बॉलीवुड, एक ऐसी चकाचौंध भरी दुनिया है जहां बाहर से सब कुछ चमकरदार नज़र आता है. नाम, पैसा, शोहरत, ग्लैमर से भरी जिंदगी जहां सब कुछ इन सितारों का होता है. बी टाउन सेलेब्स की दुनिया किसी जादुई दुनिया से कम नही लगती, लेकिन इस चमकदार और चकाचौंध भरी दुनिया पीछे से वैसी ही काली है जैसे दिए तले अंधेरा. इन दिनों 'कास्टिंग काउच' शब्द एक बार फिर सबकी जुबान पर चढ़ा हुआ है. जी हां, सरोज खान वाले बयान के बाद ये मामला फिर गर्माया है. लेकिन मामला सिर्फ गरमाने से क्या होगा. बात तो तब बनेगी जब इस पर फ़िल्म इंडस्ट्री के लोग खुलकर बात करेंगे.
सरोज खान ने तो अपना बयान देकर माफी मांग ली, लेकिन जब इस मामले में बॉलीवुड से प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की गई तो पत्रकारों के हाथ भी कुछ नहीं लगा. अभिनेत्री सोनम कपूर जो कि फेमिनिज्म का झंडा लेकर सबसे आगे चलती हैं, महिलाओं के हित की बात करती हैं. महिलाओं के सुख और दुख पर बोलती हैं और अब तो अपनी बहन रिया कपूर के साथ मिलकर महिलाओं पर फ़िल्म भी बना डाली जिसका नाम है 'वीरे दी वेडिंग'. इसी फिल्म के ट्रेलर लॉन्च पर मीडिया इंतज़ार कर रही था कि सोनम कास्टिंग काउच पर कुछ तो बोलें. क्योंकि इससे पहले सोनम ने अपने एक इंटरव्यू में जमकर कास्टिंग काउच का विरोध किया था और इस मामले पर काफी कुछ बोला भी था, लेकिन यहां तो सोनम ने ऐसी चुप्पी साधी की फेमिनिज्म का झंडा कहीं उल्टा लटक गया.
सोनम ने कहा कि वो इस मामले पर फिलहाल बात नही करेंगी. उनका मानना है कि जब फ़िल्म को लेकर पर्सनल इंटरव्यू होंगे तब वो इस मामले में बात करेंगी. यानी कुल मिलाकर वो पत्रकारों से ये कह रही थीं कि अगर आपको इस मामले में हेडलाइन्स चाहिए तो जरा इंतज़ार कीजिये.
हेडलाइन्स से याद आया. वो स्वरा भास्कर तो आपको याद ही होंगी. वही स्वरा जो आये दिन ट्विटर पर हिन्दू-मुस्लिम, रेप, बीजेपी-कांग्रेस और ना जाने कौन-कौन से मुद्दे पर अपनी राय रखती हैं. देखकर अच्छा भी लगता है कि आखिर बॉलीवुड में कोई तो है जिसे देश और दुनिया मे चल रही घटनाओं में दिलचस्पी है. स्वरा जेंडर...
बॉलीवुड, एक ऐसी चकाचौंध भरी दुनिया है जहां बाहर से सब कुछ चमकरदार नज़र आता है. नाम, पैसा, शोहरत, ग्लैमर से भरी जिंदगी जहां सब कुछ इन सितारों का होता है. बी टाउन सेलेब्स की दुनिया किसी जादुई दुनिया से कम नही लगती, लेकिन इस चमकदार और चकाचौंध भरी दुनिया पीछे से वैसी ही काली है जैसे दिए तले अंधेरा. इन दिनों 'कास्टिंग काउच' शब्द एक बार फिर सबकी जुबान पर चढ़ा हुआ है. जी हां, सरोज खान वाले बयान के बाद ये मामला फिर गर्माया है. लेकिन मामला सिर्फ गरमाने से क्या होगा. बात तो तब बनेगी जब इस पर फ़िल्म इंडस्ट्री के लोग खुलकर बात करेंगे.
सरोज खान ने तो अपना बयान देकर माफी मांग ली, लेकिन जब इस मामले में बॉलीवुड से प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की गई तो पत्रकारों के हाथ भी कुछ नहीं लगा. अभिनेत्री सोनम कपूर जो कि फेमिनिज्म का झंडा लेकर सबसे आगे चलती हैं, महिलाओं के हित की बात करती हैं. महिलाओं के सुख और दुख पर बोलती हैं और अब तो अपनी बहन रिया कपूर के साथ मिलकर महिलाओं पर फ़िल्म भी बना डाली जिसका नाम है 'वीरे दी वेडिंग'. इसी फिल्म के ट्रेलर लॉन्च पर मीडिया इंतज़ार कर रही था कि सोनम कास्टिंग काउच पर कुछ तो बोलें. क्योंकि इससे पहले सोनम ने अपने एक इंटरव्यू में जमकर कास्टिंग काउच का विरोध किया था और इस मामले पर काफी कुछ बोला भी था, लेकिन यहां तो सोनम ने ऐसी चुप्पी साधी की फेमिनिज्म का झंडा कहीं उल्टा लटक गया.
सोनम ने कहा कि वो इस मामले पर फिलहाल बात नही करेंगी. उनका मानना है कि जब फ़िल्म को लेकर पर्सनल इंटरव्यू होंगे तब वो इस मामले में बात करेंगी. यानी कुल मिलाकर वो पत्रकारों से ये कह रही थीं कि अगर आपको इस मामले में हेडलाइन्स चाहिए तो जरा इंतज़ार कीजिये.
