यशराज फिल्म्स के बैनर की एक बड़ी पहचान हिंदी सिनेमा के इतिहास में बेहतरीन गानों को देने की वजह से भी है. अभी सिर्फ कुछ साल पहले तक आई उनकी किसी भी फिल्म को उठाकर देख लीजिए. यशराज की कोई भी ब्लॉकबस्टर देख लीजिए. गानों का फिल्मों की सफलता में क्या योगदान रहा, अंदाजा लग जाएगा. सालभर में एक पर एक फ्लॉप फ़िल्में देने का रिकॉर्ड बनाने वाले यशराज की एक और फिल्म आ रही है- पठान. अगले साल रिपब्लिक डे वीक पर. यह भी जीरो की तरह शाहरुख खान की एक और कमबैक फिल्म है.आज ही इसका एक गाना बेशरम रंग रिलीज हुआ है.
यशराज को तो छोड़ दीजिए. बॉलीवुड के इतिहास में भी शायद ही इससे कोई घटिया गाना पहले कभी बना हो. बावजूद लगता है कि निर्माताओं ने फिल्म के पक्ष में तगड़ा माहौल बनाने के लिए सभी तिजोरियों के मुंह खोल दिए हैं. शायद बेशरम रंग के पक्ष में एक ट्वीट की कीमत दो रुपये और एक कमेंट की कीमत एक रुपये रखी गई है. फिल्म की तारीफ़ और तारीफ़ में सामने आ रहे विशेषण तो यही साबित कर रहे हैं. यूट्यूब और ट्विटर पर गाने के पक्ष में जो पीआर नजर आ रहा वह तो यही साबित कर रहा है. एक ऐसा गाना जिसमें कुछ भी नया नहीं है. सुंदर नहीं है. मौलिक नहीं है और मनोरंजक तो खैर है ही नहीं.
बेशरम रंग में दिखा ऐसा कोई स्टेप है ही नहीं जिसे नोरा फतेही और मलाइका अरोड़ा ने ना किया हो. जो स्टेप दीपिका पादुकोण को जमीन पर लेट कर करने पड़े हैं- आंखे में चंकी पांडे और गोविंदा की जोड़ी- ओ लाल दुपट्टे वाली... गाने पर लगभग उससे भी उत्तेजक स्टेप सड़कों/पार्कों में घूमते-घूमते दिखा चुकी है. बावजूद बेशरम गाने में जो सबसे सुंदर चीज कह सकते हैं वह दीपिका पादुकोण की देह ही हो सकती है. मगर कई घटिया स्टेप की वजह से वह भी सुंदर और आकर्षक दिखने की बजाए असुंदर और बेमतलब का नंगानाच है. इंटरनेट के जमाने में नारी या पुरुष देह का रहस्य अब निरर्थक है.
कोई भी माथा पीट लेगा बेशरम देखकर. समझ में नहीं आ रहा कि तारीफ़ करने वाले किस ग्रह के एलियन हैं? शर्तिया पृथ्वी के नहीं लगते. उन्हें क्या अच्छा लगा समझ ही नहीं आ...
यशराज फिल्म्स के बैनर की एक बड़ी पहचान हिंदी सिनेमा के इतिहास में बेहतरीन गानों को देने की वजह से भी है. अभी सिर्फ कुछ साल पहले तक आई उनकी किसी भी फिल्म को उठाकर देख लीजिए. यशराज की कोई भी ब्लॉकबस्टर देख लीजिए. गानों का फिल्मों की सफलता में क्या योगदान रहा, अंदाजा लग जाएगा. सालभर में एक पर एक फ्लॉप फ़िल्में देने का रिकॉर्ड बनाने वाले यशराज की एक और फिल्म आ रही है- पठान. अगले साल रिपब्लिक डे वीक पर. यह भी जीरो की तरह शाहरुख खान की एक और कमबैक फिल्म है.आज ही इसका एक गाना बेशरम रंग रिलीज हुआ है.
