कोरोना महामारी (Covid 19 pandemic) के दो खौफनाक दौर ने खासकर बॉलीवुड (Bollywood) को तगड़ी चपत लगाई. दो-तीन फिल्मों को छोड़ दिया जाए तो दूसरी लहर के बाद की अवधि में अब तक रिलीज हुई फिल्मों को तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा है और वजह में कहीं ना कहीं महामारी से उपजे हालात ही हैं. कई फ़िल्में तो सालभर में बार-बार शेड्यूल हुईं. रिलीज अनाउंस करने के बावजूद निर्माताओं को पीछे हटना पड़ा. कुछ फ़िल्में महीनों पहले बनकर तैयार हैं, मगर एक सुरक्षित तारीख के इंतज़ार में हैं. सिनेमाघरों पर अभी भी दूसरी लहर का असर बरकार देखा जा सकता है. बेशकीमती महाराष्ट्र और गोवा सर्किट में सिनेमाघर 50 प्रतिशत दर्शक क्षमता के साथ ही चल रहे. इस बीच ओमिक्रॉन वैरिएंट का खतरा दुनिया को डराने लगा है.
निश्चित ही ओमिक्रॉन वैरिएंट से देश भी डरा हुआ है. कहना नहीं होगा कि अगले साल ठीकठाक माहौल में रिलीज डेट लॉक कर चुके निर्माताओं की नींदें हराम होंगी. हालांकि अभी देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के बहुत सारे मामले तो सामने नहीं आए हैं, मगर इसके प्रसार की रफ़्तार और पीक से जुड़ी रिपोर्ट्स और दूसरी लहर से मिले सबक डरावने हैं. एक्सपर्ट बता रहे कि प्रसार क्षमता में यह वैरिएंट कई कई गुना ज्यादा खतरनाक है और जनवरी-फरवरी में वैरिएंट से उपजी लहर पीक पर होगी. बॉलीवुड की परेशानी का सबब भी यही है.
ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से खतरे में हैं बड़ी ये फ़िल्में
दरअसल, जनवरी-फरवरी और मार्च में फिल्मों की रिलीज भी पीक पर है. इसी दौरान तीन बड़े फेस्टिव वीकएंड बनते दिख रहे. नया साल, रिपब्लिक डे और मार्च में होली का वीकएंड है. इन्हीं वीकएंड को ध्यान में रखते हुए निर्माताओं ने आसपास फिल्मों की रिलीज तय की है. और जो...
कोरोना महामारी (Covid 19 pandemic) के दो खौफनाक दौर ने खासकर बॉलीवुड (Bollywood) को तगड़ी चपत लगाई. दो-तीन फिल्मों को छोड़ दिया जाए तो दूसरी लहर के बाद की अवधि में अब तक रिलीज हुई फिल्मों को तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा है और वजह में कहीं ना कहीं महामारी से उपजे हालात ही हैं. कई फ़िल्में तो सालभर में बार-बार शेड्यूल हुईं. रिलीज अनाउंस करने के बावजूद निर्माताओं को पीछे हटना पड़ा. कुछ फ़िल्में महीनों पहले बनकर तैयार हैं, मगर एक सुरक्षित तारीख के इंतज़ार में हैं. सिनेमाघरों पर अभी भी दूसरी लहर का असर बरकार देखा जा सकता है. बेशकीमती महाराष्ट्र और गोवा सर्किट में सिनेमाघर 50 प्रतिशत दर्शक क्षमता के साथ ही चल रहे. इस बीच ओमिक्रॉन वैरिएंट का खतरा दुनिया को डराने लगा है.
निश्चित ही ओमिक्रॉन वैरिएंट से देश भी डरा हुआ है. कहना नहीं होगा कि अगले साल ठीकठाक माहौल में रिलीज डेट लॉक कर चुके निर्माताओं की नींदें हराम होंगी. हालांकि अभी देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के बहुत सारे मामले तो सामने नहीं आए हैं, मगर इसके प्रसार की रफ़्तार और पीक से जुड़ी रिपोर्ट्स और दूसरी लहर से मिले सबक डरावने हैं. एक्सपर्ट बता रहे कि प्रसार क्षमता में यह वैरिएंट कई कई गुना ज्यादा खतरनाक है और जनवरी-फरवरी में वैरिएंट से उपजी लहर पीक पर होगी. बॉलीवुड की परेशानी का सबब भी यही है.
ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से खतरे में हैं बड़ी ये फ़िल्में
दरअसल, जनवरी-फरवरी और मार्च में फिल्मों की रिलीज भी पीक पर है. इसी दौरान तीन बड़े फेस्टिव वीकएंड बनते दिख रहे. नया साल, रिपब्लिक डे और मार्च में होली का वीकएंड है. इन्हीं वीकएंड को ध्यान में रखते हुए निर्माताओं ने आसपास फिल्मों की रिलीज तय की है. और जो फ़िल्में रिलीज हो रहे हैं उनका स्केल बहुत ही बड़ा है. अकेले जनवरी और फरवरी में ही करीब एक दर्जन बड़ी फ़िल्में सिनेमाघरों में रिलीज हो रही हैं. ये फ़िल्में बड़े सुपरस्टार्स की हैं. इनमें अक्षय कुमार, प्रभाष, रामचरण तेजा, जूनियर एनटीआर, अजय देवगन, रणवीर सिंह, रणबीर कपूर, कार्तिक आर्यन और आलिया भट्ट जैसे स्टार्स शामिल हैं.
इनमें कुछ मल्टी लैंग्वेज फ़िल्में भी हैं. प्रमुख रूप से RRR (7 जनवरी), राधे श्याम (14 जनवरी), पृथ्वीराज (21 जनवरी), गंगूबाई काठियावाडी (18 फरवरी), जयेशभाई जोरदार (25 फरवरी), बच्चन पांडे (4 मार्च), शमशेरा (18 मार्च) और भूल भुलैया दो (25 मार्च) जैसी फ़िल्में शामिल हैं. इनके बाद के महीनों में लाल सिंह चढ्ढा समेत लगभग तीन दर्जन से ज्यादा छोटी-बड़ी फ़िल्में दिसंबर 2022 तक शेड्यूल हैं. पीक आई तो उनका असर शुरुआती के तीन महीनों भर में नहीं दिखेगा बल्कि पूरा साल ही चपेट में आने की आशंका है.
इससे पहले के सबक तो याद ही हैं अभी तक लोगों को. इस साल दूसरी लहर से पहले जनवरी तक हालात सामान्य होने के बाद सिनेमाघर खुल चुके थे. रूही जैसी कुछेक फिल्मों को रिलीज भी किया गया था. ईद और उसके बाद से राधे योर मोस्ट वांटेड भाई, 83, सूर्यवंशी जैसी फ़िल्में शेड्यूल थीं, मगर मध्य अप्रैल में अचानक से महामारी ने सिर उठाया और सबकुछ बदल गया. सिनेमाघरों को बंद करना पड़ा. ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले अभी देश में करीब 21 या 22 ही हैं, लेकिन उसके प्रसार को लेकर लोगों में भय है. ओमिक्रॉन वैरिएंट के रूप में तीसरी लहर आई तो एक बार फिर महामारी का वही खौफनाक असर दिखेगा जिससे दूसरी लहर में हम गुजर चुके हैं. मामले बढ़े तो सिनेमाघरों को बंद करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा.
ओमिक्रॉन वैरिएंट ने असर दिखाया तो थियेटर बिजनेस तबाही के मुहाने होगा!
सिनेमाघरों के बंद होने का मतलब है अगले साल रिलीज कैलेंडर का फिर से अस्त-व्यस्त हो जाना. थियेटर रिलीज के चक्कर में महीनों इंतज़ार करने वाले निर्माताओं के लिए यह फायदे की बात तो बिल्कुल नहीं कही जा सकती. निर्माताओं को बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ सकता है. महामारी की दो लहरों की वजह से फिल्म इंडस्ट्री की कमर पहले से ही टूट चुकी है. तीसरी लहर की चोट झेलना शायद फिल्म उद्योग के औकात से बाहर की चीज साबित हो. फिल्मों में निर्माताओं का बहुत सारा पैसा लगा हुआ है. साफ़ है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट बॉलीवुड के लिए भी तबाही लेकर आ सकता है. हालांकि अच्छी बात यह है कि अभी देश में नए वेरिएंट के मामले गिने-चुने हैं. तमाम एजेंसियों की सक्रियता के आधार पर यही उम्मीद की जानी चाहिए कि ओमिक्रॉन वैरिएंट उस तरह ना आए जैसे दूसरी लहर थी.
लेकिन ओमिक्रॉन वैरिएंट ने देश पर भी असर दिखाया तो इस बात की गारंटी है कि थियेटर बिजनेस तबाही के मुहाने पर खड़ा मिलेगा. जो नए हालात बनेंगे वह सिर्फ और सिर्फ ओवर दी टॉप प्लेटफॉर्म्स के लिए फायदेमंद साबित होंगे. दुआ करिए सबकुछ ठीकठाक रहे.
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