किसी ने सच ही कहा है कि मेहनत के बल पर इंसान कुछ भी कर सकता है. जरूरत होती है थोड़े सब्र, बुद्धि और कोशिश की. इंसान अगर ठान ले तो कुछ ना कुछ तो कर ही लेता है. हो सकता है कि पहली बार में सफलता ना मिले लेकिन अपनी इच्छाशक्ति और दृढ़निश्य को कभी मरने नहीं देना चाहिए.
ओडिशा का रहने वाला यह दिहाड़ी मजदूर अपनी कोशिश के दम पर एक फेमस यूट्यूबर बन गया और आज वो दूसरों की जिंदगी संवारने में लगा हुआ है. चलिए इस शख्स की पूरी कहानी के बारे में आपको बताते हैं.
दरअसल, मजदूर से यूट्यूबर बने ‘इसक मुंडा’ ने अपनी जिंदगी में बड़ी कठिनाइयों वाले दिन देखे हैं लेकिन एक छोटी सी कोशिश ने इनकी सारी परेशानियां खत्म कर दी. इसक मुंडा आदिवासी समाज से हैं जो संबलपुर जिला के बाबूपाली गांव में रहते हैं. कोरोना से पहले वे दिहाड़ी मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे.
जब लॉकडाउन हुआ तो इनसे वह मजदूरी का काम भी छिन गया. इन दिनों इन्हें काम की तलाश थी लेकिन हर जगह से निराशा ही हाथ लग रही थी. इन दिनों में वे एक दोस्त के मोबाइल पर यूट्यूब देखा करते थे. वे इससे काफी प्रभावित हुए. उन्होंने अपना भी एक यूट्यूब चैनल खोल लिया औऱ लगे वीडियो बनाने. ताजुब इसलिए क्योंकि इसक मुंडा न तो ज्यादा पढ़े-लिखे हैं ना ही कोई प्रोफेशनल कोर्स किया है.
वे अपनी वीडियो में वास्तविक चीजें दिखाते हैं. उन्होंने अपनी वीडियो की शुरुआत अपने खाने की थाली के साथ किया था. जिसमें बताया था कि वे कैसे, क्या खाते हैं. बस शुरुआत हो गई और वे मेहनत करने लगे. उनकी आर्थिक परेशानियां दूर हो गईं क्योंकि अब वे यूट्यूब से महीने में एक लाख से ज्यादा कमा लेते हैं.
असल में इसक मुंडा ने मोबाइल...
किसी ने सच ही कहा है कि मेहनत के बल पर इंसान कुछ भी कर सकता है. जरूरत होती है थोड़े सब्र, बुद्धि और कोशिश की. इंसान अगर ठान ले तो कुछ ना कुछ तो कर ही लेता है. हो सकता है कि पहली बार में सफलता ना मिले लेकिन अपनी इच्छाशक्ति और दृढ़निश्य को कभी मरने नहीं देना चाहिए.
ओडिशा का रहने वाला यह दिहाड़ी मजदूर अपनी कोशिश के दम पर एक फेमस यूट्यूबर बन गया और आज वो दूसरों की जिंदगी संवारने में लगा हुआ है. चलिए इस शख्स की पूरी कहानी के बारे में आपको बताते हैं.
दरअसल, मजदूर से यूट्यूबर बने ‘इसक मुंडा’ ने अपनी जिंदगी में बड़ी कठिनाइयों वाले दिन देखे हैं लेकिन एक छोटी सी कोशिश ने इनकी सारी परेशानियां खत्म कर दी. इसक मुंडा आदिवासी समाज से हैं जो संबलपुर जिला के बाबूपाली गांव में रहते हैं. कोरोना से पहले वे दिहाड़ी मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे.
जब लॉकडाउन हुआ तो इनसे वह मजदूरी का काम भी छिन गया. इन दिनों इन्हें काम की तलाश थी लेकिन हर जगह से निराशा ही हाथ लग रही थी. इन दिनों में वे एक दोस्त के मोबाइल पर यूट्यूब देखा करते थे. वे इससे काफी प्रभावित हुए. उन्होंने अपना भी एक यूट्यूब चैनल खोल लिया औऱ लगे वीडियो बनाने. ताजुब इसलिए क्योंकि इसक मुंडा न तो ज्यादा पढ़े-लिखे हैं ना ही कोई प्रोफेशनल कोर्स किया है.
