फिलहाल तो बॉलीवुड की ज्यादा चर्चा फिल्मों की बजाय उनके बायकॉट ट्रेंड पर होते दिख रही है. एक से बढ़कर एक तर्क सामने आते हैं और तमाम स्थापित तर्कों को नाना प्रकार के अफलातून मिलकर पलभर में खारिज कर देते हैं. फिलहाल बायकॉट बॉलीवुड ट्रेंड के निशाने पर 9 सितंबर को रिलीज हो रही करण जौहर की 'ब्रह्मास्त्र' है. अयान मुखर्जी के निर्देशन में रणबीर कपूर और आलिया भट्ट मुख्य भूमिका में हैं. ब्रह्मास्त्र की कहानी पौराणिक साइंस फिक्शन है जो भगवान शिव से जुड़े एक रहस्य को लेकर बनाई गई है. फिल्म में शाहरुख खान का भी एक कैमियो बताया जा रहा है.
फिल्म सर्किल में शाहरुख के होने को ब्रह्मास्त्र की सबसे बड़ी यूएसपी के रूप में देखा जा रहा. हालांकि शाहरुख को लेकर फिल्म के निर्माता पूरी तरह से खामोश हैं और किसी फिल्म के जोरदार प्रमोशन में उनका चेहरा फिलहाल तो आधिकारिक रूप से नहीं दिखा है. ब्रह्मास्त्र में शाहरुख का काम क्या है- यह खुलासा तो नहीं हो पाया मगर चर्चाओं से संकेत यही मिलता है कि लोगों की उसमें दिलचस्पी है. दिलचस्पी के पॉजिटिव निगेटिव दोनों कारण हैं. करण जौहर की फिल्म में शाहरुख के होने का खराब मतलब फिल्म के खिलाफ जारी निगेटिव कैम्पेन में देखा जा सकता है.
कई लोगों का दावा है कि बायकॉट बॉलीवुड कैम्पेन में पिछले कुछ महीनों से जिस तरह विरोध हुआ खासकर खान सितारे निशाने पर रहे- पठान की रिलीज से पहले शाहरुख की छवि बदलने का काम किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर कुछ लोग कह रहे कि पठान की रिलीज से पहले किंग खान लगातार दूसरी फिल्म में कैमियो करते नजर आएंगे. इससे पहले शाहरुख ने इसरो के ईमानदार वैज्ञानिक नाम्बी नारायण की बायोपिक में भी कैमियो किया था. उन्होंने रॉकेटरी: द नाम्बी इफेक्ट में एक पत्रकार की छोटी भूमिका की. नाम्बी इफेक्ट को एक धड़े ने दक्षिणपंथी एजेंडा पर बनी फिल्म करा दिया था. लोगों ने कहा कि ब्रह्मास्त्र की तरह ही नाम्बी इफेक्ट जैसी राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत फिल्म का सहारा शाहरुख की छवि बदलने के अलावा और कुछ नहीं.
ब्रह्मास्त्र में शाहरुख खान कैमियो कर रहे हैं.ब्रह्मास्त्र जैसी पौराणिक कहानी में शाहरुख का किरदार हैरान करने वाला है!
ब्रह्मास्त्र में शाहरुख की भूमिका को लेकर रिलीज से पहले किसी भी तरह का दावा करना जल्दबाजी होगी. वैसे पिछले कुछ हफ़्तों में कई वीडियो वायरल हुए. जिसके आधार पर ब्रह्मास्त्र में शाहरुख के किरदार को लेकर चर्चाएं बनी. कुछ लोगों ने दावा किया कि शाहरुख वैज्ञानिक की भूमिका में हैं. कुछ दावों में उनके किरदार का सुपरनैचुरल होना बताया गया. दो ऐसे दावे भी आए जिसमें कहा गया कि एक्टर भगवान शिव या भगवान हनुमान जी के किरदार में हैं. एक वीडियो में तो वे हवा से जमीन पर उतरते दिख रहे हैं. उनके पार्श्व में हनुमान जी की आकृति नजर आ रही है. जबकि एक वीडियो में शिव जैसी विहंगम छवि दिखी और बताया गया कि यह कोई और नहीं किंग खान ही तो हैं.
अब ब्रह्मास्त्र, शाहरुख की छवि किस तरह बदलेगी- यह बहस का विषय हो सकता है. कैमियो से किसी की छवि बदल भी सकती है क्या? किंग खान ने अब तक ना जाने कितनी ही फिल्मों में कैमियो किया है. वैसे उन्हें पौराणिक किरदारों में नहीं देखा गया. अलबत्ता उन्होंने पीरियड ड्रामा अशोक में भारत के एक सबसे महान योद्धा और सम्राट का किरदार जरूर निभाया था. वैसे किंग खान करण जौहर के सबसे करीबी दोस्तों में शुमार किए जाते हैं. दोनों का साथ लगभग उतना ही पुराना है जितना बॉलीवुड में किंग खान का करियर. ब्लॉकबस्टर दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे में करण, शाहरुख के दोस्त की भूमिका में स्क्रीन भी साझा कर चुके हैं. पिछले कुछ सालों में धर्मा प्रोडक्शन ने जो बड़ी ब्लॉकबस्टर दी हैं उनमें से ज्यादातर शाहरुख के साथ ही बनाई गई थीं.
ब्रह्मास्त्र को फ्लॉप करने की कोशिश या पठान को बचाने का प्रयास
यह भी हो सकता है कि शाहरुख वैसे ही कैमियो कर रहे हों जैसे अबतक तमाम फिल्मों में करते रहे हैं. चूंकि बॉलीवुड के विरोध में दिख रहे तमाम कैम्पेन निश्चित रूप से मुस्लिमों से हेट पर आधारित कहे जा सकते हैं. इसलिए ब्रह्मास्त्र के खिलाफ मुस्लिम हेट को लेकर लोगों के गुस्से को बढ़ाने के लिए उनके नाम का सहारा लिया जा रहा हो. करण जौहर से उनकी पुरानी दोस्ती और फिल्म में होने आदि को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है.
पठान अगले साल रिलीज होने वाली है और उसपर भी बायकॉट की तलवार लटकी है. रिलीज से महीनों पहले पठान का विरोध तो यही कहता है. पठान को यशराज फिल्म्स ने बनाया है. यह बॉलीवुड की आने वाली सबसे बड़ी फिल्मों में से एक है. इसमें शाहरुख के साथ दीपिका पादुकोण और जॉन अब्राहम भी अहम भूमिकाओं में हैं.
अब ब्रह्मास्त्र को शाहरुख की वजह से किस तरह नुकसान होगा यह देखने वाली बात है. मगर किसी भी पृष्ठभूमि से आने वाले कलाकार के लिए कोई किरदार महज एक्ट भर होता है. इससे ज्यादा कुछ नहीं. सोशल मीडिया पर आए तर्कों के आधार पर दुनिया की चीजें तय नहीं हो सकतीं.
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