भारत में GST भले ही 2017 में लागू हो गया हो, लेकिन उसमें सुधार की गुंजाइश अभी तक बनी हुई है. तभी तो अरुण जेटली की जीएसटी काउंसिल लगातार टैक्स रेट ऊपर नीचे करने में जुटी हुई है. इसी बीच लोकसभा चुनाव 2019 से पहले जीएसटी काउंसिल की तरफ से घर खरीदने वालों को एक और तोहफा दिया गया है. पहले जहां अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट पर 12% टैक्स लगता था उसे घटाकर अब 5% कर दिया गया है और जहां 8% टैक्स अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए लगता था उसे घटाकर अब 1% कर दिया गया है. ये फैसला 1 अप्रैल 2019 से लागू किया जाएगा.
ये देखने में तो ऐसा लग रहा है कि आम आदमी को बड़ी भारी छूट दी गई है. पर क्या वाकई में ये ऐसा ही मामला है? इस छूट के पीछे कुछ शर्तें भी रखी गई हैं जो ये बताती हैं कि किस किस्म का घर खरीदने पर फायदा है और किस किस्म का घर जीएसटी में छूट के दायरे से बाहर है.
शर्तें कुछ ऐसी कि 1% छूट का फायदा कम ही लोगों को होगा!
दरअसल, ये 1% जीएसटी की बात फायदेमंद तो लग रही है, लेकिन इसका फायदा सिर्फ उन्हीं लोगों को होगा जो 60 स्क्वेयर मीटर या फिर 650 स्क्वेयर फिट का घर खरीदेंगे. ये मेट्रो शहरों के लिए है. अगर इससे कम के कार्पेट एरिया में बना हुआ घर है तो ही 1% जीएसटी लगेगा अगर इससे ज्यादा है तो नॉर्मल टैक्स रेट लागू होगा. यही रेट नॉन मेट्रो शहरों पर 90 स्क्वेयर मीटर यानी 950 स्क्वेयप फिट के घर पर लागू होगा. लेकिन सिर्फ यहीं नहीं इसमें भी एक शर्त है.
शर्त ये कि इस कार्पेट एरिया वाले घर की कीमत 45 लाख से कम ही होनी चाहिए. यानी अगर मुंबई में 650 स्क्वेयर फिट का घर टाउन एरिया (कोलाबा से अंधेरी के बीच) में ले रहे हैं तो यहां घर की कीमत 45 लाख से ऊपर हो जाएगी क्योंकि इतने...
भारत में GST भले ही 2017 में लागू हो गया हो, लेकिन उसमें सुधार की गुंजाइश अभी तक बनी हुई है. तभी तो अरुण जेटली की जीएसटी काउंसिल लगातार टैक्स रेट ऊपर नीचे करने में जुटी हुई है. इसी बीच लोकसभा चुनाव 2019 से पहले जीएसटी काउंसिल की तरफ से घर खरीदने वालों को एक और तोहफा दिया गया है. पहले जहां अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट पर 12% टैक्स लगता था उसे घटाकर अब 5% कर दिया गया है और जहां 8% टैक्स अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए लगता था उसे घटाकर अब 1% कर दिया गया है. ये फैसला 1 अप्रैल 2019 से लागू किया जाएगा.
ये देखने में तो ऐसा लग रहा है कि आम आदमी को बड़ी भारी छूट दी गई है. पर क्या वाकई में ये ऐसा ही मामला है? इस छूट के पीछे कुछ शर्तें भी रखी गई हैं जो ये बताती हैं कि किस किस्म का घर खरीदने पर फायदा है और किस किस्म का घर जीएसटी में छूट के दायरे से बाहर है.
शर्तें कुछ ऐसी कि 1% छूट का फायदा कम ही लोगों को होगा!
दरअसल, ये 1% जीएसटी की बात फायदेमंद तो लग रही है, लेकिन इसका फायदा सिर्फ उन्हीं लोगों को होगा जो 60 स्क्वेयर मीटर या फिर 650 स्क्वेयर फिट का घर खरीदेंगे. ये मेट्रो शहरों के लिए है. अगर इससे कम के कार्पेट एरिया में बना हुआ घर है तो ही 1% जीएसटी लगेगा अगर इससे ज्यादा है तो नॉर्मल टैक्स रेट लागू होगा. यही रेट नॉन मेट्रो शहरों पर 90 स्क्वेयर मीटर यानी 950 स्क्वेयप फिट के घर पर लागू होगा. लेकिन सिर्फ यहीं नहीं इसमें भी एक शर्त है.
