जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. कंपनी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुकी है और गोयल ने कहा है कि कंपनी और कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित रखने का सिर्फ यही रास्ता है कि वह इस्तीफा दे दें. जेट एयरवेज पर भारी-भरकम कर्ज है, जिसका एक बड़ा हिस्सा मार्च अंत तक चुकाना भी है, लेकिन कंपनी की हालत बेहद खस्ता है. अब कंपनी के कर्जदाता बैंकों के समूह ने जेट एयरवेज को अपने हाथों में ले लिया है, ताकि इसे दिवालिया होने से बचाया जा सके.
जब जेट एयरवेज के दिवालिया होने की संभावना पर बातें हो रही हैं तो किंगफिशर की यादें ताजा होना लाजमी है. किंगफिशर के साथ जो कुछ हुआ था, बहुत सी वैसी चीजें जेट एयरवेज के साथ भी हो रही हैं. हालांकि, जेट एयरवेज को बचाने के लिए बैंकों के कंसोर्टियम ने प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है, जबकि किंगफिशर का प्रबंधन विजय माल्या के हाथ में था, करोड़ों का घपला कर के देश से फरार हो गया. अब जेट एयरवेज नए प्रमोटर्स के हाथ में जाने वाली है. कर्जदाता इस बात पर विचार कर रहे हैं कि जब तक नए प्रमोटर्स नहीं आ जाते, तब तक वह जेट एयरवेज में कुछ हिस्सेदारी ले लें. नए प्रमोटर्स आने तक की प्रक्रिया में करीब 3 महीनों तक का समय लग सकता है.
किंगफिशर जितना ही कर्ज है जेट एयरवेज पर!
मार्च 2016 में जब बैंकों ने डेट रिकवरी ट्रिब्युनल का रुख किया था, उसी दिन विजय माल्या देश छोड़कर फरार हो गया था. उस समय विजय माल्या पर बैंकों का करीब 9000 करोड़ रुपए का कर्ज था. वहीं दूसरी ओर, अब जब जेट एयरवेट दिवालिया होने की कगार पर जा पहुंची है तो कंपनी पर करीब 8,200 करोड़ रुपए का कर्ज है. यानी ये कहा जा सकता है कि ये...
जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. कंपनी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुकी है और गोयल ने कहा है कि कंपनी और कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित रखने का सिर्फ यही रास्ता है कि वह इस्तीफा दे दें. जेट एयरवेज पर भारी-भरकम कर्ज है, जिसका एक बड़ा हिस्सा मार्च अंत तक चुकाना भी है, लेकिन कंपनी की हालत बेहद खस्ता है. अब कंपनी के कर्जदाता बैंकों के समूह ने जेट एयरवेज को अपने हाथों में ले लिया है, ताकि इसे दिवालिया होने से बचाया जा सके.
जब जेट एयरवेज के दिवालिया होने की संभावना पर बातें हो रही हैं तो किंगफिशर की यादें ताजा होना लाजमी है. किंगफिशर के साथ जो कुछ हुआ था, बहुत सी वैसी चीजें जेट एयरवेज के साथ भी हो रही हैं. हालांकि, जेट एयरवेज को बचाने के लिए बैंकों के कंसोर्टियम ने प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है, जबकि किंगफिशर का प्रबंधन विजय माल्या के हाथ में था, करोड़ों का घपला कर के देश से फरार हो गया. अब जेट एयरवेज नए प्रमोटर्स के हाथ में जाने वाली है. कर्जदाता इस बात पर विचार कर रहे हैं कि जब तक नए प्रमोटर्स नहीं आ जाते, तब तक वह जेट एयरवेज में कुछ हिस्सेदारी ले लें. नए प्रमोटर्स आने तक की प्रक्रिया में करीब 3 महीनों तक का समय लग सकता है.
किंगफिशर जितना ही कर्ज है जेट एयरवेज पर!
मार्च 2016 में जब बैंकों ने डेट रिकवरी ट्रिब्युनल का रुख किया था, उसी दिन विजय माल्या देश छोड़कर फरार हो गया था. उस समय विजय माल्या पर बैंकों का करीब 9000 करोड़ रुपए का कर्ज था. वहीं दूसरी ओर, अब जब जेट एयरवेट दिवालिया होने की कगार पर जा पहुंची है तो कंपनी पर करीब 8,200 करोड़ रुपए का कर्ज है. यानी ये कहा जा सकता है कि ये कर्ज लगभग किंगफिशर जितना ही है. इतना ही नहीं, जेट एयरवेट को अपने कर्ज में से करीब 1700 करोड़ रुपए मार्च अंत तक चुकाने भी हैं.
पायलट हड़ताल पर!
2012 में किंगफिशर एयरलाइंस के स्टाफ की सैलरी नहीं मिलने की वजह से पायलट और अन्य स्टाफ ने हड़ताल कर दी थी. कुछ ही समय में इनकम टैक्स विभाग ने किंगफिशर एयरलाइंस के खाते भी सीज कर दिए और देखते ही देखते किंगफिशर के विमान उड़ना बंद हो गए. जेट एयरवेज के मामले में भी स्टाफ की सैलरी नहीं दी गई है और पायलट यूनियन ने धमकी दी है कि अगर 31 मार्च तक उनकी सैलरी नहीं दी गई तो वह 1 अप्रैल से हड़ताल पर चले जाएंगे. यानी अगर सैलरी नहीं मिली तो जेट एयरवेज के विमान उड़ना बंद हो सकते हैं.
एक संयोग भी कर रहा है पुरानी यादें ताजा
इन दिनों जेट एयरवेज के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने वाले नरेश गोयल भी लंदन में हैं और किंगफिशर को दिवालिया करने की कगार पर पहुंचाकर विजय माल्या भी भागकर लंदन पहुंच गए थे. हो सकता है कि ये महज एक संयोग हो, लेकिन इससे कुछ पुरानी यादें जरूर ताजा हो गई हैं.
जेट एयरवेज में नरेश गोयल की 51 फीसदी की हिस्सेदारी है, जबकि इतिहाद एयरवेज के पास 24 फीसदी शेयर हैं. मौजूदा समय में जेट एयरवेज के करीब एक तिहाई विमान उड़ रहे हैं. कर्जदाताओं को डर है कि कंपनी डूब जाएगी, इसलिए उन्होंने मदद का हाथ बढ़ाया है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर जेट एयरवेज को बचाने के कौन-कौन से रास्ते बचे हैं? जवाब सिर्फ एक है. कंपनी को बचाने का सिर्फ एक ही तरीका है कि इसमें पैसे लगाए जाएं. भारतीय स्टेट बैंक ने इस बात को समझ भी लिया है, इसलिए उसने जेट एयरवेज को 1500 करोड़ रुपए की तत्काल मदद देने की घोषणा भी कर दी है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि स्पाइसजेट और इंडिगो जैसी लो कॉस्ट विमानन कंपनियों से प्राइस वॉर में हारी कंपनी जेट एयरवेज को बैंक दिवालिया होने से बचा पाएंगे या नहीं. अगर कंपनी को बचाना मुश्किल हुआ तो उन 23 हजार कर्मचारियों की रोजी रोटी पर संकट आ सकता है, जो जेट एयरवेज से जुड़े हुए हैं.
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