पाकिस्तान के बारे में एक बात हमेशा से कही जाती रही है. वो ये कि इस देश की अर्थव्यवस्था गड़बड़ है. पाकिस्तान जब से बना है तब से ही ऐसी स्थिती है. पर इस बार बात कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई है. पाकिस्तान की नई सरकार और नए प्रधानमंत्री यानी इमरान खान पर एक बड़ी जिम्मेदारी है देश को दीवालिया होने से बचाने की.
इमरान खान सरकार के होने वाले वित्त मंत्री असद उमर का कहना है कि पाकिस्तान को छह हफ्तों के अंदर 12 बिलियन डॉलर यानी 85,000 करोड़ रुपयों से भी ज्यादा कर्ज की जरूरत होगी. अगर ऐसा नहीं हुआ तो यकीनन पाकिस्तान दीवालिया हो जाएगा और उसके पास किसी तरह का कोई पेमेंट करने के लिए पैसा नहीं बचेगा. न ही सरकार के पास लोगों की सैलरी देने के लिए पैसा होगा. न ही किसी तरह की योजना पूरा करने के लिए पैसा होगा, न ही अपने देश की सुरक्षा करने के लिए पैसा होगा. पाकिस्तान के रुपए की कीमत गिर जाएगी और देश के नागरिकों के लिए समस्या और बढ़ जाएगी.
उमर की इस बात ने इमरान के सिर का दर्द और बढ़ा दिया है क्योंकि अमेरिका ने पहले इस पूरे मसले पर इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) को चेतावनी दे डाली है. पाक को यह रकम कहां से मिलेगी और कैसे यह तो खुद इमरान को भी नहीं मालूम है. 2018 की पहली छमाही में करंट अकाउंट डेफिसिट 43 फीसदी बढ़कर 18 अरब डॉलर हो गया. करंट अकाउंट डेफिसिट का मतलब है कि देश से कितनी विदेशी मुद्रा बाहर जा रही है.
IMF की चेतावनी के बाद अब क्या करेगा पाकिस्तान?
पाकिस्तान ने एक बार फिर से IMF के दरवाज़े खटखटाए पर इस बात अमेरिका ने पाकिस्तान को कर्ज देने का विरोध किया है. इसके पहले भी पाकिस्तान पर ये इल्जाम लगते रहे हैं कि पाकिस्तान IMF द्वारा दिया जाने वाला कर्ज आतंकवाद और हथियारों के...
पाकिस्तान के बारे में एक बात हमेशा से कही जाती रही है. वो ये कि इस देश की अर्थव्यवस्था गड़बड़ है. पाकिस्तान जब से बना है तब से ही ऐसी स्थिती है. पर इस बार बात कुछ ज्यादा ही बिगड़ गई है. पाकिस्तान की नई सरकार और नए प्रधानमंत्री यानी इमरान खान पर एक बड़ी जिम्मेदारी है देश को दीवालिया होने से बचाने की.
इमरान खान सरकार के होने वाले वित्त मंत्री असद उमर का कहना है कि पाकिस्तान को छह हफ्तों के अंदर 12 बिलियन डॉलर यानी 85,000 करोड़ रुपयों से भी ज्यादा कर्ज की जरूरत होगी. अगर ऐसा नहीं हुआ तो यकीनन पाकिस्तान दीवालिया हो जाएगा और उसके पास किसी तरह का कोई पेमेंट करने के लिए पैसा नहीं बचेगा. न ही सरकार के पास लोगों की सैलरी देने के लिए पैसा होगा. न ही किसी तरह की योजना पूरा करने के लिए पैसा होगा, न ही अपने देश की सुरक्षा करने के लिए पैसा होगा. पाकिस्तान के रुपए की कीमत गिर जाएगी और देश के नागरिकों के लिए समस्या और बढ़ जाएगी.
उमर की इस बात ने इमरान के सिर का दर्द और बढ़ा दिया है क्योंकि अमेरिका ने पहले इस पूरे मसले पर इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) को चेतावनी दे डाली है. पाक को यह रकम कहां से मिलेगी और कैसे यह तो खुद इमरान को भी नहीं मालूम है. 2018 की पहली छमाही में करंट अकाउंट डेफिसिट 43 फीसदी बढ़कर 18 अरब डॉलर हो गया. करंट अकाउंट डेफिसिट का मतलब है कि देश से कितनी विदेशी मुद्रा बाहर जा रही है.
IMF की चेतावनी के बाद अब क्या करेगा पाकिस्तान?
पाकिस्तान ने एक बार फिर से IMF के दरवाज़े खटखटाए पर इस बात अमेरिका ने पाकिस्तान को कर्ज देने का विरोध किया है. इसके पहले भी पाकिस्तान पर ये इल्जाम लगते रहे हैं कि पाकिस्तान IMF द्वारा दिया जाने वाला कर्ज आतंकवाद और हथियारों के लिए इस्तेमाल होता आया है. इस बार पाकिस्तान को कर्ज देने का विरोध ज्यादा तोज़ हो गया है.
