1 मई से उन सभी लोगों के लिए एक बड़े बदलाव की उम्मीद की जा सकती है जो नया घर खरीदने की सोच रहे हैं. 1 मई से रियल एस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (RERA) लागू हो गया है. ये एक्ट रियल एस्टेट बिलडरों के लिए भी कई नए नियम लेकर आया है.
राज्यसभा में ये बिल पिछले साल पास किया गया था और इसका अहम उद्देश्य बिल्डरों की मनमानी को रोकना और यूजर्स को फायदा पहुंचाना है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों को फ्लैट में इंवेस्ट करना है उन्हें थोड़ा रुकना चाहिए.
1. रेरा (RERA) के लागू होने के बाद हर राज्य में एक स्टेट रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी बनाई जाएगी. ये एक सरकारी संस्थान होगा जो बिल्डरों से जुड़ी हर शिकायत को सुनेगी और समाधान करेगी.
2. हर अंडर कंस्ट्रक्टेड और आगे बनने वाला प्रोजेक्ट इस बोर्ड के अंतरगत आएगा. अगर किसी बिल्डर ने अपना प्रोजेक्ट रजिस्टर नहीं करवाया है तो उसे प्रोजेक्ट की कीमत की 10% कीमत पेनल्टी के तौर पर देनी पड़ सकती है. कोई भी प्रोजेक्ट जो 500 स्क्वेयर मीटर से ज्यादा जमीन पर बन रहा है और 8 से ज्यादा अपार्टमेंट है तो रजिस्टर करवाना जरूरी है.
3. बिल्डरों को 70 प्रतिशत पैसा जो ग्राहकों ने दिया है वो एक ही अकाउंट में रखकर चालू प्रोजेक्ट में लगाना होगा. कई बार बिल्डर एक प्रोजेक्ट का पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में लगा देते हैं और इससे ग्राहकों को समय पर पजेशन नहीं मिल पाता.
4. नए एक्ट के मुताबिक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट का हर फेज (Phase) एक अलग प्रोजेक्ट माना जाएगा. अगर कोई बिल्डर 5 फेज का प्रोजेक्ट लेकर आता है तो उसे पांच अलग-अलग बार रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. ऐसा इसलिए है...
1 मई से उन सभी लोगों के लिए एक बड़े बदलाव की उम्मीद की जा सकती है जो नया घर खरीदने की सोच रहे हैं. 1 मई से रियल एस्टेट रेग्युलेशन एक्ट (RERA) लागू हो गया है. ये एक्ट रियल एस्टेट बिलडरों के लिए भी कई नए नियम लेकर आया है.
राज्यसभा में ये बिल पिछले साल पास किया गया था और इसका अहम उद्देश्य बिल्डरों की मनमानी को रोकना और यूजर्स को फायदा पहुंचाना है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जिन लोगों को फ्लैट में इंवेस्ट करना है उन्हें थोड़ा रुकना चाहिए.
1. रेरा (RERA) के लागू होने के बाद हर राज्य में एक स्टेट रियल एस्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी बनाई जाएगी. ये एक सरकारी संस्थान होगा जो बिल्डरों से जुड़ी हर शिकायत को सुनेगी और समाधान करेगी.
2. हर अंडर कंस्ट्रक्टेड और आगे बनने वाला प्रोजेक्ट इस बोर्ड के अंतरगत आएगा. अगर किसी बिल्डर ने अपना प्रोजेक्ट रजिस्टर नहीं करवाया है तो उसे प्रोजेक्ट की कीमत की 10% कीमत पेनल्टी के तौर पर देनी पड़ सकती है. कोई भी प्रोजेक्ट जो 500 स्क्वेयर मीटर से ज्यादा जमीन पर बन रहा है और 8 से ज्यादा अपार्टमेंट है तो रजिस्टर करवाना जरूरी है.
3. बिल्डरों को 70 प्रतिशत पैसा जो ग्राहकों ने दिया है वो एक ही अकाउंट में रखकर चालू प्रोजेक्ट में लगाना होगा. कई बार बिल्डर एक प्रोजेक्ट का पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में लगा देते हैं और इससे ग्राहकों को समय पर पजेशन नहीं मिल पाता.
4. नए एक्ट के मुताबिक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट का हर फेज (Phase) एक अलग प्रोजेक्ट माना जाएगा. अगर कोई बिल्डर 5 फेज का प्रोजेक्ट लेकर आता है तो उसे पांच अलग-अलग बार रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि जो ग्राहक प्रोजेक्ट पूरा होने से पहले ही इन्वेस्टमेंट कर देते हैं अक्सर उन्हें काफी समय का इंतजार करना होता है.
5. रेरा ने ये साफ कर दिया है कि हर बिल्डर को प्रोजेक्ट से जुड़ी सारी जानकारी देनी होगी. इसमें जगह, सरकारी आदेश, कीमत, बिल्डिंग का लेआउट आदि सब कुछ ही उन्हें बताना होगा. इसे रेरा को बताने के साथ-साथ ग्राहकों को भी बताना होगा.
6. अब तक ऐसा होता है कि कोई कम्प्यूटर लेआउट के आधार पर सुपर बिल्ड अप एरिया दिखाया जाता है और उससे ग्राहकों को आकर्षित किया जाता है. अब से ये नियम होगा कि ग्राहकों को कार्पेट एरिया बताना जरूरी होगा.
7. अभी तक अगर कोई प्रोजेक्ट लेट होता है तो यूजर को सारा खामियाजा भुगतना होता है. बिल्डर का कुछ नहीं होता. अब रेरा लागू होने के बाद ये नियम होगा कि अगर प्रोजेक्ट लेट हो रहा है तो बिल्डर को ईएमआई के इंट्रेस्ट का कुछ हिस्सा देना होगा.
8. रेरा के नियमों का उलंघन करने वालों को अधिकतर तीन साल तक की जेल और जुर्माना लग सकता है.
9. ग्राहक बिल्डर को पजेशन लेने के 1 साल के अंदर तक लिखित रूप में कॉन्टैक्ट कर सकता है. ऐसा उन आफ्टर सेल सर्विसेज या किसी खराबी के लिए किया जा सकता है.
10. बिल्डर प्लान में कोई बदलाव नहीं कर सकता है. ऐसा करने से पहले उसे ग्राहक की लिखित मंजूरी लेनी होगी.
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