क्या सच में क्राइम शो लोगों को कातिल बना रहे हैं? क्या सच में क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज के जरिए अपराधी अपने अपराध को अंजाम देने के लिए नए-नए आइडिया हासिल कर रहे हैं? क्या सच में टीवी सीरियल, फिल्म, क्राइम शो लोगों के दिमाग पर इस कदर हावी हो रहे हैं कि वो बिल्कुल वैसा ही असल ज़िंदगी में भी करना चाह रहे हैं? पिछले कुछ वक्त से हो रहे तमाम खौफनाक वारदातों के बाद इसी तरह के सवाल लोगों के जेहन में कौंध रहे हैं. लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि जो सीरीज या सीरियल मनोरंजन के साधन के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं, उनको देखने के बाद कोई सीरियल किलर कैसे बन सकता है. वेब सीरीज देखने के बाद कोई सनसनीखेज हत्याकांड को अंजाम कैसे दे सकता है. हालके दो बड़े और चर्चित मामलों को देखने के बाद तो यही कहा जा सकता है कि सिनेमा समाज ही नहीं उसमें रहने वाले लोगों के दिमाग को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है.
क्या सच में क्राइम शो लोगों को कातिल बना रहे हैं? क्या सच में क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज के जरिए अपराधी अपने अपराध को अंजाम देने के लिए नए-नए आइडिया हासिल कर रहे हैं? क्या सच में टीवी सीरियल, फिल्म, क्राइम शो लोगों के दिमाग पर इस कदर हावी हो रहे हैं कि वो बिल्कुल वैसा ही असल ज़िंदगी में भी करना चाह रहे हैं? पिछले कुछ वक्त से हो रहे तमाम खौफनाक वारदातों के बाद इसी तरह के सवाल लोगों के जेहन में कौंध रहे हैं. लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि जो सीरीज या सीरियल मनोरंजन के साधन के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं, उनको देखने के बाद कोई सीरियल किलर कैसे बन सकता है. वेब सीरीज देखने के बाद कोई सनसनीखेज हत्याकांड को अंजाम कैसे दे सकता है. हालके दो बड़े और चर्चित मामलों को देखने के बाद तो यही कहा जा सकता है कि सिनेमा समाज ही नहीं उसमें रहने वाले लोगों के दिमाग को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है.
पायल को अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए अपनी एक हमशक्ल या कदकाठी की लड़की चाहिए थी. इसकी जिम्मेदारी उसने अजय को सौंप दी. अजय सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक ऐसी लड़की तलाश में लग गया. एक दिन उसकी मेहनत रंग लाई, 12 नवंबर को उसे पायल जैसी लड़की हेमा मिल गई. उसने हेमा को अपनी जाल में फंसाया और साजिश के तहत पायल के घर ले गया. वहां पहले से तैयार पायल ने हेमा की हत्या करके उसके चेहरे पर खौलता तेल डाल दिया. इसके बाद अपने कथित प्रेमी के साथ घर से फरार हो गई. यह सब करके पायल ये साबित करना चाहती थी कि वो इस दुनिया में नहीं है. इसके बाद वो तसल्ली से अपने प्रेमी के साथ अपने माता-पिता की मौत के आरोपियों भाभी, भाभी के दोनों भाई और बुआ के लड़के सुनील की हत्या करने वाली थी. लेकिन इससे पहले कि अपने साजिश को अंजाम दे पाती, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
ये तो रही पायल की खौफनाक दास्तान, जिसने 'कबूल है' सीरियल को देखने के बाद एक निर्दोष लड़की की हत्या कर दी और पांच अन्य लोगों की हत्या करने वाली थी. इससे पहले दिल्ली के महरौली में हुए श्रद्धा मर्डर केस ने तो पूरे देश को झकझोर दिया था. इस दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी आफताब पूनावाला ने भी एक क्राइम शो देखा था, जिसका नाम 'डेक्सटर' है. इस सीरीज में कातिल बड़ी ही सावधानी से कत्ल को अंजाम देता है और उसके बाद लाश के कई टुकड़े करके उन्हें समंदर में फेंक देता है. ठीक उसी तरह आफताब ने भी श्रद्धा का मर्डर करके उसकी लाश के पैंतीस टुकड़े किए और उन्हें फ्रिज में रख दिया. इसके बाद बड़ी ही सावधानी से वो एक-एक कर लाश के टुकड़ों को जंगल में फेंकता रहा. इतना ही नहीं उस घर में पहली गर्लफ्रेंड का सिर फ्रीज में पड़ा रहा और वो दरिंदा दूसरी गर्लफ्रेंड के साथ उसी कमरे में हवस की आग बूझता रहा.
इस तरह की तमाम घटनाएं हैं, जिनमें क्राइम शो या सीरीज देखने के बाद वारदात को अंजाम दिया गया. राजस्थान के अजमेर में एक शख्स ने शादी के महज 26 दिन बाद अपनी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया. आरोपी पति ने बताया कि क्राइम पेट्रोल शो से प्रेरित होकर अपनी पत्नी का कत्ल किया था. कत्ल का तरीका भी उसने इसी शो से सीखा था. इसी साल जनवरी में दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में 15,16 और 17 साल के तीन नाबालिगों ने सिर्फ इसलिए एक हत्याकांड को अंजाम दे दिया ताकि इलाके में उनका दबदबा रहे. उनके मन में ये ख्याल 'भौकाल' वेब सीरीज देखने के बाद आया था. इतना ही नहीं उनमें एक आरोपी अल्लू अर्जुन की फिल्म 'पुष्पा' से काफी प्रभावित था. वे खुद को बदनाम गैंग के नाम से कुख्यात कर रहे थे. साल 2019 में मध्य प्रदेश के इंदौर में एक लोकल नेता ने 'दृश्यम' फिल्म देखकर एक महिला की हत्या कर दी. लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
सभी जानते हैं कि सिनेमा समाज का आईना होता है. समाज पर सिनेमा का गहरा प्रभाव पड़ता है. कई प्रमुख मुद्दों पर बनी फिल्मों का लोगों पर व्यापक असर देखा गया है. यही वजह है कि कुछ फिल्म मेकर्स पर सिनेमा के जरिए प्रोपेगेंडा फैलाने का भी आरोप लगता रहा है. फिल्म देखते समय अक्सर लोग उसमें डूब जाते हैं. अपने विचार और स्वभाव के अनुसार किसी भी किरदार को अपने जैसा मानने लगते हैं. कई बार खुद उस किरदार को जीने लगते हैं. यही वजह है कि कुछ क्राइम शोज देखने के बाद लोग उसके किसी किरदार की तरह असल जिंदगी में जीने में लगते हैं. पायल और आफताब जैसे खूंखार अपराधी बन जाते हैं. आजकल कोई भी फिल्म या सीरीज इतनी ज्यादा रिसर्च करके बनाई जाती है कि वो सच के बहुत करीब और वैज्ञानिक होती है. ऐसे में किसी फिल्म या सीरीज में दिखाई गई कोई साजिश वास्तविक जिंदगी में भी लागू हो सकती है. जिसका अपराधी फायदा उठाते हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.