लॉ कमीशन ने अपनी एक रिपोर्ट में सट्टेबाज़ी को लीगल करने की बात की है. सट्टेबाज़ी भारत में सिर्फ घुड़सवारी के लिए ही लीगल है. ये 1996 में वैध की गई थी जिसमें ये कहा गया था कि ये खेल संयोग का नहीं बल्कि चतुराई का है. इसलिए इसपर सट्टेबाज़ी की जा सकती है. बाकी खेलों में और लॉटरी में जहां सट्टेबाज़ी को बंद किया गया था वहां ये तर्क दिया गया था कि ये किस्मत का खेल है और इससे लोगों को नुकसान ज्यादा होगा. पर अब इसी बात पर बहस शुरू हो गई है कि सट्टेबाज़ी को देश में लीगल कर देना चाहिए. पर जिस बारे में इतनी बहस शुरू हुई है उसके बारे में कुछ आंकड़ों पर गौर करना जरूरी है..
किस देश में लीगल है..
सट्टेबाज़ी कई देशों में लीगल है. कुछ में आंशिक तौर पर और कुछ में पूरी तरह से. जैसे ऑस्ट्रेलिया. यहां शायद ही ऐसा कोई खेल होगा जिसमें सट्टेबाज़ी लीगल नहीं है. यहां ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के सट्टेबाज़ी के तरीके अपनाए जाते हैं.
नाइजीरिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जिब्राल्टर, हंगरी, आयरलैंड, इटली, लिकटेंस्टीन (Liechtenstein), मकाऊ, माल्टा, न्यूजीलैंड, पनामा, फिलिपीन्स, रशिया, स्कैनडिनेविया, स्पेन, स्वित्जरलैंड, घाना, मेक्सिको, साउथ अफ्रीका, ब्रिटेन जैसे देशों में सट्टेबाज़ी लीगल है. अगर यूएस की बात करें तो लॉस वेगस तो इसी बात के लिए चर्चित है और यही कारण है कि उसे देश में सट्टेबाजी का सबसे बड़ा हब माना जाता है.
वो देश जहां पूरी तरह से बैन है सट्टेबाज़ी-
साइप्रस, पोलैंड, उत्तर कोरिया, यूएई, ब्राजील, ब्रूनेई और कंबोडिया में सट्टेबाज़ी पूरी तरह से बैन है. इसके अलावा, किसी न किसी तरह की सट्टेबाज़ी हर देश में वैध है. चाहें वो घुड़सवारी पर हो, चाहें वो टूरिस्ट के लिए हो, चाहें वो किसी अन्य खेल पर हो या फिर लॉटरी पर हो.
भारत में रेवेन्यू के क्या हाल?
भारत में वैसे तो सट्टेबाज़ी सिर्फ घुड़सवारी पर वैध है और गोवा, सिक्किम और दमन में कुछ नियमों के...
लॉ कमीशन ने अपनी एक रिपोर्ट में सट्टेबाज़ी को लीगल करने की बात की है. सट्टेबाज़ी भारत में सिर्फ घुड़सवारी के लिए ही लीगल है. ये 1996 में वैध की गई थी जिसमें ये कहा गया था कि ये खेल संयोग का नहीं बल्कि चतुराई का है. इसलिए इसपर सट्टेबाज़ी की जा सकती है. बाकी खेलों में और लॉटरी में जहां सट्टेबाज़ी को बंद किया गया था वहां ये तर्क दिया गया था कि ये किस्मत का खेल है और इससे लोगों को नुकसान ज्यादा होगा. पर अब इसी बात पर बहस शुरू हो गई है कि सट्टेबाज़ी को देश में लीगल कर देना चाहिए. पर जिस बारे में इतनी बहस शुरू हुई है उसके बारे में कुछ आंकड़ों पर गौर करना जरूरी है..
किस देश में लीगल है..