शर्त ये कि इस कार्पेट एरिया वाले घर की कीमत 45 लाख से कम ही होनी चाहिए. यानी अगर मुंबई में 650 स्क्वेयर फिट का घर टाउन एरिया (कोलाबा से अंधेरी के बीच) में ले रहे हैं तो यहां घर की कीमत 45 लाख से ऊपर हो जाएगी क्योंकि इतने छोटे घर की कीमत भी मुंबई में बहुत ज्यादा है. ऐसे में ये घर 1% टैक्स स्लैब में नहीं आएंगे. यही हाल अन्य मेट्रो शहरों का भी हैं जहां रेट भले ही मुंबई जितने न हों, लेकिन 45 लाख से कम का घर 650 स्क्वेयर फिट में मिलना थोड़ा मुश्किल होगा. दिल्ली के अशोक नगर, लक्ष्मी नगर जैसे इलाकों में फिर भी ये घर मिल जाएं, लेकिन ऐसे इलाकों में नए और अंडरकंस्ट्रक्शन घरों की उम्मीद फिर छोड़नी होगी.
ये अफोर्डेबल हाउसिंग प्लान सिर्फ कुछ ही बिल्डर्स के अंतरगत आएगा. एक गूगल सर्च करने पर 650 स्क्वेयर फिट के कई घरों के विज्ञापन सामने आते हैं, लेकिन वो अलग-अलग शहरों के हैं और आप उन घरों से ज्यादा उम्मीद नहीं रख सकते. इस कार्पेट एरिया में अधिकतर सरकारी DDA असोसिएशन जैसे मकान मिलेंगे. हां, LIG (Lower Income Group) जैसे मकान किसी हाउसिंग सोसाइटी में मिल सकते हैं. कुल मिलाकर अगर आपने इन शर्तों के हिसाब से मकान ढूंढ लिया है तो 45 लाख का मकान काफी कम टैक्स पर मिल सकता है.
5% के दायरे में बहुत से नए ग्राहकों को होगा फायदा-
असली फायदा यहां 5% जीएसटी वाले स्लॉट में है. इस स्लॉट में सभी अंडर कंस्ट्रक्शन घर आएंगे. यानी अगर कोई एकदम नया घर लेने वाला है तो उसे घर का फायदा मिलेगा. पर यहां भी कुछ पेंच हैं.
- घर अंडर कंस्ट्रक्शन होना चाहिए. अगर बिक्री के समय घर पूरा बना हुआ है और इसका सर्टिफिकेट भी ग्राहक को मिल गया है तो जीएसटी 5% नहीं लगेगा बल्कि पूरे बने हुए घरों में स्टैंप ड्यूटी भी ज्यादा लगती है.
- बिल्डरों को यहां इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा. ऐसे में हो सकता है कि बिल्डर पहले ही घर की कीमत बढ़ा दें. पहले 12% टैक्स के स्लॉट में बिल्डर इनपुट टैक्स क्रेडिट ले सकते थे.
- घर अगर नया ले रहे हैं तो ही इस स्कीम का फायदा उठाया जा सकता है. साथ ही, अगर 1 अप्रैल 2019 से पहले घर का निर्माण पूरा हो जाता है या उससे पहले घर खरीद लिया है तो इस स्कीम का फायदा नहीं मिलेगा.
क्यों किया गया ये 5% टैक्स का फैसला?
इस फैसले के पीछे सरकार का उद्देश्य था कि फायदा ग्राहकों तक पहुंचे. दरअसल, 12% टैक्स स्लैब में बिल्डर कैश में खरीददारी कर लेते थे और आधिकारिक चैनल से खरीददारी न होने के कारण ग्राहकों तक टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं पहुंच पाता था. ऐसे में इस पूरे प्रोसेस को स्ट्रीमलाइन करने के लिए ऐसा फैसला लिया गया है. पर यहां भी एक शर्त है. शर्त ये कि अगर बिल्डर अपने सामान की 80% खरीददारी आधिकारिक जगहों से करता है तो ही 5% टैक्स बेनेफिट में आएगा. इससे ये तय किया जा सकेगा कि ये फायदा घरों के मालिकों तक पहुंच रहा है और बिल्डर तक नहीं.
अब ऐसे में ज्यादा फायदे के लिए बिल्डर मकान का रेट भी ज्यादा नहीं बढ़ा पाएंगे और इसका फायदा आम ग्राहकों तक पहुंचेगा.
कुल मिलाकर फायदा अंडर कंस्ट्रक्शन घर खरीदने वाले ग्राहकों को ज्यादा मिलेगा. यानी अगर आप नया घर खरीदने की कोशिश में हैं तो अंडर कंस्ट्रक्शन घर फायदेमंद साबित हो सकते हैं. ये राहत आम आदमी के लिए काफी सुविधाजनक साबित होगी क्योंकि इससे जीएसटी का फायदा पूरा का पूरा उन लोगों को ही मिलेगा. जीएसटी काउंसिल में ये फैसला लेने की सिफारिश 2018 में ही कर दी गई थी क्योंकि रियल एस्टेट सेक्टर को इससे नुकसान ही हो रहा था और आधिकारिक चैनल न होने के कारण जीएसटी का पूरा फायदा भी सरकार को नहीं मिल पा रहा था. अब टैक्स कम कर इनपुट क्रेडिट हटा दिया गया है और इससे सीधे तौर पर फायदा आम आदमी को मिल सकता है.
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