सभी लोग घर में माता-पिता को परिवार चलाने के लिए पैसों को मैनेज करते देखते बड़े होते हैं. बच्चों को पॉकेट मनी देने से लेकर उनकी मांगों को पूरा करना सब बिल्कुल सटीक और सधे तरीके से होता है. घर के खर्चे में कहीं कोई कमी नहीं होती. अब जाहिर है कि इसलिए ही बड़े होने पर लोग अपना वेल्थ मैनेजमेंट भी वैसा ही करना चाहते हैं जैसा उनके माता-पिता ने किया होता है.
अब जहां मैंनेजमेंट की बात हो वहां औरतों का जिक्र न आए ऐसा कैसे हो सकता है भला! अब बात चाहे घर के मैनेजमेंट की हो या फिर पैसे की, महिलाओं से निपुण तो कोई हो ही नहीं सकता. साथ ही इस बात से तो कोई इंकार नहीं कर सकता कि अगर महिलाओं को स्वतंत्रता चाहिए तो आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर भी रहना होगा. आर्थिक आत्मनिर्भरता कई दरवाजे खोल देती है.
अक्सर देखा जाता है कि अपने पैसों की मैनेजमेंट के लिए महिलाएं अपने घर के पुरूषों पर निर्भर रहती हैं. लेकिन हम आपको बताते हैं इंवेस्टमेंट वो चार तरीके जो बेहद आसान हैं. साथ ही बिना किसी झंझट के इंवेस्टमेंट कर सकते हैं.
म्यूचुअल फंड में निवेश करें
टीवी पर म्यूचुयल इंवेस्टमेंट के खुब सारे विज्ञापनों को तो देखा ही होगा. इन विज्ञापनों को लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन अब समय आ गया है जब औरतों को इन विज्ञापनों के संदेश को सीरियसली लेना शुरु कर देना चाहिए. अगर आपको नहीं पता कि म्यूचुयल फंड क्या होता है तो हम हैं ना. म्यूचुयल फंड शेयर बाजार में निवेश का एक सुरक्षित तरीका है. इसे प्रोफेशनल लोग मैनेज करते हैं.
तो यह कैसे काम करता है? अगर बिल्कुल सरल शब्दों में कहें तो यह किसी बड़ी पिज्जा का एक छोटा टुकड़ा खरीदने की तरह है. म्यूचुअल फंड यूनिट के मालिक को फंड के लाभ, नुकसान, आय और खर्च का...
सभी लोग घर में माता-पिता को परिवार चलाने के लिए पैसों को मैनेज करते देखते बड़े होते हैं. बच्चों को पॉकेट मनी देने से लेकर उनकी मांगों को पूरा करना सब बिल्कुल सटीक और सधे तरीके से होता है. घर के खर्चे में कहीं कोई कमी नहीं होती. अब जाहिर है कि इसलिए ही बड़े होने पर लोग अपना वेल्थ मैनेजमेंट भी वैसा ही करना चाहते हैं जैसा उनके माता-पिता ने किया होता है.
अब जहां मैंनेजमेंट की बात हो वहां औरतों का जिक्र न आए ऐसा कैसे हो सकता है भला! अब बात चाहे घर के मैनेजमेंट की हो या फिर पैसे की, महिलाओं से निपुण तो कोई हो ही नहीं सकता. साथ ही इस बात से तो कोई इंकार नहीं कर सकता कि अगर महिलाओं को स्वतंत्रता चाहिए तो आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर भी रहना होगा. आर्थिक आत्मनिर्भरता कई दरवाजे खोल देती है.
अक्सर देखा जाता है कि अपने पैसों की मैनेजमेंट के लिए महिलाएं अपने घर के पुरूषों पर निर्भर रहती हैं. लेकिन हम आपको बताते हैं इंवेस्टमेंट वो चार तरीके जो बेहद आसान हैं. साथ ही बिना किसी झंझट के इंवेस्टमेंट कर सकते हैं.
म्यूचुअल फंड में निवेश करें
टीवी पर म्यूचुयल इंवेस्टमेंट के खुब सारे विज्ञापनों को तो देखा ही होगा. इन विज्ञापनों को लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन अब समय आ गया है जब औरतों को इन विज्ञापनों के संदेश को सीरियसली लेना शुरु कर देना चाहिए. अगर आपको नहीं पता कि म्यूचुयल फंड क्या होता है तो हम हैं ना. म्यूचुयल फंड शेयर बाजार में निवेश का एक सुरक्षित तरीका है. इसे प्रोफेशनल लोग मैनेज करते हैं.
तो यह कैसे काम करता है? अगर बिल्कुल सरल शब्दों में कहें तो यह किसी बड़ी पिज्जा का एक छोटा टुकड़ा खरीदने की तरह है. म्यूचुअल फंड यूनिट के मालिक को फंड के लाभ, नुकसान, आय और खर्च का आनुपातिक हिस्सा मिलता है. आप अपने निवेश के मुताबिक अपना रिटर्न पायेंगे. तो आपको कितना निवेश करना चाहिए? यह सब तो इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितना पैसा जमा करना चाहते हैं.
