गुजरात विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल ने कांग्रेस की हार का इशारा कर दिया है. सट्टा बाजार भी इसी बात के संकेत दे रहा है कि भाजपा चुनाव जीत सकती है. वहीं शेयर बाजार में लोग काफी सुरक्षित तरीके से दांव खेलते नजर आ रहे हैं. गुजरात चुनाव के दौरान सट्टा बाजार गर्म रहा है और अभी 18 दिसंबर यानी चुनाव के नतीजे आने तक यह बाजार गर्म ही रहेगा. सट्टा बाजार में भाजपा का भाव 55 पैसे है और कांग्रेस का भाव 2 रुपए है. पहले चरण में कांग्रेस का भाव 3 रुपए का रखा गया था, लेकिन कांग्रेस की तगड़ी दावेदारी के चलते अब उसका दाम पहले से कम हो गया है. सट्टा बाजार के अनुसार गुजरात चुनाव में भाजपा को 101-103 सीटें मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस के हिस्से में 71-73 सीटें आने की संभावना है. सवाल यह है कि आखिर सट्टा बाजार और शेयर बाजार के अनुमान किस हद तक सही होते हैं?
भाजपा फिर करेगा वापसी !
भले ही लोग एग्जिट पोल पर भरोसा न करें, लेकिन सट्टा बाजार के अनुमान पर लोग काफी भरोसा करते हैं, क्योंकि वहां लोगों ने पैसे लगाए होते हैं. सट्टा बाजार में भाजपा का भाव कम होने का मतलब साफ है कि भाजपा इस बार चुनाव में जीत सकती है. इसके उलट कांग्रेस का भाव अधिक है यानी उसके जीतने की संभावना कम है. खैर, ये अनुमान लोगों ने अपने हिसाब से लगाए हैं. कौन जीतेगा इसका सही-सही पता तो 18 दिसंबर को चुनाव नतीजे आने के बाद ही चलेगा.
शेयर बाजार भी भाजपा के साथ
गुजरात चुनाव के नतीजे आने से पहले ही सिर्फ एग्जिट पोल को ध्यान में रखते हुए ही शेयर बाजार में तेजी आ गई है. भले ही कांग्रेस अभी भी गुजरात चुनाव में जीत हासिल करने का दम भर रही हो, लेकिन शेयर बाजार को भाजपा ही जीतती हुई दिख रही है. दोनों ही चरणों के गुजरात चुनाव में सेंसेक्स चुनाव से कुछ दिन पहले गिरा और फिर चुनाव के दिन और...
गुजरात विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल ने कांग्रेस की हार का इशारा कर दिया है. सट्टा बाजार भी इसी बात के संकेत दे रहा है कि भाजपा चुनाव जीत सकती है. वहीं शेयर बाजार में लोग काफी सुरक्षित तरीके से दांव खेलते नजर आ रहे हैं. गुजरात चुनाव के दौरान सट्टा बाजार गर्म रहा है और अभी 18 दिसंबर यानी चुनाव के नतीजे आने तक यह बाजार गर्म ही रहेगा. सट्टा बाजार में भाजपा का भाव 55 पैसे है और कांग्रेस का भाव 2 रुपए है. पहले चरण में कांग्रेस का भाव 3 रुपए का रखा गया था, लेकिन कांग्रेस की तगड़ी दावेदारी के चलते अब उसका दाम पहले से कम हो गया है. सट्टा बाजार के अनुसार गुजरात चुनाव में भाजपा को 101-103 सीटें मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस के हिस्से में 71-73 सीटें आने की संभावना है. सवाल यह है कि आखिर सट्टा बाजार और शेयर बाजार के अनुमान किस हद तक सही होते हैं?
भाजपा फिर करेगा वापसी !
भले ही लोग एग्जिट पोल पर भरोसा न करें, लेकिन सट्टा बाजार के अनुमान पर लोग काफी भरोसा करते हैं, क्योंकि वहां लोगों ने पैसे लगाए होते हैं. सट्टा बाजार में भाजपा का भाव कम होने का मतलब साफ है कि भाजपा इस बार चुनाव में जीत सकती है. इसके उलट कांग्रेस का भाव अधिक है यानी उसके जीतने की संभावना कम है. खैर, ये अनुमान लोगों ने अपने हिसाब से लगाए हैं. कौन जीतेगा इसका सही-सही पता तो 18 दिसंबर को चुनाव नतीजे आने के बाद ही चलेगा.
