डीजल-पेट्रोल की कीमतों में 16 दिन की लगातार बढ़ोत्तरी के बाद सरकार ने तोहफा दिया है. 1 पैसे प्रति लीटर का तोहफा. मीडिया में लगातार कीमतों का बढ़ना ही हेडलाइन बन रहा था. ऐसे में सरकार को एक दिन के लिए उस जलालत भरी हेडलाइन से राहत तो मिल गई. लेकिन क्या लोग इससे खुश हैं ? सोशल मीडिया का रुख करें तो पता चलता है कि पेट्रोल-डीजल की कीमत में एक पैसे की कमी करना लोगों को क्रूर मजाक की तरह लगा है. कहा जा रहा है कि सरकार के इस 'तोहफे' का जवाब रिटर्न गिफ्ट के रूप में 2019 के लोकसभा चुनावों में मिल गया, तो बीजेपी की खुशी वैसी ही होगी जैसी कर्नाटक में है. सरकार को भी ये समझने की जरूरत है कि 2019 के लोकसभा चुनावों का रास्ता पेट्रोल पम्प के बगल से होकर ही गुजरता है.
अब समझिए डीजल-पेट्रोल का पूरा गणित
पेट्रोल की कीमतों में 16 दिन तक लगातार बढ़ोत्तरी के बाद आखिरकार एक गिरावट आ गई है. लेकिन यह गिरावट किसी औपचारिकता से कम नहीं कही जा सकती है, क्योंकि कीमत में सिर्फ 1 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई है. 23 अप्रैल के बाद से अब तक पेट्रोल की कीमतों में करीब 3.92 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है और डीजल में 3.55 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है. यहां ये जानना दिलचस्प है कि कच्चे तेल की जो कीमत आज है, वो आज से करीब सवा महीने पहले भी थी. यानी कच्चा तेल तो सस्ता हो गया है, लेकिन डीजल-पेट्रोल की कीमतों में महज 1 पैसे की कमी आई है.
अब क्या हैं नई कीमतें?
30 मई को दिल्ली में डीजल की कीमत 69.30 रुपए प्रति लीटर है, जबकि पेट्रोल की कीमत 78.42 रुपए प्रति लीटर है. 23 अप्रैल को डीजल-पेट्रोल में बढ़ोत्तरी के बाद कीमतों को करीब 20 दिनों तक के लिए स्थिर कर दिया गया था. यहां आपको बताते चलें कि इसी बीच 12 मई को कर्नाटक चुनाव भी थे. जैसे ही चुनाव के बादल छंठे वैसी ही तेल में दोबारा आग लग गई और फिर 16 दिनों तक लगातार बढ़ोत्तरी हुई. 23 अप्रैल को डीजल की दिल्ली में कीमत 65.75 रुपए प्रति लीटर थी, जो अब 3.55 रुपए बढ़कर...
डीजल-पेट्रोल की कीमतों में 16 दिन की लगातार बढ़ोत्तरी के बाद सरकार ने तोहफा दिया है. 1 पैसे प्रति लीटर का तोहफा. मीडिया में लगातार कीमतों का बढ़ना ही हेडलाइन बन रहा था. ऐसे में सरकार को एक दिन के लिए उस जलालत भरी हेडलाइन से राहत तो मिल गई. लेकिन क्या लोग इससे खुश हैं ? सोशल मीडिया का रुख करें तो पता चलता है कि पेट्रोल-डीजल की कीमत में एक पैसे की कमी करना लोगों को क्रूर मजाक की तरह लगा है. कहा जा रहा है कि सरकार के इस 'तोहफे' का जवाब रिटर्न गिफ्ट के रूप में 2019 के लोकसभा चुनावों में मिल गया, तो बीजेपी की खुशी वैसी ही होगी जैसी कर्नाटक में है. सरकार को भी ये समझने की जरूरत है कि 2019 के लोकसभा चुनावों का रास्ता पेट्रोल पम्प के बगल से होकर ही गुजरता है.
अब समझिए डीजल-पेट्रोल का पूरा गणित
पेट्रोल की कीमतों में 16 दिन तक लगातार बढ़ोत्तरी के बाद आखिरकार एक गिरावट आ गई है. लेकिन यह गिरावट किसी औपचारिकता से कम नहीं कही जा सकती है, क्योंकि कीमत में सिर्फ 1 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई है. 23 अप्रैल के बाद से अब तक पेट्रोल की कीमतों में करीब 3.92 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है और डीजल में 3.55 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है. यहां ये जानना दिलचस्प है कि कच्चे तेल की जो कीमत आज है, वो आज से करीब सवा महीने पहले भी थी. यानी कच्चा तेल तो सस्ता हो गया है, लेकिन डीजल-पेट्रोल की कीमतों में महज 1 पैसे की कमी आई है.
