मोदी जी पहले तो आपको 2017 के बजट के लिए बहुत बहुत बधाई. लेकिन लगता है कि आपके कान तक हम महिलाओं की आवाज पहुंचने में अभी और समय लगेगा. जैसे ही बजट भाषण पूरा हुआ, मैंने PIB की साईट पर जाकर पूरा भाषण डाउनलोड कर लिया. अपने काम की बात बजट में खोजने के लिए मैंने कुछ स्पेशल की-वर्ड भी डाले. जैसे- women, safety, gender paygap, women entrepreneurs, women workforce, women safety और ऐसे ही कई 'अप्रासंगिक' शब्दों को डालकर सर्च किया.
अप्रासंगिक इसलिए की हम महिलाओं का तो कोई अस्तित्व ही नहीं है ना. हालांकि मुझे उम्मीद थी की आपके और आपकी सरकार के लिए हमारा अस्तित्व है. पर नहीं आपने भी मुझे निराश किया. आज आपने मेरा भरोसा खो दिया है.
मोदी जी अगर आपके वित्त मंत्री अरुण जेटली विजय माल्या और ललित मोदी जैसे लोगों के लिए पूरा एक कानून ही बना सकते हैं तो क्या हम महिलाओं के लिए कानून में बदलाव या अमेंडमेंट नहीं कर सकते थे! तो क्या महिलाओं के मुद्दों पर आपकी चुप्पी से हम यह मान लें कि देश में हमें डर के साए में ही जीना होगा. हर वक्त हम असुरक्षित महसूस करते रहें! हमें वस्तु से उपर कुछ ना समझा जाए और मुद्रा योजना और सबका साथ सबका विकास जैसी योजनाओं की घोषणाएं सुनकर ही खुश हो जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के बजट आंवटन में 100 फीसदी बढ़ोतरी हुई. इस योजना के तहत् दलितों, आदिवासियों, पिछड़ा वर्गों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं को पैसे दिए जाएंगे. इस लिस्ट में महिलाओं का नंबर सबसे अंत में आएगा. ये आपको और मुझे सभी को पता है. आखिर हम औरतों का इतिहास रहा है कि घर के सारे लोगों को खाना खिलाने के बाद आखिरी निवाला ही हमारे नाम होगा. स्कूल में हमारा नाम भी तभी लिखाएगा, जब हमारे भाईयों का एडमिशन हो चुका होगा.
मोदी जी मुझे लगा था कि आपने इस सोच को बदल दिया है. लेकिन मैं गलत थी. कुछ नहीं बदला. ना समाज ना इस समाज में हमारी स्थिति. मनरेगा में आपने औरतों की संख्या 48% से बढ़ाकर 55% कर दिया. ये एक साहसिक काम था. इसकी मैं तारीफ करती हूं. लेकिन फिर भी...
मोदी जी पहले तो आपको 2017 के बजट के लिए बहुत बहुत बधाई. लेकिन लगता है कि आपके कान तक हम महिलाओं की आवाज पहुंचने में अभी और समय लगेगा. जैसे ही बजट भाषण पूरा हुआ, मैंने PIB की साईट पर जाकर पूरा भाषण डाउनलोड कर लिया. अपने काम की बात बजट में खोजने के लिए मैंने कुछ स्पेशल की-वर्ड भी डाले. जैसे- women, safety, gender paygap, women entrepreneurs, women workforce, women safety और ऐसे ही कई 'अप्रासंगिक' शब्दों को डालकर सर्च किया.
अप्रासंगिक इसलिए की हम महिलाओं का तो कोई अस्तित्व ही नहीं है ना. हालांकि मुझे उम्मीद थी की आपके और आपकी सरकार के लिए हमारा अस्तित्व है. पर नहीं आपने भी मुझे निराश किया. आज आपने मेरा भरोसा खो दिया है.
मोदी जी अगर आपके वित्त मंत्री अरुण जेटली विजय माल्या और ललित मोदी जैसे लोगों के लिए पूरा एक कानून ही बना सकते हैं तो क्या हम महिलाओं के लिए कानून में बदलाव या अमेंडमेंट नहीं कर सकते थे! तो क्या महिलाओं के मुद्दों पर आपकी चुप्पी से हम यह मान लें कि देश में हमें डर के साए में ही जीना होगा. हर वक्त हम असुरक्षित महसूस करते रहें! हमें वस्तु से उपर कुछ ना समझा जाए और मुद्रा योजना और सबका साथ सबका विकास जैसी योजनाओं की घोषणाएं सुनकर ही खुश हो जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के बजट आंवटन में 100 फीसदी बढ़ोतरी हुई. इस योजना के तहत् दलितों, आदिवासियों, पिछड़ा वर्गों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं को पैसे दिए जाएंगे. इस लिस्ट में महिलाओं का नंबर सबसे अंत में आएगा. ये आपको और मुझे सभी को पता है. आखिर हम औरतों का इतिहास रहा है कि घर के सारे लोगों को खाना खिलाने के बाद आखिरी निवाला ही हमारे नाम होगा. स्कूल में हमारा नाम भी तभी लिखाएगा, जब हमारे भाईयों का एडमिशन हो चुका होगा.
