नमस्कार! आज मेरे दोस्त ने थोड़ा परेशान होकर मुझे कॉल किया और बोला– 'यार सुबह-सुबह मेरी जेब कट गई!' मैंने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा– ‘यार तू तो अपनी कार से आता है, फिर जेब कैसे और कहां कट गई?’ अब मेरा दोस्त है पूरा नौटंकी, सांस भर के उसने जवाब दिया – 'अरे भाई! बाहर कहीं नहीं, घर में ही चपत लग गई.' मैंने कहा – ‘यार पहेलियां मत बुझा, सीधे-सीधे बता, माजरा क्या है?’ इसके बाद जो वाकया उसने मुझे सुनाया है उससे तो मुझे भी घबराहट होने लगी है. क्योंकि वो है तो हम सबके सरोकार वाली बात, तो मैंने सोचा क्यों न आपसे साझा कर ही ली जाए. आप भी सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या कह दिया मेरे दोस्त ने! तो लीजिये सुनिए उसकी कहानी...
उसने आगे बताया. 'घर से ऑफिस आने के लिए तैयार हो रहा था, पत्नीश्री ने टिफिन लाकर रखा और बोली कि फरमाइश पर मेरी फेवरेट चीजें बना दी हैं लेकिन 25 रूपये देने होंगे. भाई, छाछ पी रहा था, हाथ से ग्लास छूटते-छूटते बचा और वो फिल्मी स्टाइल में, छाछ का घूंट फव्वारा बनकर बाहर आते-आते बचा. मैंने किसी तरह से छाछ का घूंट गटका और पूछा कि आज ये रूपये की बात क्यों? इसके बाद पत्नी ने जो हिसाब समझाया तो बस...
वो बोली कि मेरी पसंद की मटर-पनीर की सब्जी बनाकर दी है, साथ में दही भी है और दही में चीनी भी, और हां रोटी चाहे तुम कम खाते हो लेकिन एक रोटी के साथ थोड़ा-सा चावल भी है, इन सब चीजों पर लग गया है GST, इसी के 25 रूपये वसूलने हैं.
भाई! मामला यहीं नहीं रुका, बोली कि सरकार चाहे कोई रिबेट देती हो या नहीं मेरी तरफ से तुम्हारी सुबह की चाय मुफ्त थी, हालांकि उसमें भी दूध और चीनी लगती है...
नमस्कार! आज मेरे दोस्त ने थोड़ा परेशान होकर मुझे कॉल किया और बोला– 'यार सुबह-सुबह मेरी जेब कट गई!' मैंने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा– ‘यार तू तो अपनी कार से आता है, फिर जेब कैसे और कहां कट गई?’ अब मेरा दोस्त है पूरा नौटंकी, सांस भर के उसने जवाब दिया – 'अरे भाई! बाहर कहीं नहीं, घर में ही चपत लग गई.' मैंने कहा – ‘यार पहेलियां मत बुझा, सीधे-सीधे बता, माजरा क्या है?’ इसके बाद जो वाकया उसने मुझे सुनाया है उससे तो मुझे भी घबराहट होने लगी है. क्योंकि वो है तो हम सबके सरोकार वाली बात, तो मैंने सोचा क्यों न आपसे साझा कर ही ली जाए. आप भी सोच रहे होंगे कि ऐसा क्या कह दिया मेरे दोस्त ने! तो लीजिये सुनिए उसकी कहानी...
उसने आगे बताया. 'घर से ऑफिस आने के लिए तैयार हो रहा था, पत्नीश्री ने टिफिन लाकर रखा और बोली कि फरमाइश पर मेरी फेवरेट चीजें बना दी हैं लेकिन 25 रूपये देने होंगे. भाई, छाछ पी रहा था, हाथ से ग्लास छूटते-छूटते बचा और वो फिल्मी स्टाइल में, छाछ का घूंट फव्वारा बनकर बाहर आते-आते बचा. मैंने किसी तरह से छाछ का घूंट गटका और पूछा कि आज ये रूपये की बात क्यों? इसके बाद पत्नी ने जो हिसाब समझाया तो बस...
वो बोली कि मेरी पसंद की मटर-पनीर की सब्जी बनाकर दी है, साथ में दही भी है और दही में चीनी भी, और हां रोटी चाहे तुम कम खाते हो लेकिन एक रोटी के साथ थोड़ा-सा चावल भी है, इन सब चीजों पर लग गया है GST, इसी के 25 रूपये वसूलने हैं.
