मोदी सरकार की ओर से शुक्रवार यानी 5 जुलाई को बजट पेश किया जाना है. ये बजट मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट है. ऐसे में ये बजट ना सिर्फ मोदी सरकार के लिए अहम है, बल्कि जनता को भी इस बजट से कई उम्मीदें हैं. हर बजट से सबसे अधिक उम्मीद डायरेक्ट टैक्स को लेकर होती है. इस बार भी माना जा रहा है कि मोदी सरकार आयकर की सीमा को बढ़ा दे. लेकिन इसी बीच एक सर्वे किया गया है, जिसमें ये जानने की कोशिश की गई है कि लोगों को मोदी सरकार के इस बजट से कितनी अपेक्षाएं हैं. जब इस सर्वे के दौरान लोगों से आयकर को लेकर सवाल पूछे गए तो जो जवाब मिले, वो हैरान तो करते हैं, लेकिन बेहद नपे-तुले भी हैं.
बजट से पहले अकाउंटिंग ऑर्गेनाइजेशन केपीएमजी ने एक सर्वे किया और लोगों से आयकर को लेकर उनकी अपेक्षाएं जाननी चाहीं. सर्वे में करीब 53 फीसदी लोगों ने ये साफ कर दिया कि उन्हें इस बार डायरेक्ट टैक्स में किसी तरह की छेड़छाड़ की कोई उम्मीद नहीं है. करीब 27 फीसदी लोग ऐसे थे, जिन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार डायरेक्ट टैक्स में कोई बड़ा बदलाव हो सकता है. वहीं 20 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो इस बजट को लेकर कोई भी राय नहीं बना पा रहे हैं. वह ये नहीं समझ पा रहे हैं कि रियायत मिलेगी या नहीं.
मोदी सरकार के इस बजट से उम्मीदें होने तो लाजमी है, आखिर दूसरे कार्यकाल का पहला बजट जो है. लेकिन सवाल ये है कि इस बजट में क्या होगा? सबसे अधिक लोग इसी बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि इस बजट में आयकर में क्या बदलाव होंगे? आपको इस सवाल का जवाब भले ना मिले, लेकिन मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के सभी बजट से आपको एक अनुमान लगाने में मदद जरूर मिल जाएगी. तो आइए जानते हैं कि पिछले 5 सालों में...
मोदी सरकार की ओर से शुक्रवार यानी 5 जुलाई को बजट पेश किया जाना है. ये बजट मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट है. ऐसे में ये बजट ना सिर्फ मोदी सरकार के लिए अहम है, बल्कि जनता को भी इस बजट से कई उम्मीदें हैं. हर बजट से सबसे अधिक उम्मीद डायरेक्ट टैक्स को लेकर होती है. इस बार भी माना जा रहा है कि मोदी सरकार आयकर की सीमा को बढ़ा दे. लेकिन इसी बीच एक सर्वे किया गया है, जिसमें ये जानने की कोशिश की गई है कि लोगों को मोदी सरकार के इस बजट से कितनी अपेक्षाएं हैं. जब इस सर्वे के दौरान लोगों से आयकर को लेकर सवाल पूछे गए तो जो जवाब मिले, वो हैरान तो करते हैं, लेकिन बेहद नपे-तुले भी हैं.
बजट से पहले अकाउंटिंग ऑर्गेनाइजेशन केपीएमजी ने एक सर्वे किया और लोगों से आयकर को लेकर उनकी अपेक्षाएं जाननी चाहीं. सर्वे में करीब 53 फीसदी लोगों ने ये साफ कर दिया कि उन्हें इस बार डायरेक्ट टैक्स में किसी तरह की छेड़छाड़ की कोई उम्मीद नहीं है. करीब 27 फीसदी लोग ऐसे थे, जिन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार डायरेक्ट टैक्स में कोई बड़ा बदलाव हो सकता है. वहीं 20 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो इस बजट को लेकर कोई भी राय नहीं बना पा रहे हैं. वह ये नहीं समझ पा रहे हैं कि रियायत मिलेगी या नहीं.