मोदी जी मुझे लगा था कि आपने इस सोच को बदल दिया है. लेकिन मैं गलत थी. कुछ नहीं बदला. ना समाज ना इस समाज में हमारी स्थिति. मनरेगा में आपने औरतों की संख्या 48% से बढ़ाकर 55% कर दिया. ये एक साहसिक काम था. इसकी मैं तारीफ करती हूं. लेकिन फिर भी हमारे समाज की सच्चाई वो है जो केरल में देखने के लिए मिला. 2016 में केरल सरकार ने कुदुम्स्री योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्राइवेट बसों में कंडक्टर की नौकरी दिलाई थी. क्या हुआ उस योजना का ये तो आपसे छुपा नहीं होगा ना मोदी जी? 90 में से 89 औरतों ने छह महीने के भीतर ही नौकरी छोड़ दी. कारण पता है आपको? अगर नहीं, तो मैं बता देती हूं. पुरुषों के मुकाबले उन्हें आधी से भी कम सैलेरी दी जा रही थी, 12 घंटे लगातार काम करना होता था और महिलाओं के आधारभूत सुविधाएँ भी नहीं थी. इसलिए ये कह सकते हैं कि बिना बेसिक सुविधाओँ के किसी को कुछ देना वैसे ही है जैसे किसी प्यासे को पानी के जगह आप जहर दे रहे हैं.
आज के बजट ने मुझ जैसी महिलाओं को बहुत उदास किया है. मैंने आपसे बड़ी उम्मीदें लगा ली थी. आपने मेरी उम्मीदों पर घड़ो पानी फेर दिया है. हम औरतों के लिए इस देश में कोई जगह ही नहीं. हम सिर्फ वस्तु होते हैं, माल या फिर टोटा. एक इंसान तो हैं ही नहीं. क्या हमारे लिए टैक्स स्लैब में कुछ फायदे नहीं देने चाहिए थे? आपने लेबर लॉ तो बना दिया और ये एक अच्छा आइडिया भी है. लेकिन पुलिस, बस ड्राइवर, कैब ड्राइवर, कंडक्टर ऐसे कामों के लिए महिलाओं को ट्रेन करने और उनके लिए फंड जारी करने के बारे में क्यों नहीं सोचा आपने? इन जगहों पर महिलाओं के लिए काम करना चुनौतियों से भरा होता है. और जबतक हम इन्हें एक सुरक्षा नहीं देंगे सफलता नहीं मिल सकती.
जैसे अमीर और गरीब को खाई को पाटना जरुरी है वैसे ही कार्य क्षेत्रों में महिलाओं और पुरुषों की संख्या के बीच की खाई को कम करना भी बहुत जरुरी है. महिला व्यापारियों को कुछ एक्स्ट्रा छूट देनी चाहिए थी. खासकर डिजिटल प्लेटफॉर्म में काम करने वाली महिलाओं के लिए. आखिर हम डिजिटल इकोनॉमी की तरफ बढ़ रहे हैं. काम करने वाली महिलाओं के लिए घर और ऑफिस को एकसाथ मैनेज करना एक युद्ध के समान है. और अगर बच्चे हों तो फिर उनकी ये लड़ाई और पेचिदा हो जाती है. सरकार को ऑफिसों में क्रेच की सुविधा देने के लिए कुछ उपाय लाने चाहिए थे. उनका ये कदम हमारे लिए वरदान से कम नहीं होता.
प्रधानमंत्री जी आपकी सरकार ने तो महिलाओं की सुरक्षा के बुनियादी सुविधाओं के लिए भी कोई उपाय नहीं किया. ना सीसीटीवी कैमरा, महिला पुलिस, महिलाओं के लिए स्पेशल कैब आदि ऐसी कई चीजें थी जिनका उल्लेख कम से कम होना चाहिए था.
मोदी जी, जो एक इकलौती उपलब्धि आपके इस बजट में मुझे दिखी वो थी- पिछली बार बजट में जेटली जी ने पूरे बजट भाषण में 8 बार महिला शब्द का प्रयोग किया था जबकि इस बार 16 बार!
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