जब दो अजनबी लोग एक रिश्ते में जुड़ते हैं तो उस समय उन्हें एक-दूसरे के बारे में बहुत कुछ पता नहीं होता है. कुछ समय बिताने के बाद पता चलता है कि सामने वाला कैसा है. इसका मतलब इस बात से नहीं है कि वह खराब इंसान होता है. असल में कभी-कभी दोनों लोग अपनी जगह पर सही होते हैं लेकिन उनकी सोच नहीं मिलती.
उनका नेचर एक-दूसरे से अलग होता है. इस वजह से दोनों की नहीं बनती. जब दोनों के विचार और रहन-सहन अलग होते हैं तो उनकी बातों में मतभेद होने लगता है. ऐसे में साथ दुखी रहकर रोज कलह करने से अच्छा है कि दोनों अलग हो जाएं.
ऐसा ही कुछ कहना है एक्ट्रेस श्रुति हासन का. अपने माता-पिता के तलाक को छोटी सी उम्र में फेस करने वाली एक्ट्रेस श्रुति ने कहा कि 'मैं खुश थी कि उनका तलाक हो गया'.
होता यह है कि रिश्ते की शुरुआत में तो हम एक-दूसरे को पसंद करते हैं, लेकिन बाद में रिलेशनशिप की मिठास कम होने लगती है. सब यही मानते हैं कि रिश्ता जन्म-जन्म का होता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए एक जन्म भी साथ रहना बोझिल हो जाता है.
हम अपने रिश्ते को बचाने की हर कोशिश करते हैं लेकिन सफल नहीं हो पाते. इसके बाद हमारी पार्टनर से छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई शुरू हो जाती है और फिर लाइफ बोरिंग लगने लगती है. ऐसे में जबरदस्ती रिश्ता ढोने से अच्छा अलग हो जाना होता है.
श्रुति हासन की बातों से लगता है कि वे माता-पिता के तलाक तो लेकर कितनी सहज हैं और उन्हें कितनी अच्छी तरह समझती है. दरअसल, श्रुति हासन ऐसी एक्ट्रेस हैं, जो अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीना पसंद करती हैं. चाहे वह करियर हो या फिर पर्सनल लाइफ, वह अपने सारे फैसले खुद लेती हैं.
श्रुति की इस मैच्योरनेस और स्ट्रांग पर्सनैलिटी...
जब दो अजनबी लोग एक रिश्ते में जुड़ते हैं तो उस समय उन्हें एक-दूसरे के बारे में बहुत कुछ पता नहीं होता है. कुछ समय बिताने के बाद पता चलता है कि सामने वाला कैसा है. इसका मतलब इस बात से नहीं है कि वह खराब इंसान होता है. असल में कभी-कभी दोनों लोग अपनी जगह पर सही होते हैं लेकिन उनकी सोच नहीं मिलती.
उनका नेचर एक-दूसरे से अलग होता है. इस वजह से दोनों की नहीं बनती. जब दोनों के विचार और रहन-सहन अलग होते हैं तो उनकी बातों में मतभेद होने लगता है. ऐसे में साथ दुखी रहकर रोज कलह करने से अच्छा है कि दोनों अलग हो जाएं.
ऐसा ही कुछ कहना है एक्ट्रेस श्रुति हासन का. अपने माता-पिता के तलाक को छोटी सी उम्र में फेस करने वाली एक्ट्रेस श्रुति ने कहा कि 'मैं खुश थी कि उनका तलाक हो गया'.
होता यह है कि रिश्ते की शुरुआत में तो हम एक-दूसरे को पसंद करते हैं, लेकिन बाद में रिलेशनशिप की मिठास कम होने लगती है. सब यही मानते हैं कि रिश्ता जन्म-जन्म का होता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए एक जन्म भी साथ रहना बोझिल हो जाता है.
हम अपने रिश्ते को बचाने की हर कोशिश करते हैं लेकिन सफल नहीं हो पाते. इसके बाद हमारी पार्टनर से छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई शुरू हो जाती है और फिर लाइफ बोरिंग लगने लगती है. ऐसे में जबरदस्ती रिश्ता ढोने से अच्छा अलग हो जाना होता है.
