गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए अब किसी भी समय चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान कर सकता है क्योंकि इसी साल के अंत तक वहां चुनाव होना है. अर्थव्यवस्था में सुस्ती का जो आलम है उसे लेकर विपक्ष के साथ साथ भाजपा के भीतर से भी मोदी एंड कंपनी पर लगातार हमले हो रहे हैं. प्रधानमंत्री लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं. भाजपा वहां लगभग 22 सालों से लगातार शासन में है. ऐसे में यह चुनाव भाजपा के लिए काफी अहम है. अहम इसलिए भी क्योंकि GST लागू होने के बाद यहां पहला चुनाव होना है. GST को लेकर विपक्ष काफी हमलावर रहा है. अगर भाजपा यह चुनाव हार जाती है तो GST पर तो प्रश्न चिन्ह लगेगा ही, विपक्ष को एक बहुत बड़ा हथियार GST के रूप में मिल जाएगा. जिसका असर आने वाले चुनावों में भी देखने को मिल सकता है.
GST टैक्स दरों में कमी गुजरात चुनाव को ध्यान में रखकर की गयी है
GST काउंसिल की 22वीं बैठक के बाद टैक्स दरों में काफी कमी की गयी है, जिससे ज़्यादा फायदा गुजरात के व्यापारियों को होगा. जिन 27 कैटेगिरी में GST की दरों में कटौती की गयी है, इनमें 8 ऐसे वर्ग हैं, जिसका बड़ा खिलाड़ी गुजरात है. इन कैटेगिरी में दर 12 से घटाकर 5 फ़ीसदी की गई है GST दरों में कटौती से गुजरात के व्यापारियों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है. गुजरात में देश की 12 फीसदी टेक्सटाइल इंडस्ट्री है. इसके अलावा यहां से ज्वेलरी का एक्सपोर्ट भी होता है. भारत से होने वाले हीरे के कुल निर्यात का 90 फीसदी निर्यात गुजरात से ही होता है.
जब GST लागू हुआ था तब प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन उठा था. टेक्सटाइल इंडस्ट्री के गढ़ सूरत में कपड़ा व्यापारी सड़कों पर आ गए थे और मोदी सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी का...
गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए अब किसी भी समय चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान कर सकता है क्योंकि इसी साल के अंत तक वहां चुनाव होना है. अर्थव्यवस्था में सुस्ती का जो आलम है उसे लेकर विपक्ष के साथ साथ भाजपा के भीतर से भी मोदी एंड कंपनी पर लगातार हमले हो रहे हैं. प्रधानमंत्री लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं. भाजपा वहां लगभग 22 सालों से लगातार शासन में है. ऐसे में यह चुनाव भाजपा के लिए काफी अहम है. अहम इसलिए भी क्योंकि GST लागू होने के बाद यहां पहला चुनाव होना है. GST को लेकर विपक्ष काफी हमलावर रहा है. अगर भाजपा यह चुनाव हार जाती है तो GST पर तो प्रश्न चिन्ह लगेगा ही, विपक्ष को एक बहुत बड़ा हथियार GST के रूप में मिल जाएगा. जिसका असर आने वाले चुनावों में भी देखने को मिल सकता है.
GST टैक्स दरों में कमी गुजरात चुनाव को ध्यान में रखकर की गयी है
GST काउंसिल की 22वीं बैठक के बाद टैक्स दरों में काफी कमी की गयी है, जिससे ज़्यादा फायदा गुजरात के व्यापारियों को होगा. जिन 27 कैटेगिरी में GST की दरों में कटौती की गयी है, इनमें 8 ऐसे वर्ग हैं, जिसका बड़ा खिलाड़ी गुजरात है. इन कैटेगिरी में दर 12 से घटाकर 5 फ़ीसदी की गई है GST दरों में कटौती से गुजरात के व्यापारियों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है. गुजरात में देश की 12 फीसदी टेक्सटाइल इंडस्ट्री है. इसके अलावा यहां से ज्वेलरी का एक्सपोर्ट भी होता है. भारत से होने वाले हीरे के कुल निर्यात का 90 फीसदी निर्यात गुजरात से ही होता है.
जब GST लागू हुआ था तब प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन उठा था. टेक्सटाइल इंडस्ट्री के गढ़ सूरत में कपड़ा व्यापारी सड़कों पर आ गए थे और मोदी सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी का प्रदर्शन किया था. यह किसी से छुपा नहीं है कि व्यापारी वर्ग भाजपा के कोर वोट बैंक रहे हैं. इस चुनाव में पीएम मोदी की साख भी दांव पर लगी है. यहां बीजेपी भांप चुकी है कि अगर उसे सबसे ज्यादा खतरा है तो वो है व्यापारी वर्ग, इसलिए उन्हें खुश करने के लिए वो हर कोशिश कर रही है. चूकि इन सभी धंधों में गुजरात काफ़ी आगे है इससे यही निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि GST की दरों में कटौती गुजरात के चुनाव को ध्यान में रख कर लिया गया फैसला है.
देश में 15 दिन पहले ही दिवाली!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 दिन के गुजरात दौरे पर हैं, द्वारका में उन्होंने कहा कि, 'मैंने आज अखबार में हेडलाइन देखी कि जीएसटी में बदलाव के बाद देश में 15 दिन पहले ही दिवाली आ गई. हमने पहले ही कहा था कि जीएसटी लागू करने के बाद 3 महीने तक हम इसकी स्टडी करेंगे. उसके बाद जो भी परेशानियां आएंगी हम उनमें बदलाव करेंगे. कल वित्त मंत्री जी ने जो बदलाव किए वह स्वागत योग्य है' राजनीतिक विश्लेषक इसे राज्य में जल्द होने वाले चुनाव के तौर पर देख रहे हैं.
तो जाहिर है मोदी सरकार दीवाली के मौके पर GST दरों में कटौती कर प्रदेश में चल रहे नाराज कारोबारियों को विधानसभा चुनाव के मौके पर एक तोहफा दिया है. जिसका सबसे ज्यादा लाभ यहां के कारोबारियों को मिलने जा रहा है. हो सकता है कि नाराज चल रहे व्यापारी वर्ग इससे खुश हो जाएं. लेकिन सवाल ये कि क्या सरकार इस खेल से चुनावी फायदा उठा सकेगी? क्या GST का तीर सही निशाने पर लगेगा? शायद इसका जवाब चुनाव नतीजे आने के बाद ही मिल पाए.
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