वे अपनी वीडियो में वास्तविक चीजें दिखाते हैं. उन्होंने अपनी वीडियो की शुरुआत अपने खाने की थाली के साथ किया था. जिसमें बताया था कि वे कैसे, क्या खाते हैं. बस शुरुआत हो गई और वे मेहनत करने लगे. उनकी आर्थिक परेशानियां दूर हो गईं क्योंकि अब वे यूट्यूब से महीने में एक लाख से ज्यादा कमा लेते हैं.
असल में इसक मुंडा ने मोबाइल भी कर्ज के पैसों से खरीदा था. उन्होंने तीन हजार रूपए उझार लेकर एक साधारण का फोन खरीदा और उसी से वीडियो शूट करने लगे. साल 2020 में लगे लॉकडाउन ने इनसे इनकी मजदूरी की नौकरी छीन ली. ये उदास होकर सोचने लगे कि मुझ जैसे इंसान आखिर क्या कर सकता है. वे यूट्यूब देखकर प्रभावित हुए हिम्मत करके कोशिश करने की ठानी. इनकी वीडियो काफी साधारण होती हैं जो वहां के लोगों के रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी होती हैं.
इन्होंने अपनी पहली वीडियों मार्च 2020 में यूट्यूब पर पोस्ट की थी. जिसमें वे टमाटर, हरी मिर्च और साग के साथ चावल खा रहे थे. इसक मुंडा का कहना है कि ‘मैंने मोबाइल खरीदने के लिए उधार लिया. मैं अपने छोटे से गांव और यहां रहने वाले ग्रामीणों के जिंदगी के बारे में वीडियो बनाता हूं कि कैसे हम एक साधारण सी जिंदगी जी रहे हैं. मैं यह दिखाता हूं कि हम क्या और कैसे खाते हैं. मैं बहुत खुश हूं कि लोगों ने मेरे काम को पसंद किया. अब मैं अच्छा कमा लेता हूं.’
मुंडा कुछ अलग नहीं करते, वे तो बस अपने वास्तविक जीवन को दिखाते हैं कि कैसे वे लोग साधारण और शांति तरीके के जिंदगी जी रहे हैं. वे वीडियो में हिंदी और संबलपुरी में बात करते हैं. वे दिखाते है कि उनके इलाके में गरीबी के बावजूद कैसे लोग अपने लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करते हैं. उन्होंने फिश करी, चिकन, जंगली मशरूम, लाल चींटियां और घोंघे जैसे स्थानीय भोजन के कई वीडियो शेयर किए हैं.
मुंडा की मेहनत आखिर सफल हुई और तीन महीने के बाद उनके खाते में 37 हजार रूपए आए. इसके बाद दोबारा इन्हें 5 लाख रूपए मिले, अब यह सिलसिला जारी है. इन्होंने इन पैसों से अब अपना घर बनवा लिया है. ये कहते हैं कि मैं अपनी हैसियत के हिसाब से जरूरतमंद लोगों की मदद करने का फैसला लिया है.
इसक मुंडा अब अपनी इन वीडियो में पत्नी सबिता मुंडा और बेटियों मोनिसा, मोनिका, महिमा सहित बेटे पबित्रा को भी शामिल करते हैं. इनकी वीडियो सिर्फ खाने पर ही नहीं बल्कि आदिवासी जीवन पर भी आधारित होती हैं. वे कभी मछली पकड़ते हुए नजर आते हैं तो कभी अपने समुदायों की परंपराओं को दिखाते हुए.वे अपनी वीडियो में बताते हैं कि कैसे वे एक शांत और सरल जीवन बिता रहे हैं.
इनसब में मुंडा की पत्नी इनका खूब साथ देती हैं, वे कहती हैं कि अब हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत है. हमारे पास खाने के साथ ही साथ जिंदगी जीने के लिए अब मूल सुविधाएं भी मौजूद हैं.
अब सोचिए जब आदिवासी इलाके में रहने वाले एक शख्स जिंदगी में हार न मानकर आगे बढ़ जाता है तो हम और आप क्यों नहीं. हम यह नहीं कर रहे कि सभी लोग यूट्यूबर बन जाएं लेकिन आप जिस भी क्षेत्र में काम कर रहे हैं कोशिश करके आगे तो बढ़ की सकते हैं. सबसे बड़ी बात है कि हमारे पास संतोष कितना है और हमारा लक्ष्य क्या है, खुशी और सुकून तो साधारण जिंदगी में भी मिल सकती है...उदाहरण आपके सामने हैं…
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.