श्रुति हासन की बातों से लगता है कि वे माता-पिता के तलाक तो लेकर कितनी सहज हैं और उन्हें कितनी अच्छी तरह समझती है. दरअसल, श्रुति हासन ऐसी एक्ट्रेस हैं, जो अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीना पसंद करती हैं. चाहे वह करियर हो या फिर पर्सनल लाइफ, वह अपने सारे फैसले खुद लेती हैं.
श्रुति की इस मैच्योरनेस और स्ट्रांग पर्सनैलिटी के पीछे उनके पेरेंट्स कमल हासन और सारिका का तलाक भी है. जब पेरेंट्स का तलाक होता है तो बच्चों पर उसका क्या असर होता है, यह श्रुति हासन अच्छी तरह से जानती हैं.
हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने कहा कि ‘वह खुश थीं कि उनके माता-पिता की राहें अलग हो रही थीं, क्योंकि उन्हें लगता है कि जब दो लोगों की आपस में नहीं बनती तो उन्हें जबरन साथ में नहीं रहना चाहिए’.
श्रुति ने ये भी कहा कि वह अपने पैरंट्स की नई जिंदगी के लिए एक्साइटेड और खुश थीं. श्रुति का कहना है कि उनके माता-पिता दोनों की बहुत अच्छे इंसान हैं. तलाक के बाद भी वे मेरे और बहन अक्षरा के लिए बेस्ट पैरेंट्स बने रहे. मेरे लिए उनका तलाक इसलिए एक अच्छी बात थी क्योंकि दोनों एक साथ खुश नहीं थे. जब रिश्ते में साथ ना मिले तो किसी मजबूरी की वजह साथ में नहीं रहना चाहिए. जब उनका तलाक हुआ मैं बहुत छोटी और यह मेरे लिए तो आसान था.
अभिनेत्री ने यह भी खुलासा किया कि वह अपने पिता कमल हासन के बेहद करीब हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि वह मां को भूल गई हैं. मां सारिका उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और रहेंगी.
दरअसल, कमल हासन और सारिका ने 1988 में शादी की और 2004 में अलग हो गए. श्रुति हासन और अक्षरा उनकी बेटियां हैं. एक्ट्रेस श्रुति के अनुसार उनके माता-पिता अलग होने के बाद ज्यादा खुश हैं, वे तब इतने खुश नहीं ते जब दोनों साथ में थे. लोगों को समझना चाहिए कि तलाक होने से कोई उनकी पर्सनैलिटी को नहीं छीन लेता, वे वही बने रहते हैं जो रियल में होते हैं.
तो आखिर समस्या क्या है
अब प्रॉब्लम यह है कि कभी-कभी तो हमें समझ में आ भी जाता है कि अब रिश्ता खत्म कर लेना चाहिए. लेकिन हम खुद ही कंफ्यूज हो जाते हैं या डर जाते हैं. इस वजह से हम अलग होने का अपना फैसला नहीं ले पाते हैं. कभी समाज का विचार करके तो कभी मजबूरी की वजह से हम अनचाहे रिश्ते में फंसे रहते हैं. हम उस अपमानजनक रिश्ते को ढोते रहते हैं और इस तरह हमारी खुशी खत्म होती जाती है.
हमें डर लगता है कि इसके बाद क्या होगा? हम अकेले पड़ जाएंगे, मानो जैसे तलाक के बाद जिंदगी खत्म हो जाएगी. जब जबरदस्ती के रिश्ते में प्यार बचा नहीं होता तो फिर उसे निभाने से क्या फायदा. कंफ्यूजन में आप क्या करेंएक सिंपल सी बात है अगर आपको अपने रिश्ते के बारे में सोचकर अच्छा महसूस होता हो, खुशी मिलती है या चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती है तो समझिए कि आप सही पार्टनर के साथ हैं.
वहीं अगर आपको अपने रिलेशन के बारे सोचकर गुस्सा आ जाए, तनाव महसूस हो या फिर दुखी हो जाएं तो जवाब आपके सामने है…यानी ऐसे रिश्ते से निकल जाना ही बेहतर ऑप्शन है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.