तबस्सुम का अर्थ होता है मीठी मुस्कान. सिने अभिनेत्री, मशहूर टीवी एंकर और पत्रकार तबस्सुम सत्तर-अस्सी के दशक के टेलीविजन की मीठी मुस्कान थीं. मौजूदा दौर में टीवी की मुस्कुराहट पहले ही फीकी पड़ चुकी थी और अब तबस्सुम भी दुनिया छोड़ कर चली गईं. 78 वर्षीय इस अदाकारा का कार्डियक अटैक से बीते शनिवार को निधन हो गया. आज जो टेलीविजन तनाव और नफरत की फसल उगाता है वहीं टीवी किसी ज़माने में मोहब्बत, अमन और मीठी मुस्कान के फूलों का गुलशन हुआ करता था. सांस बहु के झगड़े के तनाव या नफरती डिबेट के बजाय एकमात्र दूरदर्शन जनता को स्वस्थ मनोरंजन और खबरें ही नहीं देता था बल्कि ये नैतिक विकास, जानकारियों, हंसने-मुस्कुराने और सौहार्द की भावना की नेमतों से भी मालामाल करता था.
अस्सी के दशक में ऐसा ही दूरदर्शन का कार्यक्रम (सेलिब्रिटी टॉक शो) था- 'फूल खिले हैं गुलशन-गुलशन'. तबस्सुम गोविल (तबस्सुम का पूरा नाम) इसकी होस्ट थीं. उर्दू की मिठास, हाज़िर जवाबी, चुलबुलापन और लखनवी अंदाज वाली इन खूबियों की वजह ये भी थी कि इस अदाकारा का अवध से ताल्लुक था.
9 जुलाई 1944 में श्री राम की नगरी अयोध्या में जन्मी तबस्सुम के पिता अयोध्यानाथ सचदेव और मां असग़री बेगम थीं. उर्दू-हिंदी की मिठास गंगा जमुनी तहज़ीब वाले इस परिवार के तमाम सदस्यों ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी. तबस्सुम बचपन में ही मुंबई आ गई थीं. यहीं इन्होने पढ़ाई की और बतौर बाल कलाकार फिल्मों में काम करने का सिलसिला शुरू किया.
इनके पति विजय गोविल रामायण के राम अरुण गोविल के भाई हैं. दिलीप कुमार, देवानंद, अशोक कुमार, शशि कपूर, राजकुमार, अशोक कुमार, मीना कुमारी और नरगिस जैसी सिनेमा की दिग्गज हस्तियों के साथ काम कर चुकीं तबस्सुम...
तबस्सुम का अर्थ होता है मीठी मुस्कान. सिने अभिनेत्री, मशहूर टीवी एंकर और पत्रकार तबस्सुम सत्तर-अस्सी के दशक के टेलीविजन की मीठी मुस्कान थीं. मौजूदा दौर में टीवी की मुस्कुराहट पहले ही फीकी पड़ चुकी थी और अब तबस्सुम भी दुनिया छोड़ कर चली गईं. 78 वर्षीय इस अदाकारा का कार्डियक अटैक से बीते शनिवार को निधन हो गया. आज जो टेलीविजन तनाव और नफरत की फसल उगाता है वहीं टीवी किसी ज़माने में मोहब्बत, अमन और मीठी मुस्कान के फूलों का गुलशन हुआ करता था. सांस बहु के झगड़े के तनाव या नफरती डिबेट के बजाय एकमात्र दूरदर्शन जनता को स्वस्थ मनोरंजन और खबरें ही नहीं देता था बल्कि ये नैतिक विकास, जानकारियों, हंसने-मुस्कुराने और सौहार्द की भावना की नेमतों से भी मालामाल करता था.
अस्सी के दशक में ऐसा ही दूरदर्शन का कार्यक्रम (सेलिब्रिटी टॉक शो) था- 'फूल खिले हैं गुलशन-गुलशन'. तबस्सुम गोविल (तबस्सुम का पूरा नाम) इसकी होस्ट थीं. उर्दू की मिठास, हाज़िर जवाबी, चुलबुलापन और लखनवी अंदाज वाली इन खूबियों की वजह ये भी थी कि इस अदाकारा का अवध से ताल्लुक था.
9 जुलाई 1944 में श्री राम की नगरी अयोध्या में जन्मी तबस्सुम के पिता अयोध्यानाथ सचदेव और मां असग़री बेगम थीं. उर्दू-हिंदी की मिठास गंगा जमुनी तहज़ीब वाले इस परिवार के तमाम सदस्यों ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी. तबस्सुम बचपन में ही मुंबई आ गई थीं. यहीं इन्होने पढ़ाई की और बतौर बाल कलाकार फिल्मों में काम करने का सिलसिला शुरू किया.
इनके पति विजय गोविल रामायण के राम अरुण गोविल के भाई हैं. दिलीप कुमार, देवानंद, अशोक कुमार, शशि कपूर, राजकुमार, अशोक कुमार, मीना कुमारी और नरगिस जैसी सिनेमा की दिग्गज हस्तियों के साथ काम कर चुकीं तबस्सुम हरफनमौला थीं.
बाल कलाकार और फिर बड़ी-बड़ी फिल्मों में अभिनय का सफर तय करने के साथ ब्लेक एंड व्हाइट टीवी की शीरी ज़ुबान वाली ज़िन्दा दिल स्टार होने के साथ वो संपादक भी रहीं. हिंदी पत्रिका गृहशोभा का उन्होंने कई वर्षों तक संपादन किया.
सास-बहु की साजिशों, नफरती खबरें और चीख-पुकार, शोर शराबे से प्रदूषित छोटे पर्दे को देखकर जब हम ब्लेक एंड व्हाइट टीवी का जमाना याद करते हैं तो हमें तबस्सुम का हंसता-मुस्कुराता, खुशमिजाज और ज़िन्दा दिल चेहरा ज़रूर याद आता है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.