देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी (LIC) के इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ (IPO) के लॉन्च होने की खबर के साथ ही पॉलिसीहोल्डर्स (Policyholders) की इस आईपीओ में दिलचस्पी बढ़ने लगी थी. वहीं, एलआईसी आईपीओ के अपडेटेड ड्राफ्ट को बाजार नियामक सेबी से मंजूरी मिलने के बाद साफ हो चुका है कि इसका इश्यू 4 मई से लेकर 9 मई तक आम निवेशकों (जिनमें पॉलिसीहोल्डर्स भी शामिल हैं) के लिए खुला रहेगा. इस स्थिति में एक एलआईसी पॉलिसीहोल्डर के तौर पर एलआईसी आईपीओ को लेकर लोगों के मन में कई सवाल आना लाजिमी हैं. आइए जानते हैं कि एलआईसी आईपीओ से जुड़ी जानकारियों में पॉलिसीहोल्डर्स के किन सवालों के जवाब मिले हैं...
क्या है LIC IPO?
केंद्र सरकार ने भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी के अपने 5 फीसदी शेयर बेचने का फैसला किया था. केंद्र सरकार की ये हिस्सेदारी कंपनी के 31.6 करोड़ शेयर के रूप में थी. लेकिन, अब अपडेटेड ड्राफ्ट में केंद्र सरकार ने 3.5 फीसदी हिस्सेदारी ही बेचने का निर्णय लिया है. तो, एलआईसी आईपीओ के जरिये 22.13 करोड़ शेयर बेचे जाएंगे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो एलआईसी आईपीओ के जरिये पॉलिसीहोल्डर्स और निवेशक भारतीय जीवन बीमा निगम के 3.5 फीसदी शेयर के मालिक बन जाएंगे.
पॉलिसीहोल्डर हैं, तो क्या शेयर के आवंटन में आरक्षण मिलेगा?
भारतीय जीवन बीमा निगम की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि एलआईसी आईपीओ के जरिये बेचे जा रहे 21.13 करोड़ में पॉलिसीहोल्डर्स को भी आरक्षण मिलेगा. कंपनी ने 5.92 करोड़ शेयर एंकर निवेशकों, 15.8 लाख शेयर कर्मचारियों और 2.21 करोड़ शेयर को पॉलिसीहोल्डर्स के लिए आरक्षित किया है. एलआईसी आईपीओ के एक लॉट में 15...
देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी (LIC) के इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ (IPO) के लॉन्च होने की खबर के साथ ही पॉलिसीहोल्डर्स (Policyholders) की इस आईपीओ में दिलचस्पी बढ़ने लगी थी. वहीं, एलआईसी आईपीओ के अपडेटेड ड्राफ्ट को बाजार नियामक सेबी से मंजूरी मिलने के बाद साफ हो चुका है कि इसका इश्यू 4 मई से लेकर 9 मई तक आम निवेशकों (जिनमें पॉलिसीहोल्डर्स भी शामिल हैं) के लिए खुला रहेगा. इस स्थिति में एक एलआईसी पॉलिसीहोल्डर के तौर पर एलआईसी आईपीओ को लेकर लोगों के मन में कई सवाल आना लाजिमी हैं. आइए जानते हैं कि एलआईसी आईपीओ से जुड़ी जानकारियों में पॉलिसीहोल्डर्स के किन सवालों के जवाब मिले हैं...
क्या है LIC IPO?
केंद्र सरकार ने भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी के अपने 5 फीसदी शेयर बेचने का फैसला किया था. केंद्र सरकार की ये हिस्सेदारी कंपनी के 31.6 करोड़ शेयर के रूप में थी. लेकिन, अब अपडेटेड ड्राफ्ट में केंद्र सरकार ने 3.5 फीसदी हिस्सेदारी ही बेचने का निर्णय लिया है. तो, एलआईसी आईपीओ के जरिये 22.13 करोड़ शेयर बेचे जाएंगे. आसान शब्दों में कहा जाए, तो एलआईसी आईपीओ के जरिये पॉलिसीहोल्डर्स और निवेशक भारतीय जीवन बीमा निगम के 3.5 फीसदी शेयर के मालिक बन जाएंगे.
पॉलिसीहोल्डर हैं, तो क्या शेयर के आवंटन में आरक्षण मिलेगा?
भारतीय जीवन बीमा निगम की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि एलआईसी आईपीओ के जरिये बेचे जा रहे 21.13 करोड़ में पॉलिसीहोल्डर्स को भी आरक्षण मिलेगा. कंपनी ने 5.92 करोड़ शेयर एंकर निवेशकों, 15.8 लाख शेयर कर्मचारियों और 2.21 करोड़ शेयर को पॉलिसीहोल्डर्स के लिए आरक्षित किया है. एलआईसी आईपीओ के एक लॉट में 15 शेयर होंगे. और, इसका प्राइस बैंड 902 से 949 रुपये प्रति शेयर रहेगा. कोई भी पॉलिसीहोल्डर 2 लाख रुपये से ज्यादा के शेयर पाने के लिए अप्लाई नहीं कर सकता है.
