूरत देश की आधी आबादी को है. लेकिन आश्चर्यजनक है कि पूरी आबादी में से आधी आबादी ही स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है. आज भी नारी स्वास्थ्य संबंधी बातों पर न खुलकर बात की जाती है न खास ख्याल रखा जाता है.
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विचार हैं कि "किसी भी देश और समाज का मूल्यांकन वहां की महिलाओं की स्थिति से किया जाता है. इसे दुनिया भर में सामाजिक विकास के एक पैमाने के तौर पर देखा जा सकता है. संविधान निर्माताओं ने निश्चित ही आधी आबादी के स्वास्थ्य को विमर्श के मुख्य रखा. परिणामस्वरूप राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति साकार हो पाई."
भारत में सिनेमा का बहुत प्रभाव है. आज के युवा सिनेमा जगत की फिल्मों से बहुत कुछ अर्जित करते हैं. भारतीय सिनेमा ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर फ़िल्में बनाई है. इन फिल्मों का समाज पर भी असर पड़ता है इसलिए कई फिल्में समाज को देखकर बनाई जाती हैं. लेकिन जो चीजें हम खुद से देखकर इग्नोर कर देते हैं, फिल्में पर्दे पर उसे लाकर बताती हैं कि यह मुद्दा कितना बड़ा है. इसी तरह बॉलीवुड में नारी स्वास्थ्य और महिलाएं की विल पावर पर कई फ़िल्में बनी हैं. चलिए जानते हैं नारी स्वास्थ्य को दर्शाती कुछ फिल्मों के बारे में.
हीरोइन
फिल्म की पूरी कहानी माही अरोड़ा (करीना कपूर) के इर्द गिर्द घूमती है. फिल्म में एक लड़की के फिल्मों में आने से लेकर सुपरस्टार तक बनने तक की कहानी को दर्शाया गया है. फिल्म में माही को एक तेज तर्रार, गुस्से वाली, इमोशनल लड़की दिखाया गया है जो छोटी-छोटी बात पर खुश हो जाती है तो उतनी ही जल्दी गुस्सा भी. माही अपने गुस्से और एंग्जाइटी के लिए ट्रीटमेंट भी लेती है.
नायिका को समय-समय पर दवाइयों की जरूरत पड़ती रहती है क्योंकि वो टेंशन में आते ही बेचैन होने लगती है. इसी के चलते फिल्म इंडस्ट्री उन्हें डैमेज और अनस्टेबल का लेबल लगा देती है. माही की मानसिक समस्याएं उसका करियर खत्म होने की कगार पर ला देती हैं. माही एक सुरपस्टार है लेकिन हिंदी फिल्मों में लड़कियां कम समय तक ही सुपरस्टार बनी रह सकती हैं. ऐसा ही माही के साथ होता है. फिल्म की कहानी बॉलीवुड की असलियत को उजागर करती है. फिल्म में माही बिना हार माने आखिर तक लड़ती रहती है. हीरोइन आम लड़की से सुपरस्टार और सुपरस्टार से आम लड़की बनने की कहानी है.
अनजाना-अनजानी
अंजाना अंजानी सिद्धार्थ आनंद द्वारा निर्देशित और साजिद नाडियाडवाला द्वारा निर्मित 2010 की एक रोमांटिक कॉमेडी ड्रामा फिल्म है. फिल्म में रणबीर कपूर और प्रियंका चोपड़ा मुख्य भूमिका में हैं. फिल्म को संगीत विशाल-शेखर ने दिया है. इसमें रणबीर कपूर (आकाश) को बैंकर और प्रियंका चोपड़ा (कियारा) को धोखेबाज लड़की के रूप में दिखाया गया है.
आकाश एक्यूट स्ट्रेस डिसऑर्डर से पीड़ित हैं और कियारा एडजस्टमेंट डिसऑर्डर से पीड़ित हैं. आकाश और कियारा मानसिक बीमारी के कारण आत्महत्या करना चाहते हैं, वे कोशिश करते हैं, लेकिन सफल नहीं हो पाते हैं. इसी बीच दोनों मिलते हैं. पहले दोस्ती होती है, जो बाद में प्यार में बदल जाती है. दोनों का प्यार एक दूसरे के लिए दवा का काम करता है और धीरे-धीरे मानसिक बीमारी खत्म हो जाती है.
डियर जिंदगी
बॉलीवुड ड्रामा फिल्म 'डियर जिंदगी' में शाहरुख खान, आलिया भट्ट, कुनाल कपूर और अंगद बेदी मुख्य भूमिका मे हैं. फिल्म की पूरी कहानी एक लड़की कियारा (आलिया भट्ट) को केंद्र में रखती है. कियारा को तीन बार प्यार होता है और तीनों बार वो अलग अलग नज़रिए का अनुभव करती है. अपने आखिरी प्यार से अलग होने के बाद वो अपनी जिंदगी, कमिटमेंट और रिलेशनशिप को लेकर असमंजस में आ जाती है और ये असमंजस उसे धीरे-धीरे डिप्रेशन में ले जाती है.
इसी दौरान उसकी भेंट एक मेंटल हेल्थ और अवेयरनेस सेमीनार में डॉ जग्स उर्फ जहांगीर (शाहरुख खान) से होती है, जो साइकोलॉजिस्ट हैं. उनसे बातचीत और काउंसलिंग के बाद कियारा की जिंदगी पटरी पर लौट आती है.
मार्गरिटा विद द ए स्ट्रॉ
'मार्गरिटा विद ए स्ट्रा’ फिल्म एक भावनात्मक सफर है, जिससे गुजरते हुए आप एक स्त्री की भावनाओं और दुख को मसहूस कर सकेंगे. फिल्म में लैला यानी कल्कि कोचलिन सेलिब्रल पेल्सी से ग्रसित दिखाई गई हैं. इस बीमारी में आदमी के अंग हिल-डुल नहीं पातें है, लेकिन दिमाग एक सामन्य व्यक्ति के जैसे ही काम करता है. प्रेम-रोमांस सभी भावनाएं उसमें होती हैं. इसी तरह लैला को भी म्यूजिक अच्छा लगता है. अपने शौक को पूरा करने के लिए वो अपने म्यूज़िक बैंड के लिए गीत लिखती हैं. लैला अपनी मां (रेवती) के बहुत करीब हैं. एक तरह से कहा जाए कि उसकी मां उसकी सुख-दुख की साथी बनी होती है.
फिल्म की नायिका शोनाली ने कल्कि के किरदार को अपाहिज नहीं बल्कि जीवंत दिखाया है. जो सेलिब्रल पल्सी से पीड़ित होने के बाद भी क्रिएटिव और इमोशन लेवल पर काफी हद्द तक सक्षम है. वर्ष 2015 की रिलीज इस फिल्म के जरिए शोनाली बोस ने सेरेब्रल बीमारी के बारे में लोगों को अवगत कराया है.
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