फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने नया बजट पेश कर दिया है और मोदी सरकार का 2019 के चुनाव से पहले ये आखिरी बजट है. इस बजट के पहले कहा गया था कि ये लोकलुभावन नहीं होगा. खुद प्रधानमंत्री ने इसे कहा था, लेकिन अगर देखा जाए तो जेटली जी ने किसानों को, स्टूडेंट्स को और बेरोजगारों को खुश करने के लिए काफी कुछ किया है. 21 लाख करोड़ का ये बजट असल में गरीबों के लिए है. चाहें शिक्षा का क्षेत्र हो, या फिर स्वास्थ्य का या फिर खेती का ये गरीबों के लिए है. ग्राम सड़क योजना हो या फिर एकलव्य योजना सभी गरीबों के लिए है. खास बात उन लोगों के लिए जो मिडिल क्लास उनके लिए इस बजट में क्या है?
सबसे पहले तो देखें कि फिस्कल डेफिसिट बढ़ गई है ये अब जीडीपी का 3.5% हिस्सा हो गई है. रोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए काफी कदम तो बढ़ाए गए हैं. 70 लाख नए रोजगार बनने का वादा भी किया गया है, लेकिन फिर भी मिडिल क्लास जिस तरह की घोषणा की उम्मीद कर रही थी वो नहीं हुआ.
मिडिल क्लास के लिए बुरे हैं ये प्वाइंट...
1. टैक्स ...
पर्सनल टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है और इसके साथ ही Exemption लिमिट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है. अरुण जेटली का कहना है कि इसकी वाकई कोई जरूरत थी नहीं. ये मिडिल क्लास को सबसे बड़ा झटका है क्योंकि इस बार भी टैक्स में राहत की उम्मीद मिडिल क्लास द्वारा की जा रही थी.
2. स्टैंडर्ड डिडक्शन...
स्टैंडर्ड डिडक्शन में कुछ बदलाव किया गया है. कुल सालाना सैलरी से अब 40 हज़ार काटकर पुरानी दर पर ही चुकाना होगा टैक्स. इसके अलावा, बाकी एक्जेम्पशन खत्म कर दिए हैं. ये सैलरी पाने...
फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने नया बजट पेश कर दिया है और मोदी सरकार का 2019 के चुनाव से पहले ये आखिरी बजट है. इस बजट के पहले कहा गया था कि ये लोकलुभावन नहीं होगा. खुद प्रधानमंत्री ने इसे कहा था, लेकिन अगर देखा जाए तो जेटली जी ने किसानों को, स्टूडेंट्स को और बेरोजगारों को खुश करने के लिए काफी कुछ किया है. 21 लाख करोड़ का ये बजट असल में गरीबों के लिए है. चाहें शिक्षा का क्षेत्र हो, या फिर स्वास्थ्य का या फिर खेती का ये गरीबों के लिए है. ग्राम सड़क योजना हो या फिर एकलव्य योजना सभी गरीबों के लिए है. खास बात उन लोगों के लिए जो मिडिल क्लास उनके लिए इस बजट में क्या है?
सबसे पहले तो देखें कि फिस्कल डेफिसिट बढ़ गई है ये अब जीडीपी का 3.5% हिस्सा हो गई है. रोजगार को प्रोत्साहन देने के लिए काफी कदम तो बढ़ाए गए हैं. 70 लाख नए रोजगार बनने का वादा भी किया गया है, लेकिन फिर भी मिडिल क्लास जिस तरह की घोषणा की उम्मीद कर रही थी वो नहीं हुआ.
मिडिल क्लास के लिए बुरे हैं ये प्वाइंट...
1. टैक्स ...
पर्सनल टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है और इसके साथ ही Exemption लिमिट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है. अरुण जेटली का कहना है कि इसकी वाकई कोई जरूरत थी नहीं. ये मिडिल क्लास को सबसे बड़ा झटका है क्योंकि इस बार भी टैक्स में राहत की उम्मीद मिडिल क्लास द्वारा की जा रही थी.
2. स्टैंडर्ड डिडक्शन...
स्टैंडर्ड डिडक्शन में कुछ बदलाव किया गया है. कुल सालाना सैलरी से अब 40 हज़ार काटकर पुरानी दर पर ही चुकाना होगा टैक्स. इसके अलावा, बाकी एक्जेम्पशन खत्म कर दिए हैं. ये सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए ही है. पहले ये लगभग 30 हजार था और अब ये 40 हजार हो गया है. तो कुल फायदा 10 हजार का ही है. एक नजर में देखने पर लगेगा कि डिडक्शन बहुत ज्यादा है, लेकिन असल में कर्मचारियों को ज्यादा फायदा नहीं हुआ है बल्कि नुकसान ही होगा.
5% टैक्स स्लैब वाले 290 रुपए कम देंगे, 1160 रुपए कम उन लोगों के लिए जो 20% टैक्स लिमिट में है और 30% टैक्स लिमिट वाले 1740 रुपए बचाएंगे, लेकिन इस बचत में वो सेस नहीं जोड़ा गया है जिसे 3% से बढ़ाकर 4% कर दिया गया है. अगर उसे जोड़ा जाए तो कुल इनकम टैक्स पर 1% सेस एक्स्ट्रा बढ़ा दिया जाएगा. जिससे जो बचत हो रही थी वो खत्म ही हो जाएगी.