यशराज को तो छोड़ दीजिए. बॉलीवुड के इतिहास में भी शायद ही इससे कोई घटिया गाना पहले कभी बना हो. बावजूद लगता है कि निर्माताओं ने फिल्म के पक्ष में तगड़ा माहौल बनाने के लिए सभी तिजोरियों के मुंह खोल दिए हैं. शायद बेशरम रंग के पक्ष में एक ट्वीट की कीमत दो रुपये और एक कमेंट की कीमत एक रुपये रखी गई है. फिल्म की तारीफ़ और तारीफ़ में सामने आ रहे विशेषण तो यही साबित कर रहे हैं. यूट्यूब और ट्विटर पर गाने के पक्ष में जो पीआर नजर आ रहा वह तो यही साबित कर रहा है. एक ऐसा गाना जिसमें कुछ भी नया नहीं है. सुंदर नहीं है. मौलिक नहीं है और मनोरंजक तो खैर है ही नहीं.
बेशरम रंग में दिखा ऐसा कोई स्टेप है ही नहीं जिसे नोरा फतेही और मलाइका अरोड़ा ने ना किया हो. जो स्टेप दीपिका पादुकोण को जमीन पर लेट कर करने पड़े हैं- आंखे में चंकी पांडे और गोविंदा की जोड़ी- ओ लाल दुपट्टे वाली... गाने पर लगभग उससे भी उत्तेजक स्टेप सड़कों/पार्कों में घूमते-घूमते दिखा चुकी है. बावजूद बेशरम गाने में जो सबसे सुंदर चीज कह सकते हैं वह दीपिका पादुकोण की देह ही हो सकती है. मगर कई घटिया स्टेप की वजह से वह भी सुंदर और आकर्षक दिखने की बजाए असुंदर और बेमतलब का नंगानाच है. इंटरनेट के जमाने में नारी या पुरुष देह का रहस्य अब निरर्थक है.
कोई भी माथा पीट लेगा बेशरम देखकर. समझ में नहीं आ रहा कि तारीफ़ करने वाले किस ग्रह के एलियन हैं? शर्तिया पृथ्वी के नहीं लगते. उन्हें क्या अच्छा लगा समझ ही नहीं आ रहा बेशरम रंग देखकर. इससे कहीं ज्यादा अच्छे डांस स्टेप, बोल और धुन तो फेसबुक रील्स में देखने को मिल जाएंगे आजकल. और हां, अधनंगी नारी देह भी, बावजूद कि अधनंगा होने पर भी उनमें बेशरम जैसा घिनौनापन नजर नहीं आता.
बायकॉट बॉलीवुड का नारा बेशरम देखने के बाद अर्थपूर्ण नजर आने लगा है
अगर खराब, घिसे-पिटे कॉन्टेंट की वजह से कुछ लोग पठान का विरोध कर रहे हैं- तो उनका विरोध सच में जायज है. और बेशरम देखकर हर सिनेप्रेमी, संगीत प्रेमी का नैतिक दायित्व बनता है कि वह सिनेमा बचाने के लिए 'बायकॉट बॉलीवुड कम्प्लीटली' के शोर में अपनी आवाज मिला सकता है. अगर बॉलीवुड की रचनात्मकता ख़त्म हो चुकी है तो उसे डांस नंबर के नाम पर बेशरम जैसा उबाऊ, थकाऊ धुन बनाने की कोई जरूरत नहीं. अब पुराने, सस्ते घटिया फ़ॉर्मूले नहीं चलते.
