आज अरुण जेटली 2017-18 का इकोनॉमिक सर्वे सदन में पेश करेंगे. खास बात ये है कि इस साल के इकोनॉमिक सर्वे में यूनिवर्सल बेसिक इनकम (BI) भी एक चैप्टर है. इकोनॉमिक सर्वे हर साल बजट से पहले पेश किया जाता है और आने वाले बजट के संकेत इसमें मिलते हैं. इकोनॉमिक सर्वे को रिपोर्ट कार्ड कहा जाए तो गलत नहीं होगा. ये सर्वे अर्थव्यवस्ता के बदलाव, पॉलिसी के बदलाव आदि के संकेत देता है.
कौन तैयार करता है इकोनॉमिक सर्वे? - चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (सीईए) की टीम इकोनॉमिक सर्वे तैयार करती है. देश के सीईए अरविंद सुब्रहमण्यम ने इस बार का सर्वे वित्त मंत्री अरुण जेटली को दिया है.
तो इस बार के इकोनॉमिक सर्वे में कौन सी हैं 4 सबसे खास बातें चलिए देखते हैं-
1. BI-
आसान भाषा में इसे समझाऊं तो ये एक ऐसी स्कीम होगी जिसमें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को एक निश्चित राशि हर महीने दी जाएगी. चाहें वो कोई काम करें या ना करें. खबरों की मानें तो ये रकम परिवार की महिला को दी जाएगी और ये कितनी होगी इसके बारे में अभी कोई घोषणा नहीं हुई है.
इस योजना पर काफी अरसे से काम चल रहा है था. ब्रिटिश अर्थशास्त्री गाय स्टैंडिंग दुनिया में एक न्यूनतम आय दिए जाने को लेकर 1986 से अथियान चला रहे हैं. उन्होंने इसका एक खाका भारत सरकार को भी सौंपा था. वे इस योजना से जुड़े तीन पायलट प्रोजेक्ट से भी जुड़े रहे. यह प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश में दो जगह और पश्चिमी दिल्ली में चलाया गया. इन तीन पायलट प्रोजेक्ट से जुड़े 8 गांवों में 18 महीने तक महिला, पुरुषों और बच्चों को एक न्यूनतम इनकम मुहैया कराई गई. पता चला है कि इससे यहां के जीवन स्तर में आश्चर्यजनक सुधार आया. खासतौर पर बच्चों के खानपान, सेहत,...
आज अरुण जेटली 2017-18 का इकोनॉमिक सर्वे सदन में पेश करेंगे. खास बात ये है कि इस साल के इकोनॉमिक सर्वे में यूनिवर्सल बेसिक इनकम (BI) भी एक चैप्टर है. इकोनॉमिक सर्वे हर साल बजट से पहले पेश किया जाता है और आने वाले बजट के संकेत इसमें मिलते हैं. इकोनॉमिक सर्वे को रिपोर्ट कार्ड कहा जाए तो गलत नहीं होगा. ये सर्वे अर्थव्यवस्ता के बदलाव, पॉलिसी के बदलाव आदि के संकेत देता है.
कौन तैयार करता है इकोनॉमिक सर्वे? - चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (सीईए) की टीम इकोनॉमिक सर्वे तैयार करती है. देश के सीईए अरविंद सुब्रहमण्यम ने इस बार का सर्वे वित्त मंत्री अरुण जेटली को दिया है.
तो इस बार के इकोनॉमिक सर्वे में कौन सी हैं 4 सबसे खास बातें चलिए देखते हैं-
1. BI-
आसान भाषा में इसे समझाऊं तो ये एक ऐसी स्कीम होगी जिसमें गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को एक निश्चित राशि हर महीने दी जाएगी. चाहें वो कोई काम करें या ना करें. खबरों की मानें तो ये रकम परिवार की महिला को दी जाएगी और ये कितनी होगी इसके बारे में अभी कोई घोषणा नहीं हुई है.
इस योजना पर काफी अरसे से काम चल रहा है था. ब्रिटिश अर्थशास्त्री गाय स्टैंडिंग दुनिया में एक न्यूनतम आय दिए जाने को लेकर 1986 से अथियान चला रहे हैं. उन्होंने इसका एक खाका भारत सरकार को भी सौंपा था. वे इस योजना से जुड़े तीन पायलट प्रोजेक्ट से भी जुड़े रहे. यह प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश में दो जगह और पश्चिमी दिल्ली में चलाया गया. इन तीन पायलट प्रोजेक्ट से जुड़े 8 गांवों में 18 महीने तक महिला, पुरुषों और बच्चों को एक न्यूनतम इनकम मुहैया कराई गई. पता चला है कि इससे यहां के जीवन स्तर में आश्चर्यजनक सुधार आया. खासतौर पर बच्चों के खानपान, सेहत, सफाई और स्कूलों में उपस्थिति को लेकर.खबर है कि इस योजना का विश्लेषण आगामी आर्थिक सर्वेक्षण का हिस्सा होगा. जिसे भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने तैयार किया है.
कितना बढ़ेगा खर्च..
आंकड़ों की मानें तो भारत में रहने वाले गरीब परिवारों की संख्या 5.3 करोड़ है और अगर हर परिवार को 1000 रुपए महीने भी दिए जाते हैं तो भी 53 हजार करोड़ का खर्च हर महीने बढ़ेगा और ये संख्या सालाना 6,36,000 करोड़ (6 लाख 36 हजार करोड़) पहुंच जाएगी.
2. नोटबंदी-
अरविंद सुब्रमण्यम और अरुण जेटली की टीम के लिए सबसे अहम सवाल होगा नोटबंदी और उससे जुड़े प्रभाव देखने का. इकोनॉमिक सर्वे में ये बता पाता कि इससे अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान हुआ है और कब तक ये सुधर पाएगी अहम सवाल है. खासकर कि तब जब साफ तौर पर देश की 86% करंसी बैंकों में वापस आ गई हो और लोगों को कोई खास फर्क भी नजर ना आया हो. कालाधन कहां गया और नए नोटों की छपाई और पुराने की घर वापसी के साथ मार्केट पर इस बड़े कदम का क्या असर पड़ा है इसके बारे में अभी कोई खास बात नहीं की गई है. अगर आंकड़ों पर जाएं तो सरकार की तरफ से कोई आंकड़ा भी नहीं आया है.
3. GDP-
इकोनॉमिक सर्वे में जीडीपी की ग्रोथ पर भी खास नजर होती है. अब नोटबंदी के बाद 2017-18 में अर्थव्यवस्था पर क्या बदलाव हुआ और इसका जीडीपी में क्या असर हुआ ये सर्वे की अनुमानित ग्रोथ पर निर्भर करेगा. IMF (इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड) ने भारत के ग्रोथ रेट को 6.6% कर दिया है और ये पिछले साल 7.6% था. ऐसा नोटबंदी के तत्कालीन प्रभाव को देखते हुए किया गया. IMF ने 2017-18 के ग्रोथ रेट को 7.2% अनुमानित रखा है.
4. कालाधन-
इस बार के इकोनॉमिक सर्वे में कालाधन भी एक मुद्दा होगा. कालेधन को लेकर पिछले एक साल में सरकार द्वारा कई प्रावधान किए गए. साथ ही अरुण जेटली का मानना है कि इस बार नोटबंदी के कारण टैक्स पेयर्स ने भी पिछले साल के मुकाबले ज्यादा पैसे जमा किए हैं. अगर ऐसा है तो उसका असर भी इकोनॉमिक सर्वे पर दिखेगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.