वैसे, पॉलिसीहोल्डर्स रिटेल निवेशक के तौर पर भी एलआईसी आईपीओ खरीद सकते हैं. लेकिन, इस स्थिति में उनके लिए पॉलिसीहोल्डर के तहत मिलने वाला कोटा लागू नहीं होगा. आसान शब्दों में कहा जाए, तो एलआईसी के पॉलिसीहोल्डर्स को कंपनी 22.13 करोड़ शेयर्स में से 10 फीसदी शेयर का आरक्षण दिया गया है. जो लोग एलआईसी पॉलिसीहोल्डर्स होंगे, वो इस पॉलिसीहोल्डर कोटे के तहत इन शेयर्स के लिए अप्लाई कर सकेंगे. पॉलिसीहोल्डर्स को प्रति शेयर 60 रुपये की छूट भी दी जाएगी. हालांकि, केवल पॉलिसीहोल्डर होने भर से एलआईसी के आईपीओ नहीं खरीदे जा सकते हैं.
LIC IPO से शेयर्स पाने के लिए किन बातों की जरूरत है?
एलआईसी आईपीओ में पॉलिसीहोल्डर कोटे के तहत कंपनी के शेयर्स पाने के लिए पॉलिसीहोल्डर्स का डीमैट अकाउंट होना भी जरूरी है. इतना ही नहीं, जिस नाम से पॉलिसी है, उसी नाम से डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो डीमैट अकाउंट पॉलिसीहोल्डर के नाम का ही होना चाहिए. अगर कोई पॉलिसीहोल्डर अपनी पत्नी या पति या अन्य रिश्तेदारों के डीमैट अकाउंट का सहारा लेकर एलआईसी आईपीओ की खरीद करना चाहेगा. तो, ऐसा करना संभव नहीं होगा.
क्या है डीमैट अकाउंट, कैसे करता है काम?
शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने यानी शेयर्स खरीदने और बेचने के लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है. डीमैट अकाउंट एक आम बैंक खाते की तरह ही काम करता है. बस यहां रुपयों की जगह शेयर का ट्रांजेक्शन किया जाता है. डीमैट अकाउंट एक जीरो बैलेंस अकाउंट होता है, जिसमें मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होती है. वैसे, डीमैट अकाउंट में पेशेवर निवेशक शेयर के अलावा म्यूचुअल फंड यूनिट, डिबेंचर, बॉन्ड और सरकारी सिक्युरिटीज भी रखते हैं. भारत में NSDL और CDSL डीमैट खाता खोलने का काम करती हैं. इन डिपॉजिटरीज से जुड़ी ICICI, AXIS, HDFC जैसी ब्रोकरेज फर्म के जरिये आसानी से डीमैट अकाउंट खुलवाया जा सकता हैं. डीमैट अकाउंट खोलने के लिए पॉलिसीहोल्डर की उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए.ब्रोकरेज फर्म की ओर से KYC प्रोसेस पूरा होने के बाद डीमैट अकाउंट नंबर और क्लाइंट आईडी जारी कर दी जाती है.
LIC IPO के परफॉर्मेंस को लेकर क्या उम्मीद जता रहे हैं जानकार?
एलआईसी आईपीओ के परफॉर्मेंस को लेकर जानकारों का मानना है कि इसके इश्यू होते ही निवेशकों में होड़ मचना तय है. क्योंकि, एलआईसी भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है. जिसका भारत के इंश्योरेंस सेक्टर की करीब दो-तिहाई मार्केट पर कब्जा है. आमतौर पर निवेशक ऐसे शेयर्स में लॉन्ग टर्म निवेश से मिलने वाले फायदे को ध्यान में रखते हुए इनमें अपनी रुचि दिखाते हैं. एलआईसी आईपीओ को खरीदने के लिए जानकार तर्क दे रहे हैं कि भारत में एलआईसी के इंश्योरेंस प्रीमियम की कुल वैल्यू से जीडीपी का अनुपात 3.7 फीसदी है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारत में अधिकांश लोगों के पास अभी भी इंश्योरेंस पॉलिसी नही हैं. जो आने वाले समय में और बढ़ेगी. कोरोना महामारी के दौरान लोगों को काफी हद तक इंश्योरेंस की जरूरत समझ में आ चुकी है.
जानकारों का मानना है कि एलआईसी बहुत जल्द लिस्टिंग के जरिये एसएंडपी, बीएसई, सेंसेक्स और निफ्टी50 में शामिल हो सकती है. इसका सीधा सा मतलब यही होगा कि किसी अन्य लार्ज-कैप कंपनी को एलआईसी अपने रास्ते से हटाएगी. और, ऐसे समय में बड़े निवेशक अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करते हुए एलआईसी के साथ जुड़ सकते हैं. जानकारों का ये भी मानना है कि एलआईसी द्वारा हर तिमाही पर जारी किए जाने वाले आंकड़ों के जरिये निवेशकों को आईपीओ को लेकर बदलाव करने का भी मौका मिलेगा. जो एक अच्छा मौका माना जा सकता है. वहीं, कुछ जानकारों का ये भी कहना है कि पॉलिसीहोल्डर्स को एलआईसी आईपीओ में निवेश से पहले उसकी लिस्टिंग का इंतजार कर लेना चाहिए. और, लिस्टिंग के बाद ही निवेश के बारे में सोचना चाहिए.
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