हेडलाइन्स से याद आया. वो स्वरा भास्कर तो आपको याद ही होंगी. वही स्वरा जो आये दिन ट्विटर पर हिन्दू-मुस्लिम, रेप, बीजेपी-कांग्रेस और ना जाने कौन-कौन से मुद्दे पर अपनी राय रखती हैं. देखकर अच्छा भी लगता है कि आखिर बॉलीवुड में कोई तो है जिसे देश और दुनिया मे चल रही घटनाओं में दिलचस्पी है. स्वरा जेंडर इक्वालिटी से लेकर वुमन एम्पॉवरमेंट जैसे मुद्दों पर जम कर बरसती हैं लेकिन स्वरा ने सोनम की देखादेखी इस मामले पर ऐसी चुप्पी साधी जैसे वुमन एम्पावरमेंट और वुमन सेफ्टी का मामला उनके लिए केवल सोशल मीडिया तक सीमित रह गया. हां, अंत मे इतना जरूर कह गयी कि 'ट्विटर टाइम लाइन' पर मिलो.
इन दोनों के बाद अगर बात करें करीना कपूर की तो वो वैसे भी इन मामलों से दूर ही रहती है और इस बार भी करीना का रवैया कुछ वैसा ही रहा. कास्टिंग काउच एक ऐसी बड़ी समस्या है जिस पर ना तो वो बोलते हैं जो इसे अंजाम देते है और ना ही वो जो इसके शिकार होते हैं. साथ ही ये भी कहा जाता है कि स्टारकिड्स को इससे दो चार नहीं होना पड़ता. उन्हें आसानी से फिल्में मिल जाती हैं लेकिन एक आउटसाइडर के लिए ये बड़ी समस्या है. खैर, इस बात से शायद रनबीर कपूर इत्तेफाक रखते होंगे, तभी तो जब उनसे इस मामले पर सवाल पूछा गया तो पहले वो हंसे और फिर बोले कि मेरे साथ ये कभी हुआ ही नहीं. ना सिर्फ रनबीर कपूर कई ऐसे सितारे है जिन्होंने कास्टिंग काउच के सवाल पर या तो चुप्पी साधी या फिर इसका मज़ाक बनाया. लेकिन कुछ ऐसे भी निकले जिन्होंने थोड़ी हिम्मत दिखाई.
अभिनेत्री राधिका आप्टे अपने बेबाक बोल के लिए जानी जाती है. हाल ही में राधिका ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि कास्टिंग काउच के बारे में बात करने से डर लगता है. ऐसा लगता है कि कहीं इसका असर करियर पर तो नहीं पड़ेगा. हॉलीवुड में जिस तरह से इस पर रोक लगाने के प्रयास चल रहे हैं उसी प्रकार बॉलीवुड में भी ये होना चाहिए.
नेशनल अवार्ड विनर मराठी अभिनेत्री उषा जाधव ने कास्टिंग काउच से जुड़ी ऐसी ही एक घटना का वर्णन किया, जिसमें वो बता रही हैं कि किस तरह एक कास्टिंग एजेंट ने उन्हें काम देने के बदले कास्टिंग काउच की बात की और फेवर देने को कहा. इतना ही नही कास्टिंग एजेंट ने तो प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के साथ सोने तक कि बात कह दी और उषा को गलत तरीके से छूने लगा. उषा के मुताबिक इस इंडस्ट्री में इस तरह से यौन शोषण होना आम हो चला है.
खैर, ये कुछ ऐसी बातें थीं जो कास्टिंग काउच से जुड़ी थीं, लेकिन उन लोगों का क्या किया जाए जो कहते कुछ और हैं और करते कुछ और? अभिनेता फरहान अख्तर की ही बात ले लीजिए. मर्द फाउंडेशन द्वारा वो डॉमेस्टिक वायलेन्स से पीड़ित और किसी भी प्रकार से मर्द से पीड़ित महिलाओं की मदद की बात करते हैं लेकिन जब बात आती है अपनी ही इंडस्ट्री की महिलाओं की मदद करने की तो फरहान मीडिया को ही नैरो माइंडेड कह देते हैं. फरहान पुरुष है लेकिन शबाना आज़मी तो महिला हैं. महिलाओं के दर्द को उनसे बेहतर कौन समझ सकता है लेकिन शबाना आज़मी भी मौकापरस्त होकर केवल उन महिलाओं की मदद के लिए अग्रसर दिखाई दी जो उनकी फेवरेट लिस्ट में शामिल हैं.
अभिनेता रणवीर सिंह से लेकर कई ऐसे सितारे है जिन्हें कास्टिंग काउच का सामना करना पड़ा. बड़ी बात ये थी कि कम से कम रणवीर ने इस बात को शेयर किया. लेकिन आज तक इंजतार इसी बात का है कि आखिर वो कौन लोग हैं जो इस तरह की घटना को अंजाम दे रहे हैं और लोग इसे चुपचाप सह रहे हैं. कुछ स्ट्रगलिंग ऐक्टर्स से बात करने पर पता चलता है कि वो अब इसे प्रोसेस का हिस्सा मानते हैं और मेंटली इस बात के लिए तैयार होकर ही आते हैं कि उन्हें ऐसा कुछ करना पड़ सकता है और आखिर में ये पंक्तियां...
"कुचल के फेंक दो आंखों में ख्वाब जितने है,यहां केवल हुनर नही, एहसान चलते है!"
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