सट्टेबाज़ी कई देशों में लीगल है. कुछ में आंशिक तौर पर और कुछ में पूरी तरह से. जैसे ऑस्ट्रेलिया. यहां शायद ही ऐसा कोई खेल होगा जिसमें सट्टेबाज़ी लीगल नहीं है. यहां ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के सट्टेबाज़ी के तरीके अपनाए जाते हैं.
नाइजीरिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, जिब्राल्टर, हंगरी, आयरलैंड, इटली, लिकटेंस्टीन (Liechtenstein), मकाऊ, माल्टा, न्यूजीलैंड, पनामा, फिलिपीन्स, रशिया, स्कैनडिनेविया, स्पेन, स्वित्जरलैंड, घाना, मेक्सिको, साउथ अफ्रीका, ब्रिटेन जैसे देशों में सट्टेबाज़ी लीगल है. अगर यूएस की बात करें तो लॉस वेगस तो इसी बात के लिए चर्चित है और यही कारण है कि उसे देश में सट्टेबाजी का सबसे बड़ा हब माना जाता है.
वो देश जहां पूरी तरह से बैन है सट्टेबाज़ी-
साइप्रस, पोलैंड, उत्तर कोरिया, यूएई, ब्राजील, ब्रूनेई और कंबोडिया में सट्टेबाज़ी पूरी तरह से बैन है. इसके अलावा, किसी न किसी तरह की सट्टेबाज़ी हर देश में वैध है. चाहें वो घुड़सवारी पर हो, चाहें वो टूरिस्ट के लिए हो, चाहें वो किसी अन्य खेल पर हो या फिर लॉटरी पर हो.
भारत में रेवेन्यू के क्या हाल?
भारत में वैसे तो सट्टेबाज़ी सिर्फ घुड़सवारी पर वैध है और गोवा, सिक्किम और दमन में कुछ नियमों के साथ अन्य खेलों पर भी सट्टेबाज़ी की जा सकती है.
अगर इस चार्ट की मानें तो सट्टेबाज़ी का कारोबार असल में भारत में काफी ज्यादा बड़ा है और इसपर लगा हुआ पैसा भी यकीनन बहुत बड़ा है. अगर इस रिपोर्ट की मानें तो 2018 तक सट्टेबाज़ी का कारोबार 130 मिलियन डॉलर यानी 892 हज़ार करोड़ के आस-पास होने की संभावना है. हालांकि, एक FCCI की रिपोर्ट में अनुमानित आंकड़ा 3 लाख करोड़ का है. ये आंकड़ा वैध और अवैध दोनों तरह की सट्टेबाज़ी के आधार पर है.
क्या फायदा होगा सट्टेबाज़ी लीगल करने से?
अब हम लॉ कमिशन की रिपोर्ट पर जाते हैं और समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर जिस ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर की बात की जा रही है वो आंकड़ों में कैसा लगता है?
1. रेवेन्यू..
जो सबसे बड़ा फायदा सट्टेबाज़ी लीगल करने से होगा वो रेवेन्यू से जुड़ा होगा. घुड़दौड़ और लॉटरी से (कुछ जगहों पर) होने वाली आमदनी पर सीधे-सीधे 30 प्रतिशत टैक्स लगता है. अब इसमें सिर्फ जीतने वाले इंसान पर ही नहीं बल्कि डिस्ट्रिब्यूटर के कमिशन पर भी टैक्स लगता है. ये पूरा रेवेन्यू सरकार के खाते में जाएगा. अगर देखा जाए तो सट्टेबाज़ी का कारोबार अगर तीन लाख करोड़ का है तो इसके 30% सीधे रेवेन्यू की बात करें तो भी 90 हज़ार करोड़ रुपया सरकार के पास आएगा. चलिए इसमें से अगर अवैध कारोबार हटा देते हैं और सिर्फ 892 हज़ार करोड़ की देखें तो भी 26 हज़ार करोड़ का मुनाफा सरकार को होगा.
2. अंडरवर्ल्ड की पहुंच कम होगी..