भाई! मामला यहीं नहीं रुका, बोली कि सरकार चाहे कोई रिबेट देती हो या नहीं मेरी तरफ से तुम्हारी सुबह की चाय मुफ्त थी, हालांकि उसमें भी दूध और चीनी लगती है और हां ये जो छाछ पी रहे हो इसपर भी GST लगनी शुरू हो चुकी है लेकिन तुम मेरी तरफ से कॉम्प्लिमेंट्री समझो. अब बताओ यार, एक टाइम के खाने के लिए ही सिर्फ टैक्स के 25 रूपये देकर आ रहा हूं, कटी ना जेब सुबह-सुबह?'
मैंने अपने दोस्त को क्या सांत्वना दी, दी भी या नहीं दी, इससे ज्यादा इम्पॉर्टेंट मुझे ये लगा कि इस लेख में आपसे चर्चा की जाए GST और उसके दायरे में आए नए प्रोडक्ट्स की, बढ़े दाम से गड़बड़ाए घर के बजट की, खासतौर पर किचन का संतुलन बिगड़ने की... इसके अलावा GST की शुरुआत और टैक्स के इतिहास की बातें भी करेंगे आपसे.
आम आदमी पर महंगाई की मार बढ़ गई है. 18 जुलाई से जरूरत की कई चीजें महंगी हो गईं, जिसकी वजह से मेरे दोस्त की तरह आपकी जेब पर और बोझ बढ़ेगा. दही-लस्सी से लेकर अस्पतालों में इलाज के लिए अब लोगों को अधिक पैसे चुकाने पड़ेंगे. जरूरत की तमाम वस्तुओं पर सरकार ने GST की दरें बढ़ा दी हैं. कई वस्तुओं को पहली बार GST के दायरे में लाया गया है.
CBDT यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स के नए नोटिफिकेशन के मुताबिक सोमवार से इस सिफारिश को लागू किया गया, जिसके कारण कई चीजें महंगी हो जाएंगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में दूध के प्रोडक्ट को पहली बार GST के दायरे में शामिल करने का फैसला किया गया था. GST काउंसिल की बैठक में टेट्रा पैक वाले दही, लस्सी और बटर मिल्क पर 5 फीसदी GST लगाने का फैसला किया गया.
ब्लेड, पेपर कैंची, पेंसिल शार्पनर, चम्मच, कांटे वाले चम्मच, स्किमर्स और केक-सर्वर्स आदि पर सरकार ने GST को बढ़ा दिया है. अब इस पर 18% की दर से GST वसूली जाएगी. अब 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले अस्पताल के कमरों पर भी जीएसटी देना होगा. इसके अलावा 1,000 रुपये प्रतिदिन से कम किराये वाले होटल के कमरों पर 12% के हिसाब से टैक्सि लगाने का प्रावधान है.
अभी तक इसपर किसी तरह का टैक्सह नहीं लगता था. बागडोगरा से पूर्वोत्तर राज्यों तक की हवाई यात्रा पर जीएसटी छूट अब 'इकनॉमी' क्लॉोस तक सीमित होगी. आरबीआई, बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड जैसे नियामकों की सेवाओं के साथ रिहायशी मकान कारोबारी यूनिट को किराये पर देने पर टैक्स लगेगा.
बैटरी या उसके बिना इलेक्ट्रिक वाहनों पर रियायती 5% जीएसटी बना रहेगा. पैक्ड मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन और मटर पर अब 5% जीएसटी लगेगा. जो पहले नहीं लगता था. चेक जारी करने के एवज में बैंकों की तरफ से ली जाने वाली फीस पर 18% जीएसटी लगेगा. एटलस समेत नक्शे और चार्ट पर 12% जीएसटी लगेगा.
सौर वॉटर हीटर पर अब 12% जीएसटी लगेगा, पहले ये 5 प्रतिशत था. सड़क, पुल, रेलवे, मेट्रो, वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट और शवदाहगृह के लिये जारी होने वाले कॉन्ट्रैलक्ट पर अब 18% जीएसटी लगेगा. ये अबतक 12% था.
ये भी जान लीजिए कि कौन सी चीजें होंगी सस्ती?
रोपवे से वस्तुओं और यात्रियों के परिवहन, सर्जरी से जुड़े उपकरणों पर GST 12 से घटाकर 5% हुआ. ट्रक, वस्तुओं की ढुलाई में यूज होने वाले वाहनों जिसमें ईंधन की लागत शामिल है पर अब 18 की बजाय 12% जीएसटी लगेगा. अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि क्या महंगा हो रहा है और क्या सस्ता.. हम आपको जीएसटी के इतिहास बारे में बताएं और इससे पहले भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर क्या टैक्स प्रणाली थी उसके बारे में बताएं, उसके पहले सोचा आपको एक सरकारी आंकड़ा बता दूं.