अब क्या हैं नई कीमतें?
30 मई को दिल्ली में डीजल की कीमत 69.30 रुपए प्रति लीटर है, जबकि पेट्रोल की कीमत 78.42 रुपए प्रति लीटर है. 23 अप्रैल को डीजल-पेट्रोल में बढ़ोत्तरी के बाद कीमतों को करीब 20 दिनों तक के लिए स्थिर कर दिया गया था. यहां आपको बताते चलें कि इसी बीच 12 मई को कर्नाटक चुनाव भी थे. जैसे ही चुनाव के बादल छंठे वैसी ही तेल में दोबारा आग लग गई और फिर 16 दिनों तक लगातार बढ़ोत्तरी हुई. 23 अप्रैल को डीजल की दिल्ली में कीमत 65.75 रुपए प्रति लीटर थी, जो अब 3.55 रुपए बढ़कर 69.30 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गई है. वहीं दूसरी ओर, 23 अप्रैल को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 74.50 रुपए प्रति लीटर थी जो अब 3.92 रुपए प्रति लीटर बढ़कर 78.42 रुपए पर पहुंच गई है.
समझिए कच्चे तेल का खेल
आज से करीब सवा महीने पहले यानी 23 अप्रैल को कच्चे तेल की कीमत 75.03 डॉलर प्रति बैरल थी और अब 30 मई को ये कीमत करीब 75.35 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुकी है. यानी देखा जाए तो लगभग 23 अप्रैल की कीमत के बराबर, जिसके बाद से डीजल-पेट्रोल से चुनावी खेल जुड़ गया. इस सवा महीने के दौरान कच्चे तेल ने 24 मई को 79.61 डॉलर प्रति बैरल का उच्चतम स्तर छुआ. अब अगर देखा जाए तो कच्चे तेल में करीब 4.26 डॉलर प्रति बैरल की कमी आ चुकी है, लेकिन डीजल-पेट्रोल सिर्फ 1 पैसे सस्ता हुआ है.
सरकार फिर कर रही है जनता के पैसों से मोटी कमाई
अगर इस समय सरकार के उस तर्क को माना जाए, जिसमें डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के लिए कच्चे तेल के दामों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था तो यही तर्क सरकार की नाक में दम कर सकता है. दरअसल, कच्चे तेल की जो कीमत 23 अप्रैल को थी वहीं अब 30 मई को है, लेकिन डीजल-पेट्रोल के दामों के साथ ऐसा नहीं है. 23 अप्रैल और आज की कीमतों में बहुत बड़ा फर्क है, जिसे सरकार ने खत्म नहीं किया है. यानी ये कहना गलत नहीं होगा कि एक बार फिर से सरकार जनता के पैसों से मोटी कमाई कर रही है, बजाय तेल की कीमतों को घटाने के.
गलती से अधिक खुश हो गए थे लोग
इंडियन ऑयल की वेबसाइट पर गड़बड़ी की वजह से लोग कुछ अधिक ही खुश हो गए थे, लेकिन वो खुशी चंद घंटे ही चल सकी. दरअसल, इंडियन ऑयल की वेबसाइट पर पहले दिखाया गया कि पेट्रोल की कीमतों में 60 पैसे की कटौती की गई है और डीजल की कीमतें 56 पैसे कम की गई हैं. जैसे ही इंडियन ऑयल के अधिकारियों को मीडिया से इस खबर का पता चला तो उन्होंने वेबसाइट को चेक किया और अपनी गलती सुधारी.
कच्चे तेल की कीमतों को ध्यान में रखा जाए तो आज कीमत में सिर्फ 1 पैसे की कटौती के बजाय पेट्रोल में 3.92 रुपए डीजल में 3.55 रुपए की कटौती की जा सकती थी, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया है. अगर सरकार को ये लगता है कि सिर्फ 1 पैसे कम करने से वह यह गिना देगी कि तेल के दाम गिरे थे, तो वह गलत है. जनता को 1 पैसे और 3.50 रुपए का फर्क अच्छे से पता है. खैर, ये बात जानती तो मोदी सरकार भी है, लेकिन या तो अभी वह अतिआत्मविश्वास में हैं या फिर कोई बड़ा खेल खेलने की तैयारी में हैं. वैसे भी, अभी कीमतों में कटौती करने से सरकार को कोई चुनावी फायदा नहीं मिलने वाला है. हो सकता है सरकार किसी सही मौके के इंतजार में हो, जिससे जनता को राहत देने के साथ-साथ उसका चुनावी फायदा भी हो जाए.
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