अब अंडरवर्ल्ड की बात करते हैं. सट्टेबाज़ी में बड़े-बड़े फिल्म स्टार से लेकर बिजनेसमैन तक सभी हिस्सा लेते हैं और अक्सर ऐसे खुलासे होते रहते हैं. ऐसे में अगर सट्टेबाज़ी लीगल हो जाती है तो गैरकानूनी धंधे कम तो हो सकते हैं, लेकिन इसका कोई भी तर्क नहीं कि ये पूरी तरह से बंद हो जाएंगे.
3. FDI..
कमिशन का कहना है कि अगर FDI को सट्टेबाज़ी में निर्धारित कर दिया जाता है तो उन राज्यों को फायदा होगा जो कसीनो आदि को परमिट करते हैं. इससे न सिर्फ टूरिज्म बढ़ेगा बल्कि बाकी कई मामलों में राज्यों को फायदा होगा. ऑनलाइन गेमिंग के सेक्टर में FDI वैसे भी बहुत ज्यादा होती है.
AIGF (ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन) की 2009 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री 60 मिलियन डॉलर के आस-पास की है जिसमें से 50% से अधिक हिस्सा अवैध है. इसी रिपोर्ट के मुताबिक गेमिंग सेक्टर में एफडीआई 10 हज़ार करोड़ से ज्यादा का निवेश हो सकती है. ये 2009 के आंकड़े हैं और 2018 में अगर मार्केट ही 130 मिलियन डॉलर का है तो यकीनन निवेश भी 30 हज़ार करोड़ के आस-पास हो सकता है.
4. नौकरी के अवसर बढ़ेंगे..
असल में ये अनुमान लगाना कि आखिर कितनी नौकरियां इससे बढ़ेंगी, लेकिन ये रिस्क भी है कि लोग अपनी सेविंग्स का पैसा ईजी मनी कमाने में लगा देंगे.
फायदा तो होगा लेकिन...
जहां एक तरफ रेवेन्यू के फायदे देखे जा सकते हैं वहीं दूसरी तरफ ये भी सोचा जा सकता है कि आखिर कैसे इतने बड़े कारोबार को एकदम से लीगल किया जाएगा. एक बात तो तय है कि इसे लीगल करने के लिए सबसे पहले सरकार को ये तय करना होगा कि कौन लॉटरी या सट्टेबाज़ी में निवेश कर सकता है और कौन नहीं.
पहले जब लॉटरी भारत के कई राज्यों में खेली जाती थी तब लोग अपना सब कुछ लॉटरी की टिकट खरीदने में ही लगा देते थे. मध्यप्रदेश में सुंदरलाल पटवा की सरकार के दौर में लॉटरी का खेल कई लोगों की जान ले गया था और फिर इसे बंद कर दिया था.
लॉटरी और सट्टेबाज़ी को बंद करने का सबसे बड़ा कारण ही यही था कि लोग इसमें अपनी सारी जमा पूंजी लगा देते थे और चाहते थे कि वो आसानी से पैसा कमा लें. पर जहां 100 में से 1 जीत सकता है उस खेल में अपनी जमा पूंजी लुटाने वालों की क्या हालत होती होगी ये सोचा जा सकता है.
सट्टेबाज़ी लीगल करना यकीनन सरकार के लिए एक बड़ा रेवेन्यू का कारण हो सकता है, लेकिन भारत जैसे देश में जहां लोग बमुश्किल अपनी जीविका चला पाते हैं और जहां लोग ये सोचते हैं कि उन्हें जुगाड़ लगाकर आसानी से पैसे मिल जाएं, जहां करप्शन इतना ज्यादा है वहां सिर्फ मुनाफे के बारे में सोचकर सट्टेबाज़ी को लीगल करना कितना सही है?
अगर सरकार को लगता है कि वो लोगों को पैसे इन्वेस्ट करवा सकती है तो म्यूचुअल फंड, शेयर मार्केट या ऐसी किसी स्कीम में भी तो निवेश के अवसर देखे जा सकते हैं. इस देश में सट्टेबाज़ी को लीगल करना उतना ही मुश्किल है जितना बढ़ती जनसंख्या को रोकना.
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