अमूल दूध (Amul milk) अब कैसे पीएगा इंडिया? एक तरफ टीवी पर अमूल दूध पीता है इंडिया वाला ऐड चल रहा था. दूसरी तरफ यह खबर चल रही थी कि अमूल दूध का दाम बढ़ (Amul milk new price) गया है. दिन भर से रूस-यूक्रेन की खबरों के बीच लगा एक हल्का सा ही सही झटका जरूर लगा, क्योंकि दूध का दाम बढ़ने का असर हर सबसे ज्यादा गरीब और मीडिल क्लास वाले लोगों पर ही होगा.
हम यहां करीब 5 दिन से रूस-यूक्रेन युद्ध पर नजर गड़ाए हुए हैं. लोग सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल रहे हैं. हमें उन देशों की पूरी जानकारी है और इसलिए कई लोग अपने सोशल मीडिया पर युद्ध के जानकार भी बने हैं.
कई लोग रूस और यूक्रेन को सलाह भी दे रहे हैं. मीडिया में रूस और यूक्रेन की खबरें छाई हुईं है. गूगल ट्रेंड पर दूसरी खबरें बहुत ही कम हैं. हम यहां रूस-यूक्रेन में लगे रहे और इधर अपने देश में अमूल दूध 2 रूपए मंहगा हो गया. अब 1 मार्च 2022 यानी कल से अमूल के सभी प्रकार के दूध बढ़े हुए दाम पर ही मिलेंगे. जीसीएमएमएफ के अनुसार, पिछले 2 वर्षों में अमूल ने अपने ताजा दूध श्रेणी की कीमतों में प्रति वर्ष केवल 4% की वृद्धि की है.
रूस-यूक्रेन मामलों के चलते इस खबर पर अधिक लोगों का ध्यान भी नहीं गया. आलम तो यह है कि अगर चुनाव न होता तो शायद पेट्रोल की कीमतें भी बढ़ ही जातीं और हमारा फोकस भी अधिक नहीं जाता. बेचारी पेट्रोल-डीजल कंपनियां करें तो आखिर क्या करें.
इसी तरह का माहौल तब बना था तब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था. हम दूसरे के दुख में इतना शामिल हो जाते हैं कि अपने घर में क्या चल रहा है? इस पर ध्यान ही नहीं जाता. वैसे जो मदद करना है हमारी सरकार ही करेगी लेकिन लोग खुद ही सोशल मीडिया पर विशेषज्ञ बनकर बैठ गए हैं.
दरअसल, अमूल दूध निर्माता...
अमूल दूध (Amul milk) अब कैसे पीएगा इंडिया? एक तरफ टीवी पर अमूल दूध पीता है इंडिया वाला ऐड चल रहा था. दूसरी तरफ यह खबर चल रही थी कि अमूल दूध का दाम बढ़ (Amul milk new price) गया है. दिन भर से रूस-यूक्रेन की खबरों के बीच लगा एक हल्का सा ही सही झटका जरूर लगा, क्योंकि दूध का दाम बढ़ने का असर हर सबसे ज्यादा गरीब और मीडिल क्लास वाले लोगों पर ही होगा.
हम यहां करीब 5 दिन से रूस-यूक्रेन युद्ध पर नजर गड़ाए हुए हैं. लोग सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल रहे हैं. हमें उन देशों की पूरी जानकारी है और इसलिए कई लोग अपने सोशल मीडिया पर युद्ध के जानकार भी बने हैं.
कई लोग रूस और यूक्रेन को सलाह भी दे रहे हैं. मीडिया में रूस और यूक्रेन की खबरें छाई हुईं है. गूगल ट्रेंड पर दूसरी खबरें बहुत ही कम हैं. हम यहां रूस-यूक्रेन में लगे रहे और इधर अपने देश में अमूल दूध 2 रूपए मंहगा हो गया. अब 1 मार्च 2022 यानी कल से अमूल के सभी प्रकार के दूध बढ़े हुए दाम पर ही मिलेंगे. जीसीएमएमएफ के अनुसार, पिछले 2 वर्षों में अमूल ने अपने ताजा दूध श्रेणी की कीमतों में प्रति वर्ष केवल 4% की वृद्धि की है.
रूस-यूक्रेन मामलों के चलते इस खबर पर अधिक लोगों का ध्यान भी नहीं गया. आलम तो यह है कि अगर चुनाव न होता तो शायद पेट्रोल की कीमतें भी बढ़ ही जातीं और हमारा फोकस भी अधिक नहीं जाता. बेचारी पेट्रोल-डीजल कंपनियां करें तो आखिर क्या करें.
इसी तरह का माहौल तब बना था तब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था. हम दूसरे के दुख में इतना शामिल हो जाते हैं कि अपने घर में क्या चल रहा है? इस पर ध्यान ही नहीं जाता. वैसे जो मदद करना है हमारी सरकार ही करेगी लेकिन लोग खुद ही सोशल मीडिया पर विशेषज्ञ बनकर बैठ गए हैं.
दरअसल, अमूल दूध निर्माता कंपनी ने यह जानकारी ग्राहकों को एक विज्ञप्ति के जरिए दी है. इस बार गुजरात कॉपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ने एक साल पूरे होने के पहले ही कीमतों में इजाफा कर दिया है. बढ़े हुए दामों पर कपंनी ने अपनी विज्ञप्ति में कहा है कि एनर्जी, पैकेजिंग, परिवहन और पशु आहार की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण दूध की कीमतों में इजाफा हुआ है.
यही हाल रहा तब तो आने वाले कुछ सालों में दूध आम इंसान की जिंदगी से गायब ही हो जाएगा. जिस देश में दूध, घी की नदियां बहती थीं. उसी देश में लोग दूध देखने को तरस जाएंगे. लोग पहले अपने घरों में एक गाय जरूर पालते थे लेकिन शहरीकरण और मंहगाई ने लोगों की इस आदत को छुड़ा दिया. आखिर, गरीब इंसान करे तो क्या करे...
हो सकता है कि बहुत से लोगों के लिए अमूल दूध के 2 रूपए दाम बढ़ना कोई बड़ी बात ना लगे लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार हर चीज को बड़े जोड़-चेतकर चलते हैं. एक समय एक पैकेट पर दूध की कीमत का 2 रूपए बढ़ना भले ही ज्यादा न लगे लेकिन जब रोज के दो समय की चाय और रात में बच्चों के दूध पीने की बात होगी तो महीने के बजट पर असर तो होगा ही.
हो सकता है कि घर के महिलाएं भरपाई के लिए चाय में थोड़ा कम दूध डालना शुरु कर दें. हो सकता है कि अब वीकेंड पर पनीर 250 ग्राम की जगह 200 ग्राम ही आए क्योंकि मीडिल क्लास फैमिली को एडजेस्ट करने की आदत है. सोशल मीडिया वाले लगे रहे रूस-यूक्रेन में भला गरीब को इससे क्या मतलब कि दूसरे देश में क्या हो रही है?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.