वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने केंद्रीय बजट (nion Budget 2021-22) पेश कर दिया है. कोरोना महामारी से लखलड़ाई इकोनॉमी को फिर से पटरी पर लाने के लिए निर्मला सीतारमण ने कई घोषणाएं की हैं. कोरोना काल में नौकरी जाने, सैलरी कटने जैसी समस्याओं से जूझ रहे मिडिल क्लास (Middle Class) को बजट से ढेर सारी उम्मीदें थीं. बजट से उम्मीदों की आस लगाए बैठे मिडिल क्लास को बजट से केवल झटका मिला है. केंद्रीय बजट 2021 मुख्य रूप से किसान, वैक्सीन और चुनाव को समर्पित है. इसका मिडिल क्लास से कोई लेना-देना नहीं रहा. टैक्स स्लैब (Tax Slab) में कोई बदलाव नहीं हुआ है. हालांकि, 75 साल से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों को इनकम टैक्स (Income Tax) भरने से छूट मिली है. लेकिन, यह छूट सिर्फ उनके लिए है, जिनकी आय का स्रोत पेंशन या ब्याज से होने वाली आय है. कुल मिलाकर इस बजट ने मिडिल क्लास को मायूस किया है. आइए एक नजर डालते हैं कि मिडिल क्लास को बजट से क्या मिला.
बजट से मिडिल क्लास को ये 5 फायदे
1. डिविडेंड से होने वाली इनकम पर एडवांस टैक्स नहीं देना है. डिविडेंड की रकम इन्वेस्टर्स को मिलने के बाद ये टैक्स भरना होगा. हालांकि, बजट को टकटकी बांधे देख रहे मिडिल क्लास को निराशा हाथ लगी है. पिछले साल की ही तरह लोगों को इस बार भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दो विकल्प मिलेंगे.
2. गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESI) के तहत लाया जाएगा. किसी बैंक के डूबने पर लोगों को जल्द से जल्द पैसा वापस दिलाने के लिए संशोधित व्यवस्था बनाई जाएगी. सोना-चांदी के आयात पर कस्टम ड्यूटी घटाई गई है.
3. बजट में घर खरीदारों को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80EEA के तहत मिल रही अतिरिक्त टैक्स छूट को 21 मार्च 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. सरकार होम लोन के ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त छूट देती है.
4. टैक्स से जुड़े केसों को फिर से खोलने की समयसीमा छह से घटाकर तीन साल की. 50 लाख से अधिक की टैक्स चोरी के मामले में 10 साल पुराने...
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने केंद्रीय बजट (nion Budget 2021-22) पेश कर दिया है. कोरोना महामारी से लखलड़ाई इकोनॉमी को फिर से पटरी पर लाने के लिए निर्मला सीतारमण ने कई घोषणाएं की हैं. कोरोना काल में नौकरी जाने, सैलरी कटने जैसी समस्याओं से जूझ रहे मिडिल क्लास (Middle Class) को बजट से ढेर सारी उम्मीदें थीं. बजट से उम्मीदों की आस लगाए बैठे मिडिल क्लास को बजट से केवल झटका मिला है. केंद्रीय बजट 2021 मुख्य रूप से किसान, वैक्सीन और चुनाव को समर्पित है. इसका मिडिल क्लास से कोई लेना-देना नहीं रहा. टैक्स स्लैब (Tax Slab) में कोई बदलाव नहीं हुआ है. हालांकि, 75 साल से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों को इनकम टैक्स (Income Tax) भरने से छूट मिली है. लेकिन, यह छूट सिर्फ उनके लिए है, जिनकी आय का स्रोत पेंशन या ब्याज से होने वाली आय है. कुल मिलाकर इस बजट ने मिडिल क्लास को मायूस किया है. आइए एक नजर डालते हैं कि मिडिल क्लास को बजट से क्या मिला.
बजट से मिडिल क्लास को ये 5 फायदे
1. डिविडेंड से होने वाली इनकम पर एडवांस टैक्स नहीं देना है. डिविडेंड की रकम इन्वेस्टर्स को मिलने के बाद ये टैक्स भरना होगा. हालांकि, बजट को टकटकी बांधे देख रहे मिडिल क्लास को निराशा हाथ लगी है. पिछले साल की ही तरह लोगों को इस बार भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दो विकल्प मिलेंगे.
2. गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESI) के तहत लाया जाएगा. किसी बैंक के डूबने पर लोगों को जल्द से जल्द पैसा वापस दिलाने के लिए संशोधित व्यवस्था बनाई जाएगी. सोना-चांदी के आयात पर कस्टम ड्यूटी घटाई गई है.
3. बजट में घर खरीदारों को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80EEA के तहत मिल रही अतिरिक्त टैक्स छूट को 21 मार्च 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. सरकार होम लोन के ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त छूट देती है.
4. टैक्स से जुड़े केसों को फिर से खोलने की समयसीमा छह से घटाकर तीन साल की. 50 लाख से अधिक की टैक्स चोरी के मामले में 10 साल पुराने रिटर्न खोले जा सकेंगे.
5. टैक्स से जुड़े विवादों के निपटारे के लिए केंद्र सरकार ने फेसलेस असेसमेंट की तैयारी की. अपील के बाद अब अपीलेंट ट्रिब्यूनल को भी फेसलेस बनाने की तैयारी.
मिडिस क्लास के हाथ रहे खाली
1. बजट से आम आदमी की बहुत उम्मीदें जुड़ी थीं. लेकिन, टैक्स स्लैब में बदलाव की कोई भी घोषणा नहीं की गई. केवल 75 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को इनकम टैक्स भरने से छूट मिली है. हालंकि, इसमें वही बुजुर्ग आएंगे, जिनकी आय का स्रोत पेंशन या ब्याज से होने वाली आय है. आयकर की धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट भी नहीं बढ़ाई गई है.
2. मिडिल क्लास उम्मीद लगाए बैठा था कि कोरोना महामारी के दौरान बढ़े स्वास्थ्य खर्चों को मद्देनजर रखते हुए सरकार की ओर से कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर हॉस्पिटलाइजेशन से जुड़े खर्चों पर टैक्स में राहत मिलने की उम्मीद थी. लेकिन, बजट में इसे लेकर भी कोई घोषणा नहीं की गई. टैक्स के नियम 80डीडीबी में कोरोना महामारी को शामिल नहीं किया गया. टैक्स नियमों के अनुसार, न्यूरो संबंधित बीमारी, कैंसर, एड्स समेत कई बीमारियों के लिए सेक्शन 80डीडीबी के तहत सालाना 40 हजार रुपये तक का टैक्स डिडक्शन लाभ मिलता है. इस नियम में वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट की सीमा 1 लाख रुपए है.
3. पेट्रोल की कीमतों में 2.50 और डीजल की कीमतों में 4 रुपए कृषि सेस लगाया गया है. सरकार ने कहा है कि इसका असर उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा. यह सेस कंपनियों को चुकाना होगा. लेकिन, आशंका जताई जा रही है कि आगे चलकर कंपनियों की मनमानी की वजह से उपभोक्ताओं को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
4. नए घर खरीदने पर छूट की उम्मीद सरकार से की जा रही थी, इसे लेकर कोई घोषणा नहीं हुई. कोरोना महामारी के दौर में हेल्थ इंश्योरेंस एक बड़ी जरूरत के तौर पर सामने आया है. ऐसे में माना जा रहा था कि सरकार की ओर से हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर छूट की घोषणा की जा सकती है, लेकिन वित्त मंत्री ने ऐसा कुछ नहीं किया. टैक्स नियमों के अनुसार, सेक्शन 80डी के मुताबिक 50 हजार रुपये तक का प्रीमियम टैक्स फ्री है.
5. बजट में मोबाइल फोन और चार्जर महंगे कर दिए गए हैं. आज के समय में किसी भी शख्स की सबसे बेसिक जरूरत की चीज मोबाइल है. इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, चमड़े के जूते व सामान्य जूते, आयातित ऑटो पार्ट्स, सिल्क से जुड़े उत्पाद, आयातित रत्न (कीमती पत्थर) आदि महंगे हुए हैं. प्रोविडेंट फंड में सालाना 2.5 लाख रुपए से ज्यादा जमा करने वालों को उस पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स देना होगा.
कुल मिलाकर इस बजट में मध्यम वर्ग या मिडिल क्लास का कोई खास ख्याल नहीं रखा गया. राजनीतिक भाषा में कहें, तो मोदी सरकार बजट बनाते समय शायद अपने सबसे बड़े वोटबैंक मिडिल क्लास को भूल गई थी.
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