कहते हैं ना ऊपर वाला जब भी देता, देता छप्पर फाड़कर...हमारे जैसे लोगों के लिए भले ही यह महज लाइनें भर हों लेकिन उनसे पूछिए जिसकी किस्मत एक झटके में बदल गई हो. ऐसा ही कुछ हुआ महाराष्ट्र में पालघर के एक मछुआरे के साथ. वह एक झटके में ही करोड़पति बन गया...
हम कितने ऐसे लोगों को जानते हैं जो भाग्य पर यकीन करते हैं. कितने लोग ऐसे हैं जो मेहनत को ही किस्मत मानते हैं और कितने ऐसे हैं जो भाग्य या किस्मत को मानते ही नहीं.
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि किस्मत एक बार आपका दरवाजा जरूर खटकटाती है बस जरूरत होती है तो उसे पहचानने की. इन सभी बातों से परे कभी-कभी कुछ ऐसी खबरें सामने आती हैं जो हमें चौका देती हैं और यह सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि क्या वाकई उपरवाला हमारी किस्मत चमका देता है.
असल में कई बार किस्मत हमारे दरवाजे पर आकर कहती है लो हम आ गए. इसी तरह पालघर के चंद्रकांत तारे की किस्मत ऐसी पलटी कि उसने सपने में भी नहीं सोचा था. मुरबे गांव का मछुआरा चंद्रकांत तारे हमेशा की तरह अपने 8 साथियों के साथ समुद्र में मछली पकड़ने गया था. उसे कबसे मछली पकड़ने पर लगे प्रतिबंध के हटने का इंतजार था. जब प्रतिबंध हटने के साथ जैसे उसकी किस्मत भी खुल गई और समुद्री सोना कही जाने वाली दुर्लभ मछलियां उसके जाल में फंस गईं.
इस तरह एक झटके में ही उसकी लॉटरी लग गई और वह करोड़पति बन गया. दरअसल, 28 अगस्त के दिन मछली पकड़ते हुए चंद्रकांत को उसका जाल भारी लगा. उसने जैसे ही जाल बाहर खींची तो नाव पर सवार सभी साथी हैरान रह गए. असल में सभी इसलिए अचंभित थे क्योंकि जाल में करीब 150 घोल मछलियां थीं. इतनी बड़ी संख्या में घोल मछलियों को देख सभी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्हें यकीन ही नहीं हो...
कहते हैं ना ऊपर वाला जब भी देता, देता छप्पर फाड़कर...हमारे जैसे लोगों के लिए भले ही यह महज लाइनें भर हों लेकिन उनसे पूछिए जिसकी किस्मत एक झटके में बदल गई हो. ऐसा ही कुछ हुआ महाराष्ट्र में पालघर के एक मछुआरे के साथ. वह एक झटके में ही करोड़पति बन गया...
हम कितने ऐसे लोगों को जानते हैं जो भाग्य पर यकीन करते हैं. कितने लोग ऐसे हैं जो मेहनत को ही किस्मत मानते हैं और कितने ऐसे हैं जो भाग्य या किस्मत को मानते ही नहीं.
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि किस्मत एक बार आपका दरवाजा जरूर खटकटाती है बस जरूरत होती है तो उसे पहचानने की. इन सभी बातों से परे कभी-कभी कुछ ऐसी खबरें सामने आती हैं जो हमें चौका देती हैं और यह सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि क्या वाकई उपरवाला हमारी किस्मत चमका देता है.
असल में कई बार किस्मत हमारे दरवाजे पर आकर कहती है लो हम आ गए. इसी तरह पालघर के चंद्रकांत तारे की किस्मत ऐसी पलटी कि उसने सपने में भी नहीं सोचा था. मुरबे गांव का मछुआरा चंद्रकांत तारे हमेशा की तरह अपने 8 साथियों के साथ समुद्र में मछली पकड़ने गया था. उसे कबसे मछली पकड़ने पर लगे प्रतिबंध के हटने का इंतजार था. जब प्रतिबंध हटने के साथ जैसे उसकी किस्मत भी खुल गई और समुद्री सोना कही जाने वाली दुर्लभ मछलियां उसके जाल में फंस गईं.
