ऐसा बहुत कम देखा गया है कि किसी पाकिस्तानी शख्सियत के निधन के बाद हिंदुस्तान में लोग इस कदर दुखी हों और उसे उसी शिद्दत से याद कर रहे हों, जितना कि उसके मुल्क के लोग. क्या नेता क्या अभिनेता, हर कोई उसकी निधन पर दुख जताते हुए श्रद्धांजलि देता नजर आए. जी हां, हम बात कर रहे हैं पाकिस्तानी कॉमेडियन उमर शरीफ साहब के बारे में, जिनका जर्मनी में इंतकाल हो गया. वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे और इलाज के लिए अमेरिका जा रहे थे. 66 वर्ष की आयु में कैंसर से उनके निधन के बाद पाकिस्तान से लेकर हिंदुस्तान तक शोक की लहर दौड़ पड़ी. अपने देश के सबसे बड़े कॉमेडियन कपिल शर्मा, राजू श्रीवास्तव से लेकर दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर तक ने सोशल मीडिया के जरिए उनकी श्रद्धांजलि देते हुए परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है.
कला और संस्कृति में इतनी ताकत होती है कि वो सरहदों के बीच फासले को पाटते हुए दो दुश्मन मुल्कों के बीच भी इश्क का बीज बो देती है. हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच कला का आदान-प्रदान बंटवारे के बाद से ही जारी रहा है. पाक के गजल गायक हों या कॉमेडियन समय-समय पर भारत आकर यहां के लोगों का मनोरंजन करते रहे हैं. हिंदुस्तानी फिल्में पाकिस्तान में बहुत देखी जाती रही हैं, तो वहां कि कव्वाली हमारे घरों में गूंजती रही है. अब भले ही तल्ख रिश्तों की वजह से दोनों मुल्कों के बीच सांस्कृतिक रिश्ते रोक दिएए गए हैं, लेकिन एक दौर था जब नुसरत फतेह अली खान और उमर शरीफ जैसे कलाकार भारत में छाए रहते थे. सूफी शैली के प्रसिद्ध कव्वाल नुसरत साहब की कव्वाली के दीवाने उमर साहब के स्टैंडअप कॉमेडी के भी मुरीद हुआ करते थे. 90 के दशक में ये प्यार परवान पर था.
"द गॉड ऑफ एशियन...
ऐसा बहुत कम देखा गया है कि किसी पाकिस्तानी शख्सियत के निधन के बाद हिंदुस्तान में लोग इस कदर दुखी हों और उसे उसी शिद्दत से याद कर रहे हों, जितना कि उसके मुल्क के लोग. क्या नेता क्या अभिनेता, हर कोई उसकी निधन पर दुख जताते हुए श्रद्धांजलि देता नजर आए. जी हां, हम बात कर रहे हैं पाकिस्तानी कॉमेडियन उमर शरीफ साहब के बारे में, जिनका जर्मनी में इंतकाल हो गया. वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे और इलाज के लिए अमेरिका जा रहे थे. 66 वर्ष की आयु में कैंसर से उनके निधन के बाद पाकिस्तान से लेकर हिंदुस्तान तक शोक की लहर दौड़ पड़ी. अपने देश के सबसे बड़े कॉमेडियन कपिल शर्मा, राजू श्रीवास्तव से लेकर दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर तक ने सोशल मीडिया के जरिए उनकी श्रद्धांजलि देते हुए परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है.
कला और संस्कृति में इतनी ताकत होती है कि वो सरहदों के बीच फासले को पाटते हुए दो दुश्मन मुल्कों के बीच भी इश्क का बीज बो देती है. हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच कला का आदान-प्रदान बंटवारे के बाद से ही जारी रहा है. पाक के गजल गायक हों या कॉमेडियन समय-समय पर भारत आकर यहां के लोगों का मनोरंजन करते रहे हैं. हिंदुस्तानी फिल्में पाकिस्तान में बहुत देखी जाती रही हैं, तो वहां कि कव्वाली हमारे घरों में गूंजती रही है. अब भले ही तल्ख रिश्तों की वजह से दोनों मुल्कों के बीच सांस्कृतिक रिश्ते रोक दिएए गए हैं, लेकिन एक दौर था जब नुसरत फतेह अली खान और उमर शरीफ जैसे कलाकार भारत में छाए रहते थे. सूफी शैली के प्रसिद्ध कव्वाल नुसरत साहब की कव्वाली के दीवाने उमर साहब के स्टैंडअप कॉमेडी के भी मुरीद हुआ करते थे. 90 के दशक में ये प्यार परवान पर था.
