हिंदी सिनेमा में संस्कारों का परचम बुलंद करने वाले और राजश्री की फिल्मों में बाबू जी का रोल करने वाले और जगत समधी की उपाधी पाने वाले आलोक नाथ का आज जन्मदिन है. आलोक नाथ उर्फ बाबू जी भी एक दिलचस्प किरदार हैं.
ये वही आलोक नाथ हैं जो एक 2013-14 में अचानक इंटरनेट की नजर में आ गए थे और इतने लोकप्रिय हुए थे कि इंटरनेट के मीम्स से लेकर वॉट्सएप के जोक्स तक हर जगह आलोक नाथ ही छाए हुए थे. डॉक्टर पिता चाहते थे कि बेटा भी डॉक्टर बने लेकिन उसे तो कुछ और ही चाहिए था. आलोक नाथ का एक्टिंग करियर सही मायने में 32 साल की उम्र में ही शुरू हुआ था. उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पढ़ाई भी की थी.
सबसे पहली बड़ी फिल्म में बने बाबू जी..
आलोक नाथ ने 1976 में अपने करियर की शुरुआत में एक प्ले किया था. ये था द लवर ये हैरोल्ड पिंटर का प्ले था और इसमें आलोक नाथ और मोना चावला ने काम किया था. इसे फैसल आल्काज़ी ने डायरेक्ट किया था.
1980 में कॉस्टिंग डायरेक्टर डॉली ठाकुर फ़िल्म ‘गांधी’ में एक छोटे से किरदार की तलाश में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा गयीं थीं, जहां कई लोगों का ऑडिशन लेने के बाद उन्होंने आलोक नाथ को चुना. इस फ़िल्म के लिए उन्होंने आलोक नाथ को बीस हजार रुपये दिए थे.
आलोक नाथ को शुरुआती समय में कोई ढंग का काम नहीं मिला. नादिरा बब्बर के साथ मिलकर फिर उन्होंने 30-40 शॉर्ट फिल्में कीं और 5 साल तक मेहनत करने के बाद फिर दिलीप कुमार की मशाल फिल्म उन्हें मिली. इसमें भी रोल काफी छोटा था और आलोक नाथ अपनी छाप छोड़ने में कामियाब नहीं रहे.
इसके बाद फिर छोटे मोटे किरदारों से वो आगे तो बढ़े, लेकिन उन्हें पहचान मिली 1988. एक किरदार जिसमें आलोक नाथ वैसे तो हीरो के असली पिता नहीं बने थे, लेकिन उन्होंने काम पूरे पिता वाले किए थे. ये वो एक किरदार...
हिंदी सिनेमा में संस्कारों का परचम बुलंद करने वाले और राजश्री की फिल्मों में बाबू जी का रोल करने वाले और जगत समधी की उपाधी पाने वाले आलोक नाथ का आज जन्मदिन है. आलोक नाथ उर्फ बाबू जी भी एक दिलचस्प किरदार हैं.
ये वही आलोक नाथ हैं जो एक 2013-14 में अचानक इंटरनेट की नजर में आ गए थे और इतने लोकप्रिय हुए थे कि इंटरनेट के मीम्स से लेकर वॉट्सएप के जोक्स तक हर जगह आलोक नाथ ही छाए हुए थे. डॉक्टर पिता चाहते थे कि बेटा भी डॉक्टर बने लेकिन उसे तो कुछ और ही चाहिए था. आलोक नाथ का एक्टिंग करियर सही मायने में 32 साल की उम्र में ही शुरू हुआ था. उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पढ़ाई भी की थी.
सबसे पहली बड़ी फिल्म में बने बाबू जी..
आलोक नाथ ने 1976 में अपने करियर की शुरुआत में एक प्ले किया था. ये था द लवर ये हैरोल्ड पिंटर का प्ले था और इसमें आलोक नाथ और मोना चावला ने काम किया था. इसे फैसल आल्काज़ी ने डायरेक्ट किया था.
1980 में कॉस्टिंग डायरेक्टर डॉली ठाकुर फ़िल्म ‘गांधी’ में एक छोटे से किरदार की तलाश में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा गयीं थीं, जहां कई लोगों का ऑडिशन लेने के बाद उन्होंने आलोक नाथ को चुना. इस फ़िल्म के लिए उन्होंने आलोक नाथ को बीस हजार रुपये दिए थे.