यूट्यूब पर कुछ प्रतिक्रियाओं ने बरबस ध्यान खींचा. एक भाई साब बता रहे कि दीपिका के डांस मूव्स और शाहरुख खान का मौन एक्सप्रेशन आग लगा रहा है. डांस स्टेप क्या है ऊपर दूसरे पैरा में ही इसका जिक्र है. एक दूसरे भाई साब ने लिखा- शाहरुख खान ने जैसे 90 में बॉलीवुड को डूबने से बचा लिया वे फिर बॉलीवुड को डूबने से बचाने आए हैं. अब इन्हें कौन समझाए कि प्यारे ना तो 1990 में बॉलीवुड डूबा था और ना ही 2022 में. अभी अभी दृश्यम ने 250 करोड़ से ज्यादा कमा लिए हैं और उसकी रफ़्तार रुकी नहीं है. डूबे शाहरुख खान और यशराज फिल्म्स का बैनर हैं इधर कुछ सालों में. और बेशरम रंग बता रहा कि वजह क्या है. उबरने के लिए आधा दर्जन से ज्यादा कोशिशें हो चुकी हैं. शाहरुख की पिछली प्रायोगिक कोशिश जीरो के रूप में बेमौत मरी थी टिकट खिड़की पर.
बेशरम गाना यहां नीचे सुन सकते हैं:-
रैपर बादशाह की तरह स्कैम ना निकल जाए
बावजूद यूट्यूब पर ढेरों प्रायोजित प्रतिक्रियाएं हैं, जिन्हें समझना मुश्किल नहीं. अब जिस तरह का गाना है, और प्रतिक्रियाएं उसके अनुरूप नहीं हैं- इन्हें देखकर तो यही कहा जाएगा कि यह किसी बड़े पीआर स्कैम का हिस्सा हैं. कुछ लोग कह भी रहे हैं. क्योंकि किसी को भी गाने पर पहली स्वाभाविक प्रतिक्रिया देनी हो तो वह गाली ही देगा. बेमतलब की तारीफें किसी स्कैम की आशंका जताने के लिए पर्याप्त हैं. इंटरनेट के दौर में ऐसे स्कैम के जरिए हाइप बनाई जाती है. साधन सक्षम लोग हाइप बनाकर मीडिया की सुर्खियां बटोरते हैं और प्रमोशन के मकसद को हासिल करते हैं. रैपर बादशाह के मामले ने इस चीज से पर्दा उठा दिया था पहले ही कि अगर आपकी टेंट में भरपूर पैसा हो तो कुछ भी कर सकते हैं. शोहरत भी खरीद सकते हैं और कामयाबी भी. उनपर आरोप था कि सोशल मीडिया पर फेक फॉलोअर और लाइक्स हासिल किए थे.बावजूद कि बादशाह ने आरोपों को खारिज किया था.
बावजूद सोशल मीडिया पर तमाम केस स्टडीज से साफ़ हो चुका है कि कुछ लोग कैसे पैसे के दम पर सबकुछ खरीद लेते हैं. तो क्या बेशरम को खुली आंखों से नजर आने वाला किसी तरह के स्कैम का सबूत मान लिया जाए- जिसके सहारे पैसा लगाकर कामयाबी खरीदने की कोशिश नजर आ रही है. यह कोशिश इसलिए कि यशराज फिल्म्स के तमाम चले चलाए फ़ॉर्मूले पिछले कुछ महीनों में कुछ फिल्मों को कामयाब नहीं बना पाए. शाहरुख के लिए एक कामयाब कमबैक खरीदना बहुत महंगा साबित हो सकता है यशराज के लिए. क्योंकि यशराज, पठान से यौन कुंठा बेंचकर कामयाबी हासिल करना चाहता है, जिसका अब ट्रेंड ही नहीं रहा. चाहें तो यहां क्लिक कर पठान और नारी पुरुष देह के सहारे यौन कुंठा भुनाने वाला विश्लेषण पढ़ सकते हैं.
रही बात बेशरम के जरिए 90s की याद दिलाने वाले गाने, डांस नंबर और पार्टी सॉंग बताने की- तो गाने की धुन सुनकर बढ़िया से बढ़िया नर्तक/नर्तकियों का पैर भी फ्रीज हो जाएगा. काहे का डांस नंबर है यह. 90 को याद ही करना है तो गोविंदा के किसी गाने को उठाकर देख लीजिए. उनके कई गाने द्विअर्थी भले हों, कम से कम उनकी धुन में एनर्जी तो है, वह ज़िंदा तो है. वह बेशरम की तरह मुर्दा नहीं नजर आते.
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