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, "कोई गलती न करें- हम इस पर नजर रखेंगे कि आईएमएफ क्या करता है. यह तार्किक नहीं है कि आईएमएफ डॉलर दे, अमेरिकी डॉलर भी आईएमएफ की फंडिंग का हिस्सा हैं- और ये (डॉलर) चीनी बॉन्डधारकों या चीन के पास पहुंचेंगे." कुल मिलाकर लग तो यही रहा है कि अमेरिका नहीं चाहता कि पाकिस्तान को IMF से कर्ज मिले.
आपको बता दें कि पाकिस्तान को अगले कुछ महीनों के अंदर 3 अरब डॉलर की जरूरत होगी, जिससे कि वो चीन और वर्ल्ड बैंक का लोन चुका सकें. और इसी कारण IMF से कर्ज को लेकर इतना बवाल मचा हुआ है. पाकिस्तान की जो हालत इस समय है इमरान खान के पास कोई ज्यादा ऑप्शन नहीं बचे हैं.
गौरतलब है कि 1980 के दशक से अब तक आईएमएफ पाकिस्तान को 14 बार आर्थिक कार्यक्रमों के द्वारा मदद कर चुका है. पिछली बार ही आईएमएफ ने करीब 6.7 अरब डॉलर का राहत पैकेज दिया था और लगभग इतना ही कर्ज चीन भी दे चुका है.
आपको बता दें कि इससे पहले 2013 में पाकिस्तान आईएमएफ की शरण में गया था, तब उसने पाक को 6.7 अरब डॉलर की सहायता दी थी. बताते चलें कि पाकिस्तान पर करीब 5 अरब डॉलर का कर्ज पहले से ही है.
कैसे हो गई पाक की ये हालत?
फिलहाल पाकिस्तान की हालत सबसे ज्यादा सीपीईसी यानी चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत हुई है. इस कॉरिडोर पर काम करने वाली कंपनियों को देने के लिए पाकिस्तान के पास पैसे नहीं हैं. पाकिस्तान की कंगाली की एक बड़ी वजह इस समय CPEC ही है. हाल ही में पाकिस्तान की नेशनल हाइवे अथॉरिटी के कई निर्माण कार्य ठप पड़ गए और ये सिर्फ पैसों की कमी के कारण हुआ. 'डॉन' की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ दिन पहले पांच अरब रुपए के चेक बाउंस हो गए थे. इसके बाद ठेकेदारों ने सीपीईसी के कई प्रोजेक्ट्स पर काम रोक दिया. परियोजनाएं रुकने के कारण हज़ारों लोगों के रोजगार पर असर पड़ा है.
पाकिस्तान की ये हालत होने का सबसे बड़ा कारण दुनिया भर में पाकिस्तानी उत्पादों की घटती मांग है. या ऐसा भी हो सकता है कि पाकिस्तानी उत्पाद दूसरे विदेशी उत्पादों के सामने टिक नहीं पा रहे हैं. यहां और भी खराब स्थिति ये है कि खुद पाकिस्तान में भी पाकिस्तानी इंडस्ट्रीज अपने उपभोक्ताओं के सामने पिछड़ती हुई सी दिख रही हैं.
इतना ही नहीं, पाकिस्तान में आयकर देने वालों की संख्या भी बेहद कम है. 2007 में 21 लाख लोगों ने आयकर बढ़ा था. अब 2017 में यह संख्या बढ़ने के बजाय घटकर सिर्फ 12 लाख 60 हजार रह गई है. इन सबकी वजह से पाकिस्तान का व्यापारा घाटा 33 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है. विदेशों में नौकरी करने वाले लोगों से देश में आने वाले पैसे में भी गिरावट दर्ज की गई है.
भले ही पाकिस्तान में खाने के लाले पड़ जाएं, लेकिन उसके पास हथियारों का जो जखीरा है वो भारत को चिंता में डालने के लिए काफी है. भारत के एक चौथाई हिस्से से भी कम क्षेत्रफल वाले पाकिस्तान के पास भारत से भी अधिक परमाणु हथियार हैं. भारत के पास करीब 110-120 परमाणु हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 120-130 परमाणु हथियार हैं. रूस और अमेरिका इस लिस्ट में सबसे ऊपर हैं. अब सोचिए, जब पाकिस्तान ने अपना सारा पैसा हथियार खरीदने में ही लगा दिया तो अर्थव्यवस्था तो डामाडोल होगी ही.
अब देखना ये है कि क्या पाकिस्तान की नई सरकार देश को इस आर्थिक संकट से निकाल पाएगी?
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