दरअसल सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जून महीने में जीएसटी कलेक्शन सालाना आधार पर 56% बढ़कर 1.44 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. ये लगातार पांचवां ऐसा महीना रहा, जब सरकार को जीएसटी से एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा राजस्व प्राप्त हुआ है. मई में सरकार को जीएसटी से 1.40 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे. प्री-पैक फूड आइटम जैसे दूध के पैक्ड प्रोडक्ट- दही, लस्सी, पनीर और छाछ पर सरकार ऐसे वक्त में 5% जीएसटी वसूल रही है जब देश में महंगाई अभी भी कई सालों के उच्च स्तर पर बनी हुई है और दूसरी ओर जीएसटी कलेक्शन भी लगातार बढ़ रहा है.
अच्छा! कई लोगों को ये भी लगता है कि सरकार क्या करे, ये फैसला तो जीएसटी कांउसिल ने लिया है. आपको भी ऐसा लग रहा है क्या? चलिए ये भी क्लियर हो जाएगा जीएसटी कांउसिल को जानने से पहले आइये जीएसटी को जान लें जिसकी दरें बढ़ने से लोगों के लिए मक्खन लगाना भी मुश्किल हो गया है.. मेरा मतलब ब्रेड टोस्ट-रोटी-पराठे पर मक्खन लगाकर खाना भी मुश्किल हो गया है.
क्या है जीएसटी ?
भारत में अब तक का सबसे बड़ा टैक्स सुधार, वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था.
'एक देश-एक कर' कहे जाने वाली इस सेवा को मोदी सरकार ने स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़ा टैक्स सुधार कहा था.
कहते हैं इस कर सुधार का ढांचा आज से 22 साल पहले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देखा था.
वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax) को संक्षिप्त रूप में GST कहते हैं.
गुड्स यानी जिन सामानों का इस्तेमाल हम करते हैं, उसमें कोई भी पैकेज्ड खाद्य सामग्री, सिगरेट पैकेट, मोबाइल हैंडसेट, ट्रक से लेकर कार तक शामिल
सेवाओं में हम दूरसंचार सेवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं या होटल में रहना-खाना और वहां की सर्विस.
जीएसटी लागू करने का मकसद सीधा और साफ है- एक देश-एक मार्केट-एक टैक्स-. जीएसटी लागू होने से सर्विस टैक्स-, वैट, क्रय कर, एक्सााइज ड्यूटी और अन्यग कई टैक्स समाप्तस हो गए. इनकी जगह जीएसटी ने ले ली. हालांकि, अभी भी शराब, पेट्रोलियम पदार्थ और स्टाजम्प ड्यूटी को जीएसटी से मुक्तन रखा गया है. इन पर आज भी पुरानी टैक्स व्यवस्था लागू है.
हमने आपको बताया कि जीएसटी 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था. उसके शुरू होने यानी सफरनामे की बात बताऊं उससे पहले आदतन आपको कुछ इंटरेस्टिंग फैक्ट्स बताता चलूं.
अगस्त 2016 में असम जीएसटी पास करने वाला पहला राज्य बना था.
अप्रैल 2017 में बिहार जीएसटी पास करने वाला पहला गैर बीजेपी शासित राज्य बना था.
अब आपको बताते हैं - भारत में ऐसे शुरु हुआ जीएसटी का सफर
साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी ने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता की अध्यक्षता में जीएसटी के ऊपर रिव्यू के लिए एक कमेटी का गठन किया था जिसमें उन्हें जीएसटी का पूरा मॉडल तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई.
केलकर टास्क फोर्स ने जीएसटी के रूप में अप्रत्यक्ष करों का एकीकरण करने की सलाह दी.
2006 में अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जीएसटी का जिक्र किया था.
2010 में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अपने भाषण में घोषणा की थी कि जीएसटी अप्रैल, 2011 से लागू कर दिया जाएगा.
2011 में लोकसभा में सभी वस्तु और सेवाओं पर जीएसटी के लिए 115वां संविधान संशोधन बिल लाया गया.
2013 में स्थाई समिति ने जीएसटी पर अपनी रिपोर्ट पेश की और नवंबर 2009 में सरकार के पेट्रोलियम पदार्थों के जीएसटी में शामिल करने के प्रस्ताव को एंपावर्ड कमेटी ने खारिज कर दिया.
2014 में 122वां संविधान संशोधन लोकसभा में पास हो गया.
3 अगस्त 2016 को जीएसटी, राज्यसभा से पास हो गया.
सितंबर 2016 में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई.