"द गॉड ऑफ एशियन कॉमेडी" थे उमर शरीफ साहब
'कॉमेडी किंग' उमर शरीफ को भारतीय उपमहाद्वीप के महानतम हास्य कलाकारों में से एक माना जाता है. यहां तक कि अपने देश के लोकप्रिय कॉमेडियन जॉनी लीवर और राजू श्रीवास्तव उन्हें "द गॉड ऑफ एशियन कॉमेडी" कहा करते थे. क्योंकि स्टैंड अप कॉमेडी की असल शुरूआत उमर शरीफ ने ही की थी. वो अपने विधा के मास्टर मानते जाते रहे हैं. महज 14 साल की उम्र से ही अपने स्टैंडअप कॉमेडियन करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद 80, 90 और 2000 के दशक में खूब नाम कमाया था. भारत के पॉपुलर कॉमेडी शो द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज में बतौर गेस्ट जज उमर शरीफ नवजोत सिंह सिद्धू और शेखर सुमन के साथ शामिल हुए थे. साल 1989 में उनका कॉमेडी स्टेज प्ले शो 'बकरा- किश्तों में' और 'बुड्ढा घर पर है' भारत में खूब पसंद किया गया था. 'द शरीफ शो' भी काफी मशहूर हुआ था.
'हजारों साल में एक बार पैदा होते हैं ऐसे कलाकार'
''हमारा काम है आपकी आंखों से आंसू चुराना"...साल 2004 में आयोजित जी सिने अवार्ड्स के दौरान कॉमेडियन उमर शरीफ ने यह बात कही थी. भारत में यह उनका अंतिम परफॉर्मेंस माना जाता है. उनकी बातों से बतौर कलाकार उनकी गहराई का अंदाजा लगाया जा सकता है. तभी तो जॉनी लीवर उनके बारे में कहा करते हैं, ''शरीफ साहब जैसे कलाकार हजारों साल में एक बार पैदा होते हैं". उनकी कॉमेडी भारत और पाकिस्तान में सरहदों से परे हर घर में समां चुकी थी. सोशल मीडिया के आने के बाद तो उनकी ख्याति और ज्यादा बढ़ गई. वो कल्चरल कॉमेडी के उस्ताद थे. उनकी परफॉर्मेंस अक्सर उस समाज को प्रतिबिंबित करती रही है जिसका वो हिस्सा थे. वो कॉमेडी के बहाने समाज को आईना भी दिखाया करते थे. यहां तक कि अपने कट्टर मुल्क पाकिस्तान की दकियानुसी प्रथाओं पर भी प्रहार करते रहे.
बेटी हीरा के निधन के बाद लगा था गहरा सदमा
एक्टर, कॉमेडियन, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर मोहम्मद उमर शरीफ का जन्म 19 अप्रैल, 1960 को पाकिस्तान के कराची के लियाकताबाद में हुआ था. लंबे समय तक कई मुल्कों के लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाले शरीफ साहब अपनी बेटी हीरा का बीते साल निधन होने के बाद गमजदा हो गए. उनकी बेटी कई बीमारियों जूझ रही थी. उनके इंतकाल के बाद उमर शरीफ को इतना गहरा सदम लगा कि उनकी तबीयत खराब रहने लगी. उनकी बायपास सर्जरी भी हो चुकी थी. कुछ समय पहले उमर शरीफ की हालत काफी बिगड़ गई थी. इसके बाद उनकी पत्नी जरीन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से उनको अमेरिका भेजने में मदद मांगी थी. उन्होंने कहा था कि वह धीरे-धीरे अपनी याद्दाश्त खो रहे हैं. लेकिन उनका तुरंत अमेरिका के स्पेशलिस्ट्स द्वारा ट्रीटमेंट नहीं करवाया गया तो उनकी ओपन हार्ट सर्जरी करवानी पड़ेगी जो उनकी जिंदगी के लिए घातक साबित हो सकती है. हालांकि, अमेरिका ले जाते वक्त उनके इमरजेंसी में जर्मनी में उतारना पड़ा, जहां उनकी मौत हो गई.
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