इस तरह एक झटके में ही उसकी लॉटरी लग गई और वह करोड़पति बन गया. दरअसल, 28 अगस्त के दिन मछली पकड़ते हुए चंद्रकांत को उसका जाल भारी लगा. उसने जैसे ही जाल बाहर खींची तो नाव पर सवार सभी साथी हैरान रह गए. असल में सभी इसलिए अचंभित थे क्योंकि जाल में करीब 150 घोल मछलियां थीं. इतनी बड़ी संख्या में घोल मछलियों को देख सभी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनकी किस्मत एक पल में बदलने वाली है.
इसके बाद किनारे आने पर जब मछलियों की बोली लगाई गई तो उसकी कीमत 1 करोड़ 33 लाख के करीब मिली. कई लोग ऐसा मानते हैं कि इंसान की किस्मत ईश्वर के हाथ में होती है और जो ईश्वर ने लिखा है वही होता है. अब इसके भी दो पहलू हैं. जब हमारा वक्त अच्छा चलता है तो किस्मत, नसीब और भाग्य जैसी बातें तर्कहीन लगती हैं और जब समय बुरा वक्त चलता है तो इन्हीं बातों में तर्क नजर आने लगता है.
सोचिए मामूली से मुछआरे को कहां पता था कि उसके नसीब में 'सी गोल्ड' कही जाने वाली दुर्लभ घोल मछलियां हैं. वो भी एक या दो नहीं बल्कि पूरी की पूरी 157 मछलियां जो 20 से 25 नॉटिकल माइल अंदर मिलीं. प्रदूषण के कारण ये मछलियां तट पर आती ही नहीं है, इन्हें पकड़ने के लिए काफी अंदर जाना पड़ता है. ऐसे में इसे वे चमत्कार ही मान रहे हैं.
चंद्रकांत के बेटे सोमनाथ ने कहा कि उन्होंने हर मछली को लगभग 85 हजार रुपये में बेचा है. हमारे अंदर तो मछलियों को देखते ही खुशी की लहर दौड़ गई, क्योंकि यह हमारी जिंदगी की सबसे बड़ी कमाई वाली ट्रिप बन गई है.
इन मछलियों का कीमत क्यों इतनी ज्यादा है
घोल मछली में कई सारे लाभकारी तत्व पाए जाते हैं. यह एक प्रकार की क्रोकर मछली है. इस मछली का उपयोग फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में बहुत ज्यादा होता है. मछली के प्रत्येक भाग की कीमत बहुत ज्यादा होती है. सोमनाथ के अनुसार, इन मछलियों को यूपी और बिहार से आए व्यापारियों ने खरीदा. क्या आपको भी लग रहा है आखिर क्यों इनकी कीमत इतनी ज्यादा है.
असल में सी गोल्ड फिश का का वैज्ञानिक नाम प्रोटोनीबिया डायकैंथस (Protonibea Diacanthus) है. जिससे दवाइयां और कॉस्मेटिक्स बनाया जाता है. थाईलैंड, इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर जैसे देशों में इसकी बहुत ज्यादा डिमांड है. इतना ही नहीं, सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले धागे भी इसी मछली से बनाए जाते हैं जो अपने आप गल जाते हैं.
हमने तो बस सुना है कि उपर वाला छप्पर फाड़ कर देता है आज देख भी लिया. वैसे खुदा की मर्जी है, मेहनत है तो किस्मत है. सिर्फ थोड़ी सी तो लिफ्ट करा दे गाने से किसी की किस्मत नहीं बदलती है. किस्मत बदलती है मेहनत करने से, सामने मिले हुए मौके को पहचानने से. आलस करके घर में सोने से किसी की किस्मत चमक जाए वो एक अलग बात है.
अगर ये मछुआरा मछली मारने ही नहीं जाता तो क्या किस्मत पलटती? जवाब आप जानते हैं इसलिए इमानदारी के साथ कर्म कीजिए बाकी सब उस पर छोड़ दीजिए जिसके घर में देर तो है लेकिन अंधेर नहीं...ईश्वर भी उनका ही साथ देता है जो खुद का साथ देते हैं.
मान लीजिए सड़क पर रूपए पड़े हैं और आपने आंख बंद कर लिया तो? इसलिए हांथ पर हांथ रखकर बैठने से किस्मत नहीं पलटती, हमारी कोशिशों के बाद ही किस्मत पलटती है और ऐसी पलटती है कि आपने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा...किस्मत आपको मौका देती है पहले आप किस्मत को तो मौका दीजिए…जो भी इसे कहते हैं किस्मत जो इस मछआरे की पलटी है...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.