आप चाहें तो एसआईपी यानी सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान में भी निवेश कर सकती हैं. ये ठीक वैसा ही निवेश है जैसे रेकरिंग अकाउंट में किया जाता है. रेकरिंग में हर महीने छोटी रकम जमा की जाती है. एसआईपी के द्वारा म्यूचुअल फंड में निवेश मासिक या तिमाही अवधि पर निवेश करने की छूट होती है. इससे एक ही बार में एक मुश्त मोटी रकम देने का बोझ भी नहीं पड़ता.
डाकघर में भी निवेश के विकल्प को तलाशें-
जी बिल्कुल सही सुना आपने. हमारे यहां के डाकघर अब सिर्फ चिट्ठियां पहुंचाने और कुरियर पहुंचाने का ही काम नहीं करते. बल्कि अब डाकघर सेविंग का भी अच्छा विकल्प मुहैया कराती हैं. डाकघर की योजनाएं निवेश के लिए सुरक्षित ऑप्शन हैं. साथ ही यहां आपकी जरुरत के अनुसार अपना प्लान चुनने के लिए भी कई सारी योजनाएं हैं. खास बात ये कि इन योजनाओं पर टैक्स में बचत भी होती है.
आप किसी सेविंग अकाउंट यानी की बचत खाते में भी निवेश कर सकती हैं. सेविंग अकाउंट आपको एटीएम कार्ड भी देता है. आप अपनी आय का एक हिस्सा मासिक आय खाते में भी जमा कर सकती हैं. इससे आपको मासिक आधार पर ब्याज मिलता रहेगा. इसके अलावा नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट भी हैं जहां आप निवेश कर सकती हैं. ये भारत पोस्ट द्वारा जारी एक टैक्स सेविंग बांड है.
इमरजेंसी के लिए भी तैयार रहें-
जीवन में किसी भी चीज की गारंटी नहीं है. खुद जिंदगी की भी नहीं. कब कौन किस त्रासदी का शिकार हो जाए पता नहीं. लेकिन अगर आप इससे निपटने के लिए आर्थिक रूप से तैयार हैं, तो समझिए की आपकी आधी समस्या वैसे ही भाग हल हो गई. इस समस्या से निपटने के लिए आपको सिर्फ एक अच्छे स्वास्थ्य बीमा की जरुरत है.
किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति से निपटने के लिए हर महिला को एक इमरजेंसी फंड बनाकर रखना चाहिए. और ये काम उसकी लिस्ट में टॉप पर होना चाहिए. इस फंड में इतने पैसे होने चाहिए कि जॉब चले जाने, तलाक या फिर जीवनसाथी की मृत्यु के बाद आप कम-से-कम छह महीने तक पैसों की चिंता न करें.
हालांकि यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपके स्वास्थ्य बीमा में आपकी प्रेग्नेंसी भी कवर होनी चाहिए. क्योंकि आज के समय में अस्पतालों का खर्चा आसमान छू रहा है. बाजार में तरह-तरह की बीमारियों के लिए भी बीमा मौजूद है.
रिटायर होने से पहले रिटायरमेंट के बारे में सोच लें
ज्यादातर भारतीय 40 के पार होने के बाद ही अपने रिटायरमेंट के बारे में प्लान करना शुरु करते हैं. चाहे स्त्री हो या पुरुष हर किसी की प्लानिंग इसी उम्र के बाद शुरु होती है जो बेहद गलत है. हैरानी की बात ये है कि ज्यादातर महिलाओं के लिए तो रिटायरमेंट सेविंग प्राथमिकता नहीं होती. ये उनकी बहुत बड़ी भूल साबित हो सकती है. हर आत्मनिर्भर महिला को अपने करियर की शुरूआत से ही अपना रिटायरमेंट सेविंग शुरू कर देना चाहिए. इससे न सिर्फ उन्हें आर्थिक दृढ़ता मिलेगी बल्कि निवेश के लिए लंबा समय भी मिलेगा.
तो आप अपनी सेवानिवृत्ति के लिए खुद को बेहतर कैसे तैयार कर सकते हैं? ऐसा करने के कई तरीके हैं. इसके लिए आप या तो अपने म्यूचुअल फंड या एसआईपी पर भरोसा कर सकते हैं. या अपने बैंक से रिटायरमेंट पॉलिसी के बारे में पता कर सकते हैं. अगर आपके पास कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाता या सार्वजनिक भविष्य निधि अकाउंट (पीपीएफ) है, तो सेवानिवृत्ति और भी आसान हो सकती है. या फिर आप कभी भी राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में कभी भी निवेश कर सकती हैं. एनपीएस एक कम खर्चे वाला और टैक्स बचाने वाली स्कीम है जिसे भारत सरकार ने लॉन्च किया है.
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