हॉरर फिल्म IT बहुत बेहतर कमाई कर रही है. 8 सितंबर को रिलीज होने के चार दिन के अंदर ही इस फिल्म ने 1150 करोड़ कमा कर दंगल और बाहुबली का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया था. जब से ये फिल्म रिलीज हुई है तब से ही सोशल मीडिया पर इसके भयंकर डरावने होने की बात कही जा रही है.
अक्सर ये कहा जाता है कि भारत में हॉलीवुड की तरह हॉरर फिल्में नहीं बनती हैं. पर उसके कुछ कारण तो होंगे? तो अब जान ही लीजिए कि फेमस हॉलीवुड हॉरर फिल्में आखिर भारत में क्यों नहीं बन सकती हैं.
1. IT
इट फिल्म जिसे इतना सराहा जा रहा है और जो अब तक की सबसे बड़ी हॉलीवुड हिट साबित हुई है ये फिल्म भारत में कतई नहीं बन सकती थी. कारण? इट फिल्म में जोकर सीवर के अंदर रहता है. इस फिल्म के बहुत से सीन सीवर के अंदर ही फिल्माए गए हैं. चाहें वो छोटे बच्चे जॉर्जी की मौत का सीन हो या फिर लूजर गैंग (फिल्म में एक लूजर गैंग है) के जोकर (पेनिवाइस) को ढूंढने का सीन हो.
खुद ही सोचिए. अगर ये फिल्म भारत में बनाई गई होती तो डायरेक्टर और फिल्म कास्ट साफ सीवर कहां से लाते? अगर सेट बना भी लिया जाता तो मुंबई जैसे शहर में ये फिल्म बिलकुल भी शूट नहीं हो पाती. इतनी बारिश में तो खुद पेनिवाइस भी परेशान हो जाता? दिल्ली में अगर इसे शूट किया जाता तो पेनिवाइस को सीवर के अंदर रहते ही डेंगू हो जाता. फिर तो उस जोकर का भगवान ही मालिक है. कानपुर जैसे शहर में अगर शूट किया जाता तो तस्वीर खुद गवाह है कि क्या होता.
लातूर में सीवर के आगे कचरा फेंक दिया जाता क्योंकि पानी तो होता नहीं. यूपी, बिहार में सीवर के पास लोग...
हॉरर फिल्म IT बहुत बेहतर कमाई कर रही है. 8 सितंबर को रिलीज होने के चार दिन के अंदर ही इस फिल्म ने 1150 करोड़ कमा कर दंगल और बाहुबली का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया था. जब से ये फिल्म रिलीज हुई है तब से ही सोशल मीडिया पर इसके भयंकर डरावने होने की बात कही जा रही है.
अक्सर ये कहा जाता है कि भारत में हॉलीवुड की तरह हॉरर फिल्में नहीं बनती हैं. पर उसके कुछ कारण तो होंगे? तो अब जान ही लीजिए कि फेमस हॉलीवुड हॉरर फिल्में आखिर भारत में क्यों नहीं बन सकती हैं.
1. IT
इट फिल्म जिसे इतना सराहा जा रहा है और जो अब तक की सबसे बड़ी हॉलीवुड हिट साबित हुई है ये फिल्म भारत में कतई नहीं बन सकती थी. कारण? इट फिल्म में जोकर सीवर के अंदर रहता है. इस फिल्म के बहुत से सीन सीवर के अंदर ही फिल्माए गए हैं. चाहें वो छोटे बच्चे जॉर्जी की मौत का सीन हो या फिर लूजर गैंग (फिल्म में एक लूजर गैंग है) के जोकर (पेनिवाइस) को ढूंढने का सीन हो.
खुद ही सोचिए. अगर ये फिल्म भारत में बनाई गई होती तो डायरेक्टर और फिल्म कास्ट साफ सीवर कहां से लाते? अगर सेट बना भी लिया जाता तो मुंबई जैसे शहर में ये फिल्म बिलकुल भी शूट नहीं हो पाती. इतनी बारिश में तो खुद पेनिवाइस भी परेशान हो जाता? दिल्ली में अगर इसे शूट किया जाता तो पेनिवाइस को सीवर के अंदर रहते ही डेंगू हो जाता. फिर तो उस जोकर का भगवान ही मालिक है. कानपुर जैसे शहर में अगर शूट किया जाता तो तस्वीर खुद गवाह है कि क्या होता.
लातूर में सीवर के आगे कचरा फेंक दिया जाता क्योंकि पानी तो होता नहीं. यूपी, बिहार में सीवर के पास लोग खुले में शौच का आनंद ले रहे होते और डायरिया जैसी बीमरी खुद पेनिवाइस को भी लग जाती. अगर फिर भी कहीं सेट बना लिया जाता फिल्म का तो चाइल्ड एब्यूज का केस लगा दिया जाता.
