अगर इन 3 चीजों को बजट में ख्याल रखा जायेगा तो जनता भी अगले लोकसभा चुनाव में मोदी का ख्याल रखेगी-
1- सभी को हेल्थ इंश्योरेंस:
देश की जनता ये जरूर चाहती है की स्वास्थ्य पर खर्च होने वाला बजट बढ़े. फोकस होना चाहिए ग्रामीण क्षेत्रों पर, जहां से आये दिन ये खबर आती रहती है कि डॉक्टर के अभाव में, एम्बुलेंस के नहीं होने के कारण मरीज की मौत हो गई. शहरी क्षेत्र की जनता भी सरकारी स्वास्थ्य तंत्र से खुश नजर नहीं आती है. हॉस्पिटल में मरीजों की भीड़, एक-एक सेवा मुहैया कराने के लिए भागमदौड़. जनता कायापलट चाहती है. मोदी जी ने खूब सपने दिखाए कि भारत की स्वास्थ्य सेवा विश्व की चुनिंदा स्वास्थ्य सेवाओं को टक्कर देगी. लेकिन तक़रीबन चार साल बीत जाने के बाद भी दशा वही है.
नरेंद्र मोदी की सरकार अगर इस बजट में देश की जनता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस गिफ्ट दे, तो आम आदमी की तकलीफ कुछ कम हो सकती है और उसे बेहतर इलाज भी मुहैया कराया जा सकता है. हेल्थ इंश्योरेंस का कवर चाहे कितने का ही हो जनता के लिए ये संजीवनी से कम नहीं होगी. यहां पर यह जानना जरुरी है कि देश में तक़रीबन 70 प्रतिशत लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस कवर नहीं है.
2- रोजगार सृजन:
नरेंद्र मोदी ने 2013 में एक रैली में कहा था कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आयी तो 10 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. चार साल बीत गए लेकिन कितने लोगों को रोजगार मिला, यह सटीक...
अगर इन 3 चीजों को बजट में ख्याल रखा जायेगा तो जनता भी अगले लोकसभा चुनाव में मोदी का ख्याल रखेगी-
1- सभी को हेल्थ इंश्योरेंस:
देश की जनता ये जरूर चाहती है की स्वास्थ्य पर खर्च होने वाला बजट बढ़े. फोकस होना चाहिए ग्रामीण क्षेत्रों पर, जहां से आये दिन ये खबर आती रहती है कि डॉक्टर के अभाव में, एम्बुलेंस के नहीं होने के कारण मरीज की मौत हो गई. शहरी क्षेत्र की जनता भी सरकारी स्वास्थ्य तंत्र से खुश नजर नहीं आती है. हॉस्पिटल में मरीजों की भीड़, एक-एक सेवा मुहैया कराने के लिए भागमदौड़. जनता कायापलट चाहती है. मोदी जी ने खूब सपने दिखाए कि भारत की स्वास्थ्य सेवा विश्व की चुनिंदा स्वास्थ्य सेवाओं को टक्कर देगी. लेकिन तक़रीबन चार साल बीत जाने के बाद भी दशा वही है.
नरेंद्र मोदी की सरकार अगर इस बजट में देश की जनता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस गिफ्ट दे, तो आम आदमी की तकलीफ कुछ कम हो सकती है और उसे बेहतर इलाज भी मुहैया कराया जा सकता है. हेल्थ इंश्योरेंस का कवर चाहे कितने का ही हो जनता के लिए ये संजीवनी से कम नहीं होगी. यहां पर यह जानना जरुरी है कि देश में तक़रीबन 70 प्रतिशत लोगों के पास हेल्थ इंश्योरेंस कवर नहीं है.
2- रोजगार सृजन:
नरेंद्र मोदी ने 2013 में एक रैली में कहा था कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आयी तो 10 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. चार साल बीत गए लेकिन कितने लोगों को रोजगार मिला, यह सटीक तौर पर कहना मुश्किल है. एक आकड़े के अनुसार 4 लाख युवकों को संगठित क्षेत्र में रोजगार मिला है. क्या एक साल में सरकार बाकी के लोगों को भी रोजगार प्रदान कर पायेगी? युवा वोटरों की बदौलत ही 2014 में मोदी, सरकार बनाने में कामयाबी हासिल कर पाए थे. अगर सरकार युवाओं से जुड़े हुए कुछ योजना इस बजट में लाती है तो सरकार के लिए कुछ सिरदर्दी कम होगी.
3- कृषि और ग्रामीण क्षेत्र को सुधारने की जरुरत:
वर्तमान में कृषि ग्रोथ 1.7 फीसदी के करीब है. सरकार का फोकस ये होना चाहिए कि पिछले सालों की तुलना में इस बार ग्रामीण क्षेत्र को अधिक अनुदान मिलना चाहिए. किसानों के रीलिफ के लिए कुछ ऐसे कार्यक्रम की घोषणा करनी चाहिए की उन्हें त्वरित समाधान मिले. उनकी अनाज खरीद की समस्या, उचित मुआवजा नहीं मिलना अदि कई समस्याएं हैं, जिनका निवारण बहुत जरुरी है. इसके अलावा हो सकता है कि सरकार मनरेगा का बजट बढ़ा दे. एमएसपी पॉलिसी का रिवीजन कर सकती है. प्राइवेट निवेश की भी एंट्री हो सकती और सबसे बड़ा स्टेप ये हो सकता हैं कि किसानों को कम ब्याज पर उधार दिया जा सकता है.
2018 और 2019 के शुरुआत में 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2019 में लोकसभा चुनाव भी होना है. बीजेपी किसी भी हालत में जीत का सिलसिला बरकरार रखना चाहेगी और इसी कारण बजट में आम जनता का ख्याल रखना जरुरी है. ऐसे तो जनता के कई विशलिस्ट हैं परन्तु अगर मोदी वर्षों से नजरअंदाज कर देने वाले इन 3 चीजों का बजट में ख्याल रखते हैं तो जनता उनका आगामी चुनाव में जरूर ख्याल रखेगी.
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