3. महिलाओं के लिए...
सरकार ने इस बार के बजट में महिलाओं पर खास फोकस रखा. जेटली ने एक ओर जहां कामकाजी महिलाओं को राहत देते हुए पीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन 12 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी कर दिया. सरकार के इस फैसले से महिलाओं की इन हैंड सैलरी में इजाफा होगा. लेकिन कितना इसपर बहुत बड़ा सवाल है?
4. सेस बढ़ाया...
इनकम टैक्स पर 3% से बढ़ाकर 4% सेस कर दिया गया है.
5. रेलवे के लिए...
रेलवे के लिए ये बोला जा सकता है कि अगर किराया घटाया नहीं तो कम से कम इस साल भी किराया बढ़ाया नहीं गया है और ये एक अच्छी बात है.
6. MSP बढ़ाई है...
किसानों के लिए MSP बढ़ाई है और ये अच्छी बात है, लेकिन इससे फसलों के दाम भी बढ़ने की संभावना है. अब सीधे तौर पर देखें को किसानों को तो फायदा है ही. काफी हिस्सा इसका सरकार द्वारा दिया जाएगा, लेकिन इसका इनडायरेक्ट असर तो मिडिल क्लास पर पड़ेगा.
गरीबों और किसानों के लिए बेहतर ...
किसानों की कमाई होगी दोगुनी
सरकार ने 2022 तक किसानों की कमाई को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। पहले तो किसान अपनी फसल को सड़कों पर भी फेंकने को मजबूर हो जा रहे थे, लेकिन अब सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य फसल की लागत का 1.5 गुना करने का फैसला किया है। कृषि के विकास के लिए एग्री मार्केट डेवलपमेंट फंड में 2000 करोड़ रुपए दिए हैं। इसके अलावा बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए नेशनल बैंबू मिशन के तहत 1200 करोड़ रुपए सरकार खर्च करेगी। मछली पालन और एनिमल हसबैंड्री सेक्टर के लिए भी 10,000 करोड़ रुपए का फंड आवंटित किया गया है. कृषि के लिए इंस्टीट्यूशनल क्रेडिट को भी बढ़ा दिया गया है और इसे 11 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है. गोबर से बायोगैस बनाने के लिए बायो एग्रो रिसोर्सेस पर आधारित एक योजना भी शुरू की जाएगी।
अब गरीब भी रहेगा स्वस्थ
मोदी सरकार ने अभी तक स्वच्छ भारत मिशन के तहत 6 करोड़ शौचालय बनाए हैं और अब 2 करोड़ शौचालय और बनाने की योजना है. आयुष्मान भारत प्रोग्राम शुरू किया, जिसके तहत 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपए का हेल्थ बीमा मिलेगा. इसके लिए सरकार 1200 करोड़ रुपए खर्च करेगी, जिससे 10 करोड़ गरीब परिवारों पर हर साल 5-5 लाख रुपए खर्च होंगे. यह दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी फंड प्रोग्राम है।
सरकार मौजूदा जिला अस्पतालों को अपग्रेड करेगी और 24 नए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल शुरू किए जाएंगे। AMRT प्रोग्राम के तहत 500 शहरों में सभी घरों को पीने का पानी मुहैया कराया जाएगा. इसके लिए 19,428 करोड़ रुपए खर्च कर के 494 प्रोजेक्ट शुरू होंगे. गरीबों को डायलिसिस की सुविधा मुफ्त में मिलेगी। टीबी जैसी खतरनाक बीमारी से निपटने के लिए सरकार टीबी के मरीजों पर 600 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके तहत सरकार हर टीबी के मरीज को 500 रुपए प्रति महीना देगी।
गरीबों को मिलेगी मुफ्त शिक्षा
- 2022 तक हर वह ब्लॉक जहां पर 50 फीसदी तक अनुसूचित जनजाति (ST) के लोग होंगे, वहां पर एकलव्य स्कूल खोले जाएंगे, जो नवोदय विद्यालय की तरह काम करेंगे। इससे गरीबों को मुफ्त शिक्षा मिलेगी.
ये भी मिला है गरीबों को
- मुंबई लोकल के लिए 11 हजार करोड़ रुपए का बजट.- चार करोड़ घरों को बिना किसी शुल्क के बिजली से जोड़ने के लिए 4,000 करोड़ रुपए.- वरिष्ठ नागरिकों को बैंक डिपॉजिट से मिलने वाले ब्याज से होने वाली आय 50,000 रुपए तक टैक्स फ्री होगी.- 1 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिक फाइबर से जोड़ने का काम हो चुका है. 2.5 लाख गांवों में ब्रॉडबैंड सुविधा पहुंचाई जाएगी. ग्रामीण क्षेत्रों में 5 लाख वाई-फाई स्पॉट बनाए जाएंगे।- सरकार नए कर्मचारियों के लिए तीन सालों तक ईपीएफ में 12 फीसदी प्रोविडेंट फंड में जमा करेगी.- 51 लाख नए ग्रामीण क्षेत्रों में मकान बनेंगे. सरकार ने अपना लक्ष्य बढ़ाते हुए 8 करोड़ गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने का प्रस्ताव रखा है.
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