2. एनाबेल : क्रिएशन
एनाबेल फिल्म का प्रीक्वेल जो काफी लोकप्रिय रहा है वो भी भारत में बन पाना थोड़ा मुश्किल है. इस फिल्म में शहर से दूर एक दंपति के घर पर कुछ अनाथ बच्चियां रहने आती हैं. फिल्म का सेट भी काफी रोचक दिख रहा है. अब लगभग 80% हॉलीवुड हॉरर फिल्मों में एक परिवार नए घर में रहने आता है. कॉन्जरिंग, अमेरिकन हंटिंग, एनाबेल आदि सभी में शहर से दूर एक घर चाहिए. अब भारत में तो ऐसा घर मिलेगा नहीं. अगर मिला भी तो असल में उसपर कब्जा कर लिया जाएगा. अगर सेट बनाया गया तो खर्च बहुत हो जाएगा क्योंकि ये सेट बड़ा होना चाहिए. अगर खर्च बहुत हो जाएगा तो एक्टर और एक्ट्रेस के सेक्सी गाने के लिए पैसा कहां से आएगा. अब भारतीय फिल्म में हीरो-हिरोइन का होना तो जरूरी है न. ऐसे सिर्फ बच्चों को लेकर थोड़ी फिल्म बना सकते हैं.
एनाबेल क्रिएशन में एक नन का किरदार है, एक दंपति है और 6 लड़कियों के साथ एक भूतिया गुड़िया और एक फ्लैशबैक कैरेक्टर है. अब दंपति का किरदार केमियो है तो उसमें किसी बड़े एक्टर को लेना पड़ेगा. नन के किरदार के लिए किसी ऐसी एक्ट्रेस को लेना होगा जो अकेले पूरी फिल्म का भार अपने सिर पर ले ले. जी हां, कंगना का नाम ही सबसे ऊपर है इसमें. अब कंगना को लिया जाएगा तो इंडस्ट्री के आधे लोग उसके साथ काम नहीं करेंगे. फिल्म के लिए नए टैलेंट की खोज करनी होगी और इसमें ही फिल्म का बजट और बढ़ जाएगा. कितने कॉम्प्लिकेशन हैं.....
3. इंसीडियस
इस फिल्म की कहानी बड़ी आसान है. बच्चे की आत्मा नींद में शरीर छोड़कर चली जाती है किसी दूसरी ही दुनिया में जहां बुरी शक्तियां रहती हैं. बच्चे की आत्मा को बंदी बना लिया जाता है और शरीर पर कब्जा करने की कोशिश की जाती है. इस फिल्म में कई सारे भूत दिखाए गए हैं. लोकेशन बदली गई है.
ये फिल्म भी भारत में बनाने में थोड़ी मुश्किल होती. अव्वल तो भारतीय मां किसी भी हालत में मार-पीटकर बच्चे को उठा ही देती. दूसरा इस फिल्म को पूरा करने के लिए बड़ी स्टार कास्ट की जरूरत होती. कहानी में बच्चे पर फोकस करने की जगह मां-बाप के रोमांस पर फोकस किया जाता. फिल्म में एक सीन में दादी भी आती हैं जो बताती हैं कि बच्चे को ये श्राप विरासत में मिला है और उसके पिता को भी ये श्राप मिला था. ये सीन इतना इमोशनल बनाया जाता कि लोग रो देते और कम से कम 20 मिनट दिए जाते राज खुलने वाले सीन के लिए. फिल्म में एक तांत्रिक भी है जो दादी की सहेली है. भारत में अगर ये फिल्म बनती तो तांत्रिक का मेकअप सुधा चंद्रन की तरह किया जाता और मेकअप का बजट ही ज्यादा हो जाता.
4. द रिंग
90 के दशक में बनी इस फिल्म को जिन लोगों ने भी देखा है उन्हें पता होगा कि फिल्म में मेकअप और स्पेशल इफेक्ट्स ही उसकी जान है. फिल्म के दो पार्ट्स आए हैं और दोनों पार्ट्स में कोई रोमांस नहीं है. एक बिन ब्याही मां है जो पहले खुद बचने की कोशिश करती है और फिर अपने बच्चे को बचाने की कोशिश करती है. पहली बात तो ये भारत में हो ही नहीं सकता. ऐसा अधर्म तौबा-तौबा. लोग ताने मारकर ही दोनों को मार देते. भूतनी का काम हल्का हो जाता.
5. ड्रैकुला
ड्रैकुला फिल्म अगर भारत में बनी तो बड़ी मुश्किल होगी. पहली बात तो ये कि ड्रैकुला चमगादड़ बनकर उड़ता है. भारत में अगर चमगादड़ बना तो बेचारा किसी बिजली के तार में चिपक जाएगा. अगर किसी तरह से वहां से बच भी गया तो अजीब ड्रैकुला की हवेली पर आए दिन शहर वालों की भीड़ जुटी रहेगी. वहां से भी बच गया तो सरकार हवेली को टूरिस्ट स्पॉट या कोई फेमस होटल बना देगी.
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