आलोक नाथ को शुरुआती समय में कोई ढंग का काम नहीं मिला. नादिरा बब्बर के साथ मिलकर फिर उन्होंने 30-40 शॉर्ट फिल्में कीं और 5 साल तक मेहनत करने के बाद फिर दिलीप कुमार की मशाल फिल्म उन्हें मिली. इसमें भी रोल काफी छोटा था और आलोक नाथ अपनी छाप छोड़ने में कामियाब नहीं रहे.
इसके बाद फिर छोटे मोटे किरदारों से वो आगे तो बढ़े, लेकिन उन्हें पहचान मिली 1988. एक किरदार जिसमें आलोक नाथ वैसे तो हीरो के असली पिता नहीं बने थे, लेकिन उन्होंने काम पूरे पिता वाले किए थे. ये वो एक किरदार था जिसे पहली पहचान ही 32 साल की उम्र में मिली. ये फिल्म थी कयामत से कयामत तक. जिसमें आलोक नाथ का किरदार आमिर को पाल-पोसकर बड़ा करता है.
करियर की पहली शुरुआत ही बाबू जी वाले रोल में हो गई. लेकिन आलोक नाथ ने रिस्क लेने में कमी नहीं की. आलोक नाथ ने 'बोल राधा बोल', 'षड्यंत्र' और 'विनाशक' जैसी फिल्मों में निगेटिव रोल भी निभाए. हालांकि, ये रोल उनकी संस्कारी छवि को तोड़ नहीं पाए.
अफेयर भी और विवाद भी..
आलोक नाथ और नीना गुप्ता का अफेयर काफी चर्चा में रहा था. आलोक नाथ ने साल 1986 में आने वाले सीरियल 'बुनियाद' में खास पहचान बनाई थी. इस शो में उनकी छोटी बहू का किरदार निभा रही थीं नीना गुप्ता. और इसी दौरान उनका नीना गुप्ता से अफेयर शुरू हो गया. आलोक नाथ ने एक इंटरव्यू में ये भी कहा था कि 'मैंने जावानी में बहुत एंजॉय किया है. मेरी गर्लफ्रेंड्स बहुत क्रेजी थीं.'
आलोक नाथ ने कई रोमांटिक और बोल्ड रोल भी किए हैं जिसमें से एक थी कामाग्नी. इस फिल्म में टीना मुनीम के साथ दिया सीन काफी चर्चा में रहा था.
कब बने ऑफिशियल बाबू जी...
बाबू जी पर राजश्री की नजर पड़ी और वो कहते हैं न रेस्ट इज हिस्ट्री उसी दौर में आलोक नाथ एक बेहतरीन पिता और समधी के किरदार में हर फिल्म की शोभा बनने लगे. ये दौर था आलोक नाथ के करियर का सबसे बेहतरीन दौर जिसमें वो एक बेहज सुलझे हुए बाबूजी बने. मैंने प्यार किया, हम साथ-साथ हैं, हम आपके हैं कौन, विवाह जैसी फिल्मों में ये साबित हो गया कि आलोक नाथ बाबू जी और समधी दोनों किरदारों में ही फिट बैठते हैं.
इसके बाद इंटरनेट ने उन्हें संस्कारी कहकर नवाज़ा और आलोक नाथ पर बने मीम्स हर जगह फेमस होने लगे.
आलोक नाथ के नए और अनोखे किरदार को देखना है तो सोनू के टीटू की स्वीटी फिल्म देखिए. जिसमें बिंदास दादा जी बन आलोक नाथ ने अपनी वर्सिटैलिटी को साबित कर दिया.
आलोक नाथ की फिल्मोग्राफी ही नहीं उनकी इंटरनेट लोकप्रियता भी कई स्टार्स से आगे हैं और मेन लीग में न होते हुए भी आलोक नाथ ने खुद को स्थापित किया है. तो आलोक नाथ पर भी एक फिल्म बननी चाहिए जिसका नाम बाबू जी रखा जाना चाहिए. कारण सीधा सा है. इंटरनेट सेंसेशन बने बाबू जी को असल जिंदगी में जानना भी तो जरूरी है.
ये भी पढ़ें-
संजीव कुमार के जिस गाल पर नूतन ने थप्पड़ जड़ा, उसे पूरी फिल्म इंडस्ट्री ने चूमा
सनी लियोनी और संजू के बीच ये दिलचस्प दौड़ होगी
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.