22 सितंबर 2016 को जीएसटी काउंसिल का गठन किया गया. ये परिषद नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के लिए कर की दर, उस में दी जाने वाली छूट और इसकी सीमा पर फैसला करती है.
23 सितंबर 2016 को जीएसटी नेटवर्क का गठन किया गया. ये एक ऑनलाइन नेटवर्क है जिसे उपभोक्ताओं और कारोबारियों की समस्याओं और सवालों को हल करने के लिए बनाया गया है.
2017 में सरकार ने 4 प्रकार के जीएसटी बिल पेश किए जिनमें केन्द्रीय जीएसटी, एकीकृत जीएसटी, केन्द्र शासित राज्यों का जीएसटी बिल और जीएसटी बिल शामिल था.
20 मई 2017 को जीएसटी परिषद ने जीएसटी कर की चार दरें (5%, 12%, 18%, 24%) तय कीं.
20 जून 2017 को अरुण जेटली ने घोषणा की कि आजादी की रात की तर्ज पर 30 जून की आधी रात को जीएसटी को लॉन्च किया जाएगा.
1 जुलाई, 2017 से जीएसटी देश में लागू हो गया.
प्रधानमंत्री मोदी ने जीएसटी लॉन्च होते वक्त कहा था कि, ‘जीएसटी किसी एक सरकार की उपलब्धि नहीं है बल्कि सबकी साझी विरासत है और सबके साझे प्रयास की परिणति है, एक लंबी विचार प्रक्रिया का परिणाम है.’ आज यही विचार भारत के मध्यम वर्गों के लिए भारी पड़ रहा है. आज इस जीएसटी की साझी विरासत को ढो पाना आधे से अधिक भारतीयों के लिए मुश्किल हो रहा है.
पहले तो लोग ये भी कहते थे कि चलो कुछ न सही तो दाल रोटी ही खा लेंगे. जीएसटी कांउसिल की नई दरें लागू होने के बाद अब तो दाल-रोटी के लिए भी सोचना पड़ेगा. अब आपको एक खास बात बता दें कि जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें सरकार को माननी ही होंगी ऐसा भी नहीं है. सरकार अगर चाहे तो आप आटा, चावल, दही, उसी दाम में खरीद सकते हैं जिस दाम में अभी तक खरीद रहे थे.
क्योंकि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने GST पर एक अहम फैसला सुनाया था. कोर्ट ने कहा था कि ‘GST काउंसिल की सिफारिशें मानना केंद्र और राज्यों के लिए बाध्यकारी नहीं है’इसका मतलब है कि GST काउंसिल जो भी सिफारिशें देता है, उन्हें लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार बाध्य नहीं होंगे. बल्कि ये सिफारिशें सलाह या परामर्श के तौर पर देखी जानी चाहिए. अदालत ने ये भी कहा कि ‘संसद और राज्य विधानसभाओं के पास GST पर कानून बनाने का समान अधिकार है. GST परिषद इस पर उन्हें उपयुक्त सलाह देने के लिए है’
चलिए आपको ये बता दें कि जीएसटी परिषद क्या है और ये कैसे काम करती है?
2016 में संसद के दोनों सदनों द्वारा संवैधानिक (122 वां संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद माल और सेवा कर व्यवस्था लागू हुई.
15 से अधिक भारतीय राज्यों ने तब अपने राज्य विधानसभाओं में इसकी पुष्टि की, जिसके बाद राष्ट्रपति ने अपनी सहमति दी.
जीएसटी परिषद राष्ट्रपति द्वारा संशोधित संविधान के अनुच्छेद 279 ए (1) के अनुसार स्थापित किया गया था.
परिषद के सदस्यों में केंद्रीय वित्त मंत्री अध्यक्ष के तौर पर, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्री या राज्यों की सरकार के कोई प्रतिनिधि शामिल होते हैं.
वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के अंतर्गत जीएसटी परिषद मुख्य फैसला लेने वाली एक संस्था है जो कि जीएसटी कानून के तहत होने वाले कार्यो के संबंध में सभी जरूरी फैसले लेती है.
जीएसटी काउंसिल कुछ राज्यों के लिए विशेष दरों और प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए टैक्स निर्धारण, टैक्स में छूट, अथवा टैक्स कानून और टैक्स समय सीमा तय करती है. जीएसटी परिषद पूरे देश में वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक ही कर निर्धारित करती है. अब जीएसटी परिषद की सिफारिशें आम आदमी की जेब पर कितना असर डालती हैं और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के मुताबिक केंद्र सरकार या राज्य सरकारें आम आदमी को राहत देने के उपाय करती हैं या नहीं ये देखने की बात है.
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