शेयर बाजार भी भाजपा के साथ
गुजरात चुनाव के नतीजे आने से पहले ही सिर्फ एग्जिट पोल को ध्यान में रखते हुए ही शेयर बाजार में तेजी आ गई है. भले ही कांग्रेस अभी भी गुजरात चुनाव में जीत हासिल करने का दम भर रही हो, लेकिन शेयर बाजार को भाजपा ही जीतती हुई दिख रही है. दोनों ही चरणों के गुजरात चुनाव में सेंसेक्स चुनाव से कुछ दिन पहले गिरा और फिर चुनाव के दिन और उसके बाद एक-दो दिन तक ऊपर चढ़ता दिखा. 6 मार्च को सेंसेक्स 32,597 के स्तर तक गिर गया था, जो पहले चरण के मतदान के बाद 11 दिसंबर को 33,455 के स्तर पर जा पहुंचा. दूसरे चरण के मतदान से पहले भी 13 दिसंबर को सेंसेक्स 33,053 के स्तर तक गिर गया और अगले ही दिन 33,246 के स्तर पर जा पहुंचा.
यही पैटर्न उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान भी दिखा. 8 मार्च 2017 को यूपी चुनाव के नतीजे आने से एक दिन पहले 7 मार्च को सेंसेक्स 28,999 पर था, जो नतीजे वाले दिन गिरकर 28,901 के स्तर पर बंद हुआ. लेकिन अगले दो-तीन दिनों में 14 मार्च तक शेयर बाजार 29,442 के स्तर पर जा पहुंचा. इस बार गुजरात चुनाव को लेकर आए एग्जिट पोल के बाद अडानी पोर्ट के शेयरों में तेजी देखने को मिली है.
सट्टा बाजार में कितना दम?
- अगर सट्टा बाजार के पुराने आंकड़ों को देखा जाए तो यूपी चुनाव में भी सट्टा बाजार का अनुमान सही साबित हुआ था. सट्टा बाजार में उस वक्त भाजपा पर पैसे लगाए गए थे और भाजपा जीती भी.
- वहीं बिहार चुनाव में सटोरियों को मुंह की खानी पड़ी. सट्टा लगाया था भाजपा पर, लेकिन जीत गए नीतीश कुमार.
- इतना ही नहीं, पंजाब में भी सटोरियों का अनुमान था कि आम आदमी पार्टी जीतेगी और कांग्रेस दूसरे नंबर रहेगी. इसके उलट कांग्रेस ने पंजाब में जीत हासिल की.
- सटोरियों की सबसे बुरी हालत हुई थी दिल्ली चुनाव में. सट्टा बाजार के हिसाब से यह अनुमान था कि भाजपा की जीत होगी, जबकि आम आदमी पार्टी को सिर्फ 3-4 सीटें ही मिलेंगी. वहीं इसके उलट, आम आदमी पार्टी प्रचंड बहुमत से जीती और भाजपा को सिर्फ 3 सीटें मिलीं.
- उत्तराखंड चुनाव में सट्टा बाजार ने यह अनुमान लगाया था कि भाजपा जीतेगी और वहां पर भाजपा की सरकार बनी.
कोई नहीं जानता, क्या होगा
अभी तक के आंकड़ों को देखते हुए यह साफ कहा जा सकता है कि न तो सट्टा बाजार किसी की हार-जीत का सही आकलन कर सका है, ना ही एग्जिट पोल. जिस सट्टा बाजार के अनुमानों को सबसे अधिक भरोसेमंद माना जाता था, अब लगता है कि वहां भी लोग सिर्फ भावनाओं में बहकर पैसे लगा देते हैं. शेयर बाजार का पैटर्न तो दिखाता है कि ये लोग काफी सुरक्षित दांव खेलते हैं. चुनाव से पहले बाजार गिरने का मतलब है कि लोग कंफ्यूज हैं और वह मुनाफावसूली करके अपने शेयर बाजार से निकालते हैं. जबकि बाजार में तेजी का मतलब है कि एग्जिट पोल आदि की आशंकाओं से निवेशक शेयर बाजार में और अधिक पैसा डालते हैं. हालांकि, यूपी चुनाव के नतीजों वाले दिन ही शेयर बाजार में गिरावट देखी गई, जो उनकी घबराहट को दर्शाता है. लेकिन माना जा रहा है कि गुजरात चुनाव के नतीजों में अगर भाजपा जीती तो शेयर बाजार में एक तेजी देखने को मिलेगी, क्योंकि गुजराती लोग बिजनेस में खूब पैसा लगाते हैं.
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