मोदी सरकार के इस बजट से उम्मीदें होने तो लाजमी है, आखिर दूसरे कार्यकाल का पहला बजट जो है. लेकिन सवाल ये है कि इस बजट में क्या होगा? सबसे अधिक लोग इसी बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि इस बजट में आयकर में क्या बदलाव होंगे? आपको इस सवाल का जवाब भले ना मिले, लेकिन मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के सभी बजट से आपको एक अनुमान लगाने में मदद जरूर मिल जाएगी. तो आइए जानते हैं कि पिछले 5 सालों में मोदी सरकार ने कैसे जनता पर पड़ने वाला टैक्स बोझ कम किया है.
2014: आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर किया 2.5 लाख रुपए
2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार का पहला बजट वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया और उन्होंने आयकर छूट की सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख कर दिया. ये सीमा वरिष्ठ नागरिकों के लिए 2.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दी गई. 80सी के तहत आयकर छूट को भी 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख कर दिया. होम लोन पर इस सीमा को 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दिया.
2015: हेल्थ इंश्योरेंस की डिडक्शन लिमिट को किया 25,000 रुपए
अपने दूसरे बजट में 2015 में मोदी सरकार ने हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम की डिडक्शन लिमिट को 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार कर दिया. वहीं दूसरी ओर, वरिष्ठ नागरिकों के लिए 30,000 तक पर करछूट का ऐलान किया, जो पहले 20,000 रुपए था. ट्रांसपोर्ट अलाउंस के तहत मिलने वाली छूट भी 800 रुपए से बढ़ाकर 1600 रुपए प्रति माह कर दी गई. नेशनल पेंशन स्कीम के तहत सेक्शन 80 सीसीडी में डिडक्शन की लिमिट 50,000 रुपए करने की घोषणा की गई. वहीं 1 करोड़ से अधिक की आय पर लगने वाले सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया.
2016: 87ए के तहत टैक्स रिबेट को किया गया 5000 रुपए
2016 में अरुण जेटली ने सेक्शन 87ए के तहत टैक्स रिबेट को 2000 रुपए से बढ़ाकर 5000 रुपए कर दिया. आपको बता दें कि ये टैक्स रिबेट उसे मिलती है, जिसकी सैलरी सालाना 5 लाख रुपए से कम होती है. इतना ही नहीं, वित्त मंत्री ने 80जीजी के तहत करमुक्त रेंट की सीमा को 24,000 रुपए से बढ़ाकर 60,000 रुपए कर दिया. 1 करोड़ से अधिक की आय वालों पर लगने वाला सरचार्ज 12 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया. सालाना 10 लाख रुपए से अधिक के डिविडेंड पर भी 10 फीसदी आयकर लगाया गया.
2017: 2.5-5 लाख के स्लैब पर टैक्स दर को किया आधा
2017 में पेश किए गए बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2.5 लाख से 5 लाख रुपए के स्लैब पर लगने वाले 10 फीसदी टैक्स की दर को आधा करते हुए 5 फीसदी कर दिया. इस तरह इनकम टैक्स में सीधा 12,500 रुपए की छूट मिल गई. 87ए के तहत मिलने वाली टैक्स रिबेट को 5000 रुपए से घटाकर 2,500 रुपए कर दिया, जो सालाना 3.5 लाख तक की आय वालों पर लागू की गई. साथ ही, 50 लाख और 1 करोड़ के बीच की आय वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाने का प्रावधान किया गया.
2018: ट्रांसपोर्ट अलाउंस, मेडिकल खर्चे पर 40 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन
अरुण जेटली ने ट्रांसपोर्ट अलाउंस, मेडिकल खर्चे आदि को लेकर 40,000 रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन लागू किया गया. इस तरह करदाताओं को सीधा 5,800 रुपए का फायदा हुआ. वरिष्ठ नागरिकों के लिए मेडिकल खर्चों को लेकर किए जाने वाले डिडक्शन की सीमा 30 हजार रुपए से बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दी गई. इस बजट में सबसे अहम फैसला था 1 लाख रुपए से अधिक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 10 फीसदी टैक्स का लगाया जाना.
2019: 5 लाख तक की आय वालों का करबोझ हुआ शून्य
2019 का बजट वित्त मंत्री अरुण जेटली की अनुपस्थिति में रेल मंत्री पियूष गोयल ने पेश किया था, जो अंतरिम बजट था. अब चुनाव खत्म हो चुके हैं, तो नई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पूर्ण बजट पेश करेंगी. उस बजट में 5 लाख रुपए तक की आय वालों पर आयकर 0 रुपए कर दिया गया. नौकरीपेशआ लोगों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन भी 40,000 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया.
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